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अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

15 अगस्त 2023

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शायद आपने उनका नाम नही सुना होगा । इसलिए शायद आप दुख मानना नही चाहेगे । वैसे किसी मृत्यु पर हमे दुख मानना चाहिए भी नही, लेकिन इसान का स्वभाव है कि वह अपने स्नेही या पूज्य के मरने पर दुख मानता ही है। हम लोग ऐसे बने है कि जो अपने काम की डुग्गी पिटवाता फिरता है और राज्य- कारण मे उछाले भरता है, उसको तो हम आसमान पर चढा देते है, लेकिन मूक काम करनेवालो को नही पूछते ।

बीज ऐसे ही एक मूक कार्यकर्त्ता थे । उनका जन्म गोवा मे हुआ था । जन्म से वह हिंदू थे, पर उनको ऐसा विश्वास बैठ गया था कि बौद्ध धर्मं मे अहिंसा, शील आदि जितने बढे - चढे है, उतने दूसरे धर्म मे, वेद-धर्म मे भी नही है । इसलिए उन्होने बौद्ध धर्म स्वीकार किया और बौद्ध शास्त्रो के अध्ययन में लग गये और उसमे इतने बडे विद्वान हो गये कि शायद ही हिदुस्तान मे उनकी बराबरी का और कोई हो । उन्होन गुजरात विद्यापीठ व काशी विद्यापीठ में पाली भाषा पढाई और अपनी अगाध विद्वत्ता का ज्ञान - दान किया था । उन्होने मेरे पास १०००) भेज दिये, जो उन्होने मुझको लिखा था दिये थे । उन्होंने मुझे लिखा था कि किसी - को पाली पढने के लिए लका भेज देना । लेकिन मैंने उनसे पूछा कि क्या लका जाकर पढने से किसीको बौद्ध धर्म प्राप्त हो जायगा ? मैने तो दुनिया मे बौद्धो से कहा है कि आपको अगर बौद्ध धर्म जानना है तो आप उसके जन्म-स्थान भारत में ही उसे पायेगे। जहापर वेद-धर्म से वह निकला है, वही आपको उसे खोजना है और शकराचार्य - जैसे अद्वितीय विद्वान्, जो प्रच्छन्न बुद्ध कहलाये, उनके ग्रंथो को भी आप समझेगे तब बौद्ध धर्म का गूढ रहस्य आप जान पायेगे ।

लेकिन कौसीजी की विद्वत्ता से मैं अपनी तुलना नही कर सकता। मैं तो इग्लैंड मे भोज खाकर बना हुआ बैरिस्टर हू । मेरे पास संस्कृत का ज्ञान जरा-सा है। अगर आज में महात्मा बना हू तो इसलिए नही कि अग्रेजी का बैरिस्टर हू, पर इसलिए कि मैने सेवा की है और वह सेवा, सत्य और अहिसा के द्वारा की है। इस सत्य और अहिसा की पूजा मे जो थोडी-सी सफलता मुझे मिलती चली गई उसीके कारण आज मेरी थोडी-बहुत पूछ है ।

कसबीजी की समझ में यह समा गया कि अब यह शरीर अधिक काम करने के योग्य नही रहा है तो उन्होने अन- शन करके प्राण त्याग करने की ठानी। टडनजी के कहने पर मैने उनका अनशन उनकी ( कौसबीजी की ) अनिच्छा से छुडवाया, पर उनका हाजमा बहुत खराब हो चुका था और कुछ भी खुराक ले ही नही सकते थे । तब दुबारा सेवाग्राम मे चालीस दिन तक केवल जल पर ही रहकर उन्होने शरीरात किया । बीमारी मे नाममात्र की सेवा और औषधि भी नही ली । जन्म- स्थान गोवा में जाने का मोह भी उन्होने तजा और अपने पुत्र आदि को अपने पास न आने की आज्ञा दी । मृत्यु के बाद के लिए कह गये, मेरा कोई स्मारक न बनाया जाय । शरीर को जलाने या दफनाने मे जो सस्ता पडे वह किया जाय और इस तरह उन्होने बुद्ध का नाम रटते रटते अतिम गहरी निद्रा ली, जो हरेक जन्मनेवाले को कभी-न-कभी लेनी ही है । मृत्यु हरेक का परम मित्र है, वह अपने कर्म के अनुसार आवेगा ही । भले ही कोई यह बता दे कि अमुक का जन्म अमुक समय होगा, पर मौत कब आवेगी, यह कोई भी आज तक नही बता पाया है । "

प्रोफेसर कौसबीजी जो बडे विद्वान थे और पाली भाषा मे अग्रगण्य माने जाते थे, वह सेवाग्राम आश्रम मे चल बसे । उनके बारे मे वहा के सचालक बलवर्तासिह का पत्र है, जिसमे कहा गया है कि ऐसी मृत्यु आज तक मैने नही देखी। यह तो बिल्कुल ऐसी, • हुई जैसी कबीरजी ने बताई है।

दास कबीर जतन सों ओढ़ी ।

ज्यो-की-त्यों धर दीनी चदरिया ||

इस तरह हम सभी लोग मृत्यु की मैत्री साध ले तो हिन्दुस्तान का भला ही होने वाला है ।

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रचनाएँ
देश सेवकों के संस्मरण
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देश सेवकों के संस्कार कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्य के बारे में निबंधों का एक संग्रह है। निबंध स्वतंत्रता सेनानियों के साथ प्रभाकर की व्यक्तिगत बातचीत और उनके जीवन और कार्य पर उनके शोध पर आधारित हैं। देश सेवकों के संस्कार में निबंधों को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित किया गया है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक समाप्त होता है। निबंधों में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। देश सेवकों के संस्कार में प्रत्येक निबंध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक अद्वितीय और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रभाकर के निबंध केवल ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं हैं, बल्कि साहित्य की कृतियाँ भी हैं जो उस समय की भावना और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाती हैं। देश सेवकों के संस्कार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर साहित्य में एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान रचना है।
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अध्याय 1: हकीम अजमल खां

15 अगस्त 2023
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एक जमाना था, शायद सन् ' १५ की साल में, जब मै दिल्ली आया था, हकीम अजमल खां साहब से मिला और डाक्टर अंसारी से | मुझसे कहा गया कि हमारे दिल्ली के बादशाह अंग्रेज नही है, बल्कि ये हकीम साहब है । डाक्टर असार

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अध्याय 2: डा० मुख्तार अहमद अंसारी

15 अगस्त 2023
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डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो

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अध्याय 3: बी अम्मा

15 अगस्त 2023
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यह मानना मश्किल है कि बी अम्मा का देहात हो गया है। अम्मा की उस राजसी मूर्ति को या सार्वजनिक सभाओं में उन- की बुलंद आवाज को कौन नही जानता । बुढापा होते हुए भी उन- में एक नवयुवक की शक्ति थी । खिलाफत और

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अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

15 अगस्त 2023
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शायद आपने उनका नाम नही सुना होगा । इसलिए शायद आप दुख मानना नही चाहेगे । वैसे किसी मृत्यु पर हमे दुख मानना चाहिए भी नही, लेकिन इसान का स्वभाव है कि वह अपने स्नेही या पूज्य के मरने पर दुख मानता ही है।

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अध्याय 5: कस्तूरबा गांधी

15 अगस्त 2023
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तेरह वर्ष की उम्र मे मेरा विवाह हो गया। दो मासूम बच्चे अनजाने ससार-सागर में कूद पडे। हम दोनो एक-दूसरे से डरते थे, ऐसा खयाल आता है। एक-दूसरे से शरमाते तो थे ही । धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को पहचानने लगे।

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अध्याय 6: मगनलाल खुशालचंद गांधी

15 अगस्त 2023
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मेरे चाचा के पोते मगनलाल खुशालचंद गांधी मेरे कामों मे मेरे साथ सन् १९०४ से ही थे । मगनलाल के पिता ने अपने सभी पुत्रो को देश के काम में दे दिया है। वह इस महीने के शुरू में सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित

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अध्याय 7: गोपालकृष्ण गोखले

15 अगस्त 2023
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गुरु के विषय मे शिष्य क्या लिखे । उसका लिखना एक प्रकार की धृष्टता मात्र है। सच्चा शिष्य वही है जो गुरु मे अपने- को लीन कर दे, अर्थात् वह टीकाकार हो ही नही सकता । जो भक्ति दोष देखती हो वह सच्ची भक्ति

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अध्याय 8: घोषालबाबू

15 अगस्त 2023
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ग्रेस के अधिवेशन को एक-दो दिन की देर थी । मैने निश्चय किया था कि काग्रेस के दफ्तर में यदि मेरी सेवा स्वीकार हो तो कुछ सेवा करके अनुभव प्राप्त करू । जिस दिन हम आये उसी दिन नहा-धोकर मै काग्रेस के दफ्तर

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अध्याय 9: अमृतलाल वि० ठक्कर

15 अगस्त 2023
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ठक्करबापा आगामी २७ नवबर को ७० वर्ष के हो जायगे । बापा हरिजनो के पिता है और आदिवासियो और उन सबके भी, जो लगभग हरिजनो की ही कोटि के है और जिनकी गणना अर्द्ध- सभ्य जातियों में की जाती है। दिल्ली के हरिजन

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अध्याय 10: द्रनाथ ठाकुर

15 अगस्त 2023
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लार्ड हार्डिज ने डाक्टर रवीद्रनाथ ठाकुर को एशिया के महाकवि की पदवी दी थी, पर अब रवीद्रबाबू न सिर्फ एशिया के बल्कि ससार भर के महाकवि गिने जा रहे है । उनके हाथ से भारतवर्ष की सबसे बडी सेवा यह हुई है कि

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अध्याय 11: लोकमान्य तिलक

16 अगस्त 2023
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक अब ससार मे नही है । यह विश्वास करना कठिन मालूम होता है कि वह ससार से उठ गये । हम लोगो के समय मे ऐसा दूसरा कोई नही, जिसका जनता पर लोकमान्य के जैसा प्रभाव हो । हजारो देशवासियो क

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अध्याय 12: अब्बास तैयबजी

16 अगस्त 2023
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सबसे पहले सन् १९१५ मे मै अब्बास तैयबजी से मिला था । जहा की मै गया, तैयबजी - परिवार का कोई-न-कोई स्त्री-पुरुष मुझसे आकर जरूर मिला । ऐसा मालूम पडता है, मानो इस महान् और चारो तरफ फैले हुए परिवार ने यह

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अध्याय 13: देशबंधु चित्तरंजन दास

16 अगस्त 2023
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देशबंधु दास एक महान् पुरुष थे। मैं गत छ वर्षो से उन्हें जानता हू । कुछ ही दिन पहले जब में दार्जिलिंग से उनसे विदा हुआ था तब मैने एक मित्र से कहा था कि जितनी ही घनिष्ठता उनसे बढती है उतना ही उनके प्र

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अध्याय 14: महादेव देसाई

16 अगस्त 2023
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महादेव की अकस्मात् मृत्यु हो गई । पहले जरा भी पता नही चला। रात अच्छी तरह सोये । नाश्ता किया। मेरे साथ टहले । सुशीला ' और जेल के डाक्टरो ने, जो कुछ कर सकते थे, किया लेकिन ईश्वर की मर्जी कुछ और थी ।

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अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

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सरोजिनी देवी आगामी वर्ष के लिए महासभा की सभा - नेत्री निर्वाचित हो गई । यह सम्मान उनको पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था । बडी योग्यता द्वारा उन्होने यह सम्मान प्राप्त किया है । उनकी असीम शक्ति के लिए और

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अध्याय 16: मोतीलाल नेहरू

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महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल

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अध्याय 17: वल्लभभाई पटेल

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सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ रहना मेरा बडा सौभाग्य 'था । उनकी अनुपम वीरता से मैं अच्छी तरह परिचित था, परतु पिछले १६ महीने मे जिस प्रकार रहा, वैसा सौभाग्य मुझे कभी नही मिला था । जिस प्रकार उन्होने मुझे स

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अध्याय 18: जमनालाल बजाज

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सेठ जमनालाल बजाज को छीनकर काल ने हमारे बीच से एक शक्तिशाली व्यक्ति को छीन लिया है। जब-जब मैने धनवानो के लिए यह लिखा कि वे लोककल्याण की दृष्टि से अपने धन के ट्रस्टी बन जाय तब-तब मेरे सामने सदा ही इस वण

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अध्याय 19: सुभाषचंद्र बोस

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नेताजी के जीवन से जो सबसे बड़ी शिक्षा ली जा सकती है वह है उनकी अपने अनुयायियो मे ऐक्यभावना की प्रेरणाविधि, जिससे कि वे सब साप्रदायिक तथा प्रातीय बधनो से मुक्त रह सके और एक समान उद्देश्य के लिए अपना रक

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अध्याय 20: मदनमोहन मालवीय

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जब से १९१५ मे हिदुस्तान आया तब से मेरा मालवीयजी के साथ बहुत समागम है और में उन्हें अच्छी तरह जानता हू । मेरा उनके साथ गहरा परिचय रहता है । उन्हें मैं हिंदू-संसार के श्रेष्ठ व्यक्तियो मे मानता हूं । क

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अध्याय 21: श्रीमद् राजचंद्रभाई

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में जिनके पवित्र सस्मरण लिखना आरंभ करता हूं, उन स्वर्गीय राजचद्र की आज जन्मतिथि है । कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९७९ को उनका जन्म हुआ था । मेरे जीवन पर श्रीमद्राजचद्र भाई का ऐसा स्थायी प्रभाव पडा है कि

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अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

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आचार्य सुशील रुद्र का देहात ३० जून, १९२५ को होगया । वह मेरे एक आदरणीय मित्र और खामोश समाज सेवी थे। उनकी मृत्यु से मुझे जो दुख हुआ है उसमे पाठक मेरा साथ दे | भारत की मुख्य बीमारी है राजनैतिक गुलामी |

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अध्याय 23: लाला लाजपतराय

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लाला लाजपतराय को गिरफ्तार क्या किया, सरकार ने हमारे एक बड़े-से-बडे मुखिया को पकड़ लिया है। उसका नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर है । अपने स्वार्थ-त्याग के कारण वह अपने देश भाइयो के हृदय में उच्च स्

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अध्याय 24: वासंती देवी

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कुछ वर्ष पूर्व मैने स्वर्गीय रमाबाई रानडे के दर्शन का वर्णन किया था । मैने आदर्श विधवा के रूप मे उनका परिचय दिया था । इस समय मेरे भाग्य मे एक महान् वीर की विधवा के वैधव्य के आरभ का चित्र उपस्थित करना

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अध्याय 25: स्वामी श्रद्धानंद

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जिसकी उम्मीद थी वह ही गुजरा। कोई छ महीने हुए स्वामी श्रद्धानदजी सत्याग्रहाश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे । बातचीत में उन्होने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे जिनमे उन्हें मार डालन

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अध्याय 26: श्रीनिवास शास्त्री

16 अगस्त 2023
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दक्षिण अफ्रीका - निवासी भारतीयो को यह सुनकर बडी तसल्ली होगी कि माननीय शास्त्री ने पहला भारतीय राजदूत बनकर अफ्रीका में रहना स्वीकार कर लिया है, बशर्ते कि सरकार वह स्थान ग्रहण करने के प्रस्ताव को आखिरी

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अध्याय 27: नारायण हेमचंद्र

16 अगस्त 2023
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स्वर्गीय नारायण हेमचन्द्र विलायत आये थे । मै सुन चुका था कि वह एक अच्छे लेखक है। नेशनल इडियन एसो - सिएशनवाली मिस मैंनिग के यहा उनसे मिला | मिस गजानती थी कि सबसे हिल-मिल जाना मैं नही जानता । जब कभी मै

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