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अध्याय 2: डा० मुख्तार अहमद अंसारी

15 अगस्त 2023

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डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो सब कोई जानते है और सच्ची बात तो यह है कि अगर बेलगाव मे, कानपुर मे श्रीमती सरोजिनी नायडू और गोहाटी मे श्रीयुत श्रीनिवास आयगार मार्ग मे न आते तो इनमे से किसी भी अधिवेशन के अध्यक्ष डा० असारी ही चुने जाते, क्योकि जब ये चुनाव हो रहे थे तब उनका नाम प्रत्येक आदमी की जबान पर था, परतु कुछ खास कारणो से डा० असारी का हक आगे बढा दिया गया और अब ज्ञात होता है कि विधि ने उनके चुनाव को इसीलिए आगे ढकेल दिया है कि वे ऐसे मौके पर आवें जब देश को उनकी सबसे अधिक जरूरत हो । अगर हिंदू-मुस्लिम एकता की कोई योजना दोनो पक्षो को ग्रहण करने योग्य मालूम हो तो नि. सदेह डा० अंसारी ही उसे महासभा के द्वारा कर ले जा सकते है । ... अकेली यही बात ( सर्व सम्मति से और हृदय से एक मुसलमान को अपना अध्यक्ष चुनना ) हिंदुओ की ओर से इस बात का साफ प्रमाण होगा कि हिंदू एकता को दिल से चाहते है, और राष्ट्रीय विचारोवाले मुसलमानों मे डा० अंसारी की अपेक्षा साधारणतया मुसलमान जनता मे अधिक आद्रित कोई नही है । इसलिए मेरे खयाल से तो यही अच्छा है कि अगले साल के लिए डा० असारी ही राष्ट्रीय महासभा के कर्णधार हो, क्योकि केवल किसी योजना को मजूर कर लेना ही हमारे लिए काफी नही है । दोनो पक्षो द्वारा उसे मजूर कराने की बनिस्बत उसे कार्य में परिणत करना शायद कही अधिक जरूरी है । और यदि हम मान ले कि दोनो पक्षो का समाधान करनेवाली एक योजना मजूर हो भी गई तो उसपर अमल करते समय बराबर सावधानी की आवश्यकता होगी । डा० असारी ही ऐसे काम के लिए सबसे अधिक योग्य पुरुष है । इसलिए में कि सभी प्रात एकमत से डा० असारी के नाम को ही उस सर्वोच्च सम्मान के लिए सूचित करेगे, जो कि राष्ट्रीय महासभा के आधीन है । "

...

'हरिजन' मे उन सब महान पुरुषों की मृत्यु पर, जो इस संसार से सिधार जाते है, साधारणतया में लिखता नही हू । 'हरिजन' एक विशेष प्रवृत्ति से सबंध रखनेवाला पत्र है । आम तौर पर उन्ही व्यक्तियों के स्वर्गवास के विषय में इसमें लिखा जाता है जिनका कि हरिजन - कार्य के साथ विशेष रूप से संबंध होता है। श्री कमला नेहरू के स्वर्गवास पर मैने 'हरिजन' मे जो नहीं लिखा उसमे मुझे खास तौर पर अपने ऊपर पाबंदी लगानी पड़ी।

 ऐसा करके मैने करीब-करीब अपने साथ जुल्म किया। मगर डा० अंसारी के स्वर्गवास पर मुझे कोई ऐसा आत्म-निग्रह करने की जरूरत नहीं । कारण यह है कि वे निस्संदेह हकीम अजमल खां की तरह ही हिंदू-मुस्लिम ऐक्य के एक प्रतिरूप थे । कडी- से कड़ी परीक्षा के समय भी वह अपने विश्वास से कभी डिगे नही । वह एक पक्के मुसलमान थे। हजरत मुहम्मदसाहब की जिन लोगों जरूरत के वक्त मदद की थी, वे उनके वशज थे और उन्हें इस. बात का गर्व था । इस्लाम के प्रति उनमें जो दृढता थी और उसका उन्हें जो प्रगाढ ज्ञान था उस दृढता और उस ज्ञान ने ही उन्हें हिंदू- मुस्लिम ऐक्य में विश्वास करनेवाला बना दिया था । अगर यह कहा जाय कि जितने उनके मुसलमान मित्र थे उतने ही हिंदू मित्र थे तो इसमें कोई अत्युक्ति न होगी । सारे हिदुस्तान के काबिल- से काबिल डाक्टरो में उनका नाम लिया जाता था। किसी भी कौम का गरीब आदमी उनसे सलाह लेने जाय, उसके लिए बेरोक- टोक उनका दरवाजा खुला रहता था। उन्होंने राजा-महाराजाओं और अमीर घरानो से जो कमाया वह अपने जरूरतमद दोस्तों दोनो हाथो से खर्च किया । कोई उनसे कुछ मांगने गया तो कभी ऐसा नही हुआ कि वह उनकी जेब खाली किये बगैर लोटा हो, और उन्होने जो दिया उसका कभी हिसाब नहीं रखा। सैकडों पुरुषों और स्त्रियो के लिए वह एक भारी सहारा थे। मुझे इसमें तनिक भी संदेह नही कि सचमुच वह अनेक लोगो को रोते-बिलखते छोड गये है । उनकी पत्नी बेगमसाहिबा तो ज्ञानपरायणा हैं, यद्यपि वह हमेशा बीमार - सी रहती है। वह इतनी बहादुर है और इस्लाम पर उनकी इतनी ऊची श्रद्धा है कि उन्होने अपने प्रिय पति की मृत्यु पर एक आसू भी नही गिराया। पर जिन अनेक व्यक्तियों की मैं याद करता हू वे ज्ञानी या फिलासफर नही हैं। ईश्वर मे तो उनका विश्वास हवाई हे, पर डा० अंसारी में उनका विश्वास जीवित विश्वास था । इसमें उनका कोई कसूर नही । 

डाक्टर-साह की मित्रता के उनके पास ऐसे अनेक प्रमाण थे कि ईश्वर मैं जब उन्हें छोड़ दिया तब डाक्टरसाहब भी उनकी मदद तभी तक कर सके, जबतक कि सिरजनहार ने उन्हें ऐसा करने दिया । जित काम को वह जीवित अवस्था मे पूरा नही कर सके, ईश्वर करे, वह उनकी मृत्यु के बाद पूरा हो जाय । "

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रचनाएँ
देश सेवकों के संस्मरण
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देश सेवकों के संस्कार कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्य के बारे में निबंधों का एक संग्रह है। निबंध स्वतंत्रता सेनानियों के साथ प्रभाकर की व्यक्तिगत बातचीत और उनके जीवन और कार्य पर उनके शोध पर आधारित हैं। देश सेवकों के संस्कार में निबंधों को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित किया गया है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक समाप्त होता है। निबंधों में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। देश सेवकों के संस्कार में प्रत्येक निबंध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक अद्वितीय और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रभाकर के निबंध केवल ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं हैं, बल्कि साहित्य की कृतियाँ भी हैं जो उस समय की भावना और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाती हैं। देश सेवकों के संस्कार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर साहित्य में एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान रचना है।
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अध्याय 1: हकीम अजमल खां

15 अगस्त 2023
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एक जमाना था, शायद सन् ' १५ की साल में, जब मै दिल्ली आया था, हकीम अजमल खां साहब से मिला और डाक्टर अंसारी से | मुझसे कहा गया कि हमारे दिल्ली के बादशाह अंग्रेज नही है, बल्कि ये हकीम साहब है । डाक्टर असार

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अध्याय 2: डा० मुख्तार अहमद अंसारी

15 अगस्त 2023
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डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो

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अध्याय 3: बी अम्मा

15 अगस्त 2023
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यह मानना मश्किल है कि बी अम्मा का देहात हो गया है। अम्मा की उस राजसी मूर्ति को या सार्वजनिक सभाओं में उन- की बुलंद आवाज को कौन नही जानता । बुढापा होते हुए भी उन- में एक नवयुवक की शक्ति थी । खिलाफत और

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अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

15 अगस्त 2023
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शायद आपने उनका नाम नही सुना होगा । इसलिए शायद आप दुख मानना नही चाहेगे । वैसे किसी मृत्यु पर हमे दुख मानना चाहिए भी नही, लेकिन इसान का स्वभाव है कि वह अपने स्नेही या पूज्य के मरने पर दुख मानता ही है।

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अध्याय 5: कस्तूरबा गांधी

15 अगस्त 2023
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तेरह वर्ष की उम्र मे मेरा विवाह हो गया। दो मासूम बच्चे अनजाने ससार-सागर में कूद पडे। हम दोनो एक-दूसरे से डरते थे, ऐसा खयाल आता है। एक-दूसरे से शरमाते तो थे ही । धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को पहचानने लगे।

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अध्याय 6: मगनलाल खुशालचंद गांधी

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मेरे चाचा के पोते मगनलाल खुशालचंद गांधी मेरे कामों मे मेरे साथ सन् १९०४ से ही थे । मगनलाल के पिता ने अपने सभी पुत्रो को देश के काम में दे दिया है। वह इस महीने के शुरू में सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित

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अध्याय 7: गोपालकृष्ण गोखले

15 अगस्त 2023
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गुरु के विषय मे शिष्य क्या लिखे । उसका लिखना एक प्रकार की धृष्टता मात्र है। सच्चा शिष्य वही है जो गुरु मे अपने- को लीन कर दे, अर्थात् वह टीकाकार हो ही नही सकता । जो भक्ति दोष देखती हो वह सच्ची भक्ति

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अध्याय 8: घोषालबाबू

15 अगस्त 2023
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ग्रेस के अधिवेशन को एक-दो दिन की देर थी । मैने निश्चय किया था कि काग्रेस के दफ्तर में यदि मेरी सेवा स्वीकार हो तो कुछ सेवा करके अनुभव प्राप्त करू । जिस दिन हम आये उसी दिन नहा-धोकर मै काग्रेस के दफ्तर

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अध्याय 9: अमृतलाल वि० ठक्कर

15 अगस्त 2023
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ठक्करबापा आगामी २७ नवबर को ७० वर्ष के हो जायगे । बापा हरिजनो के पिता है और आदिवासियो और उन सबके भी, जो लगभग हरिजनो की ही कोटि के है और जिनकी गणना अर्द्ध- सभ्य जातियों में की जाती है। दिल्ली के हरिजन

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अध्याय 10: द्रनाथ ठाकुर

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लार्ड हार्डिज ने डाक्टर रवीद्रनाथ ठाकुर को एशिया के महाकवि की पदवी दी थी, पर अब रवीद्रबाबू न सिर्फ एशिया के बल्कि ससार भर के महाकवि गिने जा रहे है । उनके हाथ से भारतवर्ष की सबसे बडी सेवा यह हुई है कि

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अध्याय 11: लोकमान्य तिलक

16 अगस्त 2023
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक अब ससार मे नही है । यह विश्वास करना कठिन मालूम होता है कि वह ससार से उठ गये । हम लोगो के समय मे ऐसा दूसरा कोई नही, जिसका जनता पर लोकमान्य के जैसा प्रभाव हो । हजारो देशवासियो क

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अध्याय 12: अब्बास तैयबजी

16 अगस्त 2023
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सबसे पहले सन् १९१५ मे मै अब्बास तैयबजी से मिला था । जहा की मै गया, तैयबजी - परिवार का कोई-न-कोई स्त्री-पुरुष मुझसे आकर जरूर मिला । ऐसा मालूम पडता है, मानो इस महान् और चारो तरफ फैले हुए परिवार ने यह

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अध्याय 13: देशबंधु चित्तरंजन दास

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देशबंधु दास एक महान् पुरुष थे। मैं गत छ वर्षो से उन्हें जानता हू । कुछ ही दिन पहले जब में दार्जिलिंग से उनसे विदा हुआ था तब मैने एक मित्र से कहा था कि जितनी ही घनिष्ठता उनसे बढती है उतना ही उनके प्र

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अध्याय 14: महादेव देसाई

16 अगस्त 2023
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महादेव की अकस्मात् मृत्यु हो गई । पहले जरा भी पता नही चला। रात अच्छी तरह सोये । नाश्ता किया। मेरे साथ टहले । सुशीला ' और जेल के डाक्टरो ने, जो कुछ कर सकते थे, किया लेकिन ईश्वर की मर्जी कुछ और थी ।

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अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

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सरोजिनी देवी आगामी वर्ष के लिए महासभा की सभा - नेत्री निर्वाचित हो गई । यह सम्मान उनको पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था । बडी योग्यता द्वारा उन्होने यह सम्मान प्राप्त किया है । उनकी असीम शक्ति के लिए और

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अध्याय 16: मोतीलाल नेहरू

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महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल

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अध्याय 17: वल्लभभाई पटेल

16 अगस्त 2023
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सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ रहना मेरा बडा सौभाग्य 'था । उनकी अनुपम वीरता से मैं अच्छी तरह परिचित था, परतु पिछले १६ महीने मे जिस प्रकार रहा, वैसा सौभाग्य मुझे कभी नही मिला था । जिस प्रकार उन्होने मुझे स

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अध्याय 18: जमनालाल बजाज

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सेठ जमनालाल बजाज को छीनकर काल ने हमारे बीच से एक शक्तिशाली व्यक्ति को छीन लिया है। जब-जब मैने धनवानो के लिए यह लिखा कि वे लोककल्याण की दृष्टि से अपने धन के ट्रस्टी बन जाय तब-तब मेरे सामने सदा ही इस वण

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अध्याय 19: सुभाषचंद्र बोस

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नेताजी के जीवन से जो सबसे बड़ी शिक्षा ली जा सकती है वह है उनकी अपने अनुयायियो मे ऐक्यभावना की प्रेरणाविधि, जिससे कि वे सब साप्रदायिक तथा प्रातीय बधनो से मुक्त रह सके और एक समान उद्देश्य के लिए अपना रक

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अध्याय 20: मदनमोहन मालवीय

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जब से १९१५ मे हिदुस्तान आया तब से मेरा मालवीयजी के साथ बहुत समागम है और में उन्हें अच्छी तरह जानता हू । मेरा उनके साथ गहरा परिचय रहता है । उन्हें मैं हिंदू-संसार के श्रेष्ठ व्यक्तियो मे मानता हूं । क

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अध्याय 21: श्रीमद् राजचंद्रभाई

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में जिनके पवित्र सस्मरण लिखना आरंभ करता हूं, उन स्वर्गीय राजचद्र की आज जन्मतिथि है । कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९७९ को उनका जन्म हुआ था । मेरे जीवन पर श्रीमद्राजचद्र भाई का ऐसा स्थायी प्रभाव पडा है कि

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अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

16 अगस्त 2023
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आचार्य सुशील रुद्र का देहात ३० जून, १९२५ को होगया । वह मेरे एक आदरणीय मित्र और खामोश समाज सेवी थे। उनकी मृत्यु से मुझे जो दुख हुआ है उसमे पाठक मेरा साथ दे | भारत की मुख्य बीमारी है राजनैतिक गुलामी |

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अध्याय 23: लाला लाजपतराय

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लाला लाजपतराय को गिरफ्तार क्या किया, सरकार ने हमारे एक बड़े-से-बडे मुखिया को पकड़ लिया है। उसका नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर है । अपने स्वार्थ-त्याग के कारण वह अपने देश भाइयो के हृदय में उच्च स्

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अध्याय 24: वासंती देवी

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कुछ वर्ष पूर्व मैने स्वर्गीय रमाबाई रानडे के दर्शन का वर्णन किया था । मैने आदर्श विधवा के रूप मे उनका परिचय दिया था । इस समय मेरे भाग्य मे एक महान् वीर की विधवा के वैधव्य के आरभ का चित्र उपस्थित करना

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अध्याय 25: स्वामी श्रद्धानंद

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जिसकी उम्मीद थी वह ही गुजरा। कोई छ महीने हुए स्वामी श्रद्धानदजी सत्याग्रहाश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे । बातचीत में उन्होने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे जिनमे उन्हें मार डालन

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अध्याय 26: श्रीनिवास शास्त्री

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दक्षिण अफ्रीका - निवासी भारतीयो को यह सुनकर बडी तसल्ली होगी कि माननीय शास्त्री ने पहला भारतीय राजदूत बनकर अफ्रीका में रहना स्वीकार कर लिया है, बशर्ते कि सरकार वह स्थान ग्रहण करने के प्रस्ताव को आखिरी

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अध्याय 27: नारायण हेमचंद्र

16 अगस्त 2023
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स्वर्गीय नारायण हेमचन्द्र विलायत आये थे । मै सुन चुका था कि वह एक अच्छे लेखक है। नेशनल इडियन एसो - सिएशनवाली मिस मैंनिग के यहा उनसे मिला | मिस गजानती थी कि सबसे हिल-मिल जाना मैं नही जानता । जब कभी मै

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