हजारों मील दूर रहकर भी दिल के कितने पास हो
बेगानी सी इस दुनिया में एक तुम्ही सबसे खास हो
तमाम नाते रिश्ते दिखते हैं मुझे जुगनुओं की तरह
इस दिल के अंधियारे के लिए केवल तुम प्रभाष हो
श्री हरि
12.9.22
12 सितम्बर 2022
हजारों मील दूर रहकर भी दिल के कितने पास हो
बेगानी सी इस दुनिया में एक तुम्ही सबसे खास हो
तमाम नाते रिश्ते दिखते हैं मुझे जुगनुओं की तरह
इस दिल के अंधियारे के लिए केवल तुम प्रभाष हो
श्री हरि
12.9.22
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जो मन में आता है , लिखता हूं । साफ कहना, साफ दिल , साफ लिखना मुझे पसंद है । D