एपीसोड 17- इंस्पेक्टर खान की वापसी
पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की आएशा जीवन को बताती है सच, जिस पर जीवन यकीन नही करता है, वो गुस्से में उसे कुछ बोलकर वहा से चला जाता है। जब आएशा अपने आप में मगन रास्ते से चल रही होती है, उसे आएशा की ऑनलाइन दोस्त मिलती है जो की जीवन की बहन जानवी होती है, जो उसे बचा लेती है, जो उसे बताती है की वो इसी गली में रहती है।
फिर उसको देखकर कर में से जैनी की मॉम निकलती है, और उसे अपने साथ बिठाकर घर ले जाती है, और वो ये डिसाइड करती है की चाहे कितनी देर हो जाए वो आकाश से आएशा के बारे में पूछकर ही रहेगी।
इधर हमने देखा होता है की धीरे धीरे अरुण अपने रंग दिखाना शुरू करता है, जो की अपनी ही उलझन में उलझी आएशा को पता ही नही होता, जैसा मैने कहा था की आएशा की अपने मॉम डैड से कम ही बाते होती है, वो भी जब भी फोन लगाती है उसके केयरटेकर कावेरी से ही बाते करती है, क्योंकि जानती है की मॉम डैड तो कभी वक्त पर फोन नहीं उठाएंगे।
इधर कुछ दिनों से आएशा के पापा आलोक घर पर ही रहते थे, उन्होंने अपनी पावर ऑफ अटॉर्नी अरुण को से रखी थी, क्योंकि वो यही मानते थे की आगे चलके ये सब तो उसे ही देखना है, वैसे अरुण को भी अपना बिजनेस होता था, अब वो ज्यादातर अपने पापा का बिजनेस संभालता था, पर आलोक के बिजनेस सारे डिसीजन वही लेता था।
यू कहो तो फाइनेंशियल और बाकी के इंपोर्टेंट डिसीजन वही लेता है, हां फॉर्मेलिटी कहके वो आएशा के पापा से पूछता है, पर अब भी उसने आएशा के पापा के आगे अपनी अच्छी इमेज बनाई रखी है, पर आखिर वो क्यू ही ऐसा करना चाहता है क्या सिर्फ बिजनेस तिवारी या फिर कुछ ऐसा था की हम नही जानते थे , कोई पर्सनल रीजन था इसके पीछे इसलिए शायद अरुण का प्लान जानकर निशा भी खामोश थी। ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा,तब तक हम वापस आएशा की तरफ से है।
बोला ना आएशा थोड़ी परेशान है उसे जीवन के रूप में आगे जाने का मौका मिला था अगर जीवन इसका साथ देने के लिए राजी होता तो वो आराम से आगे बढ़ सकती थी, पर जिस तरह जीवन ने उससे बात की थी कोई चांस ही नही था की उसका हृदय परिवर्तन हो, अब तो कोई चमत्कार ही उसे बदला सकता था, वो टूटी थी पर हारी नही थी, वैसे इतने दूर लंदन से वो अकेली ही आई थी ना।
घर जाकर वो जल्दी से खाना खाकर सोने चली गई, पर उसकी परेशानी आकाश के घरवालों को साफ दिख रही थी, वो कहते है ना बड़ो से कभी कुछ नहीं छिपता, उनका तजुर्बा उनको वो भी दिखा देता है, जो शायद हम बच्चे नहीं देखते, पर आएशा ने कुछ नहीं कहकेबबाट को टाल दिया, वो किसीको भी परेशान नहीं करना चाहती थी।
आकाश अब तक घर आया नही था वैसे उसका काम ही ऐसा था की ना उसके आने का समय तय था ना जाने का पागल रहता था वो हर कैसे के पीछे, और वो ये भी चाहता था की आएशा भी जल्दी से जल्दी अपने अतीत को जान पाए वहा से बाहर निकल पाए, क्योंकि आज से छह माह बाद ही जैनी की शादी होनी थी, लगभग मार्च के आठ तारीख के, इकलौती लड़की थी जैनी उनके परिवार में तो तैयारिया तो पहले से शुरू थी
आएशा की कहानी पर अभी परवान चढ़नेवाली थी, खुद जीवन उसको पूछता आनेवाला था आप सोचेंगे ये कैसे हो सकता है जिंदगी है कुछ भी ही सकता है। देखिए आगे कौन डालता है नींव आएशा और जीवन के लव स्टोरी की।
जीवन अपने काम के लिए जाने निकल रहा होता है, वैसे मैंने पहले ही बताया था की जीवन का होटल एयर पोर्ट के करीब ही होता है, जैसा मैने पहले बताया था, वैसे ही वो अपने काम के प्रति कितना इनामदार होता है ये तो आप सब जानते है।
अपना काम खत्म करके जैसी ही घर आनेवाला होता है, वैसे ही उसे होटल के सीढ़ियों पर उसे एक बुद्धा आदमी बेहोश मिलता है, वो उसे पहले पास जिनके एक हॉस्पिटल में लेकर जाता है, वो कुछ दिनो से कुछ ना खाने की वजह से बेहोश हो गया होता है।
उसके सर पर काफी चोट के निशान भी होते है, कपड़े फटे हुवे होते है, और हाथ पर कुछ जलने के निशान भी होते है, फिलहाल वो उसको हॉस्पिटल में रखता है, और जब तक होश ना आता जाता उसको वो वही पर उनके पास बैठा रहता है, करीब जीवन के दादाजी के उम्र का होता है वो इसान।
वही है जो जीवन का और साथ में जाने अंजाने आएशा का भी जीवन बदलने वाला होता है, जैसी की मैंने जिक्र किया बड़ा खास रिश्ता होता है आएशा के अतीत से उसका। जान ही जाएंगे अभी, फिलहाल के लिए तो वो बेहोश है।
रात भर वो उसी हॉस्पिटल में बेहोश रहे, डॉक्टर को पैसे देकर वो चला गया हॉस्पिटल से, रात को घर आकर वो खाना खाकर सो गया, पर फिर भी वो उसी इंसान के बारे में सोच रहा था।
सुबह सुबह वो सबसे पहले काम पर जाने से पहले ही हॉस्पिटल चला गया, तब तक इस इंसान को होश आ गया था, वो घर से उसके लिए खाना लेकर आया था।
खाना खिलाकर उस इंसान को वो अपने घर और घरवाले के बारे में पूछते है, तो वो कुछ नही कहते, क्या सच में वो अपना पता ठिकाना भूल गए है।
शाम को जो वो हॉस्पिटल से छूटते है, तब जीवन उन्हे अपने साथ अपने घर लेकर जाता है। घर पर जब इस इंसान को जीवन के दादाजी शंकर देखते है, वो हैरान हो जाते है।
ऐसा कौन होते है जिसे शंकर यानी जीवन के दादाजी पहले से जानते थे, आएशा से क्या रिश्ता था उनका, देखते है आगे। जब जीवन उनसे कहता है की आप क्या इन्हे जानते है, वो कहते है की ये इंस्पेक्टर खान है, उनके अजीज दोस्त है, जो पासवाले चौकी में पोस्टेड थे, जब वो हादसा हो गया वो लोगो को बचा रहे थे। और उनकी बचाते बचाते उनके हाथ जल गए थे, जिनके निशान अब तक उनके हाथो पर दिख रहे थे।
अब जीवन को भी जानना था की ऐसा क्या ही गया था की जिसके बारे में दादाजी बोले जा रहे थे, आएशा और आकाश जिस इंसान को ढूंढ रहे थे वो इंसान जीवन के दादाजी का दोस्त था और फिलहाल वो उन्ही के घर पे थे।
क्या आएशा को पता चलेगा इंस्पेक्टर खान के बारे में, जीवन के दादाजी जीवन को इस हादसे के बारे में बताता है, साथ ही साथ जीवन को ये भी बताता है की इंस्पेक्टर खान उसी कैसे पर काम कर रहे होते है।
जब वो सब कुछ अपने कान से सुन लेता है अपने ही दादाजी से, तब उसको आएशा के बातो पर यकीन हो जाता है, और सच में उसे बहुत बुरा लगता है, जिस तरस उसने आएशा के साथ बर्ताव किया होता है।
पर और भी तो कुछ होता है ना शायद जी जीवन के दादाजी भी नही जानते थे, वो और कहते है जिसे जीवन बड़े ही ध्यान से सुनता है, जीवन के दादाजी जिस गली में रहते है उसी के पास वाले गली में ये हादसा हो गया था।
पर वो ये भी बताए है कि इंस्पेक्टर खान को शक था की किसी ने अपनी पर्सनल दुश्मनी निकलने के लिए वो आज लगा दी थी। दंगे फस्साज तो सिर्फ जरिया है, बाकी सच क्या था वो तो खान इंस्पेक्टर ही जानते थे।
कुछ तो ऐसा हो गया था की जिसके वजह से खान जी चुप चाप है ,आज भी कुछ बात नही कर रहे थे,
जब की उनका अच्छा दोस्त यानी की दादाजी उनके सामने थे तब भी वो कुछ नही बोल रहे थे।
दादाजी ने जीवन को उन्हे आराम कहने के लिए कहा, खान चाचा का परिवार तो कहा है ये पता नही पर उनका घर दादाजी के घर के पास ही था, जो की अब बिल्कुल खंडहर बन चुका था।
जैसे मैने बताया की इंस्पैक्टर खान को रिकवर होने के लिए वक्त की जरूरत थी, जैसे अब आएशा जानना चाहती थी वैसे ही अब जीवन भी सब कुछ सच जानना चाहता था क्योंकि इन सबसे वो और उसके पापा भी कही ना कही जुड़े हुवे थे, जैसे की आएशा ने बताया था, जैसे उसकी ये बात गलत नही थी वैसे भी वो भी तो कोई रहम नहीं ही सकता था।
क्या सच में आएशा ने जी कहा था वो उजागर होने का समय आ गया था, क्या जीवन माफी मागकर आएशा के साथ सच्ची खोज पाएगा। क्या होगा जब उस सच का असर उसके अपने जिंदगी पर भी होगा, क्या अरुण का सच आलोक वक्त रहते जान पाएगा।
सच जानकर क्या आलोक अपने बिजनेस को बचा पाएगा, कैसे बचा पाएगा जब पावर ऑफ अटॉर्नी उसके नाम पर है, जैनी लिए पढ़ते रहिए
" दो चेहरे - प्यार या धोखा। "