अब तक आप ने पढ़ा की साहिल और सोनल के बीच के दोस्ती हो जाती है , लेकिन इत्तेफाक से साहिल को अपने दोस्त का नाम ही नहीं पता है । साहिल हॉस्पिटल में सोनल का नाम जानता चाहता था , लेकिन साहिल के पापा का फोन आ जाता है । साहिल घर चला जाता है ।
साहिल घर जाकर सोनल के लिए खाना पैक करवाता है । तभी साहिल की मां पूछने लगती हैं , कि बेटा ये खाना कहां ले जा रहे हो , तब साहिल उन्हें सच्चाई बताता है । साहिल कि मां खुश होकर टिफिन पैक करके साहिल को दे देती हैं ।
साहिल हॉस्पिटल में पहुंचता है , तो देखता है कि सोनल नींद में रहती है और गिरने वाली रहती है । तभी साहिल उसके बगल जाकर बैठ जाता है । सोनल उसके कंधे पर सिर रखकर आराम से सोती है । सोनल के बाल सोनल के चेहरे पर आ रहे थे । साहिल उन बालों को पीछे करते हुए सोनल का मासूम चेहरा देखने लगता है । तभी अचानक सोनल की आंख खुल जाती है और वो चौंक जाती है ।
सोनल ( चौंकते हुए ) - " अरे ! साहिल तुम कब आए ? "
साहिल ( सोनल को बताते हुए ) - " सोनल ! मुझे गलत मत समझो । तुम नींद में थी और गिरने वाली थी , इसीलिए मैं तुम्हारे बगल बैठ गया ताकि तुम आराम से सो सको । और नींद में तुमने मेरा हाथ भी पकड़ लिया ।
सोनल ( मुंह पीछे करके मुस्कुराते हुए ) - " साहिल ! तुम मेरे दोस्त हो , तुम मेरी केयर नहीं करोगे तो कौन करेगा ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " थैंक्यू यार मुझे अपना दोस्त बनाने के लिए मैंने मैं तुम्हारे साथ इतना लड़ता था । तुम्हारी जगह कोई और होता तो मुझे कभी अपना दोस्त नहीं बनाता ।
सोनल ( साहिल की ओर देखते हुए ) - " साहिल ! तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था । मैने कहा था ना की शीतल आंटी को भेज देना। तुम आज रात आराम कर लेते , कल सुबह आ जाते । तुम्हें भी तो कमजोरी महसूस हो रही होगी । "
साहिल ( सोनल की ओर देखते हुए ) - " आज घर पर आरव के मम्मी पापा आए थे । तो मम्मी उन्हीं के मेहमान नवाजी में बिजी थी , इसलिए मैं चला आया , लेकिन कल सुबह मम्मी आएंगी । "
सोनल ( हंसते हुए ) - " अच्छा ! ठीक है फिर अब कल सुबह मिलूंगी आंटी से । "
साहिल - " मैं तुम्हारे और मिताली के लिए खाना लेकर आया हूं ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! ये खाना आंटी ने बनाया है । "
साहिल ( हंसते हुए ) - " हां ! मम्मी के हाथ का खाना है । "
सोनल ( खाना निकलते हुए ) - " साहिल ! तुम भी खाओगे ? "
साहिल - " नहीं ! मैं घर से खा कर आया हूं ? "
सोनल खाना निकलकर खाने लगती है । सोनल खाना खा रही होती है तभी साहिल को भी खिलाने लगती है ।
साहिल - " यार ! मैं नहीं खाऊंगा । तुम खाओ ? "
सोनल - " साहिल ! अगर तुम खाना नहीं खाओगे , तो मैं तुम्हारे साथ दोस्ती नहीं करूंगी ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " पर हमारी दोस्ती तो हो चुकी है । "
सोनल ( सोचते हुए ) - " हां ! हमारी दोस्ती तो हो चुकी है लेकिन तुम मेरा नाम नहीं जानते हो । मैं तुम्हे अपना नाम नहीं बताऊंगी ? "
साहिल ( एक्साइटेड हो कर ) - " हां ! तुम्हारा नाम क्या है ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! मेरा नाम जानने के लिए तुम्हे खाना खाना पड़ेगा ? "
साहिल ( मुंह बनाते हुए ) - " ok ! खाना खिलाओ "
सोनल साहिल को अपने हाथ से खाना खिलाती है । खाना खाने के बाद साहिल सोनल से कहता है ।
साहिल - " अब तुम अपना नाम बताओगी ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " साहिल तुम मुझे और मेरे नाम को जानते हो ? "
साहिल ( सोचते हुए ) - " शायद ! मैं नहीं जानता ? तुमने मुझे कभी बताया ही नहीं ? "
सोनल ( मुंह पीछे करके हंसते हुए ) - " साहिल ! तुम मुझ तीन दिनों से ढूंढ रहे हो ? "
साहिल ( सोचते हुए ) - " तुम गलत समझ रही हो । मैं तुम्हें ढूंढता नहीं था । इत्तेफाक से तुम मुझे हर रोज मिल ही जाती थी । "
सोनल ( साहिल की तरफ मुंह करके ) - " शायद ! वो इत्तेफाक नहीं बल्कि भगवान का इशारा था , लेकिन तुम अभी तक इस इशारे को समझ ही नहीं पाए ? "
साहिल ( सोनल को देखते हुए ) - " यार ! मैं तुम से तुम्हारा नाम पूछ रहा हूं और तुम हो की मुझ गोल - गोल घुमा रही हो । तुम मुझे अपना नाम नहीं बताना चाहती हो ना । "
सोनल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! मैं तुम्हारे बचपन की दोस्त तुम्हारी सोनल हूं ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " सच ! तुम मेरी सोनल हो ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " हां ! मैं ही दिलेर सिंह की बेटी तुम्हारी सोनल सिंह हूं ? "
साहिल सोनल की बात सुनकर हंसते हुए सोनल को कस के अपने गले लगा लेता है ।
साहिल ( सोनल को गले लगाकर ) - " सोनल ! तुम हमेशा मेरे सामने रहती थी लेकिन मैं तुम्हे पहचान ही नहीं पाया । मैने तुम्हे कितना परेशान किया है । अब मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगा ? "
सोनल ( खुश होते हुए ) - " साहिल ! मुझे पता है तुम मुझे बहुत ढूंढ रहे थे , पर मुझे लगा की तुम मुझसे हमेशा लड़ते रहते हो तो मेरा नाम क्यों पूछ रहे हो इसीलिए मैंने कभी तुम्हे अपनी पहचान नहीं बताई । "
साहिल - " सोनल ! तुम्हारे जगह कोई भी लड़की होती तो यही करती । इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है ? "
सोनल ( रोते हुए ) - " साहिल ! शीतल आंटी और कशिश कैसी हैं ? "
साहिल ( मुस्कुराते हुए ) - " मम्मी हमेशा तुम्हारे बारे में ही बात करती रहती हैं और कशिश तो मुझे दिलासा देती रहती है , की सोनल जल्दी ही आपके पास आ जायेगी ? "
सोनल ( उदास होते हुए ) - " साहिल ! क्या हमारी दोस्ती गहरी नहीं थी , जो हम दोनों एक - दूसरे को नहीं पहचान पाए । "
साहिल ( सोनल के चेहरे को ऊपर उठाते हुए ) - " सोनल ! हम लोग इतने दिनों के बाद मिले हैं , तो इतनी आसानी से एक - दूसरे को कैसे पहचान लेंगे ? "
साहिल और सोनल दोनों कुर्सी पर बैठकर एक - दूसरे का हाथ पकड़ कर खूब सारी बातें करते हैं । साहिल और सोनल बात करते - करते सोने लगते हैं । साहिल के कंधे पर सोनल सिर रख कर सो जाती है । साहिल सोनल के सिर पर सिर रख कर सो जाता है ।
साहिल और सोनल एक दूसरे का हाथ पकड़ कर सोए हुए रहते हैं । तभी मौसम ठंडा होने की वजह से सोनल और साहिल को ठंडी लगने लगती है । सोनल और साहिल ठंड के मारा और एक दूसरे को कस के पकड़ लेते हैं । तब भी ठंड नही जाती , तो सोनल अपने बैग से स्टॉल निकालती है और उसे साहिल को और खुद ओढ़कर सो जाती है ।
तभी साहिल की आंख खुल जाती है । साहिल सोनल के मासूम से चेहरे को देखता है और उसके गालों पर किस करता है ।
साहिल ( हंसते हुए ) - " सोनल ! तुम बहुत सुंदर हो ? तुम रोज मुझे मिलती थी , लेकिन मैंने तुम्हारे बारे में कभी सोचा ही नहीं की तुम ही मेरी सोनल हो । इस बात का कभी ख्याल ही नहीं आया ? मैं भी कितना बुद्धू हूं ? मम्मी भी मुझसे कह रही थी की वो लड़की हो सकता है की तुम्हारी सोनल हो , लेकिन मैने उनकी बात भी नहीं मानी ? "
साहिल सोचते - सोचते फिर से सो जाता है । कुछ देर बाद सुबह हो जाती है । साहिल और सोनल उठ जाते हैं ।
साहिल ( हंसते हुए ) - " सोनल ! मैं यहीं हूं तुम घर चली जाओ और फ्रेश होकर आ जाना ? "
सोनल - " नहीं ! मैं मिताली को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी ? "
साहिल - " सोनल ! तुम हॉस्टल चली जाओ । मैं हूं यहां पर मैं मिताली का ख्याल रख लूंगा ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " पक्का तुम मिताली का ख्याल रख लोगे ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " सोनल ! तुम्हे डाउट है , अपने साहिल पर ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " हां ! मतलब नहीं ? "
साहिल - " सोनल ! मतलब तुम अभी मुझे वही लड़का समझती हो ? "
सोनल - " ok साहिल ! मैं जा रही हूं ? अच्छा तुम्हारे लिए क्या बना कर लाऊंगी ? "
साहिल - " जो भी तुम प्यार से ले आओगी । मैं उसे ही खा लूंगा ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " ok बाय! साहिल ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " सोनल ! बाय नहीं कहा करो । फिर मिलेंगे कहा करो। "
सोनल ( हंसते हुए ) - " ok ! साहिल फिर मिलेंगे ? "
तभी सोनल अपने हॉस्टल जा रही होती है । अचानक उसे रास्ते में शीतल आती हुई दिखाई देती हैं । सोनल तुरंत सामने ध्यान से देखती है ।
सोनल ( हंसते हुए ) - " आंटी ! रुकिए ?
तभी शीतल सोनल की आवाज सुनकर रुक जाती है और सोनल को ध्यान से देखने लगती है । "
सोनल ( शीतल के पैर छूते हुए ) - " आंटी ! मैं सोनल हूं ? "
शीतल ( हंसते हुए ) - " तुम सोनल हो ? "
सोनल - " हां ! मैं आपकी बचपन वाली सोनल हूं ? "
शीतल ( सोनल को गले लगाते हुए ) - " सोनल ! मैं बहुत खुश हूं । सोनल साहिल अभी तुमसे नहीं मिला ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " मम्मी ! साहिल को पता है की मैं ही सोनल हूं ? "
शीतल - " बेटा ! तुम कहीं जा रही हो ? "
सोनल - " हां ! आंटी मैं हॉस्टल जा रही थी ? "
शीतल - " तुम्हे हॉस्टल जाने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आई हूं ? "
सोनल - " आंटी ! मुझे ब्रश भी तो करना है । ब्रश बिना कैसे खाना खाऊंगी ? "
शीतल - " बेटा ! तुम चिंता मत करो ? मैं तुम्हारे लिए और साहिल के लिए ब्रश और टूथपेस्ट लेकर आई हूं ? अब तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है ।"
सोनल ( हंसते हुए ) - " थैंक्यू आंटी ! आप कितनी अच्छी हैं लेकिन आपको कैसे पता की साहिल के अलावा यहां कोई और भी है । "
शीतल ( हंसते हुए) - " सोनल ! मुझे ये सारी बातें साहिल ने बताई थी । "
सोनल - साहिल ! उसे तो कल रात को पता चला , जब वो खाना लेकर आया था उसके बाद । "
शीतल - " हां ! उसने ये नहीं बताया की हॉस्पिटल में सोनल है बल्कि उसने कहा की हॉस्पिटल में मेरी एक दोस्त है । जो सोनल के ही बैच की है , तब मैने गेस किया की क्या पता वो सोनल ही हो और वही हुआ । तुम सोनल ही थी । "
सोनल - " हां आंटी ! साहिल को मेरा नाम नहीं पता था ? "
तभी साहिल और शीतल बात करते - करते हॉस्पिटल में जाती हैं ।
क्या साहिल को सोनल से दोस्ती से भी बढ़कर कुछ अलग फीलिंग महसूस हो रही है ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए " मोहब्बत सिर्फ तुम से " ।
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