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अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

16 अगस्त 2023

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सरोजिनी देवी आगामी वर्ष के लिए महासभा की सभा - नेत्री निर्वाचित हो गई । यह सम्मान उनको पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था । बडी योग्यता द्वारा उन्होने यह सम्मान प्राप्त किया है । उनकी असीम शक्ति के लिए और पूर्व और दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में की गई महान सेवा के लिए वह इस सम्मान की पात्र है और आजकल के दिनो मे जबकि स्त्री जाति के अदर भारी जागृति हो रही है, स्वागत - कारिणी - समिति का भारतवर्ष की एक सर्वोत्तम प्रतिभाशालिनी पुत्री को सभापति चुनना भारतवर्ष की स्त्री जाति का समुचित सम्मान करना है । उनके सभापति चुने जाने से हमारे प्रवासी देश - भाइयो को पूर्ण संतोष होगा और इससे उनके अदर वह साहस पैदा होगा, जिससे वे अपने सामने उपस्थित लडाई को लड सकेगे । राष्ट्र द्वारा दिये जाने वाले सबसे ऊंचे पद पर उनका होना स्वतंत्रता को हमारे अधिक समीप लावे । '

अमेरिका के लिए श्री सरोजिनीदेवी ने गत १२ ता० को हिदुस्तान का किनारा छोडा । यूरोप, अमेरिका, इत्यादि मुल्को मे अपनी स्थायी सभाए स्थापित करके या समय-समय पर अपने प्रतिनिधि भेजकर हमारे बारे मे जो झूठी मान्यताए प्रचलित हो गई है, उन्हें दूर करने की आशा अनेक आदमी रखते है । मुझे यह आशा हमेशा ही गलत जान पडी है । ऐसा करने से हम सार्व-. जनिक धन का और जिनका और अच्छा उपयोग हो सकता है, उन लोगो के समय का दुरुपयोग करेगे । किंतु पश्चिम मे अगर किसीका जाना फल सकता है तो सरोजिनीदेवी का या कविवर वन्द्रनाथ ठाकुर का जाना अवश्य फल सकता है । सरोजिनीदेवी का नाम उनके काव्यो से पश्चिम में प्रसिद्ध है । उनमे चतुराई भी वैसी ही है । उन्हें यह भली- भाति मालूम है कि कहां, क्या और कितना कहना चाहिए। किसीको दुख पहुचाये बिना खरी-खरी सुना देने की कला उन्होने साधी है । जहा कही वह जाती है, उनकी बात सुने बिना लोगों का काम चलता ही नही है । दक्षिण अफ्रीका

अपनी शक्ति का सपूर्ण उपयोग करके उन्होने वहा के अंग्रेजो का मन हरण किया था और सुदर विजय प्राप्त करके सर हबीबुल्ला- प्रतिनिधि-मंडल का रास्ता साफ किया था । वहां का काम कठिन था, किंतु वहापर उन्होने अपनी मर्यादा निश्चित करके कानून के जाल - पेचो मे न पडते हुए, मुख्य बात मे लगे रह- कर अपना काम भली-भाति किया था और हिदुस्तान का नाम चमकाया था। ऐसा ही काम वे अमेरिका आदि देशो मे भी करेगी।

अमेरिका मे उनकी हाजिरी ही मिस मेयो के असत्य का जवाब हो जायगी । उनका साहस भी उनकी दूसरी शक्तियो के ही समान है । परदेश जाने मे न तो उन्हें किसी सहायक की आवश्यकता रहती है और न किसी मत्री की ही । जहा कही जाना हो वह अकेले निर्भयता से विचर सकती है । उनकी ऐसी निर्भयता स्त्रियों के लिए तो अनुकरणीय है ही, पुरुषो को भी लजानेवाली है । हम अवश्य यह आशा रख सकते है कि उनकी पश्चिम की यात्रा मे से अच्छा फल निकलेगा ।"

अमेरिका से कई - एक मित्रों के पत्र बराबर मेरे पास आते रहते हैं, जिनमे सरोजिनीदेवी के काम की प्रशसा रहती है । मित्र लिखते है कि सरोजिनीदेवी अमेरिका मे बडे महत्व का काम कर रही है और अपनी सारी ईश्वरदत्त प्रतिभा का इस देश के लिए पूरा-पूरा उपयोग कर रही है। इसमे शका नहीं कि उन्होने अमेरिकावासियो का मन मोह लिया है। कनाडा की एक बहन ने एक लंबे पत्र मे अपने कुछ अनुभव लिखकर भेजे है, उसमे थोड़ी सी बाते नीचे देता हू

“सरोजिनी देवी थोडे समय के लिए मेरी मेहमान बनी थी । आपके उन मित्र और दूत से मिलकर मैने अपने-आपको बडभागी पाया है। में खुद एक स्त्री हू, वह भी स्त्री ही है। साथ ही वह तो कवि और सुधारक है, इसीलिए उन्होने मेरा हृदय और भी चुरा लिया है । उनकी आत्मा का मुझपर बहुत ज्यादा असर हुआ है और इतने दिन के बाद भी उन- के मिलाप की बात हमारे हृदय मे जैसी-की-तैसी बनी हुई है । जिस गिरजाघर मे सरोजिनीदेवी ने व्याख्यान दिया था वह तो श्रोताओ से खचाखच भर गया था। उनके ज्ञान की, उनके अनु- भवों की, उनकी काव्य-शक्ति की, उनके मधुर कोकिल कंठ की, उनके विनोद की और अग्रेजी भाषा पर उनके प्रभुत्व की में आपसे क्या बात कहू ? जैसे-जैसे उनकी वाणी का प्रवाह बढता गया, वैसे-वैसे लोग मारे आश्चर्य के चकित होते गये और आखिर- कार उनके गुणो पर पूरे-पूरे मुग्ध हो गये । 

उन्होने हमारे सामने जितनी भी समस्याए रखी, हममे से कोई भी उनका उत्तर न दे सका । मेरे पास एक व्यवहार कुशल व्यापारी बैठे हुए थे, उन्होने समाधित होकर उनका सारा व्याख्यान सुना । जो प्रश्न पूछे गये सरोजिनीदेवी ने उनके ठीक-ठीक उत्तर दिये और बीच-बीच मे जिस ढंग से उन्होने विनोद का सहारा लिया उसे देखकर तो पूर्वोक्त व्यापारी महाशय से बोले बिना न रहा गया । उन्होने कहा, 'ऐसी शक्ति तो मैने किसी भी दूसरी स्त्री मे नही देखी। अगर सच कहू, मेरी राय मे कोई भी पुरुष इनके मुकाबले मे खडा. नही रह सकता ।' वर्तमान भारत के विषय में उन्होने जो कहा, वह बहुत ज्यादा असर करनेवाला था । उन्होने हमारी न्याय-प्रियता को जागृत किया, हमारे हृदयो को पानी-पानी कर दिया और हमे उसी समय यह अनुभव होने लगा कि आपके वहा भी उसी तरह का राज्यतंत्र होना चाहिए, जैसा हमारे यहा है । सरोजिनीदेवी की रचना मे, मालूम होता है, ईश्वर ने कई रंग पूरे है । उनसे भोजन के समय मिलिये या सम्मेलनो मे मिलिये, सा- मान्य वार्तालाप के लिए मिलिये अथवा और किसी काम के लिए, हर हालत में उनकी प्रतिभा बिखरी पडती थी । उनके उत्साह का तो पार ही नही है । कई निमत्रणो को स्वीकार कर चुकी है, एक ही दिन में कई जगह जाती है, लेकिन मालूम नही होता कि थकी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है मानो उनके पास शक्ति का कोई अटूट भडार है । लोकप्रियता से वह फूल नही उठती । यहा की सब अच्छी चीजे उन्हे पसद है । वह बच्चों को प्यार करती है, सुंदर फूल उनका मन चुरा लेते है, हमारे वृक्ष, हमारे सरोवर और हमारी नदिया उन्हे आनद प्रदान करती है, फिर भी वह भविष्य hat ही भूलती। यानी, स्त्री जाति मे जो कमजोरिया रहती है और प्रशसा के कारण जिस तरह बहुधा स्त्रिया अपना आपा भूल जाती है, उस तरह का भय मुझे सरोजिनीदेवी के बारे मे नही है ।"

समझता कि इन बहन ने जिन शब्दो मे सरोजिनीदेवी की शक्ति का वर्णन किया है उनमें कोई बात बढाकर लिखी गई है । सरोजिनीदेवी मे वस्तुस्थिति को पल भर में समझ लेने की अपूर्व शक्ति है। वह अपनी मर्यादा को समझती है । अर्थशास्त्रियो और राजनैतिक नेताओ की बारीकी में वह कभी नही उतरती । इस तरह के ज्ञान का न तो वह कभी दावा करती है और न आडबर ही । साधारण आदमी के पास जितना ज्ञान होता है, उतने ही ज्ञान

पूजी से वह अपना काम इतनी चतुराई से कर लेती है कि सामनेवाला आदमी उन्हे कभी उलझन मे डाल ही नही सकता । उलटे जो कुछ उनसे ग्रहण करता है उसीमे इतना सतोष अनुभव करता है, मानो उसे सबकुछ मिल गया हो।'


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रचनाएँ
देश सेवकों के संस्मरण
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देश सेवकों के संस्कार कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्य के बारे में निबंधों का एक संग्रह है। निबंध स्वतंत्रता सेनानियों के साथ प्रभाकर की व्यक्तिगत बातचीत और उनके जीवन और कार्य पर उनके शोध पर आधारित हैं। देश सेवकों के संस्कार में निबंधों को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित किया गया है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक समाप्त होता है। निबंधों में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। देश सेवकों के संस्कार में प्रत्येक निबंध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक अद्वितीय और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रभाकर के निबंध केवल ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं हैं, बल्कि साहित्य की कृतियाँ भी हैं जो उस समय की भावना और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाती हैं। देश सेवकों के संस्कार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर साहित्य में एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान रचना है।
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अध्याय 1: हकीम अजमल खां

15 अगस्त 2023
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एक जमाना था, शायद सन् ' १५ की साल में, जब मै दिल्ली आया था, हकीम अजमल खां साहब से मिला और डाक्टर अंसारी से | मुझसे कहा गया कि हमारे दिल्ली के बादशाह अंग्रेज नही है, बल्कि ये हकीम साहब है । डाक्टर असार

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अध्याय 2: डा० मुख्तार अहमद अंसारी

15 अगस्त 2023
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डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो

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अध्याय 3: बी अम्मा

15 अगस्त 2023
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यह मानना मश्किल है कि बी अम्मा का देहात हो गया है। अम्मा की उस राजसी मूर्ति को या सार्वजनिक सभाओं में उन- की बुलंद आवाज को कौन नही जानता । बुढापा होते हुए भी उन- में एक नवयुवक की शक्ति थी । खिलाफत और

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अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

15 अगस्त 2023
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शायद आपने उनका नाम नही सुना होगा । इसलिए शायद आप दुख मानना नही चाहेगे । वैसे किसी मृत्यु पर हमे दुख मानना चाहिए भी नही, लेकिन इसान का स्वभाव है कि वह अपने स्नेही या पूज्य के मरने पर दुख मानता ही है।

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अध्याय 5: कस्तूरबा गांधी

15 अगस्त 2023
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तेरह वर्ष की उम्र मे मेरा विवाह हो गया। दो मासूम बच्चे अनजाने ससार-सागर में कूद पडे। हम दोनो एक-दूसरे से डरते थे, ऐसा खयाल आता है। एक-दूसरे से शरमाते तो थे ही । धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को पहचानने लगे।

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अध्याय 6: मगनलाल खुशालचंद गांधी

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मेरे चाचा के पोते मगनलाल खुशालचंद गांधी मेरे कामों मे मेरे साथ सन् १९०४ से ही थे । मगनलाल के पिता ने अपने सभी पुत्रो को देश के काम में दे दिया है। वह इस महीने के शुरू में सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित

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अध्याय 7: गोपालकृष्ण गोखले

15 अगस्त 2023
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गुरु के विषय मे शिष्य क्या लिखे । उसका लिखना एक प्रकार की धृष्टता मात्र है। सच्चा शिष्य वही है जो गुरु मे अपने- को लीन कर दे, अर्थात् वह टीकाकार हो ही नही सकता । जो भक्ति दोष देखती हो वह सच्ची भक्ति

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अध्याय 8: घोषालबाबू

15 अगस्त 2023
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ग्रेस के अधिवेशन को एक-दो दिन की देर थी । मैने निश्चय किया था कि काग्रेस के दफ्तर में यदि मेरी सेवा स्वीकार हो तो कुछ सेवा करके अनुभव प्राप्त करू । जिस दिन हम आये उसी दिन नहा-धोकर मै काग्रेस के दफ्तर

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अध्याय 9: अमृतलाल वि० ठक्कर

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ठक्करबापा आगामी २७ नवबर को ७० वर्ष के हो जायगे । बापा हरिजनो के पिता है और आदिवासियो और उन सबके भी, जो लगभग हरिजनो की ही कोटि के है और जिनकी गणना अर्द्ध- सभ्य जातियों में की जाती है। दिल्ली के हरिजन

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अध्याय 10: द्रनाथ ठाकुर

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लार्ड हार्डिज ने डाक्टर रवीद्रनाथ ठाकुर को एशिया के महाकवि की पदवी दी थी, पर अब रवीद्रबाबू न सिर्फ एशिया के बल्कि ससार भर के महाकवि गिने जा रहे है । उनके हाथ से भारतवर्ष की सबसे बडी सेवा यह हुई है कि

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अध्याय 11: लोकमान्य तिलक

16 अगस्त 2023
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक अब ससार मे नही है । यह विश्वास करना कठिन मालूम होता है कि वह ससार से उठ गये । हम लोगो के समय मे ऐसा दूसरा कोई नही, जिसका जनता पर लोकमान्य के जैसा प्रभाव हो । हजारो देशवासियो क

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अध्याय 12: अब्बास तैयबजी

16 अगस्त 2023
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सबसे पहले सन् १९१५ मे मै अब्बास तैयबजी से मिला था । जहा की मै गया, तैयबजी - परिवार का कोई-न-कोई स्त्री-पुरुष मुझसे आकर जरूर मिला । ऐसा मालूम पडता है, मानो इस महान् और चारो तरफ फैले हुए परिवार ने यह

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अध्याय 13: देशबंधु चित्तरंजन दास

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देशबंधु दास एक महान् पुरुष थे। मैं गत छ वर्षो से उन्हें जानता हू । कुछ ही दिन पहले जब में दार्जिलिंग से उनसे विदा हुआ था तब मैने एक मित्र से कहा था कि जितनी ही घनिष्ठता उनसे बढती है उतना ही उनके प्र

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अध्याय 14: महादेव देसाई

16 अगस्त 2023
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महादेव की अकस्मात् मृत्यु हो गई । पहले जरा भी पता नही चला। रात अच्छी तरह सोये । नाश्ता किया। मेरे साथ टहले । सुशीला ' और जेल के डाक्टरो ने, जो कुछ कर सकते थे, किया लेकिन ईश्वर की मर्जी कुछ और थी ।

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अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

16 अगस्त 2023
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सरोजिनी देवी आगामी वर्ष के लिए महासभा की सभा - नेत्री निर्वाचित हो गई । यह सम्मान उनको पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था । बडी योग्यता द्वारा उन्होने यह सम्मान प्राप्त किया है । उनकी असीम शक्ति के लिए और

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अध्याय 16: मोतीलाल नेहरू

16 अगस्त 2023
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महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल

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अध्याय 17: वल्लभभाई पटेल

16 अगस्त 2023
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सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ रहना मेरा बडा सौभाग्य 'था । उनकी अनुपम वीरता से मैं अच्छी तरह परिचित था, परतु पिछले १६ महीने मे जिस प्रकार रहा, वैसा सौभाग्य मुझे कभी नही मिला था । जिस प्रकार उन्होने मुझे स

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अध्याय 18: जमनालाल बजाज

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सेठ जमनालाल बजाज को छीनकर काल ने हमारे बीच से एक शक्तिशाली व्यक्ति को छीन लिया है। जब-जब मैने धनवानो के लिए यह लिखा कि वे लोककल्याण की दृष्टि से अपने धन के ट्रस्टी बन जाय तब-तब मेरे सामने सदा ही इस वण

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अध्याय 19: सुभाषचंद्र बोस

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नेताजी के जीवन से जो सबसे बड़ी शिक्षा ली जा सकती है वह है उनकी अपने अनुयायियो मे ऐक्यभावना की प्रेरणाविधि, जिससे कि वे सब साप्रदायिक तथा प्रातीय बधनो से मुक्त रह सके और एक समान उद्देश्य के लिए अपना रक

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अध्याय 20: मदनमोहन मालवीय

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जब से १९१५ मे हिदुस्तान आया तब से मेरा मालवीयजी के साथ बहुत समागम है और में उन्हें अच्छी तरह जानता हू । मेरा उनके साथ गहरा परिचय रहता है । उन्हें मैं हिंदू-संसार के श्रेष्ठ व्यक्तियो मे मानता हूं । क

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अध्याय 21: श्रीमद् राजचंद्रभाई

16 अगस्त 2023
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में जिनके पवित्र सस्मरण लिखना आरंभ करता हूं, उन स्वर्गीय राजचद्र की आज जन्मतिथि है । कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९७९ को उनका जन्म हुआ था । मेरे जीवन पर श्रीमद्राजचद्र भाई का ऐसा स्थायी प्रभाव पडा है कि

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अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

16 अगस्त 2023
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आचार्य सुशील रुद्र का देहात ३० जून, १९२५ को होगया । वह मेरे एक आदरणीय मित्र और खामोश समाज सेवी थे। उनकी मृत्यु से मुझे जो दुख हुआ है उसमे पाठक मेरा साथ दे | भारत की मुख्य बीमारी है राजनैतिक गुलामी |

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अध्याय 23: लाला लाजपतराय

16 अगस्त 2023
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लाला लाजपतराय को गिरफ्तार क्या किया, सरकार ने हमारे एक बड़े-से-बडे मुखिया को पकड़ लिया है। उसका नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर है । अपने स्वार्थ-त्याग के कारण वह अपने देश भाइयो के हृदय में उच्च स्

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अध्याय 24: वासंती देवी

16 अगस्त 2023
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कुछ वर्ष पूर्व मैने स्वर्गीय रमाबाई रानडे के दर्शन का वर्णन किया था । मैने आदर्श विधवा के रूप मे उनका परिचय दिया था । इस समय मेरे भाग्य मे एक महान् वीर की विधवा के वैधव्य के आरभ का चित्र उपस्थित करना

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अध्याय 25: स्वामी श्रद्धानंद

16 अगस्त 2023
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जिसकी उम्मीद थी वह ही गुजरा। कोई छ महीने हुए स्वामी श्रद्धानदजी सत्याग्रहाश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे । बातचीत में उन्होने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे जिनमे उन्हें मार डालन

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अध्याय 26: श्रीनिवास शास्त्री

16 अगस्त 2023
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दक्षिण अफ्रीका - निवासी भारतीयो को यह सुनकर बडी तसल्ली होगी कि माननीय शास्त्री ने पहला भारतीय राजदूत बनकर अफ्रीका में रहना स्वीकार कर लिया है, बशर्ते कि सरकार वह स्थान ग्रहण करने के प्रस्ताव को आखिरी

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अध्याय 27: नारायण हेमचंद्र

16 अगस्त 2023
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स्वर्गीय नारायण हेमचन्द्र विलायत आये थे । मै सुन चुका था कि वह एक अच्छे लेखक है। नेशनल इडियन एसो - सिएशनवाली मिस मैंनिग के यहा उनसे मिला | मिस गजानती थी कि सबसे हिल-मिल जाना मैं नही जानता । जब कभी मै

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