अब तक आपने पढ़ा कि साहिल और सोनल की मुलाकात तो होती है पर वो दोनों एक दूसरे से अंजान रहते हैं । साहिल पहले की अपेक्षा अब काफी ज्यादा हैंडसम और स्मार्ट तो है पर अब वो घमंडी और सबके साथ बुरा वर्ताव करने वाला लड़का बन गया है । साहिल और सोनल की मुलाकात तो हुई पर उन दोनों में काफी बहस हुई ? दोनों ने बहुत लड़ाई की साहिल से ज्यादा तो उसके दोस्तों का वर्ताव बुरा रहता है । मिताली और सोनल को उस लड़के के नाम पता चल जाता है की इस लड़के का नाम साहिल है । मिताली उसमे से एक लड़के से पूछती है तब वो लड़का उसका उल्टा मतलब निकल कर हंसने लगता है । उन लड़कों के साथ साहिल भी हंसने लगता है ।
तभी सोनल और मिताली वहां से चली आती हैं । सोनल पूरे रास्ते में उसे भला - बुरा कहते हुए अपने हॉस्टल चली जाती हैं । मिताली और सोनल हॉस्टल पहुंच कर उन्हीं लोगों की बातें याद करती हैं और कहती हैं ।
सोनल - " ये लोग कैसे लड़के थे ? अगर बच्चे ऐसे हैं तो इनके माता - पिता कैसे होंगे ? भगवान बचाएं हमें इन जैसे लोगों से , भगवान करें की मैं कभी उन बदतमिजों को दोबारा कभी ना मिलूं ? "
मिताली - " सोनल ! अगर वो साहिल तुम्हारे बचपन का दोस्त साहिल हुआ तो ? वैसे वो था तो बड़ा ही क्यूट ? "
सोनल - " नहीं ! वो मेरा साहिल कभी नहीं हो सकता ? "
सोनल और मिताली अपने कैंटीन में जाकर खाना खाती हैं और खाना खाने के बाद अपने रूम में आकर लेट जाती हैं । सोनल और मिताली लेट कर बातें करती हैं । बातें करते - करते दोनों सो जाती हैं ।
अगली सुबह उठने के बाद दोनों फ्रेश होकर कैंटीन में जाकर नाश्ता करती हैं । नाश्ता करने के बाद दोनों अपने बैच के साथ ट्रेनिंग के लिए जाती हैं । वहां पर सोनल , मिताली और उनका पूरा बैच सूई लगाना , पट्टी करना , चीर - फाड़ करने की ट्रेनिंग दी जाती है। सब लोग अपने - अपने काम में जुट जाती हैं ।
सोनल - " एक मरीज को सूई लगाती है । सूई लगाकर सोनल मिताली के पास जाती है । "
मिताली एक लड़के के सिर में पट्टी बांध रही होती है , तभी सोनल मिताली के पास आकर खड़ी हो जाती और कहती है - मिताली ! तुम्हे ये सब अच्छा लग रहा है । मुझे तो बोरिंग हो रही है । मुझे ऑपरेशन करने की ट्रेनिंग लेनी है ।
मिताली - " सोनल ! जैसे पेड़ के ऊंचाई पर पहुंचने के लिए हमें पेड़ पर चढ़ने का दांव - पेंच सीखना होगा , बिलकुल उसी तरह हमें ऑपरेशन करने के लिए ये छोटे-मोटे काम जैसे सुई लगाना , पट्टी करना , छोटे - मोटे घाव को चीरना ये सब भी तो पता होना चाहिए । तभी तो हम ऑपरेशन करने तक का सफर तय कर पाएंगे ? और एक सफल डॉक्टर बन पाएंगे ? "
सोनल - " हां ! मिताली तुम ही तो हो जो मुझे अच्छे से समझा लेती हो ? "
मिताली - " हां ! अब चलो अपने काम में लग जाओ ? "
तब सोनल जाकर अपने काम में लग जाती है । थोड़ी देर में सब की छुट्टी हो जाती है । सब लोग अपने हॉस्टल आने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रही होती हैं । तभी साहिल और उसकी गैंग वहां से जा रही होती है । साहिल की नजर सोनल पर पड़ जाती है । साहिल तुरंत गाड़ी रूकवाता है । साहिल के कार की खिड़की बंद रहती है । सोनल को पता नहीं रहता की ये वही बदतमीज लोग है ।
सोनल उस कार को आता देख कहती है - " मिताली लगता है किसी को हमें ऐसे सड़क पर खड़ा देख दया आ गई । "
सोनल और मिताली के पास जैसे ही कार आकर रुकती है । सोनल खुश होकर कहती है । मिताली ! ये लोग सच में हमारे पास ही आ रहे हैं ।
तभी उस कार में से साहिल निकलता है । साहिल को देखते ही सोनल घबरा जाती है ।
सोनल कहती है - " मिताली ! ये तो वही बदतमीज लड़के हैं । मैं सोचती थी की आज के बाद इनसे कभी नहीं मिलूंगी लेकिन ये लोग मुझे आज भी मिल गए । "
सोनल मिताली का हाथ पकड़ कर बगल चली जाती हैं तभी साहिल आवाज देता है - " एक्सक्यूज मी ! मैडम रुकिए ? "
सोनल और मिताली उन लोगों के रोकने पर नहीं रुकती हैं तभी साहिल कहता हैं - " हे ब्यूटीफुल ! तुम्ही को बोल रहा हूं ? "
सोनल - " मैं अजनबियों से बात नहीं करती हूं ? खास कर ऐसे लोगों से जो बदतमीज और बेलगाम हों ? "
साहिल - " तुम मेरे बारे में क्या जानती हो ? जो तुम मुझे ऐसे बोल रही हो ? "
सोनल - " कल मिली थी ना ? कल मैंने तुम्हे अच्छे से देखा और समझ गई की तुम लोग कैसे हो ? "
मिताली - " सोनल ! क्यों मगरमच्छ के मुंह में हाथ डाल रही हो ? अभी वो भड़क जाएगा ? "
सोनल - " नहीं ! मैं क्यों रुकूं किसी के रोकने पर ? "
साहिल का साथी - " तुम हो कौन जो हमारी बात नहीं मानोगी ? "
सोनल - " तुम कौन हो जो हम तुम्हारी बात मानें ? "
तभी साहिल बोलता है - " मेरा नाम साहिल है और यहां के सभी लोग मुझसे इज्जत से और मेरे सामने सिर झुकाकर बात करते हैं ? "
सोनल - " तुम्हारे सामने सब अपना सर झुकाते होंगे ? पर मैं उनमें से नहीं हूं जो किसी के सामने सर झुकाए ? और एक बात तुम अपना नाम साहिल रखकर बहुत गलत किए ? तुम्हारा नाम जलकुक्डी होना चाहिए था ? "
साहिल का साथी ( हंसते हुए ) - " जलकुक्डी ! ये कैसा नाम दे रही हो तुम मेरे दोस्त को ? "
मिताली - " सोनल ! बस आ रही है । चलो जल्दी हम यहां से चले नहीं तो तुम दोनों के बीच मारपीट हो जाएगी ? "
सोनल - " मिताली ! यार मुझे जबरदस्ती पकड़ कर बस तक ले चलो , जिससे इन्हें पता चले की मैं इन लोगों से डरी नहीं बल्कि अभी और देर तक लड़ती अगर तुम मुझे पकड़ कर बस तक ना ले गई होती ? "
मिताली - " हां ! तुम झगड़ते हुए आगे बढ़ो फिर मैं तुम्हें पकड़ कर बस तक ले आऊंगी ? "
सोनल अपने उंगली में वही रिंग पहने रहती है , जो रिंग साहिल उसे बचपन में दिया रहता है । सोनल अपनी इंडेक्स फिंगर साहिल की तरफ करती है तो सोनल की रिंग साहिल के तरफ दिखाई देती पर साहिल ध्यान नहीं देता है ।
मिताली सोनल को पकड़ कर बस पर ले जाती है तब दोनों को शांति मिलती है ।
मिताली - " अच्छा हुआ की बस टाइम पर आ गई । नहीं तो उन बदतमीजों के बीच ही रहना पड़ता ? "
सोनल - " हां ! अजीब इंसान थे ? जहां नहीं वहां टपक जाते हैं । "
अगले दिन सोनल , मिताली और उनका बैच हॉस्पिटल ट्रेनिंग के लिए जाता है । उसे हॉस्पिटल जाते वक्त रास्ते में राहुल मेहरा मिलता है । राहुल मेहरा को देखते ही सोनल पहचान लेती है । सोनल राहुल मेहरा को आवाज देती है । तभी राहुल मेहरा आवाज सुनकर रुक जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है तो एक लड़की उसे बुला रही होती है ।
राहुल वहीं रुक जाता है । सोनल राहुल के पास पहुंचते ही राहुल के पैर छूती है ।
राहुल - " बेटा ! मैने आप को नहीं पहचाना ? "
सोनल - " अंकल ! आप मुझे अच्छे से जानते हैं ? "
राहुल - " बेटा ! मैं आप से कब मिला था ? "
सोनल - " अंकल ! आप मुझसे बचपन में मिला थे ? मैं आपकी बचपन की शरारती सोनल हूं ? दिलेर सिंह की बेटी ? "
राहुल - " बेटा ! तुम मेरी भोली - भाली , मासूम सोनल हो ? "
सोनल - " हां ! अंकल मैं सोनल ही हूं ? "
राहुल - " बेटा चलो ना घर ? तुम्हे घर पर देखकर साहिल तो पागल ही हो जाएगा ? कशिश और तुम्हारी आंटी भी बहुत खुश होंगी तुमसे मिलकर ? "
क्या सोनल साहिल से मिलने जाएगी राहुल के घर या बचपन के कहे मुताबलिक वो दोनों खुद एक - दूसरे को पहचानेंगे ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए " मोहब्बत सिर्फ तुम से " ।
आगे ..