एपीसोड 21- आएशा की खान से मुलाकात
पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की अरुण क्यू आलोक के खिलाफ जाकर उससे बदला लेना चाहता है, क्या वजह होती है जिसके कारण वो आलोक के पास आया था काम करने के लिए, जिस गुणों के कारण आलोक ने अरुण को काम पर रखा था, क्या वो महज सिर्फ बनाव था, या सच में वो एक अच्छा इंसान था।
कहते है ना बदले की भावना किसी का अच्छा नहीं कर सकती है हर एक का सिर्फ नुकसान ही होता है, इसलिए बदले की भावना नहीं रखना चाहिए पर ये बात फिलहाल अरुण समझ नही पा रहा था, और इसी नासमझी में वो सच कुछ किए जा रहा था।
उसके पापा बिल्कुल नही चाहते थे की वो ये सब करे फिर वो वजह भी तो नहीं जानते थे, और खासा रिश्ता कभी ना था दोनो बाप बेटे के बीच में, सिर्फ उसका दोस्त ही तो था जो आलोक के वजह से इस दुनिया से जा चुका था।
अरुण भी कहा ही जानता था की आएशा के साथ साथ अरुण की भी जिंदगी बदलने जा रही है, अचानक क्या होनेवाला था की उसकी जिंदगी बदलेगी, और क्या अरुण के पापा मोहन होगा उसकी वजह या फिर कोई और, देखते है आगे।
जैसा मैने बताया था की अरुण आएशा के हर पल की खबर रखे हुए था वो लंदन में बैठकर भी जान लेता था की कब आएशा क्या क्या कर रही होती है, और वो सच में चाहता था की आएशा कभी भी वापस लौटकर ना आए, वो वही रहे वैसे उसकी आएशा के साथ कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं थी। पर कहते है की बाप के किए की सजा बच्चे ही भुगतते है, वैसे ही सजा आएशा को भुगतानी पड़ेगी क्या या फिर कोई होगा ऐसा जो की उसको इन सबसे बचा लेगा देखते है क्या होता है जीवन अरुण और आएशा के साथ,चलिए मेरे साथ बढ़ते है इस कहानी के अगले पड़ाव पर, बनें रहिए अंत तक मेरे साथ।
उम्मीद है आपको कहानी पसंद आ रही होगी, कैसे आएशा को जीवन से प्यार होता है और कौन से ऐसे हालात होते है जिसके वजह से वो मजबूर होती है जीवन की मारने के लिए, और क्या जीवन बचता है या फिर आएशा के पास पछतावे के अलावा कुछ नही बचता हैं, आप सोचिए तब तक मैं भी आगे बढ़ती हू।
जैसा कि मैंने कहा था जीवन अब अनजान ना था आयशा के लिए वो जब से इंडिया आई थी एक आकाश और दूसरा जीवन दोनो ही थे जो लगातार उसकी हेल्प कर रहे थे, जीवन नाराज था पर अब ना सिर्फ मान गया था पर आएशा के तरफ दोस्ती का हाथ भी तो बढ़ाया था।
सच कहूं पर जब से आएशा ने उसे पहली बार हॉस्पिटल में देखा था तो उसे तभी से कुछ तो महसूस हुवा था जो वो लफ्जो से नही बया कर पा रही थी, एक अनकहे अपनेपन का एहसास, जैसे की वो जीवन को आज से नही बल्कि कई जन्मों से जानती हो, जैसे की जीवन अपना हो, लंदन में रहने के बावजूद कुछ गिने चुने ही दोस्त थे आएशा के, जब उसकी सगाई अरुण से i गई थी तब भी अरुण के पास होने से भी उसको कभी ऐसा महसूस नही हुवा था जो जीवन से मिलकर लगा था, कुछ हाल जीवन का भी ऐसे ही था जब पहली बार जीवन ने आयशा को देखा था वो हैरान होकर उसे ही बेहोशी में देखा जा रहा था, इतनी। खूबसूरत आएशा पहली बार बेहोश उसकी गोदी में थी, तो जीवन की धड़कन ज्यादा तेजी से धड़कने लगी थी।
तभी तो जान आएशा ने बताया था की उसने अपने पापा को और मुझे भी पहाड़ियों से धक्का देकर तुमने मार डाला था तो उसे गुस्सा आया, जो लड़की उसे इतनी अच्छी लगती है भला वो सपने में भी कैसे उसको चोट पहुंचा सकता था और पापा तो उसकी जान थे इसलिए शायद वो आएशा को भला बुरा कहकर वहा से चला गया था।
मन ही मन में दोनो को एक दूसरे के लिए कुछ स्ट्रॉन्ग फीलिंग थी, जैसी की किसी अपने के लिए होती है, पर क्या दोनों ही जानते थे की वे तो पिछड़े जन्म के बिछड़े हुवे प्रेमी है, जो इस बार मिलने आए है, क्या पिछड़े जन्म के जैसी ही आधी अधुरी रहेगी उनकी कहानी या इस जन्म पूरी हो पाएगी दिलों की मुराद।
जैसा मैने पहले बताया था की आएशा मंदिर में मिलनेवाली थी जीवन से, साथ में उसका भाई आकाश भी तो था, सुबह सुबह ही जीवन ने आरती की और सब में प्रसाद बाट दिया, जैसी ही प्रसाद बाटकर वो आएशा की तरफ मुड़ा उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई और वैसी ही आएशा के भी, इसी मंदिर में वो हमेशा के लिए एक होनेवाले थे कहा जानते थे वो दिनों।
मैने आपको बताया था की वैसी तो ये काम उसके पिताजी किया करते थे, कभी कबाड़ साथ में दादाजी भी होते थे, क्योंकि गणपति जी आए हुवे थे तो दादाजी की दुकान अच्छी चल रही थी, फल फूल काफी अच्छे से बिक रहे थे, दादाजी को वहा पर इन दिनों दादी मदद करती थी, और जानवी भी तो थी, जो वक्त निकाल कर दादाजी और जीवन के कामों में मदद करती थी, आज लेकिन दादाजी के साथ कोई ओर भी बैठा था फूलो की दुकान पर खान चाचा जिनकी तबियत में काफी सुधार आया था, तो वो भी बैठे थे, वैसे ये जगह अंजान तो ना ही उनके लिए,पर थोड़ा थोड़ा धुंधला याद था उन्हें, वो जल्दी से ठीक होकर अपने परिवार से मिले इसलिए जीवन और उसका परिवार हर संभव कोशिश कर रहा था।
इसी कोशिश का नतीजा था की खान चाचा जल्दी से अच्छे हो रहे थे, दादाजी के दोस्त काफी संभाल गए थे, ये देख दादाजी भी खुश थे, बस इन्हे से मिलवाना था जीवन को आएशा से और उसे जानना था की खान चाचा से मिलकर क्या उसे कुछ याद आता है, ये सब बाते उसने आएशा और जीवन को उसी रूम में ले जाकर बताई जहा पर कभी वो आयशा पर गुस्सा हो गया था।
आकाश और आएशा नेदाब सुना ठीक से जीवन से, आकाश का तो दिमाग रॉ का था तो उसे समझने में देर ना लगी सब कुछ, दादाजी के दोस्त का यानी खान चाचा को मिलने जीवन के साथ आकाश और आएशा दुकान पर आए।
खान चाचा से बात करके उन्हे कुछ हासिल तो ना हो पाया पर उन्हें कैसे ठीक करना है ये आकाश ने जीवन को बताया, जैसी ही दादाजी ये पूछने लगे तुम क्या जानना चाहते ही खान से, जीवन ने दादाजी को सब कुछ बता दिया। दादाजी ने उन्हें कहा खान तो अब इस हालात में नही पर उसके थाने जाकर और उसके घर से कुछ इंफॉर्मेशन मिल सकती है।
एक ही बंदा था जिसके पास सारी इंफॉर्मेशन थी पर वे बताने के हालत में ना थे, तो अब सच्चाई तक तीनो मिलकर कैसे पहुंच पाएंगे कितनी कड़ियां और जुड़नी बाकी है इस कहानी से, कौन से राज अछूते रह गए है, कैसे जीवन सब सुलझा पाएगा जब से आएशा ने ये बताया था तब से एक दिन भी वो चैन की नींद नही दिया था और ऊपर से दादाजी से उसे सब सच होने की खबर मिली थी, क्या उसके पापा और आयशा को जीवन ने ही मार डाला था, और अगर ये सही भी हो तो क्या वजह थी या फिर जीवन उसे बचानेवाला था और कोई और ही कातिल था जिसका अंदेशा किसी को नहीं था।
ये पहेली तो और भी उलझती जा रही थी समय के साथ साथ, तीनो मिलकर खान चाचा के घर पर जाते है क्या कुछ मिल पाएगा या फिर सिर्फ खाली हाथ आना पड़ेगा उनको खान चाचा के घर से देखते है आगे।
तीनों इस वक्त खान चाचा के घर के सामने थे , घर की हालत बाहर से काफी खस्ता हो चुकी थी, जैसे तैसे दरवाजा खोलकर वो अंदर गए उनके हाथ कुछ ऐसा लगा था जिसे देखकर सारे की सारे चौका जानेवाले थे, जिससे उनकी राह आसान होनेवाली थी, आखिर उन्हे ऐसा क्या मिला था।
घर के अंदर सारी चीजे काफी बिखड़ी हुवे हालत में थी, जैसा कि दादाजी ने बताया था की खान चाचा घर से ही गायब हो गए थे तो जिन्होंने उन्हें गायब किया था उन्होंने ने हो घर की ऐसी हालत की थी, सब कुछ यह वहा बिखड़ा था, उसे देख कर किसी को भी इस बात का अंदेशा हो जाता की जरूर वहा पर मार पीट हो गई होगी।
तीनों ने सारे सामने उल्टा पुल्टा करके देखा उन्हे कुछ जरूरी चीज मिल जाए ताकि वो आज की तलाश कर पाए, क्योंकि खान चाचा ही इस केस पर काम कर रहे थे और दो पुलिस ऑफिसर्स मारे गए थे तो जरूर घर में ही कुछ ना कुछ छिपा होगा।
सब इधर उधर घूम रहे थे देख रहे थे की उन्हे एक फोटो फ्रेम दिखाई दिया, जब उसे नीचे उतरा, उसे उसके अंदर कुछ दिखा , फोटो फ्रेम को काट कर देखा तो उसके अंदर एक डायरी और उस डायरी के अंदर कुछ जगह और पुराने फोटोग्राफ्स थे।
जानते है हम कल कौन सी थी वे जगह और किसके फोटोग्राफ्स थे, कुछ ऐसा था की तीनो के पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी, तब तक पढ़ते रहिए
" दो चेहरे प्यार या धोखा ।"