एपिसोड 16- अरुण की दोगरी सच्चाई
आमने पिछड़े एपिसोड में देखा था की आएशा जीवन को कुछ बताने जाती है, पर मंदिर में काफी भीड़ होती है, तो जीवन आएशा को मंदिर के पीछे एक रूम होती है, उसी रूम में लेकर जाता है।
वहा जाकर आएशा जो खुलासा करती है उसी वजह से जीवन सदमे में होता है। और वहा से कुछ बोले बिना ही चला जाता है।आएशा कुछ समझ ही नही पाती है। पर जाने से पहले वो कुछ ऐसा कह देता है जिसकी वजह से आएशा को वापस उसे मिलने आना ही पड़ेगा।
क्योंकि जैसा मैंने बताया था की वो आएशा को कुछ कहता है, वो कहता है की मुझे सच में तुम्हारे सपनो की दुनिया पर यकीन नही, क्या बकवास कर रही हो, की मैंने अपने पिछड़े जन्म में मैंने अपने ही पापा को मार डाला।
कैसे यकीन करेगा भला, जिस पापा से वो इतना प्यार करता है, उसे वो भला किसी जन्म मैं भी नहीं मार सकता, पर सच तो ये है की एक बेटा अपने पापा को कैसे मारा होगा, उसकी तो दुनिया ही डोल गई थी।
पर कैसे ही वो मान जाएगा आएशा के इस बेतुकी बातो को, आएशा भी इस बात से काफी हैरान थी की जो लड़का कभी किसी पर गुस्सा नही करता जो हर वक्त उसकी मदद करने के लिए तैयार रहती है, वो आज आएशा पर गुस्सा होकर चला गया।
आएशा ने सोचा वो फिर से जीवन से मिलकर उसे अपना नजरिया समझाएगी, उसे समझाएगी की वो जीवन को कातिर नही बोल रही है बल्कि वो तो उसे अपनी बात समझना चाहती थी, वो अतीत जो गुजर गया है सबके लिए पर वो अतीत में तो आएशा आज भी जी रही थी, वो कहती है की अगर जीवन नही मदद करेंगे वो खुद ही अपने आप जान जाएगी इस अतीत की सच्चाई।
जैसे ही वो रूम से बाहर जाती है, वैसे ही सामने एक गली से बाहर जाकर रास्ते पर चल रही होती है, उसका ध्यान ही जीवन के बातों पर होता है, वैसे तो जीवन भी कही गलत ना था, ये सब आएशा भी समझाती थी, सपने से बाहर निकल कर कुछ तो पहली बार सामने आई थी, जीवन और उसके पापा जरिया थे, इसके ख्वाबों से बाहर निकलने के, सच्चाई जानने के जरिया था जीवन।
वैसे इंडिया उसको किस मोड़ लाने वाली थी, आकाश के लाख समझाने पर आएशा क्यू नही मान रही थी आकाश की बात। जैसी ही अपने होश गवाकर वो चल रही थी, मानी ऐसे की जैसे की वो रेगिस्तान में चल रही है, उसको हॉर्न की आवाज भी नही सुनाई दे रही थी।
आएशा के पास से गाडियां गुजराती जा रही थी, और उसका ध्यान नही था, जिस मुश्किल से डील करके वो इंडिया तक आ पहुंची थी, यह आने के लिए उसने अरुण के साथ बिना खुद के मर्जी के सगाई भी कर ली थी, क्या वो इतनी जल्दी हार मान जायेगी।
एक एक दिन बीतता जा रहा था, और अब तक उसको कुछ भी पता ना चला था, पर क्या वो सिर्फ अकेली परेशान थी की उसके उठाए कदम से उसके अपने पापा की जिंदगी भी एफेक्ट होनेवाली थी।
एक गाड़ी तेजी से उसकी और आ रही थी, और उस पगली का ध्यान ही नही था उसकी और,कारवाला लगातार हॉर्न बजाए जा रहा था, और आएशा वैसे ही चली जा रही थी।
कार आएशा से आकर टकराने वाली होती है, की इतने में कोई आकर उसका हाथ खींचकर उसको अपने तरफ खींचता है, कौन था वो शक्स जिसने आकर आएशा को बचाया था, और अगर ऐसी ही हरकते आएशा करती रही तो वो तो अपनी मंजिल तक पहुंचने पहले ही भूली बिसरी बात बन जायेगी, खुद एक अतीत की कहानी बन जायेगी।
हाथ खींचकर अपने तरफ खींचनेवाली इंसान थी जीवन की बहन जानवी, आएशा की दोस्त पता है ना आपको। मैने पहली ही बताया था जानवी को दो ही शोक था देश विदेश घूमना और दोस्ती करना, उसका एक ख्वाब तो इतने जल्दी संभव नहीं था, क्यूंकि फिलहाल वो आर्थिक तंगी के कारण विदेशों में नही घूम पाती थी।
पर हां उसके बहुत सारे ऑनलाइन दोस्त थे, अलग अलग भाषा बोलनेवाले, अलग पहनवा पहनने वाली, अलग अलग संस्कारो में अपनी जिंदगी जीनेवाली लोग उसके दोस्त थे, उन में से एक थी आएशा भी।
उसको समझ में नही आ रहा था की ऐसे आएशा को देखकर वो खुश हो या फिर उसकी फिक्र करे, आएशा के चेहरे पर एक बार उसे देखकर खुशी से मुस्कान आ गई, फिर कही खयालों में को गई।
उसने बताया की वो इसी गली में रहती है, क्या सच में जानवी मदद कर पाएगी, क्या आएशा जान पाएगी की जीवन की बहन है जानवी, वो क्या मदद करेगी जीवन को मनाने में। या फिर आएशा की बात सुनकर वो भी जीवन की तरह ही नाराज हो जाएगी।
जैनी के मॉम अपनी कार में आ रही थी वो उसी रास्ते से घर जा रही थी, जैसे ही उसकी नजर आएशा पर पड़ी, सड़क के किनारे खड़ी आएशा को जैनी के मॉम ने आवाज दे दी, पर उसने नही सुनी, तो कार से उतरकर जैनी की मॉम उसके सामने आकर खड़ी हो गईं।
आएशा को जैनी के मॉम ने कार में बैठा दिया, पर जाते वॉट जानवी ने आएशा का खयाल रखने के लिए बोला, अब सच में जैनी के मॉम को आएशा की फिक्र होने लगी, क्योंकि ना तो वो जो कल सुना था उस बात को वो नजरअंदाज कर सकती थी, ना तो वो आज के आएशा के आंखो देखे हालत को ।
जैनी के मॉम उसके पास के सीट पर कार में बैठ गई, पूरे समय लेकिन आएशा खामोश थी, आएशा से बाते करके तो कोई फायदा ही नही था, तभी तो उसने सोचा जैसे ही आकाश आज घर आएगा सबसे पहले वो उससे बात करेगी ताकि वो आयशा को समझ सके, आएशा को गलती करने से रोक सके, और अगर उसकी तलाश सही है तो उस साथ से सके।
क्या लगता है आपको जैनी की मॉम उसे नाराज होकर उसे वापस लंदन भेज देगी या उसे समझकर उसका इस मिशन में साथ देगी, देखते है आगे। क्या होता है क्या कोई देगा आकाश के अलावा इसका साथ।
वैसे सच में जीवन भी सुबह से यही बाते सच रहा था, वो भी आएशा की बाते सुनकर हैरान था किस पर यकीन करे और किस पर नही ये वो समझ ही नही पा रही थी, आखिर किस रास्ते पर चलेगी वो देखते है आगे किस मोड़ पर जाती है ये कहानी, क्या शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी हमारे जीवन और आएशा की पिछड़े जन्म मैं अधूरी रही प्यार की दास्तान, ज्यूस जन्म मैं पूरी होगी या फिर पहले जैसा ही इतिहास खुद को दोहराएगा।
उधर लंदन में भी हालत कुछ अच्छे नही थे, हालाकि जैसे मैने बताया था की वक्त के साथ हर किसका असली चेहरा सामने आनेवाला था, जी सच में अच्छे होने का दिखावा कर रहे थे, उनके चेहरे से नकाब उठाने का समय आ गया था।
या फिर कुछ ऐसा होनेवाला था की सब कुछ खत्म हो जाता और किसी को खबर भी ना हो। अरुण अच्छा बनकर एक के बार एक करके आएशा के पापा को वफदार बनकर धोखा देते जा रहा था, और इस बात का उनको कोई अंदाजा ही नही था।
धीर धीरे करेले आलोक की तबियत खराब हो रही थी, और उसको कोई अंदाज़ा ही भी था, धीरे धीरे करके अरुण आएशा के पापा के खाने में कुछ मिलाकर उनकी तबियत खराब किए जा रहा था, साथ में बिना किसी के नजर में आए उनसे किसी पेपर पर साइन लिए जा रहा था।
इस बात की किसीको खबर भी नहीं थी, सबको लगता था की अरुण सच में आएशा को पसंद करता है, कभी कभी हम दिखावे के पीछे जुड़े सच को जान नही पाते है।
सच में करोड़ों की डील करने वाले अरुण सिर्फ अरुण की चिकनी चुपड़ी बातो में आ गए थे या अरुण के ऐसा करने के पीछे किसका हाथ था सच में अरुण एक अच्छा इंसान था या अच्छा होने का दिखावा कर रहा था।
अरुण के पापा मोहन क्या सच में अरुण का प्लान जानते थे, जो आएशा को अपनी बेटी के तरह प्यार करते थे वो अपने बेटे के घटिया प्लान में उनका साथ देने या आएशा को समझकर वो अपने बेटे के खिलाफ जाकर आएशा के साथ खड़े होंगे।
कुछ तो ऐसी वजह थी जिसके कारण अरुण की अपने पापा के साथ नहीं बनती थी। अरुण की सोच और तौर तरीके मोहन को कभी पसंद ना थे, तभी तो उसकी अपने पापा के साथ कभी भी बनी।
निशा के कारण ही तो दोनो बाते करते थे, जब आएशा आई थी घर में तब एक उम्मीद थी मोहन के मन में की शायद आएशा वो लड़की होगी जो अरुण की सोच बदल देगी, पर इस बात से अनजान की शादी तो सिर्फ आलोक के पैसे और जायजाद के लिए ही हो रही है।
पता नही जिसे बचपन से किसी चीज की कमी ना होने दी, उसे आखिर ऐसी क्या कमी हो गई, ऐसी कौन सी लालच थी की अरुण उतने नीचे गिर गया, जिस कारण वो अपनी दोस्त को और जिसने उसे सहारा दिया उसी के साथ धोका करने जा रहा था।
देखते है हमारी कहानी किस और मोड़ लेती है, इतनी दूर बैठी आएशा कैसे अरुण की रोक पाएगी, जैसी जीवन को समझा पाएगी।
"दो चेहरे- प्यार या धोखा।"