shabd-logo

अध्याय 16: मोतीलाल नेहरू

16 अगस्त 2023

5 बार देखा गया 5

महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल नेहरू इस काटो के ताज को पहनेगे या सयम-नियम के पक्के जवान सिपाही पडित जवाहरलाल नेहरू, जिन्होने अपनी योग्यता और महत्ता से देश के युवको के हृदयो पर अधिकार कर लिया है ? श्रीयुत वल्लभभाई पटेल का नाम स्वभावत ही सबकी जबान पर है । पडितजी एक व्यक्तिगत पत्र मे लिखते है कि इस समय तो वल्लभभाई पटेल को ही, उनकी वीरता के लिए, सभापति चुनना चाहिए और सरकार को यह दिखला देना चाहिए कि उन पर सारे राष्ट्र का विश्वास है । खैर, मगर अभी तो श्री वल्लभभाई का कोई प्रश्न ही नही हो सकता। इस समय उनके पास काम भी इतना पड़ा हुआ है कि वह बारडोली छोड़कर दूसरी ओर ध्यान ही नही दे सकते । और फिर दिसबर आने से पहले ही सभव है। कि वह सरकार के अनेक बदीगृहो मे से किसी एक में उसके अतिथि बनकर पहुच जाय । मेरा अपना विचार तो यह है कि यह काटो का ताज पंडित जवाहरलाल नेहरू को ही मिलना चाहिए । भविष्य तो देश के युवक के ही हाथ मे होना चाहिए। मगर बगाल तो अगले साल, जबकि बहुत-से तूफानो का भय है, पडित मोतीलाल के ही महासभा की पतवार देना चाहता है ।

 हम लोगो मे आपस में फूट है और चारो ओर से हमे एक ऐसा शत्रु घेरे हुए है जो जितना शक्तिशाली है, उतना ही नीति अनीति से लापरवाह भी । बगाल को इस समय किसी बड़े-बूढे की विशेष आवश्यकता है और वह भी ऐसे आदमी की, जिसने उसके गाढे अवसर पर, उसे संभाला हो । अगर सारे हिंदुस्तान के लिए आगे सुख का समय नही आने वाला है तो बगाल के लिए तो और भी नही । इसके तो हजारो कारण है कि पडित मोतीलालजी को ही क्यो यह कांटो का ताज धारण करना चाहिए । वह वीर है, उदार है, उनपर सभी दलो का विश्वास है, मुसलमान उन्हे अपना मित्र मानते है, उनके विरोधी भी उनका आदर करते है और अपनी जोरदार दलीलो से वह उन्हे प्राय ही अपनी राय से सहमत कर लेते है और फिर इसके अलावा उनके स्वभाव मे सधि और समझौते की भावना की ऐसी पुट भरी हुई है, जिससे वह किसी ऐसे राष्ट्र के अत्यत योग्य दूत होने लायक है, जिसे सम्मानित समझौते की आवश्यकता है और जो उसे करने के लिए तैयार है । इन्ही बातो पर विचार करके, अत्यत साहसी बगाली देशभक्त पडित मोतीलाल नेहरू को ही अगले वर्ष के लिए राष्ट्र का कर्णधार बनाना चाहते है ।"

श्री मोतीलाल नेहरू इत्यादि की याद आपको दिला दूंगा, जिन्होने अपनी कानूनी लियाकत बिल्कुल मुफ्त बाटी और अपने देश की बड़ी अच्छी तथा विश्वस्त सेवा की। आप मुझे शायद ताना देगे कि वे लोग इस कारण ऐसा कर सके थे कि वे अपने व्यवसाय

बड़ी लंबी फीस लेते थे । मैं इस तर्क को इस कारण नही मान सकता कि मनमोहन घोष के सिवा मेरा और सबसे परिचय रहा है। अधिक रुपया होने की वजह से इन लोगो ने भारत को आव- श्यकता पडने पर अपनी योग्यता उदारतापूर्वक दी हो, ऐसा नही कहा जा सकता । उसका उनकी आराम तथा विलास से रहने की योग्यता से कोई संबध नही है । मैने उनको बडे सतोष से दीनता- पूर्वक जीवन निर्वाह करते देखा है । "

स्वर्गीय मोतीलालजी के चित्र के उद्घाटन का जो सम्मान तुम लोगो ने मुझे दिया है, उसके लिए मै तुम्हारा आभारी हू । तुम्हारे पास उनकी छवि रहे और उनके पवित्र भावो को तुम सदा अपने हृदय मे अकित रखो, यह उचित ही है । यह कहना कोई अतिशयोक्ति नही है कि जैसा सबध दो सगे-सहोदर भाइयो के होता है, वैसा ही प्रगाढ प्रेम - सबध मोतीलालजी के और मेरे बीच था ।

 मोतीलालजी की देश-सेवा, मोतीलालजी का त्याग, मोतीलालजी का अपने पुत्र-पुत्रियो के प्रति अनुपम प्रेम, इन सब बातो का परिचय जैसा मुझे था, लगभग वैसा ही तुम्हे भी होना चाहिए । जब से मुझे मोतीलालजी का प्रथम परिचय प्राप्त हुआ, तब से उनके जीवन के अंतिम समय तक उनके निकट ससर्ग में रहने का सद्भाग्य ईश्वर ने मुझे दिया था। मैने देखा कि वह प्रति- क्षण स्वदेशहित का ही चिंतन करते थे । उनके लिए स्वराज्य स्वप्न नही, बल्कि प्राण था। स्वराज्य की उन्हे सदा तृष्णा-पिपासा रही और वह दिन-दिन बढ़ती ही गई। ऐसे आदर्श देशभक्त का चित्र अपने सम्मुख रखना उचित ही है।

पडित मोतीलालजी के सद्गुणो मे एक गुण यह भी था कि वह अस्पृश्यता नही मानते थे । वह मानो एक राजपुरुष थे । उन्होने तो बेहद रुपया कमाया, उसे सत्कार्यो मे, स्वराज्य के कार्यो मे लुटाया। मुझे उनके ऐसे दृष्टात मालूम है कि उनके हृदय ऊच-नीच का भाव था ही नही । "

उस जमाने मे हमने विदेशी कपडे के पहाड चिन - चिनकर जला दिये थे और कोई यह नही कहता था कि इससे राष्ट्र की निधि बरबाद हो रही है । श्रीमती नायडू ने अपनी पेरिस की साडी जला दी थी और स्व० मोतीलालजी ने भी अपने विलायती कपडो मे दियासलाई लगा दी थी। उनके पास तो आलमारी-की-आल- मारिया विदेशी कपडे थे । इसके बाद जब वह जेल गये तब उन्होने मेरे पास एक खत भेजा था- -आज वह खत में खोज नही सकता- पर उसमे था कि मै सच्चा जीवन अब ही जी रहा हू, आनद भवन में मेरे पास जो समृद्धि थी उससे मुझे यह सुख नही मिलता था । वहा उन्हें सिगार, शराब, गोश्त कुछ नही मिलता था। पूरा भोजन भी नही मिलता था, फिर भी उसमे उन्हें सुख मालूम हुआ । यह सही है कि उनकी यह चीज हमेशा नही चली ।

--

मेरी हालत विधवा स्त्री से भी बुरी है । एक विधवा अपने पति की मृत्यु के बाद वफादारी से जीवन बिताकर अपने पति के अच्छे कामो का फल पा सकती है। मैं कुछ भी नही पा सकता । मोतीलालजी की मृत्यु से मैने जो खोया है, वह मेरा सदा के लिए नुकसान है।

मोतीलालजी की मृत्यु हरेक देश-भक्त के लिए ईर्ष्या- स्पद होनी चाहिए, क्योकि अपना सबकुछ न्यौछावर करके वह मरे है और अत समय तक देश का ही ध्यान करते रहे है । इस वीर की मृत्यु से हमारे अदर भी बलिदान की भावना आनी चाहिए ।'

27
रचनाएँ
देश सेवकों के संस्मरण
0.0
देश सेवकों के संस्कार कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्य के बारे में निबंधों का एक संग्रह है। निबंध स्वतंत्रता सेनानियों के साथ प्रभाकर की व्यक्तिगत बातचीत और उनके जीवन और कार्य पर उनके शोध पर आधारित हैं। देश सेवकों के संस्कार में निबंधों को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित किया गया है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक समाप्त होता है। निबंधों में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। देश सेवकों के संस्कार में प्रत्येक निबंध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक अद्वितीय और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रभाकर के निबंध केवल ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं हैं, बल्कि साहित्य की कृतियाँ भी हैं जो उस समय की भावना और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाती हैं। देश सेवकों के संस्कार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर साहित्य में एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान रचना है।
1

अध्याय 1: हकीम अजमल खां

15 अगस्त 2023
9
1
0

एक जमाना था, शायद सन् ' १५ की साल में, जब मै दिल्ली आया था, हकीम अजमल खां साहब से मिला और डाक्टर अंसारी से | मुझसे कहा गया कि हमारे दिल्ली के बादशाह अंग्रेज नही है, बल्कि ये हकीम साहब है । डाक्टर असार

2

अध्याय 2: डा० मुख्तार अहमद अंसारी

15 अगस्त 2023
4
0
0

डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो

3

अध्याय 3: बी अम्मा

15 अगस्त 2023
2
0
0

यह मानना मश्किल है कि बी अम्मा का देहात हो गया है। अम्मा की उस राजसी मूर्ति को या सार्वजनिक सभाओं में उन- की बुलंद आवाज को कौन नही जानता । बुढापा होते हुए भी उन- में एक नवयुवक की शक्ति थी । खिलाफत और

4

अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

15 अगस्त 2023
1
0
0

शायद आपने उनका नाम नही सुना होगा । इसलिए शायद आप दुख मानना नही चाहेगे । वैसे किसी मृत्यु पर हमे दुख मानना चाहिए भी नही, लेकिन इसान का स्वभाव है कि वह अपने स्नेही या पूज्य के मरने पर दुख मानता ही है।

5

अध्याय 5: कस्तूरबा गांधी

15 अगस्त 2023
2
1
1

तेरह वर्ष की उम्र मे मेरा विवाह हो गया। दो मासूम बच्चे अनजाने ससार-सागर में कूद पडे। हम दोनो एक-दूसरे से डरते थे, ऐसा खयाल आता है। एक-दूसरे से शरमाते तो थे ही । धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को पहचानने लगे।

6

अध्याय 6: मगनलाल खुशालचंद गांधी

15 अगस्त 2023
1
0
0

मेरे चाचा के पोते मगनलाल खुशालचंद गांधी मेरे कामों मे मेरे साथ सन् १९०४ से ही थे । मगनलाल के पिता ने अपने सभी पुत्रो को देश के काम में दे दिया है। वह इस महीने के शुरू में सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित

7

अध्याय 7: गोपालकृष्ण गोखले

15 अगस्त 2023
1
0
0

गुरु के विषय मे शिष्य क्या लिखे । उसका लिखना एक प्रकार की धृष्टता मात्र है। सच्चा शिष्य वही है जो गुरु मे अपने- को लीन कर दे, अर्थात् वह टीकाकार हो ही नही सकता । जो भक्ति दोष देखती हो वह सच्ची भक्ति

8

अध्याय 8: घोषालबाबू

15 अगस्त 2023
1
0
0

ग्रेस के अधिवेशन को एक-दो दिन की देर थी । मैने निश्चय किया था कि काग्रेस के दफ्तर में यदि मेरी सेवा स्वीकार हो तो कुछ सेवा करके अनुभव प्राप्त करू । जिस दिन हम आये उसी दिन नहा-धोकर मै काग्रेस के दफ्तर

9

अध्याय 9: अमृतलाल वि० ठक्कर

15 अगस्त 2023
1
0
0

ठक्करबापा आगामी २७ नवबर को ७० वर्ष के हो जायगे । बापा हरिजनो के पिता है और आदिवासियो और उन सबके भी, जो लगभग हरिजनो की ही कोटि के है और जिनकी गणना अर्द्ध- सभ्य जातियों में की जाती है। दिल्ली के हरिजन

10

अध्याय 10: द्रनाथ ठाकुर

15 अगस्त 2023
1
0
0

लार्ड हार्डिज ने डाक्टर रवीद्रनाथ ठाकुर को एशिया के महाकवि की पदवी दी थी, पर अब रवीद्रबाबू न सिर्फ एशिया के बल्कि ससार भर के महाकवि गिने जा रहे है । उनके हाथ से भारतवर्ष की सबसे बडी सेवा यह हुई है कि

11

अध्याय 11: लोकमान्य तिलक

16 अगस्त 2023
1
0
0

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक अब ससार मे नही है । यह विश्वास करना कठिन मालूम होता है कि वह ससार से उठ गये । हम लोगो के समय मे ऐसा दूसरा कोई नही, जिसका जनता पर लोकमान्य के जैसा प्रभाव हो । हजारो देशवासियो क

12

अध्याय 12: अब्बास तैयबजी

16 अगस्त 2023
0
0
0

सबसे पहले सन् १९१५ मे मै अब्बास तैयबजी से मिला था । जहा की मै गया, तैयबजी - परिवार का कोई-न-कोई स्त्री-पुरुष मुझसे आकर जरूर मिला । ऐसा मालूम पडता है, मानो इस महान् और चारो तरफ फैले हुए परिवार ने यह

13

अध्याय 13: देशबंधु चित्तरंजन दास

16 अगस्त 2023
0
0
0

देशबंधु दास एक महान् पुरुष थे। मैं गत छ वर्षो से उन्हें जानता हू । कुछ ही दिन पहले जब में दार्जिलिंग से उनसे विदा हुआ था तब मैने एक मित्र से कहा था कि जितनी ही घनिष्ठता उनसे बढती है उतना ही उनके प्र

14

अध्याय 14: महादेव देसाई

16 अगस्त 2023
0
0
0

महादेव की अकस्मात् मृत्यु हो गई । पहले जरा भी पता नही चला। रात अच्छी तरह सोये । नाश्ता किया। मेरे साथ टहले । सुशीला ' और जेल के डाक्टरो ने, जो कुछ कर सकते थे, किया लेकिन ईश्वर की मर्जी कुछ और थी ।

15

अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

16 अगस्त 2023
0
0
0

सरोजिनी देवी आगामी वर्ष के लिए महासभा की सभा - नेत्री निर्वाचित हो गई । यह सम्मान उनको पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था । बडी योग्यता द्वारा उन्होने यह सम्मान प्राप्त किया है । उनकी असीम शक्ति के लिए और

16

अध्याय 16: मोतीलाल नेहरू

16 अगस्त 2023
0
0
0

महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल

17

अध्याय 17: वल्लभभाई पटेल

16 अगस्त 2023
0
0
0

सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ रहना मेरा बडा सौभाग्य 'था । उनकी अनुपम वीरता से मैं अच्छी तरह परिचित था, परतु पिछले १६ महीने मे जिस प्रकार रहा, वैसा सौभाग्य मुझे कभी नही मिला था । जिस प्रकार उन्होने मुझे स

18

अध्याय 18: जमनालाल बजाज

16 अगस्त 2023
0
0
0

सेठ जमनालाल बजाज को छीनकर काल ने हमारे बीच से एक शक्तिशाली व्यक्ति को छीन लिया है। जब-जब मैने धनवानो के लिए यह लिखा कि वे लोककल्याण की दृष्टि से अपने धन के ट्रस्टी बन जाय तब-तब मेरे सामने सदा ही इस वण

19

अध्याय 19: सुभाषचंद्र बोस

16 अगस्त 2023
0
0
0

नेताजी के जीवन से जो सबसे बड़ी शिक्षा ली जा सकती है वह है उनकी अपने अनुयायियो मे ऐक्यभावना की प्रेरणाविधि, जिससे कि वे सब साप्रदायिक तथा प्रातीय बधनो से मुक्त रह सके और एक समान उद्देश्य के लिए अपना रक

20

अध्याय 20: मदनमोहन मालवीय

16 अगस्त 2023
0
0
0

जब से १९१५ मे हिदुस्तान आया तब से मेरा मालवीयजी के साथ बहुत समागम है और में उन्हें अच्छी तरह जानता हू । मेरा उनके साथ गहरा परिचय रहता है । उन्हें मैं हिंदू-संसार के श्रेष्ठ व्यक्तियो मे मानता हूं । क

21

अध्याय 21: श्रीमद् राजचंद्रभाई

16 अगस्त 2023
0
0
0

में जिनके पवित्र सस्मरण लिखना आरंभ करता हूं, उन स्वर्गीय राजचद्र की आज जन्मतिथि है । कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९७९ को उनका जन्म हुआ था । मेरे जीवन पर श्रीमद्राजचद्र भाई का ऐसा स्थायी प्रभाव पडा है कि

22

अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

16 अगस्त 2023
0
0
0

आचार्य सुशील रुद्र का देहात ३० जून, १९२५ को होगया । वह मेरे एक आदरणीय मित्र और खामोश समाज सेवी थे। उनकी मृत्यु से मुझे जो दुख हुआ है उसमे पाठक मेरा साथ दे | भारत की मुख्य बीमारी है राजनैतिक गुलामी |

23

अध्याय 23: लाला लाजपतराय

16 अगस्त 2023
0
0
0

लाला लाजपतराय को गिरफ्तार क्या किया, सरकार ने हमारे एक बड़े-से-बडे मुखिया को पकड़ लिया है। उसका नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर है । अपने स्वार्थ-त्याग के कारण वह अपने देश भाइयो के हृदय में उच्च स्

24

अध्याय 24: वासंती देवी

16 अगस्त 2023
0
0
0

कुछ वर्ष पूर्व मैने स्वर्गीय रमाबाई रानडे के दर्शन का वर्णन किया था । मैने आदर्श विधवा के रूप मे उनका परिचय दिया था । इस समय मेरे भाग्य मे एक महान् वीर की विधवा के वैधव्य के आरभ का चित्र उपस्थित करना

25

अध्याय 25: स्वामी श्रद्धानंद

16 अगस्त 2023
0
0
0

जिसकी उम्मीद थी वह ही गुजरा। कोई छ महीने हुए स्वामी श्रद्धानदजी सत्याग्रहाश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे । बातचीत में उन्होने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे जिनमे उन्हें मार डालन

26

अध्याय 26: श्रीनिवास शास्त्री

16 अगस्त 2023
1
1
1

दक्षिण अफ्रीका - निवासी भारतीयो को यह सुनकर बडी तसल्ली होगी कि माननीय शास्त्री ने पहला भारतीय राजदूत बनकर अफ्रीका में रहना स्वीकार कर लिया है, बशर्ते कि सरकार वह स्थान ग्रहण करने के प्रस्ताव को आखिरी

27

अध्याय 27: नारायण हेमचंद्र

16 अगस्त 2023
0
0
0

स्वर्गीय नारायण हेमचन्द्र विलायत आये थे । मै सुन चुका था कि वह एक अच्छे लेखक है। नेशनल इडियन एसो - सिएशनवाली मिस मैंनिग के यहा उनसे मिला | मिस गजानती थी कि सबसे हिल-मिल जाना मैं नही जानता । जब कभी मै

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए