एपीसोड 30 - आएशा और जीवन की शादी
पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की दोनों मनाली के एक रेस्तरां में ठहरे है, बस अतीत की तलाश में एक हवेली में आकर रुके हुवे थे, वो हवेली वैसे तो पुरानी है पर वहा पर एक केयरटेकर रहता है।
चाय लेकर आने पर आएशा जैसी ही अपनी और अपने पापा की तसवीर जो की खान चाचा के डायरी में थी वो देखती है और बताती है की ये में हू वैसे ही आगे क्या हो गया था ये वो केयरटेकर बताया है।
कैसे अनिरुद्ध मुंबई आया था एक केस पर वो काम कर रहा था उस गुंडे को कैसे उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ पकड़ा, और जैसे ही किसी काम से वे बाहर गए, दूसरे उनकी जगह आए इंस्पेक्टर ने कैसे रिश्वत लेकर उन्हें छोड़ दिया था।
फिर कैसे उसने बाहर आकर अनिरूद्ध का घर जला दिया था जिसमे किस्मत से आएशा यानी की सानवी तो बच गई थी क्योंकि अहमद चाचा उसे अपने साथ ले गए थे, पर जैसे ही वो लौटकर आए उन्होंने अनिरुद्ध का घर की जलते हुवे देखा था जिसमें अनिरुद्ध और उनकी पत्नी जलकर खाक हो गए।
फिर आस पास का माहौल में काफी गुस्सा था उस गुंडे को पकड़ के फिर से हवालात डाल दिया पर लोगो के मन में काफी गुस्सा था, जैसे ही उस गुंडे को सजा सुनाने जेल से बाहर लाया, गुस्सैल भीड़ में उसे जला दिया, बहुत सी पुलिस की गाड़ियां जल गई थी।
पर इन सबके बावजूद वो करप्ट पुलिस ऑफिसर को सजा मिली या ना मिली, ये तो सवाल ही था ना मिली ना लोगो ने खुद अपने हाथ से सजा दी थी उनको, भीड़ ने उन्हे जिंदा ही कूचड डाला था, ये नजारा दो छोटे छोटे बच्चो ने अपने आंख से देखा था, वही छोटे बच्चे थे सागर और उसका जुड़वा भाई।
आएशा को तो गोलियों से बचा लिया था अहमद ने अपने बेटी का लॉकेट सानवी के गले में पहनाया था पर अहमद भी बच नहीं पाया था, पर कौन थे वो जिसने अहमद की जान ले ली थी।
दो बच्चों को उठाकर वही गुंडे के लोग ले जाते है जिन्हे उन बच्चो के पापा ने छुड़ाया होता है, वो गुंडा तो नही रहा होता है और साथ में उनके पापा की भी मौत ही गई होती है, तो उन्हे ये सब बताया जाता है इनका जिम्मेदार वे पुलिस है जिनकी वजह से उनके पापा नही रहे।
जैसे ही वो बच्चे थोड़े बड़े होते है, वो पुलिस के खिलाफ जाकर उन्हें ही नुकसान पहुंचाते है। तभी तो वे सानवी को भी मार डालना चाहते थे, क्यूंकि सानवी के पापा के कारण ही उन बच्चो के पापा ना रहे थे।
जैसा की सानवी देखती है अपने ख्वाबों में एक लड़का उसका हाथ पकड़कर उसे मंदिर लेकर आ रहा है सचमुच वो लड़का सागर ही है, जो आग के लपटे में फसी सानवी को सच में बचा कर मंदिर लाया था।
दोनो के पापा एक साथ काम करते थे तो दोनो अच्छे दोस्त थे, इसलिए सानवी भी सागर के साथ मंदिर चली गई थी। हुबहू बाहर घंटी की आवाजे सुनाई दे रही थी और अंदर मंदिर में गणपति जी की आरती शुरू थी, वहा सागर सानवी को लेकर आता है।
उन दोनो के साथ आगे क्या होता है क्या सागर सानवी को बचा पाएगा या फिर वो किसी अनहोनी की शिकार हो जाएगी, नही जैसी की उसके गले के लॉकेट के वजह से वो बच जाती है।
सागर के साथ ही होती है वह, बड़ी होने के बाद सागर से ही शादी हो जाती है उसकी इस बात से बेखबर के उसके पापा के मौत की वजह सागर के पापा द्वारा छोड़ दिया वो गुंडा था।
ये सच जानकर क्या करेगी सानवी क्या सागर को माफ करेगी या अपने पापा का बदला लेगी वो । देखते है आगे जैसे पिछड़े जन्म में शादी करने के बाद वो इसी हवेली में आए थे फिर ऐसा क्या हो गया था की उनकी मौत हो गई की साजिश थी दोनों ने एक दूसरे को मार डाला था या खुद मार गए थे।
जानते है आगे जैसा की मैने कहा था की सागर और सानवी की मौत हो जाती है मगर कैसे मर जाते है दोनो ही एक साथ। यहां तक तो आएशा अपने ख्वाबों में देखती थी आगे क्या हो गया था उनके साथ ये तो वो केयरटेकर भी नही जानता था ना कुछ डायरी में लिखा था।
कैसे पता चलेगा आखिर सानवी और सागर की मौत कैसे हो गई थी। तब तक सुबह भी ही गई बारिश रुक गई थी पर मन के अंदर के विचार रुकने का नाम नही ले रहे थे आखिर कैसी हो गई थी उनकी मौत।
जैसी ही दूसरे दिन वो अपनी अतीत के तलाश में थोड़ा दूर तक गए उन्हे एक पहाड़ी दिखाई दी, कुछ जानी पहचानी लग रही थी वो पहाड़ियों उनको। जैसे ही थोड़ा करीब जाकर देखने लगे दोनो, आएशा का पैर फिसरकर वो पहाड़ियों से नीचे गिरने लगी । पर पिछड़ी बार जैसे सागर सानवी को बचा नही पाए था या फिर जान बूझकर उसे मारने दिया था आज भी वो उसे छोड़ देगा या फिर बचा पाएगा।
क्या आएशा जान पाएगी पिछड़े जन्म कैसे ही गई थी उसकी मौत, सागर ने साजिश से शादी करके उसे मार डाला था या फिर वो बेचारा निर्दोष था सिर्फ सानवी को गलत फैमी हो गई थी।
आएशा और जीवन अपने वर्तमान और अतीत में उलझे जा रहे थे उन्हें समझ नही आ रहा था आखिर क्या सच था, क्या सच में वही था आएशा के पिछड़े जनक का कातीर और अगर ऐसा है तो क्या फैसला लेगी आएशा जो आज जीवन से प्यार करती है।
उतने में वहा पर जैनी और एलन भी आ गए, अब चारो ही उसी पहाड़ियों पर थे जहा से आएशा का पैर फिसला था और जीवन ने उसे बचा लिया था। पर फिर भी कुछ तो आएशा के दिमाग में चल रहा था।
इसलिए सच का पता करने के लिए वापस वो उसी पहाड़ियों पर गए थे, जहा का थोड़ा थोड़ा याद था आएशा को की उसका पैर फिसला था पीछे ही सागर था पर वो सिर्फ उसको देखता रहा था उसको बचाया नही था हल्की उसका हाथ जान बुझकर छोड़ दिया था, क्या सच में ऐसा ही हो गया था या सिर्फ उसका रहम था।
इस बात का पता तो सिर्फ एक ही बात से पता चल सकता था साइकैट्रिस्ट ही उनकी मदद कर सकता था जी कुछ वो अपने अतीत के बारे में जान पाई थी वो उसकी वजह से संभव हो गया था।
तो आएशा और जीवन जैनी और एलन के साथ साइकैट्रिस्ट के पास चले जाते है, जहा पर जाने पर उसे एक चौकनेवाला सच पता चलता है की सागर ने नही बल्कि उस वक्त उसका जुड़वा भाई उसके साथ था जिसे पता चला था की सानवी के पापा के वजह से उसके पापा की मौत हो गई है, और ये बात सागर को पता होते हुवे भी उसने छिपाई थी, सानवी को बचाया था और उससे शादी भी की थी, क्योंकि सागर को पहले से ही सानवी पसंद थी।
उस दिन सागर की बेहोश करके उसका भाई उसकी जगह आया था और पहाड़ियो से सानवी को धक्का देकर गिरानेवाला सागर नही था, जैसी ही सागर को पता चला वो आया था बचाने पर सानवी और उसका भाई की पहाड़ियों से गिरकर मौत ही गई होती है, सागर भी ये सदमा बर्दाश नही कर पाता वो पहाड़ियों से नीचे कूदकर अपनी जान देता है।
इस बात से आएशा जान जाती है जीवन ने कभी उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया था, गलत तो हमेशा से ही दोनों के साथ हो गया था, जीवन का कोई दूसरा चेहरा ना था उसका एक ही चेहरा था हमेशा से ही।
जो पिछड़े जन्म में भी उसका भला ही चाहता था आज भी उसका भला ही चाहता है।
सब अतीत के सच्चाई जानने के बाद आखिर कार जीवन के साथ फाइनली आएशा शादी कर लेती है, और जो वो सपना देखती है की उसने जीवन को पहाड़ियो से धक्का दिया है शादी के बाद वो महज एक सपना ही होता है।
क्योंकि सानवी की मौत का जिम्मेदार कभी जीवन और सागर ना था, बल्कि उसका जुड़वा भाई था जो की अस्तित्व में ही नही है, जिसे वो पहाड़ियो से धक्का देते देखती है वो सागर नही होता है।
उधर सब मुंबई वापस आ गए है, जीवन की शादी हो गई है आएशा से, आएशा के पापा से आशीर्वाद लेने जीवन और आएशा फ्लाइट में बैठकर लंदन जा रहे है।
अचानक प्लेन का एक्सीडेंट होता है उस प्लेन में अरुण भी होता है, अरुण क्या कर रहा होता है उस फ्लाइट में। आएशा अपने साथ जीवन और अरुण को बचाने में कामयाब हो जाती है।
जैसे ही अरुण आंखे खोलता है वो हॉस्पिटल में होता है आएशा और जीवन भी पास होते है, पर उन्हे ज्यादा चोट नहीं लगी होती है जितनी की अरुण की लगी होती है।
अरुण जैसे ये जानता है की आएशा और जीवन ने उसकी मदद की वो उनसे माफी मांगता है, सच्चाई आलोक के द्वारा अरुण को पता चली होती है उसी का दोस्त उससे झूठ बोल रहा होता है, जिसके सबूत आलोक ने पहले से ही अरुण को दिखाए होते है।
इस तरह अरुण भी जान जाता है अपने दोस्त का पूरा सच, अब तो बदले की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती, इस तरह सबके चेहरे से नकाब हटकर सबके असली चेहरे सामने आते है।
लंदन का सब कुछ बेचकर आखिर कार जीवन और आएशा के साथ मुंबई में होते है सब और इस तरह लिखा जाता है आखिरी पन्ना मेरे कहानी का आशा करती हूं आपको पसंद आ गया होगा।
"दो चेहरे - प्यार या धोखा।"