एपीसोड 29 - मनाली में आएशा और जीवन एक हवेली में
पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की अरुण से छुटकारा पाकर आएशा ने अपनी सारी जायदाद अपने पा के नाम कर दी थी। साथ ही साथ अतीत को तलाश करते और जीवन के साथ रहते रहते उसने जीवन से प्यार का इकरार कर दिया था, दोनों की शादी के बारे में सिर्फ और सिर्फ जीवन आएशा के अलावा सिर्फ एक ओर शक था जो जानता था आकाश।
पर उन्होंने इस शादी के बारे में किसीको नहीं बताया था हा जैनी जानती थी सब कुछ, पर जिस शादी केवल अरुण से आएशा को बचाने के लिए की गई थी और खुद आएशा भी नही मानती थी उसे बताकर वो क्या करेगी।
इन सबमें एक बात अच्छी हो गई थी जैनी की उसके बॉयफ्रेंड एलन के साथ शादी हो गई थी और आएशा और जीवन की इंगेजमेंट भी हो गई थी क्योंकि उनके अतीत की कुछ कड़ियां मनाली में थी तो सबने मिलकर मनाली आने का सोचा और उसी सोच के तहत आज चारों मनाली के एक रेस्तरां में ठहरे थे।
क्या यहां आकर उन्हें कुछ हाथ लगेगा या यहां से भी उन्हे खाली हाथ वापस लौटके जाना पड़ेगा। देखते है आगे क्या होता है जैसा की उस डायरी में लिखा था की आएशा के पापा पिछड़े जन्म में यही रहते थे, आएशा को भी हमेशा से इसी जगह के ख्वाब आते थे जहा पर कोई इसे पहाड़ियों से धक्का दे रहा है, पर क्या सच में ऐसी जगह थी जहा से पिछड़े जन्म में गिरके मौत हो गई थी।
वो डायरी उन्होंने साथ रखी थी हर पल, आएशा और जीवन मनाली के पहाड़ियों में ढूंढ रहे थे अपना अतीत, वे पुराने लोगों से पूछताछ कर रहे थे जैसी की उनके हाथ कुछ लग जाए, किसी कारण एलन और जैनी नही आ पाए थे।
मनाली के मौसम के बारे में तो आप जानते है ना कभी भी बिन बादल बरसात होती रहती है। चलते चलते बरसात आ गई थी पर अभी बरसात बहुत धीमी धीमी चल रही थी, तो आएशा और जीवन तलाश करे जा रहे थे।
जाड़े का मौसम था हल्की हल्की बूंदा बांदी के साथ बर्फ भी भारी मात्रा में गिर रही थी, मौसम में एक रूहानियत थी जैसी की आम वक्त में कोई जाता तो वो उसी वादियों में की जाता।
पर इस सुहानी वादियों में भी वे अपने लक्ष्य से भटक नही रहे थे, मनाली से करीब दस से बीस किलोमीटर डिस्टेंस पर ही जीवन का पुराना घर था। जहां पर उसकी मॉम डैड सिर वे रहते थे पर कुछ सालो से वे सब मुंबई में ही रहते थे।
जैसा मैने कहा की कुछ साल पहले ही जीवन के दादाजी के भाई की मौत हो गई थी और उनके मौत के पहले ही दादाजी अपने सारे परिवार की लेकर मुंबई गए थे और उनकी मौत के बाद मुम्बई में उनका जो कुछ भी था दादाजी ने संभाल लिया था।
मुंबई का सिधिविनायक मंदिर की पूजा पाठ, वो फूलों की शॉपी, जिस घर में वो रहते थे वो घर सब कुछ पहले दादाजी के भाई का था, यहां पर मनाली से थोड़ी दूर ही वे सब रहते थे अभी भी उनकी मां का परिवार वही रहता था। पर फिलहाल वो वहा नही जा सकते थे, अगर वे जाते तो हजार सवाल करते घरवाले जिनके जवाब अभी इस वक्त उनके पास नही थे।
बारिश ने अपना जोड़ पकड़ लिया था, पहाड़ी इलाका था तो जब बारिश हो जाती है लैंडस्लाइड तो होती रहती है, उसी लैंडस्लाइड के कारण आएशा और जीवन का वापस लौटकर अपने होटल जाना मुमकिन ना था।
थोड़ा थोड़ा आगे चलके जाने पर उन्हें एक हवेली दिखाई दे गई। क्या रिश्ता होगा उस हवेली का आएशा से, जीवन से या वहा पर जाना महज इतफ़ाक होगा। और कोई रहता होगा वहा पर या वीरान पड़ी होगी वो जगह।
जैसे भी हो रात गुजारने के लिए पास वही एक जगह थी, वहा पर रुकने के अलावा दोनो के पास कोई चारा भी नहीं था, बडी सी हवेली थी वो पर लग रहा था की काफी सालो से बंद पड़ी हुई दिख रही थी, जैसे ही बड़ा सा गेट खोल के वे अंदर गए, सामने एक दरवाजा दिखाई दिया।
जैसे ही दरवाजा खोलते अंदर गए अंदर का नजारा बड़ा ही अपना अपना दिखाई दिया, दोनो को ऐसा लग रहा था की यहां वे पहले भी कभी आए है, जीवन यही से दूर थोड़ी दूर का रहनेवाला था पर यहां कभी नहीं पहले आया था, और आएशा तो लंदन से थी, मुंबई ही उसने सिर्फ सपनों में देखी थी जाने दोनो का क्या रिश्ता था।
कोई रिश्ता भी था या यूंही उन्हे लग रहा था की ये जगह जान पहचान की है दोनो की, जैसी ही दोनो वहा पर बात किए जा रहे थे उनकी आवाज सुनकर वहा कोई आ गया।
बहुत बूढ़े आदमी थे वे, इस हवेली की बरसो से देखभाल कर रहे थे वहा के केयरटेकर थे पर उनकी मालिक के मौत के बाद अकेले ही इस हवेली में रहते थे अब ये हवेली ही उनका घर बन गई थी। और शायद कुछ रिश्ता था आएशा से भी इस हवेली का।
जैसी ही आएशा और जीवन ने बताया बाहर बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से वे होटल वापस नहीं जा पा रहे है इसलिए सामने ये हवेली दिखाई और वे अंदर चले आए थे, उस बूढ़े आदमी से उन्होंने यहां पर रात भर ठहरने की इजाजत भी ले ली।
जैसे ही बूढ़े आदमी उनके लिए चाय बनाने गया वे घूमकर वहा पर लगी तस्वीरे देखने लगा तस्वीरे कुछ जानी पहचानी थी, उसमे से एक तस्वीर खुद आएशा और उसके पापा की थी आएशा यानी की सानवी और अनिरुद्ध यानी की उसके पापा की तसवीर थी।
जैसा की मैने कहा था की सानवी के पापा बहुत बड़े जमींदार के बेटे थे कुछ कमी ना थी उनके पास फिर भी देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे के कारण वो पुलिस में भर्ती हो गए थे।
अनिरुद्ध के पापा बिल्कुल इसके खिलाफ थे पर अपने इकलौते बेटे के जिद के आगे वे मजबूर थे इसलिए उनको ना चाहते हुवे भी हा करना ही पड़ा था, बेहत ईमानदार ऑफिसर थे वे उस वक्त के , काफी अच्छी छवि थी उनकी लोगो के बीच, दिनो दिन उनकी खाती बढ़ती जा रही थी, और ना चाहते हुवे भी उनके पापा की उन पर गर्व हो रहा था।
जब मनाली में थे तब अनिरुद्ध की शादी अपने पापा के मर्जी से हो गई थी, और वहा थे तभी सानवी का जन्म हो गया था, जब तक वे मनाली में थे तब तक सब कुछ ठीक ही था,पर जैसे उनका प्रोमोशन होकर वे मुंबई चले गए, सबकी जिंदगी तहस नहस हो गई।
जैसे ही मुंबई में वे आए अपनी पत्नी और अपनी बेटी के साथ,उनके जिंदगी ने टर्न ले लिया, वहा के समय वहा पर एक गुंडे का राज होता था क्योंकि अनिरुद्ध काफी बड़े ऑफिसर थे मुंबई आने के बाद उनका पहला कैसे यही था, बड़ी ही खूबी से उन्होंने ये कैसे हैंडल किया था और उस गुंडे को सजा मिली थी, उसके बाद एक बार अनिरुद्ध यहां पर मनाली आया था पर क्या पता था उसके बाद वे तीनों ही कभी मनाली ना आ पाएंगे बल्कि हमेशा के लिए दुनिया छोड़ देंगे।
जैसे ही वे वापस गए वो गुंडा उनके ही खाते के किसी आदमी को जो अनिरुद्ध के मनाली आने के बाद उस गुंडे का केस हैंडल कर रहे थे उन्हें रिश्वत देकर बहरा गया था, वो उसी घर में था की जैसी ही अनिरुद्ध वापस घर आए थे, रात में उसने अनिरुद्ध का घर जला दिया।
उसी में अनिरुद्ध की मौत हो गई जैसा कि मैने बताया था की अहमद हवालदार के साथ सानवी थी इसलिए बच गई पर उस आग में सानवी की मॉम भी चली गई।
फिर आप सोच रहे होंगे ना आएशा के डैड के मौत से जीवन का कैसे संबंध है जब की किसी गुंडे ने घर जलाया था, जैसे ही पुलिस को पता चला उस गुंडे को पकड़ कर अंदर डाल दिया,पर जिस करप्ट ऑफिसर के वजह से वो गुंडा बाहर आ गया था वो इंसान जीवन यानी की सागर के पिताजी थे।
उन पर केस भी चला उन्हे काफी खरी खोटी सुनानी पड़ी, यहां तक के लोगो ने अनिरुद्ध का बदला लेने किए जीवन यानी के सागर के पापा का मार डाला, लोगो के हाथो ही उनकी मौत हो गई।
पर इतने में ये तूफान थामने वाला नहीं था, इसी सदमे में सागर के मां ने सुसाइड कर लिया, अब सागर और उसका जुड़वा भाई दोनो ही थे। एक दिन पर सागर को और उसके भाई को कोई लेकर चला गया, कौन था वो जिसके कारण मुंबई का ये हश्र हो गया था, क्या अच्छा इंसान थे वे या बुरे, जिसकी वजह से आयशा के जिंदगी की आगे की कहानी लिखी गई।
यहां तक तो उस बूढ़े केयरटेकर ने सब कुछ बता दिया वो हवेली आएशा के यानी की सानवी के दादाजी की थी। उसके पापा के मौत के कुछ साल बाद ही उसके दादाजी की मौत हो गई थी।
देखते है आगे कैसे हो गई थी जीवन के हाथो सानवी की मौत
" दो चेहरे - प्यार या धोखा ।"