अब तक आपने पढ़ा कि सोनल रास्ते में राहुल अंकल को देखती है और उन्हें आवाज देकर रोकती है । राहुल भी जब पीछे मुड़कर देखते हैं , तब उनके पीछे एक लड़की उन्हें आवाज देते हुए आगे बढ़ रही थी । उसे देखकर राहुल रुक जाते हैं । सोनल राहुल के पास आते ही राहुल मेहरा के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है । राहुल मेहरा उसे पहचानने से इंकार कर देते हैं और पूछते हैं कि " बेटा तुम कौन हो ? "
तब सोनाली बताती है की " मैं आपके दोस्त दिलेर सिंह की बेटी आपकी छोटी सी सोनल हूं ? जो शायद आपको कभी बहुत परेशान किया करती थी ?
राहुल - " बेटा ! तुम सुनाओ सोनल हो ? " तुम तो कितनी ज्यादा बड़ी हो गई हो और कितनी ज्यादा सुंदर भी हो ? चलो ना घर ?
सोनल - " नहीं अंकल मैं घर नहीं आ सकती ? अगर मैं घर आ गई तो साहिल मुझे पहचान लेगा ? तो बचपन में हमारी जो दोस्ती थी वो कितनी गहरी हुई है इसका पता हमें कैसे लगेगा ? "
राहुल - " बेटा ! आपके पापा - मम्मी कहां हैं ? वो लोग भी तो आए होंगे ? "
सोनल - " नहीं ! अंकल मैं यहां अकेले आई हूं ? "
राहुल - " क्या ! तुम यहां अकेले रह रही हो ? "
सोनल - " नहीं ! अंकल मैं यहां अपने कॉलेज की तरफ से मेडिकल ट्रेनिंग के लिए आई हूं ? हमारा पूरा बैच आया हुआ है और वो जो लड़की दिख रही है वो मेरी सहेली मिताली है । "
राहुल - " सोनल ! साहिल ये जानकर बहुत खुश होगा की उसकी सोनल मुंबई आ गई है । अब साहिल को तुम्हें ढूंढना तो पड़ेगा ही ? "
सोनल - " अंकल ! आप साहिल से ये मत बताना की मैं कहां रह रही हूं ? सिर्फ आप साहिल को ये बताना की मैं यहां आ गई हूं बस ? मैं देखना चाहती हूं की साहिल वाकई मुझे पहले ढूंढता है या पहले मैं उसे ढूंढती हूं ? "
राहुल - " ठीक ! मैं सिर्फ ये बताऊंगा की तुम यहां आ गई हो ? बस इसके अलावा मैं साहिल को कुछ नहीं बताऊंगा ? "
सोनल - " अंकल ! शीतल आंटी और कशिश कैसी हैं ? मुझे याद करती हैं या नहीं ? "
राहुल - " बेटा ! तुम्हारी शीतल आंटी और कशिश दोनों तुम्हें याद करते हैं और साहिल की तो बात ही छोड़ो ? कोई भी दिन ऐसा नहीं होता होगा जिस दिन साहिल तुम्हारी बात न करे ? वो आज तक तुम्हारे गिफ्ट किए हुए कप में ही कॉफी पीता है । "
सोनल ( हंसते हुए ) - " अंकल ! वो कप अभी तक टूटा नहीं ? "
राहुल - " वो उसे अपनी पूरी जान से संभाल कर रखता है ।"
तभी मिताली सोनल के पास आती है । राहुल को खड़ा देख कहती है - " हेलो अंकल ! मैं सोनल । "
मिताली - " सोनल ! हमें देर हो रही है ? जल्दी चलो हॉस्पिटल नहीं तो सर आ जाएंगे हमे लेने ? "
राहुल - " अच्छा ! बेटा तुम लोग चलो अब अपने ट्रेनिंग पर लेकिन अगर यहां तुम लोगों को कोई भी दिक्कत हो , कोई तुम लोगों को परेशान करें , तो मुझसे जरूर बताना उन्हें सिर्फ मेरा नाम बता देना वो लोग दोबारा तुम्हें कभी तंग नहीं करेंगे ? "
मिताली - " पर अंकल आपको कैसे बताएंगे ? आप थोड़ी ना हमे राज - रोज मिलेंगे ? "
राहुल - " बेटा ! मेरा नंबर ले लो ? "
सोनल - " अंकल ! अगर मैने आप का नंबर ले लिया और साहिल को पता चल गया की आपके पास मेरा नंबर है , तो मेरे नंबर से उसने मुझे ढूंढ लिया तो ? "
राहुल - " बेटा ! तुम और साहिल दोनों अजीब हो ? "
मिताली - " अंकल ! आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए ? हम दोनों हमेशा साथ ही रहते हैं । कोई भी परेशानी हाेगी तो आपको बता देंगे ? वैसे भी एक लड़का है जो हमें परेशान करता है ? "
राहुल - " क्या कहा बेटा तुमने ? कौन है जो तुम लोगों को परेशान करता है ? "
सोनल - " अंकल ! कोई नहीं है ? छोड़ो उन लोगो को कौन सा वो हम लोगों को रोज मिल रहा है ? "
राहुल - " बेटा ! अगर वो लड़के तुम्हे फिर से मिले तो कस के एक थप्पड़ लगा देना बाकी सब मैं संभाल लूंगा ? "
सोनल - " ok अंकल ! अब हम चलते हैं ? "
राहुल - " अपना ख्याल रखना बेटा और मिलती रहना ? "
सोनल - " ok अंकल ? "
तभी सोनल और मिताली अपनी ट्रेनिंग के लिए चली जाती हैं । उधर राहुल भी खुशी के मारा सबसे पहले अपने घर जाता है । सबको बताने के लिए की सोनल यहां आ गई है ? राहुल अपने घर पहुंचता है तो सब लोग नाश्ता करने के लिए जा रहे होते हैं सिर्फ साहिल फ्रेश होकर आ जाता बस । तभी राहुल जाकर नाश्ते के लिए बैठ जाते हैं । साहिल फ्रेश होकर आता है । साहिल के पीछे ही कशिश भी आती है । साहिल और कशिश अपने पापा को नाश्ते के लिए बैठा देख चौंक जाते है ।
साहिल - " पापा ! सूरज पश्चिम से निकला है क्या ? "
राहुल - " क्यों बेटा ? "
साहिल - " पापा आप हमेशा ऑफिस में ही नाश्ता कर लेते हैं और आज इतने दिनों के बाद आप अपना रूल तोड़ रहें ? "
राहुल - " साहिल ! तुम नहीं चाहते की तुम्हारे पापा तुम लोगों के साथ बैठ के खाना खाएं ? "
साहिल - " पापा ! मैं बहुत दिनों से आपको हम लोगों के साथ बैठकर नाश्ता करने का दिन मिस कर रहा था और आज वो दिन पूरा हो रहा है । मैं तो आपके पास ही बैठूंगा ? "
राहुल - " हां ! बेटा आओ ? "
तभी राहुल बीच में और एक तरफ कशिश और साहिल बैठते हैं । शीतल सबको नाश्ता देती है और राहुल को इतने दिनों के बाद घर पर सब लोगों के साथ बैठ कर खाना खाता देख बहुत खुश होती है ।
कशिश - " पापा ! आज कोई स्पेशल डे है क्या ? आज आप बहुत खुश लग रहे हैं ? "
राहुल - " हां ! मेरे पास एक गुड न्यूज़ है ? " सब लोग नाश्ता कर लो तब बताऊंगा ? "
साहिल - " मम्मी ! आइए आप भी नाश्ता कर लीजिए जिससे हमें ज्यादा टाइम न वेस्ट करना पड़े ये गुड न्यूज सुनने के लिए ? "
तभी शीतल भी बैठकर नाश्ता करने लगती है । सब लोग नाश्ता करने के बाद पूछते हैं की , " पापा नाश्ता हो गया अब आप बताइए ? क्या है आपकी गुड न्यूज ? "
राहुल - " साहिल इससे सब को खुशी मिलेगी लेकिन तुम्हें सब से ज्यादा खुशी मिलेगी लेकिन उसे पाने के लिए तुम्हे काफी मेहनत करनी पड़ेगी ? "
साहिल - " पापा बताइए साफ - साफ बताइए ना ? आप पहेली क्यों बुझा रहें हैं ? "
राहुल - " तो सुनो ? वो जो हमारे पड़ोस में रहते थे ? कुछ ही दिनों में मेरे सबसे अच्छे दोस्त बन गए थे। उनकी जो बेटी थी साहिल की सबसे अच्छी दोस्त थी ? अभी भी है वो .... मिल गई है ? "
साहिल - " पापा ! यार आप किसी का नाम बताइए ? तभी तो मैं पहचानूंगा ? "
कशिश - " हां ! पापा ये तो बताइए ? की कितने सालों पहले की बात है ? "
शीतल - " साहिल और कशिश ! " तुम दोनों को कुछ समझ नहीं आया ? ”
साहिल - " मम्मी ! आप पापा की बात समझ गई ? "
शीतल - " हां ! बेटा मैं समझ गई ? "
मम्मी - " आप बताओ ना ? कौन है वो ? "
शीतल - " साहिल ! तुम्हारी बचपन की सबसे अच्छी दोस्त जिसकी दी हुई गिफ्ट में तुम रोज कॉफी पीते हो ? "
साहिल ( जोर से चिल्लाते हुए ) - " 🧒🧒 ओह ... मम्मी ! आपका मतलब मेरी सोनल ? "
शीतल - " हां ! बेटा सोनल ही है ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " पापा ! मेरी सोनल यहां आई थी क्या ? "
राहुल - " नहीं ! यहां नहीं आई थीं लेकिन वो आज मुझे रास्ते में मिली थी ? बड़ी ही सुंदर बच्ची है । "
साहिल - " पापा ! सोनल मेरे बारे में कुछ पूछ रही थी ? "
राहुल - " हां ! वो तुम्हारे बारे में , कशिश और तुम्हारी मां सबके बारे में पूछ रही थी ? "
कशिश - " पापा ! सोनल को आप कैसे पहचाने ? "
राहुल - " बेटा ! मैं रास्ते मैं एक शॉप के पास उतरा था । वहीं पर सोनल खड़ी थी सोनल ने मुझे देखते ही पहचान लिया और वह मुझे आवाज देकर रोकने लगी , जब मैंने देखा कि कोई मुझे बुला रहा है , तब मैं रुक गया और सोनाली मेरे पास आकर मेरा पैर छूकर आशीर्वाद ली फिर उसने मुझे बताया कि मैं आपके दोस्त दिलेर सिंह की बेटी , साहिल के बचपन की दोस्त सोनल हूं ? "
साहिल - " पापा ! सोनल तो बहुत बड़ी हो गई होगी ना और बहुत सुंदर भी दिखती होगी । वो मुझे ढूंढने की कोशिश भी कर रही होगी लेकिन आप देख लेना सोनल से पहले मैं उसे ढूंढ कर दिखाऊंगा ? "
राहुल - " साहिल ! सोनल अपने मम्मी पापा के साथ यह नहीं आई है । वो अपनी सहेलियों के साथ आई है , कॉलेज ट्रेनिंग के लिए ? "
साहिल - " पापा ! सोनल ने और कुछ बताया कि वो कहां रहती है ? मुझे उसे देखने का मन कर रहा है । "
राहुल - " सोनल ने मुझे और कुछ नहीं बताया ? अब यह सब तुम्हारे ऊपर है कि तुम सोनल को ढूंढ पाते हो या नहीं ? "
साहिल - " पापा ! आपको सोनल कहां मिली थी ? "
राहुल - " सोनल मुझे बस अड्डे के पास मिली थी ? "
साहिल - " पापा कल मैं बस अड्डे के पास ही रुका हुआ था । वहां पर ढेर सारी लड़कियां रुकी थी ? कहीं उन्हीं में से तो कोई सोनल नहीं है ? "
राहुल - " साहिल सोनल जैसे पहले थी वैसी ही आज भी है । मीठे स्वर , सबसे अच्छे से बातें करना , दूसरों की देखभाल करना , उसमें सारी अच्छाइयां आज भी हैं , जो कई साल पहले हुआ करती थी । उसका मासूम सा चेहरा है । सोनल की हाइट कुछ लंबी है , गोरा रंग , काले और बिखरे हुए बाल । उसके साथ हमेशा एक लड़की रहती है । उसकी सहेली उसका नाम मा से कुछ था शायद मित ... आगे कुछ याद नहीं आ रहा ? "
साहिल - " पापा ! अपनी सोनल को ढूंढने के लिए मुझे इतना ही जानना काफी है । "
राहुल - " साहिल ! बेटा सोनल तुम्हारी दी हुई अंगूठी आज तक पहनी हुई है । मैंने उसके हाथों में देखा था । "
साहिल - " पापा और मम्मी आप दोनों मुझे आशीर्वाद दीजिए ? मैं सोनल को दस दिन के अंदर ढूंढ के निकलूंगा ? "
शीतल राहुल से कहती है - " आज हमारा बेटा अपनी बचपन की दोस्त के यहां आ जाने से ही कितना खुश है ? "
तभी साहिल अपने दोस्तों के पास फोन करता है और कहता है कि मेरी बचपन की दोस्त मेरी सोनल अब मुंबई आ चुकी है अब हमें जी जान लगाकर दस दिनों में उसे ढूंढना है ।
साहिल के बाकी चार दोस्तों का नाम सुरेश , आरव , निखिल और अनुज रहता है । तभी साहिल के दोस्तों में से एक दोस्त निखिल साहिल को बताता है कि साहिल जो लड़की कल हमसे इतनी बदतमीजी से बात कर रही थी । वह लड़की आज भी यही आस पास भटक रही है तुम कहो तो आज उसकी क्लास लगा दी जाए ।
साहिल - " निखिल ! वो लड़की हमारे लिए मायने नहीं रखती हमारे लिए मेरी सोनल मायने रखती हैं और हमें अभी सोनल को ढूंढना है उस लड़की से हम बाद में निपट लेंगे । "
निखिल - " ओके साहिल फिर आ जाओ । आज से ही हम सोनल को ढूंढन स्टार्ट कर देते हैं । "
आरव - " साहिल लेकिन हम सोनल को पहचानेंगे कैसे ? "
साहिल - " तुम लोग चिंता मत करो । मैं हूं ना मैं अपनी सोनल को देखते ही पहचान जाऊंगा ? "
सुरेश - " ओके भाई आप जल्दी से आ जाओ हम लोग आज सोनल को ढूंढ कर ही रहें ? "
तभी साहिल अपने घर से निकल जाता है अपने दोस्तों के पास । सोनल को ढूंढने के लिए साहिल अपने दोस्तों के पास जाता है फिर सब लोग मिलकर बस अड्डे के पास आते हैं । सोनल , मिताली और उनके पूरे बैच की छुट्टी हो चुकी रहती है । वो लोग भी आकर बस अड्डे पर ही रुकी रहती है । साहिल और उसके गैंग को देखकर सोनल और मिताली वहां से दूर जाकर खड़ी हो जाती हैं ।
क्या आज साहिल सोनल को ढूंढने में कामयाब हो पाएगा या फिर सोनल को ही कोई और लड़की समझ कर आज भी उससे झगड़ा करेगा?
पढ़ने के लिए धन्यवाद
🙏🙏🙏