shabd-logo

अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

16 अगस्त 2023

4 बार देखा गया 4

आचार्य सुशील रुद्र का देहात ३० जून, १९२५ को होगया । वह मेरे एक आदरणीय मित्र और खामोश समाज सेवी थे। उनकी मृत्यु से मुझे जो दुख हुआ है उसमे पाठक मेरा साथ दे | भारत की मुख्य बीमारी है राजनैतिक गुलामी | इसलिए वह उन्हीको मानता है, जो उसे दूर करने के लिए खुले आम सरकार से लडाई लडते है, और जिसने कि अपनी जल और थल - सेवा तथा धन-बल और कूट-नीति के द्वारा अपनी मजबूत मोर्चाबदी कर ली है । इससे स्वभावत उसे उन कार्यकर्ताओ का पता नही रहता जो " निस्वार्थ होते है, और जो जीवन के दूसरे विभागो में, जो कि राजनीति से कम उपयोगी नही होते है, अपनेको खपा देते है । सेट-स्टीफस कालेज, दिल्ली, के प्रिसिपल सुशीलकुमार रुद्र ऐसे ही विनीत कार्यकर्त्ता थे । वह पहले दरजे के शिक्षा शास्त्री थे । प्रिसिपल के नाते वह चारो ओर लोकप्रिय हो गये थे । उनके और उनके विद्यार्थियो के बीच एक प्रकार का आध्यात्मिक सबध था । यद्यपि वह ईसाई थे, तथापि वह अपने हृदय में हिदू-धर्म और इस्लाम के लिए भी जगह रखते थे । इन्हे वह बड़े आदर की दृष्टि से देखते थे । उनका ईसाई धर्म औरो से फटक कर अलग रहनेवाला न था, जो अकेले ईसामसीह को दुनिया का तारनहार न मानता हो उसके सर्वनाश की दुहाई देनेवाला न था । अपने धर्म पर दृढ रहते हुए भी वह औरो को सहन करते थे । वह राजनीति के बडे तेज और चिता- शील स्वाध्यायी थे । अग्रगामी कहे जानेवाले लोगो के प्रति अपनी सहानुभूति की कवायद जहा वह न दिखाते थे, वहा वह छिपाते न थे । जब से, १९९५ से, मै अफ्रीका से लौटा मै जब कभी दिल्ली जाता, उन्हीका अतिथि होता । रौलट कानून के सिलसिले मे जबतक मैने सत्याग्रह नही छेडा तबतक यह कार्य निर्विघ्न जारी रहा । ऊचे हल्को में उनके कितने ही अग्रेज मित्र थे । एक पूरे अंग्रेजी मिशन से उनका सबध था । अपने कालेज के वह पहले ही हिंदुस्तानी प्रिसिपल थे । इसलिए मेरे दिल ने कहा कि मेरा उनके साथ समागम रहने और उनके घर में ठहरने से शायद लोगो को यह गलत खयाल हो कि मेरा उनका मतैक्य है और उनके साथियो को अनावश्यक सकट का सामना करना पड़े । इसलिए मैने दूसरी जगह ठहरना चाहा । उनका जवाब अपने ढंग का था -- “मेरा धर्मं लोगो के अनुमान से अधिक गहरा है । मेरे कुछ मल तो मेरे । tathara है । वे गहरे और दीर्घकाल के मनन और * प्रार्थना के बाद निश्चित हुए है। मेरे अग्रेज मित्र उन्हें जानते है । यदि अपने सम्माननीय मित्र और अतिथि के रूप मे मै आपको अपने घर मे रखू तो वे इसका गलत अर्थ नही कर सकते । 

और कभी मुझे इन दो बातो मे से कि अग्रेज के अदर जो कुछ मेरा प्रभाव है वह चला जाय या आप किसी एक को चुनना पड़े तो मै जानता हू कि मैं किस चीज को पसंद करूंगा । आप मेरे घर को नही छोड़ सकते ।" तब मैने कहा - "लेकिन मुझसे तो हर किस्म के लोग मिलने के लिए आते है । आप अपने मकान को सराय तो बना नही सकते।" उन्होने उत्तर दिया--"सच पूछो तो मुझे यह सब अच्छा मालूम होता है । आपके मित्रो का आना-जाना मुझे पसंद है । यह देखकर मुझे आनद होता है कि आपको अपने मकान में ठहराकर मेरे हाथो कुछ देश सेवा हो रही है ।" पाठको को शायद मालूम न हो कि खिलाफत के दावे को प्रत्यक्ष रूप देने के लिए जो पत्र मैंने वायसराय को लिखा था उसका विचार और मसविदा प्रिसिपल रुद्र के मकान मे तैयार हुआ था। वह तथा चार्ली एंड्रज उसमे सुधार सुझानेवाले थे । उन्हीके घर की छाह में बैठकर असहयोग की कल्पना उत्पन्न और प्रवर्तित हुई । मौलानाओ, दूसरे मुसलमानों तथा अन्य मित्रो और मेरे बीच जो निजी मत्रणा हुई उसकी कार्रवाही को वह बडी दिलचस्पी के साथ चुपचाप देखते थे। उनके तमाम कार्य धर्म-भाव से प्रेरित होते थे ऐसी हालत में दुनियावी सत्ता छिन जाने का कोई डर न था- तथापि वही धर्म-भाव उन्हें सासारिक सत्ता के अस्तित्व और उप- योग तथा मित्रता के मूल्य को समझने में सहायक होता था । जिस धार्मिक भाव से मनुष्य को विचार और आचार के सुदर मेल का यथार्थ ज्ञान होता है, उसकी सत्यता को उन्होने अपने जीवन मे चरितार्थ कर दिखाया था । आचार्य रुद्र ने अपनी ओर इतने उच्च . चरित्र लोगो को आकर्षित किया था, जिनके सहवास की इच्छा किसीको हो सकती है । बहुत लोग नही जानते है कि श्री सी० एफ० एडू यज हमे प्रिसिपल रुद्र के ही कारण प्राप्त हुए है । वे जुड़े भाई जैसे थे । उनका स्नेह आदर्श मित्रता के अध्ययन का विषय था ।

प्रिसिपल रुद्र अपने पीछे दो लड़के और एक लडकी को छोड़ गये है ।"

27
रचनाएँ
देश सेवकों के संस्मरण
0.0
देश सेवकों के संस्कार कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्य के बारे में निबंधों का एक संग्रह है। निबंध स्वतंत्रता सेनानियों के साथ प्रभाकर की व्यक्तिगत बातचीत और उनके जीवन और कार्य पर उनके शोध पर आधारित हैं। देश सेवकों के संस्कार में निबंधों को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित किया गया है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक समाप्त होता है। निबंधों में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। देश सेवकों के संस्कार में प्रत्येक निबंध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक अद्वितीय और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रभाकर के निबंध केवल ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं हैं, बल्कि साहित्य की कृतियाँ भी हैं जो उस समय की भावना और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाती हैं। देश सेवकों के संस्कार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर साहित्य में एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान रचना है।
1

अध्याय 1: हकीम अजमल खां

15 अगस्त 2023
10
1
0

एक जमाना था, शायद सन् ' १५ की साल में, जब मै दिल्ली आया था, हकीम अजमल खां साहब से मिला और डाक्टर अंसारी से | मुझसे कहा गया कि हमारे दिल्ली के बादशाह अंग्रेज नही है, बल्कि ये हकीम साहब है । डाक्टर असार

2

अध्याय 2: डा० मुख्तार अहमद अंसारी

15 अगस्त 2023
5
0
0

डा० असारी जितने अच्छे मुसलमान है, उतने ही अच्छे भारतीय भी है । उनमे धर्मोन्माद की तो किसीने शंका ही नही की है। वर्षों तक वह एक साथ महासभा के सहमंत्री रहे है। एकता के लिए किये गये उनके प्रयत्नो को तो

3

अध्याय 3: बी अम्मा

15 अगस्त 2023
3
0
0

यह मानना मश्किल है कि बी अम्मा का देहात हो गया है। अम्मा की उस राजसी मूर्ति को या सार्वजनिक सभाओं में उन- की बुलंद आवाज को कौन नही जानता । बुढापा होते हुए भी उन- में एक नवयुवक की शक्ति थी । खिलाफत और

4

अध्याय 4: धर्मानंद कौसंबी

15 अगस्त 2023
2
0
0

शायद आपने उनका नाम नही सुना होगा । इसलिए शायद आप दुख मानना नही चाहेगे । वैसे किसी मृत्यु पर हमे दुख मानना चाहिए भी नही, लेकिन इसान का स्वभाव है कि वह अपने स्नेही या पूज्य के मरने पर दुख मानता ही है।

5

अध्याय 5: कस्तूरबा गांधी

15 अगस्त 2023
3
1
1

तेरह वर्ष की उम्र मे मेरा विवाह हो गया। दो मासूम बच्चे अनजाने ससार-सागर में कूद पडे। हम दोनो एक-दूसरे से डरते थे, ऐसा खयाल आता है। एक-दूसरे से शरमाते तो थे ही । धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को पहचानने लगे।

6

अध्याय 6: मगनलाल खुशालचंद गांधी

15 अगस्त 2023
2
0
0

मेरे चाचा के पोते मगनलाल खुशालचंद गांधी मेरे कामों मे मेरे साथ सन् १९०४ से ही थे । मगनलाल के पिता ने अपने सभी पुत्रो को देश के काम में दे दिया है। वह इस महीने के शुरू में सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित

7

अध्याय 7: गोपालकृष्ण गोखले

15 अगस्त 2023
2
0
0

गुरु के विषय मे शिष्य क्या लिखे । उसका लिखना एक प्रकार की धृष्टता मात्र है। सच्चा शिष्य वही है जो गुरु मे अपने- को लीन कर दे, अर्थात् वह टीकाकार हो ही नही सकता । जो भक्ति दोष देखती हो वह सच्ची भक्ति

8

अध्याय 8: घोषालबाबू

15 अगस्त 2023
2
0
0

ग्रेस के अधिवेशन को एक-दो दिन की देर थी । मैने निश्चय किया था कि काग्रेस के दफ्तर में यदि मेरी सेवा स्वीकार हो तो कुछ सेवा करके अनुभव प्राप्त करू । जिस दिन हम आये उसी दिन नहा-धोकर मै काग्रेस के दफ्तर

9

अध्याय 9: अमृतलाल वि० ठक्कर

15 अगस्त 2023
1
0
0

ठक्करबापा आगामी २७ नवबर को ७० वर्ष के हो जायगे । बापा हरिजनो के पिता है और आदिवासियो और उन सबके भी, जो लगभग हरिजनो की ही कोटि के है और जिनकी गणना अर्द्ध- सभ्य जातियों में की जाती है। दिल्ली के हरिजन

10

अध्याय 10: द्रनाथ ठाकुर

15 अगस्त 2023
1
0
0

लार्ड हार्डिज ने डाक्टर रवीद्रनाथ ठाकुर को एशिया के महाकवि की पदवी दी थी, पर अब रवीद्रबाबू न सिर्फ एशिया के बल्कि ससार भर के महाकवि गिने जा रहे है । उनके हाथ से भारतवर्ष की सबसे बडी सेवा यह हुई है कि

11

अध्याय 11: लोकमान्य तिलक

16 अगस्त 2023
1
0
0

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक अब ससार मे नही है । यह विश्वास करना कठिन मालूम होता है कि वह ससार से उठ गये । हम लोगो के समय मे ऐसा दूसरा कोई नही, जिसका जनता पर लोकमान्य के जैसा प्रभाव हो । हजारो देशवासियो क

12

अध्याय 12: अब्बास तैयबजी

16 अगस्त 2023
0
0
0

सबसे पहले सन् १९१५ मे मै अब्बास तैयबजी से मिला था । जहा की मै गया, तैयबजी - परिवार का कोई-न-कोई स्त्री-पुरुष मुझसे आकर जरूर मिला । ऐसा मालूम पडता है, मानो इस महान् और चारो तरफ फैले हुए परिवार ने यह

13

अध्याय 13: देशबंधु चित्तरंजन दास

16 अगस्त 2023
0
0
0

देशबंधु दास एक महान् पुरुष थे। मैं गत छ वर्षो से उन्हें जानता हू । कुछ ही दिन पहले जब में दार्जिलिंग से उनसे विदा हुआ था तब मैने एक मित्र से कहा था कि जितनी ही घनिष्ठता उनसे बढती है उतना ही उनके प्र

14

अध्याय 14: महादेव देसाई

16 अगस्त 2023
0
0
0

महादेव की अकस्मात् मृत्यु हो गई । पहले जरा भी पता नही चला। रात अच्छी तरह सोये । नाश्ता किया। मेरे साथ टहले । सुशीला ' और जेल के डाक्टरो ने, जो कुछ कर सकते थे, किया लेकिन ईश्वर की मर्जी कुछ और थी ।

15

अध्याय 15: सरोजिनी नायडू

16 अगस्त 2023
0
0
0

सरोजिनी देवी आगामी वर्ष के लिए महासभा की सभा - नेत्री निर्वाचित हो गई । यह सम्मान उनको पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था । बडी योग्यता द्वारा उन्होने यह सम्मान प्राप्त किया है । उनकी असीम शक्ति के लिए और

16

अध्याय 16: मोतीलाल नेहरू

16 अगस्त 2023
0
0
0

महासभा का सभापतित्व अब फूलो का कोमल ताज नही रह गया है। फूल के दल तो दिनो-दिन गिरते जाते है और काटे उघड जाते है । अब इस काटो के ताज को कौन धारण करेगा ? बाप या बेटा ? सैकडो लडाइयो के लडाका पडित मोतीलाल

17

अध्याय 17: वल्लभभाई पटेल

16 अगस्त 2023
0
0
0

सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ रहना मेरा बडा सौभाग्य 'था । उनकी अनुपम वीरता से मैं अच्छी तरह परिचित था, परतु पिछले १६ महीने मे जिस प्रकार रहा, वैसा सौभाग्य मुझे कभी नही मिला था । जिस प्रकार उन्होने मुझे स

18

अध्याय 18: जमनालाल बजाज

16 अगस्त 2023
0
0
0

सेठ जमनालाल बजाज को छीनकर काल ने हमारे बीच से एक शक्तिशाली व्यक्ति को छीन लिया है। जब-जब मैने धनवानो के लिए यह लिखा कि वे लोककल्याण की दृष्टि से अपने धन के ट्रस्टी बन जाय तब-तब मेरे सामने सदा ही इस वण

19

अध्याय 19: सुभाषचंद्र बोस

16 अगस्त 2023
0
0
0

नेताजी के जीवन से जो सबसे बड़ी शिक्षा ली जा सकती है वह है उनकी अपने अनुयायियो मे ऐक्यभावना की प्रेरणाविधि, जिससे कि वे सब साप्रदायिक तथा प्रातीय बधनो से मुक्त रह सके और एक समान उद्देश्य के लिए अपना रक

20

अध्याय 20: मदनमोहन मालवीय

16 अगस्त 2023
0
0
0

जब से १९१५ मे हिदुस्तान आया तब से मेरा मालवीयजी के साथ बहुत समागम है और में उन्हें अच्छी तरह जानता हू । मेरा उनके साथ गहरा परिचय रहता है । उन्हें मैं हिंदू-संसार के श्रेष्ठ व्यक्तियो मे मानता हूं । क

21

अध्याय 21: श्रीमद् राजचंद्रभाई

16 अगस्त 2023
0
0
0

में जिनके पवित्र सस्मरण लिखना आरंभ करता हूं, उन स्वर्गीय राजचद्र की आज जन्मतिथि है । कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९७९ को उनका जन्म हुआ था । मेरे जीवन पर श्रीमद्राजचद्र भाई का ऐसा स्थायी प्रभाव पडा है कि

22

अध्याय 22: आचार्य सुशील रुद्र

16 अगस्त 2023
0
0
0

आचार्य सुशील रुद्र का देहात ३० जून, १९२५ को होगया । वह मेरे एक आदरणीय मित्र और खामोश समाज सेवी थे। उनकी मृत्यु से मुझे जो दुख हुआ है उसमे पाठक मेरा साथ दे | भारत की मुख्य बीमारी है राजनैतिक गुलामी |

23

अध्याय 23: लाला लाजपतराय

16 अगस्त 2023
0
0
0

लाला लाजपतराय को गिरफ्तार क्या किया, सरकार ने हमारे एक बड़े-से-बडे मुखिया को पकड़ लिया है। उसका नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर है । अपने स्वार्थ-त्याग के कारण वह अपने देश भाइयो के हृदय में उच्च स्

24

अध्याय 24: वासंती देवी

16 अगस्त 2023
0
0
0

कुछ वर्ष पूर्व मैने स्वर्गीय रमाबाई रानडे के दर्शन का वर्णन किया था । मैने आदर्श विधवा के रूप मे उनका परिचय दिया था । इस समय मेरे भाग्य मे एक महान् वीर की विधवा के वैधव्य के आरभ का चित्र उपस्थित करना

25

अध्याय 25: स्वामी श्रद्धानंद

16 अगस्त 2023
0
0
0

जिसकी उम्मीद थी वह ही गुजरा। कोई छ महीने हुए स्वामी श्रद्धानदजी सत्याग्रहाश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे । बातचीत में उन्होने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे जिनमे उन्हें मार डालन

26

अध्याय 26: श्रीनिवास शास्त्री

16 अगस्त 2023
1
1
1

दक्षिण अफ्रीका - निवासी भारतीयो को यह सुनकर बडी तसल्ली होगी कि माननीय शास्त्री ने पहला भारतीय राजदूत बनकर अफ्रीका में रहना स्वीकार कर लिया है, बशर्ते कि सरकार वह स्थान ग्रहण करने के प्रस्ताव को आखिरी

27

अध्याय 27: नारायण हेमचंद्र

16 अगस्त 2023
0
0
0

स्वर्गीय नारायण हेमचन्द्र विलायत आये थे । मै सुन चुका था कि वह एक अच्छे लेखक है। नेशनल इडियन एसो - सिएशनवाली मिस मैंनिग के यहा उनसे मिला | मिस गजानती थी कि सबसे हिल-मिल जाना मैं नही जानता । जब कभी मै

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए