हुस्न वाले बड़े बेमुरौव्वत होते हैं
सीधे सीधे दिल की बात नहीं करते
बस, इशारों इशारों में ही बात करते हैं
इश्क के मैदान में उतरकर
सीधे प्रहार नहीं करते बल्कि
छुप छुप कर आंखों से वार करते हैं
कभी जुल्फों को बिखेरकर रात करते हैं
कभी गजरे की सौगात पेश करते हैं
कभी नागिन सी चोटी से घात प्रतिघात करते हैं
इनकी शोख अदाओं के इशारे क्या जानें आशिक
हुस्न की खिड़की पर आंखें लगाये हुए
उनकी हां का जीवन भर इंतजार करते हैं
दिलों में घर बसाने की कला आती है इन्हें
तभी तो कत्लेआम करके भी
सबके दिलों पर राज करते हैं
इश्क भी कितना पागल है "हरि"
एक "कातिल" को ही "खुदा" के रूप में
जीवन भर याद करते हैं ।
हरि शंकर गोयल "हरि"
16.4.22