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अध्याय 14: महादेव देसाई

16 अगस्त 2023

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महादेव की अकस्मात् मृत्यु हो गई । पहले जरा भी पता नही चला। रात अच्छी तरह सोये । नाश्ता किया। मेरे साथ टहले । सुशीला ' और जेल के डाक्टरो ने, जो कुछ कर सकते थे, किया लेकिन ईश्वर की मर्जी कुछ और थी । सुशीला और मैने शव को स्नान कराया। शरीर शांति से पडा है, फूलो से ढका है, धूप जल रही है। सुशीला और मै गीता-पाठ कर रहे है । महादेव की योगी और देशभक्त की भाति मृत्यु हुई है। दुर्गा, बाबला और सुशीला से कहो, शोक करने की मनाई है। ऐसी महान मृत्यु पर हर्ष ही होना चाहिए । अत्येष्ठि मेरे सामने हो रही है। भस्म रख लूगा ।'

भावना तो महादेव की खुराक थी । उसका बलिदान कोई छोटी चीज नही है । अकेला भी वह बहुत काम करेगा । मै इसे शुभ शकुन मानता हू । शुद्धतम बलिदान हुआ है, इसका परिणाम अशुभ नही हो सकता । महादेव मेरा अतिरिक्त शरीर था । कितनी दफा मैने उसे मैक्सवेल के पास भेजा है, दूसरो के पास भेजा है। मान लेता था कि महादेव को काम सौपा है तो वह कर लेगा ।

..

उसे मेरा वारिस होना था, पर मुझे उसका वारिस होना पड़ा है । महादेव की समाधि पर जाना मेरे लिए बिल्कुल सहज बन गया है । मैं न जाऊ तो बेचैन हो जाऊ । वहा जाकर में कुछ करना नही चाहता, समय भी नही देना चाहता, मगर हो आता हू, इतना ही मेरे लिए बस है । अगर मै जिदा रहा तो यह जमीन आगाखा' से माग लूगा । वह न दे, यह सभव हो सकता है । मगर किसी रोज तो हिदुस्तान आजाद होगा । तब यह यात्रा का स्थान बनेगा | मै वहा जाता हू तो महादेव के गुणो का स्मरण करने के लिए, उन्हे ग्रहण करने के लिए । मैं उसकी स्मृति को  खोना नही चाहता । और जिस तरह से वह यहा मरा, उससे उसकी स्त्री और उसके लडके के प्रति मेरी वफादारी भी मुझे बताती है कि मुझे वहा नियमित रूप से जाना चाहिए। हो सकता है कि मेरी जिंदगी मे यह जगह मुझे न मिल सके और इस जगह को यात्रा-स्थल बनते मै न देख सकू, मगर किसी-न-किसी दिन वह जरूर बनेगा, इतना मै जानता हू ।

आज तो मैं सब काम उसका काम समझकर करता हू बाहर जाऊगा तब भी उसीका काम करूगा ।

...

'लगता ही नही कि महादेव सदा के लिए गया । कल

रात को स्वप्न मे वह लडकी कहती है, “महादेवभाई कहां है ?" मै उत्तर देता हू, "बहन, मै तो उसे श्मशान मे छोड आया हूँ ।" पीछे वह पागल सी हो जाती है, कहती है, “लाओ महादेव- भाई को उसे वहा क्यो छोड़ आये ? " . • महादेव की मै भाट की तरह स्तुति करता हू, मगर मेरा मन उसकी शिकायत भी करता है । उसकी मिसाल सपूर्ण या आदर्श नही मानना चाहिए । वह इस विचार का जप करते-करते चला गया कि मै बापू के बाद क्या कर सकता हू ? बापू से पहले चला जाऊ तो अच्छा है । मगर उसे तो कहना चाहिए था कि “नही, मुझे तो जिदा रहना है और बापू का काम करना है ।" यह दृढ़ सकल्प उसे मरने से रोक भी लेता । "

मेरे विचार से महादेव के चरित्र की सबसे बडी खूबी थी मौका पडने पर अपनेको भूलकर शून्यवत् बन जाने की उनकी शक्ति ।

...

जमनालाल, मगनलाल और महादेव – इनमें से हरेक अपने-अपने क्षेत्र मे अनूठे थे । मेरा खयाल है कि उनकी जगह दूसरे नही ले सकते । मगर मैं कहूगा कि इन तीनो मे से महादेव मुझमे पूरी तरह खो गया था। मैं यह कह सकता हू कि मुझसे अलग उसकी कोई हस्ती ही नही रह गई थी ।

महादेव की एक बडी खूबी यह थी कि जो काम उन्हे सौपा जाता था, उसे करने के लिए वह सदा तैयार रहते और बड़े उत्साह से करते थे । इसी तरह वह एक अच्छे लेखक, अच्छे रसोइया और अच्छे कुली बन सके थे । अक्सर जो लोग मेरे साथ काम करने के लिए आते है, वे ऐसे ही बन जाते है । "

...

महादेव गुलाब का फूल है ।

वह मेरे बॉसवेल ( जीवनी लिखनेवाले) बनना चाहते थे, फिर भी मुझसे पहले मरना चाहते थे। इससे बेहतर वह क्या कर सकते थे ? सो वह तो चले गये और मुझे उनकी जीवनी लिखने के लिए छोड़ गये । बच्चे अपने मा-बाप के पहले मरना चाहे तो इससे बढकर बेरहमी और क्या हो सकती है ? यह उन- का निरा स्वार्थ है । भले ही मै दूसरो को इस बात का यकीन न दिला 'सकू, . लेकिन यह मैं जरूर महसूस करता हू कि मौत कभी वक्त से पहले नही आती । दुनिया मे अपना काम खत्म करने से पहले कोई मर्द या औरत कभी नही मरता । महादेव ने पचास साल मे सौ बरस का काम पूरा कर डाला था । सो वह आराम करने चले गये, जिसपर उनका पूरा हक था।

...

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महादेव के मित्र और प्रशंसक उनके प्रिय काम करके ही उनकी बरसी मना सकते है । वह बड़े शक्तिशाली पुरुष थे । वह सुदर और सुडौल अक्षर लिखते थे । वह कई चीजो से प्यार करते थे । लेकिन उन सबमे चर्खे की जगह पहली थी । एक कलाकार होने के नाते वह नियम से बहुत बढिया कताई करते थे । कामकाज के भारी बोझ से थककर चूर हो जाने पर भी वह हमेशा कातने का वक्त निकाल लेते थे । चर्खा उन्हें फिर तरोताजा बना देता था ।

कई खूबियो मे उनके बेजोड अक्षर भी कोई कम महत्व नही रखते थे । उसमे कोई उनका सानी न था । रामदास स्वामी ने अपने एक दोहे में खूबसूरत अक्षरो की चमकीले मोतियो से खुलना की है। महादेव की कलम से निकले हुए अक्षर खरे मोती जैसे होते थे ।

उनकी तीसरी खूबी थी, हिदुस्तान की भाषाओं से उनका प्रेम । वह भाषा - शास्त्री थे । बगाली, मराठी और हिंदी पर उनका पूरा अधिकार था और वह उर्दू भी सीख चुके थे । '

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रचनाएँ
देश सेवकों के संस्मरण
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देश सेवकों के संस्कार कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्य के बारे में निबंधों का एक संग्रह है। निबंध स्वतंत्रता सेनानियों के साथ प्रभाकर की व्यक्तिगत बातचीत और उनके जीवन और कार्य पर उनके शोध पर आधारित हैं। देश सेवकों के संस्कार में निबंधों को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित किया गया है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक समाप्त होता है। निबंधों में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। देश सेवकों के संस्कार में प्रत्येक निबंध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक अद्वितीय और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रभाकर के निबंध केवल ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं हैं, बल्कि साहित्य की कृतियाँ भी हैं जो उस समय की भावना और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाती हैं। देश सेवकों के संस्कार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर साहित्य में एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान रचना है।
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अध्याय 1: हकीम अजमल खां

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डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो

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अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

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तेरह वर्ष की उम्र मे मेरा विवाह हो गया। दो मासूम बच्चे अनजाने ससार-सागर में कूद पडे। हम दोनो एक-दूसरे से डरते थे, ऐसा खयाल आता है। एक-दूसरे से शरमाते तो थे ही । धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को पहचानने लगे।

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अध्याय 6: मगनलाल खुशालचंद गांधी

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मेरे चाचा के पोते मगनलाल खुशालचंद गांधी मेरे कामों मे मेरे साथ सन् १९०४ से ही थे । मगनलाल के पिता ने अपने सभी पुत्रो को देश के काम में दे दिया है। वह इस महीने के शुरू में सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित

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अध्याय 7: गोपालकृष्ण गोखले

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ठक्करबापा आगामी २७ नवबर को ७० वर्ष के हो जायगे । बापा हरिजनो के पिता है और आदिवासियो और उन सबके भी, जो लगभग हरिजनो की ही कोटि के है और जिनकी गणना अर्द्ध- सभ्य जातियों में की जाती है। दिल्ली के हरिजन

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सबसे पहले सन् १९१५ मे मै अब्बास तैयबजी से मिला था । जहा की मै गया, तैयबजी - परिवार का कोई-न-कोई स्त्री-पुरुष मुझसे आकर जरूर मिला । ऐसा मालूम पडता है, मानो इस महान् और चारो तरफ फैले हुए परिवार ने यह

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देशबंधु दास एक महान् पुरुष थे। मैं गत छ वर्षो से उन्हें जानता हू । कुछ ही दिन पहले जब में दार्जिलिंग से उनसे विदा हुआ था तब मैने एक मित्र से कहा था कि जितनी ही घनिष्ठता उनसे बढती है उतना ही उनके प्र

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अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

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महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल

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अध्याय 17: वल्लभभाई पटेल

16 अगस्त 2023
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सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ रहना मेरा बडा सौभाग्य 'था । उनकी अनुपम वीरता से मैं अच्छी तरह परिचित था, परतु पिछले १६ महीने मे जिस प्रकार रहा, वैसा सौभाग्य मुझे कभी नही मिला था । जिस प्रकार उन्होने मुझे स

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सेठ जमनालाल बजाज को छीनकर काल ने हमारे बीच से एक शक्तिशाली व्यक्ति को छीन लिया है। जब-जब मैने धनवानो के लिए यह लिखा कि वे लोककल्याण की दृष्टि से अपने धन के ट्रस्टी बन जाय तब-तब मेरे सामने सदा ही इस वण

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16 अगस्त 2023
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नेताजी के जीवन से जो सबसे बड़ी शिक्षा ली जा सकती है वह है उनकी अपने अनुयायियो मे ऐक्यभावना की प्रेरणाविधि, जिससे कि वे सब साप्रदायिक तथा प्रातीय बधनो से मुक्त रह सके और एक समान उद्देश्य के लिए अपना रक

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जब से १९१५ मे हिदुस्तान आया तब से मेरा मालवीयजी के साथ बहुत समागम है और में उन्हें अच्छी तरह जानता हू । मेरा उनके साथ गहरा परिचय रहता है । उन्हें मैं हिंदू-संसार के श्रेष्ठ व्यक्तियो मे मानता हूं । क

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अध्याय 21: श्रीमद् राजचंद्रभाई

16 अगस्त 2023
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में जिनके पवित्र सस्मरण लिखना आरंभ करता हूं, उन स्वर्गीय राजचद्र की आज जन्मतिथि है । कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९७९ को उनका जन्म हुआ था । मेरे जीवन पर श्रीमद्राजचद्र भाई का ऐसा स्थायी प्रभाव पडा है कि

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अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

16 अगस्त 2023
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16 अगस्त 2023
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लाला लाजपतराय को गिरफ्तार क्या किया, सरकार ने हमारे एक बड़े-से-बडे मुखिया को पकड़ लिया है। उसका नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर है । अपने स्वार्थ-त्याग के कारण वह अपने देश भाइयो के हृदय में उच्च स्

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16 अगस्त 2023
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कुछ वर्ष पूर्व मैने स्वर्गीय रमाबाई रानडे के दर्शन का वर्णन किया था । मैने आदर्श विधवा के रूप मे उनका परिचय दिया था । इस समय मेरे भाग्य मे एक महान् वीर की विधवा के वैधव्य के आरभ का चित्र उपस्थित करना

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अध्याय 25: स्वामी श्रद्धानंद

16 अगस्त 2023
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जिसकी उम्मीद थी वह ही गुजरा। कोई छ महीने हुए स्वामी श्रद्धानदजी सत्याग्रहाश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे । बातचीत में उन्होने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे जिनमे उन्हें मार डालन

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अध्याय 26: श्रीनिवास शास्त्री

16 अगस्त 2023
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दक्षिण अफ्रीका - निवासी भारतीयो को यह सुनकर बडी तसल्ली होगी कि माननीय शास्त्री ने पहला भारतीय राजदूत बनकर अफ्रीका में रहना स्वीकार कर लिया है, बशर्ते कि सरकार वह स्थान ग्रहण करने के प्रस्ताव को आखिरी

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अध्याय 27: नारायण हेमचंद्र

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