अब तक आपने पढ़ा कि साहिल और सोनल दोनों हॉस्पिटल में ही रहते हैं । सोनल को साहिल की सच्चाई पता रहती है , लेकिन साहिल सोनल के बारे में कुछ भी नहीं जानता रहता है । साहिल सोनल को ढूंढने के लिए कितनी कोशिशें कर रहा था । यह जानकर और महसूस करके सोनल खुद ही उसे अपने बारे में बता देती है । साहिल को पहले विश्वास नहीं होता कि ये लड़की मेरी बचपन की दोस्त सोनल हो सकती है लेकिन सब कुछ बताने पर उसे विश्वास हो जाता है , की यही मेरे बचपन की दोस्त मेरी सोनल है ।
सोनल और साहिल काफी देर तक बातें करते हैं फिर सोनल हॉस्टल जा रही होती है फ्रेश होने और साहिल और मिताली के लिए खाना लाने के लिए । तभी उसे रास्ते में शीतल आंटी मिल जाती हैं । सोनल शीतल आंटी के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है और उन से काफी टाइम तक बात करती है और हॉस्पिटल के अंदर जाती है ।
साहिल - " हॉस्पिटल में बैठकर सोनल के बारे में ही सोच रहा होता है । साहिल के बारे में सोचते - सोचते मुस्कुराने लगता है । "
तभी सामने देखता है की सोनल उसके पास आ रही है । साहिल उसे अपनी तरफ आता देख कहता हैं , " यार ! तुम इतनी सुंदर हो और तुम्हारी मासूमियत हाय , कहीं मेरी जान ना ले ले ? "
सोनल ( आवाज देते हुए ) - " साहिल ! साहिल तुम क्या सोच रहे हो ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " यार ! तुम मेरी जिंदगी में हमेशा रहना मुझे छोड़ के कभी मत जाना ? "
सोनल - " साहिल ! तुम क्या कह रहे हो ? मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है । "
साहिल ( चौंकते हुए ) - " अरे सोनाली ! तुम कब आई ? तुम तो हॉस्टल गई थी ना फिर यहां कैसे ? "
शीतल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! बेटा मैं आ रही थी इसीलिए सोनल हॉस्टल नहीं गई ? मेरे कहने पर वो फिर से हॉस्पिटल चली आई । "
साहिल ( हंसते हुए ) - " साहिल अपनी मम्मी के गले लग जाता है । मम्मी आज मैं बहुत खुश हूं ? मुझे मेरी सोनल मिल गई । "
शीतल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! मैने तुमसे कहा था ना कि हो ना हो वो हॉस्पिटल वाली लड़की हमारी सोनल ही होगी । वो सोनल ही निकली ना ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " मम्मी ! आप भी सोनल को बिना देखे ही समझ गई लेकिन मैं सोनल से रोज मिलता था , पर मैं सोनल को नहीं पहचान पाया ? "
शीतल - " बेटा ! मैं यहां हूं ? तुम दोनों जाकर ब्रश करके आओ और कुछ खा - पी लो ? "
सोनल - " ok आंटी ! मैं अभी ब्रश कर के आती हूं ? "
साहिल - " हां मम्मी ! मैं भी ब्रश करके आता हूं ? "
तभी साहिल और सोनल दोनों ब्रश करने के लिए जाते हैं । साहिल और सोनल कुछ टाइम में ब्रश करके आते हैं ।
शीतल ( हंसते हुए) - " सोनल ! आओ बेटा तुम्हे भूख लगी होगी ना ? आओ जल्दी कुछ खा - पी लो ? "
साहिल - " मम्मी ! मुझे भी कुछ दो ना , मुझे भी खाना है ? "
शीतल - " साहिल ! आज मैं सोनल को अपने हाथों से खाना खिलाऊंगी ? "
सोनल - " नहीं ! आंटी आज सिर्फ मुझे ही खिलाएंगी । तुम कल आंटी के हाथों से खा लेना ? "
साहिल - " हां भाई ! तुम जैसी किस्मत मेरी कहां ? "
तभी सोनल को शीतल खाना खिलाती है । साहिल वहीं खड़ा होकर देखता है । सोनल साहिल को देख कर हंसने लगती है ।
सोनल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! मुंह खोलो मैं तुम्हे खिलाऊंगी ? "
साहिल ( हंसते हुए ) " सच सोनल ! तुम मुझे अपने हाथों से खाना खिलाओगी ? "
सोनल ( मुंह बनाते हुए ) ,- " क्या साहिल ! मैं तुम्हें खाना नहीं खिला सकती क्या ? "
साहिल - " सोनल ! मैने तुम्हे कहा की तुम मुझे मत खिलाओ ? खाना खाने के लिए अपना मुंह खोलते हुए ? "
साहिल जैसे ही खाना खाने के लिए अपना मुंह खोलता है सोनल साहिल के मुंह के पास से खाना हटा लेती है और खुद खाने लगती है और साहिल को देखकर हंसने लगती है ।
साहिल ( मुंह बनाते हुए ) - " सोनल ! मुझे पता हो तुम भी मुझे खाना नहीं खिलाओगी ? "
सोनल ( हंसते हुए ) - " सॉरी साहिल ! अबकी बार पक्का तुझे खिलाऊंगी ? साहिल अपना मुंह खोलो ? "
साहिल ( सोनल के पास जाकर मुंह खोलकर ) - " सोनल ! अब खिलाओ ? "
सोनल अपना हाथ साहिल के पास ले जाती है । अबकी साहिल भी होशियार रहता है । जैसे ही सोनल अपना हाथ साहिल के मुंह के तरफ से अपने मुंह के तरफ करती है , वैसे ही साहिल सोनल का हाथ पकड़ लेता है और अपने मुंह के तरफ लाकर खा लेता है ।
सोनल ( मुंह बनाते हुए ) - " आंटी ! मुझे लगता है की साहिल मुझसे भी ज्यादा भूखा है । हम एक काम करते हैं । हम पहले साहिल को खाना खिला देते हैं । "
शीतल ( हंसते हुए ) - " हां ! मुझे भी यही लग रहा है ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " मम्मी ! मैं खुद खा लूंगा ? "
साहिल खाना लेकर खाना खाने लगता है । साहिल सोनल को खाना खिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ात है ।
सोनल ( हंसते हुए ) - " साहिल ! तुम मुझसे अपना बदला लेना चाहते हो ना ? "
साहिल ( सोनल को देखते हुए ) - " नहीं सोनल ! मैं तुम्हारी तरह नहीं करूंगा ? "
सोनल ( साहिल से ) - " साहिल ! पक्का ना ? "
साहिल ( हंसते हुए ) - " सोनल ! तुम्हें अपने दोस्त पर इतना भी भरोसा नहीं है ? "
सोनल साहिल के पास जाकर मुंह खोलती है और साहिल उसे खाना खिला देता है । सोनल भी साहिल को खाना खिलाती है ।
तभी साहिल और सोनल खाना खाने के बाद शीतल को लेकर मिताली के पास जाते हैं । मिताली को सोनल खिचड़ी खिलाती है । तभी डॉक्टर आता है और मिताली को डिसचार्ज करने की बात करते हैं ।
साहिल ( खुश होते हुए ) - " ok डॉक्टर ! आप मिताली को डिसचार्ज कर दीजिए , बाकी मैं संभाल लूंगा ? "
थोड़ी देर में डॉक्टर मिताली को डिसचार्ज कर देते हैं । साहिल और शीतल ये सोचकर खुश होते हैं की अब सोनल मेहरा मेंसन चलेगी ।
शीतल ( खुश होते हुए ) - " सोनल ! बेटा तुम मिताली को हमारे घर लेकर चलोगी ? "
सोनल ( भरे आवाज में ) - " नहीं आंटी ! हम आप लोगों के साथ नहीं रह सकते हैं । हम हॉस्टल में भी तो रह सकते हैं ।
साहिल ( सोनल को देखते हुए ) - सोनल ! तुम मेहरा मेंसन ही चलोगी ? मैं कुछ नहीं जानता ? "
सोनल ( मुंह बनाते हुए ) ,- " लेकिन मैं हॉस्टल में रहती तो ज्यादा अच्छा रहता ? "
साहिल - " सोनल ! तुम समझ नहीं रही हो , अगर तुम घर में रहोगी तो मिताली को आराम से घर पर छोड़ कर ट्रेनिंग के लिए आ सकोगी ? "
क्या सोनल मेहरा मेंसन जायेगी ? जानने के लिए पढ़ते रहिए " मोहब्बत सिर्फ तुम से " ।
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