एपिसोड़ 3 आएशा की पार्टी मैं आया ट्विस्ट
पिछड़े एपिसोड अपने देखा आएशा का बर्थडे सेलिब्रेशन चल रहा है पर कुछ तो होने वाला था पार्टी मैं, जिससे आएशा अंजान थी, क्या सरप्राइज था जो उससे मिलने वाला था और उसी सरप्राइज के चलते कैसे आएशा की लाइफ बदलनेवाली थी, कौन देनावाला था सरप्राइज। इससे आगे की कहानी आज सुनिए।
आएशा ने सबके कहने पर केक कटिंग किया, सबने ख़ूब चीयर्स किया उसे बधाई दी, कितने महंगे महंगे तोहफे मिले थे उसे उसके जन्मदिन पर,सबके बावजूद कुछ था की वो खुश नहीं थी।
आएशा तो हमेशा से ही अपनी उलझन में उलझी रहती, हमेशा ख्वाबो के बारे में ही वो लगातर सोचती रहती, पर सिर्फ एक जैनी ही थी जिससे वो अपने मन की बात कह पाती थी।
सच कहू तो आज भी उसे कोई पार्टी मैं आने का मन ना था, पर हर आग्यकारी औलाद की तरह वो मम्मी और पापा को नाराज नहीं करना चाहती थी तो वैसे ही बेमन से वो पार्टी मैं चली आई थी
बर्थ डे पार्टी का माहोल काफ़ी बढ़िया लग रहा था, आएशा ने मम्मी पापा ने गिफ्ट की हुई ड्रेस पहानी थी, जिस में वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी, खास उसके लिए बाहर से ब्यूटीशियन को मंगावाया था।
सच कहू तो काफ़ी बढ़िया मेकअप किया था आएशा का ब्यूटीशियन ने, पर कहते हैं ना इसान तभी ख़ूबसूरत दिखता है जब वो अंदर से भी उतना ही खुश हो, आएशा खुश होने का दिखावा तो कर रही, पर वो खुश ना थी।
हर बार आते ख्वाबो ने तो मानो उसकी दुनिया ही बदल दी थी, मानो ऐसा लग रहा था की जिंदगी ही उससे रूठकर बैठी है । तभी तो इतनी बड़ी खुशी भी उसे रास ना आ रही थी।
हर मुश्किल बस हसके पार हो जाए, जब साथ मैं आपका भला चाहने वाले दोस्त हो, तो आएशा के सारे दोस्त उस दिन पार्टी मैं मौजूद थे, सबसे खास जैनी, जो हर वक्त पास रहकर ही उसे संभल लिया करती थी।
एक पल के लिए तो उसके मन मैं छाई मनहूसियत आसूवो के शक्ल मैं उसके चेहरे पर गिर आई थी, तो सबके नजरो से छुपकर उसने वो आसू पोंछ लिए, पर ऐसा करते वक्त उसे दो शक ने देखा एक जैनी और दूसरा कौन? ये सवाल आ रहा है ना अपने मन में।
मेरे भी आ रहा है इतनी अच्छी पार्टी के बिच मैं ऐसा कौन था की उसका ध्यान हर वक्त आएशा पर था, आएशा को ये नजर ना आया पर ये बात जैनी की नजर मैं आ गई थी।
काफ़ी गहरा रिश्ता जुड़ने वाला था उस शक से आएशा का, जो आएशा और उसके माता-पिता के बीच मैं पूल का काम करने वाला था, जो एक अनमोल रिश्ते मैं बंधने खुद चला आया था। आप आगे जान ही जाए कौन था वो शक्स। क्या आयशा उसे एक्सेप्ट कर पाएंगी।
क्या था ऐसा की उसे खुश ही नहीं होने देता था, सब अपने तो थे उसके पास, फिर भी जाने किसकी तलाश थी उसे, जो उसे सीधा जीवन के पास खींच लानेवाला था।
जीवन जो कभी मुंबई से बाहर नहीं गया, सच में उसके लिए आसमान से उतरकर परी ही आने वाली थी। लंदन की परी, आएशा।
अपने आप से, आनेवाले कल से अंजान आएशा अपने आप में ही गुमसुम हुई जा रही थी, नहीं जानती थी कि उसके आने वाले कल मैं लंदन नहीं बल्कि लंदन से मिलो दूर का देश हमारा भारत लिखा हुआ है, लंदन का ब्रिज नहीं बल्कि मुंबई की तंग गलिया लिखी हुई है, कोई राजकुमार नहीं बल्कि, क्या आपके भी मन में सवाल आया ना, ढूंढते है ना सब मिलकर साथ में जवाब, राजकुमार नहीं तो कौन खलनायक लिखा है क्या किस्मत में।
अभी बताकर मैं मेरे दर्शकों की उत्सुकता को कम नहीं करूंगी, इसके लिए आपको पढ़ते रहना होगा प्यार की या किसी ओर हेतु से लिखी ये कहानी। फिलहाल तो आएशा पार्टी मैं है।
केक कटने के बाद डिनर भी आयाजित किया था, पर उससे पहले आएशा को उसके मम्मी पापा ने स्टेज पर बुलाया।
आएशा की धड़कन मानो दुगनी स्पीड से धड़कने लगी, पापा मम्मी को सरप्राइज देने की आदत जो थी, पापा ने एक लड़के को स्टेज पर बुलाया।
सबके मन मैं यही ख्याल आ रहा था कि कौन है ये लड़का, जो अब तक आएशा के पापा के साथ दिखाई दे रहा था।
आएशा ने एक बार गौर से उसकी तरफ देखा तो एक पल के लिए वो देखती ही रह गई, "घुंघराले बाल, गहरी नीली आंखे, मानो की कोई झील हो गहरी, एक बार देखे तो इसी मैं डूब जाए, 6 फीट से ज्यादा हाइट, एक प्यारी सी मुस्कान, और तहजीब के बारे में तो क्या ही कहना, सर्वगुण संपन्न था अरुण। पापा के दफ्तर मैं बतौर मैनेजर डायरेक्टर काम करता था।
पापा के ऑफिस का काम ज्यादातर वही किया करता था, इसलिए पापा को उसपर काफी भरवसा था। इसलिए तो अपने दिल के टुकड़े को आएशा को उससे सोपनेवाले थे। पापा ने आएशा और अरुण की सगाई अनाउंस कर दी, अगले महिने के 15 तारीख, यानी की 15 जुलाई को उनकी सगाई होने वाली थी। मानो आएशा के पैरो तले जमीन ही फिसल गई, अरुण को आएशा पसंद थी, वो हर दिन उसके पापा के डेस्क पर आएशा का फोटो देखता था, तो उससे सगाई और शादी से कोई ऐतराज़ ना था।
इस घोषणा से पार्टी मैं सारे बड़े खुश थे, पर आएशा के चेहरे का रंग उड़ गया था, उससे कुछ समझ नहीं आ रहा था, पर सगाई अभी ना थी तो शांत रह गई, पर कुछ तो दिल ही दिल में चुभ रहा था, जाने कैसे उसे ये चुभान अरुण भी महसूस कर पा रहा था ।
डिनर होने के बाद सारे गेस्ट निकल गए, अरुण के डैड बड़े बिजनेसमैन थे, पर अरुण को उनके तारिके पसंद ना थे, ऊपर से इस बात की नाराजी थी की खुद का बिजनेस सम्भलने से ज्यादा औरो के बिजनेस मैं ध्यान देता है। थोडी तो रायवरी चलती है ना बिजनेस मैं, तो अरुण के दो फैसले से वो नाराज थे, इसलिए पार्टी मैं वो ना आए थे, पर अरुण की माँ निशा थी पार्टी में, इस रिश्ते से वो काफी खुश थी।
सब होने के बाद आएशा को कम से कम अब अरुण के साथ बात करने का मौका मिला, पर अरुण ही इतना बातूनी था की लगातर बोले जा रहा था, जिससे आएशा इरिटेट हो रही थी, बिच मैं तोककर उसकी बात काटते हुए आएशा बोल पड़ी।
" I don't interested marriage and all now " पर वो पापा का दिल नहीं तोडना चाहती थी, बस उसे इतना ही कहा था की अरुण की माँ ने उसे आवाज लगायी, और कुछ बात कह पाए इससे पहले ही उससे निकलाना पड़ा।
आएशा अपने आप ही परशान थी, और ये अनाउंसमेंट उससे और भी परशान कर रही थी, ऐसे मैं वो नाराज या परेशान किससे थी हालात से, खुद से, पापा से, या अरुण से। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था
पार्टी मैं उसके साथ कुछ हुआ था जो कि उसे किसको नहीं बता रही था कि यहां तक की सबसे अच्छी दोस्त जैनी को भी। जब वो केक कटिंग करते वक्त मोमबत्ती को जलाकर बूझा रही थी, उससे फिर से वही मंजर देख लिया था, जो वो अक्सर अपने ख्वाबो मैं देखता थी, एक जलता हुआ शहर, और चारो तराफ धुवा धुवा बिच मैं वो बैठा हुई रोती बिलगती । एक पल के लिए वो कैंडल से पिछे हो गई, पर जैनी के कंधो पर रखे हाथ ने उसे संभल लिया था।
वो समझ नहीं पा रही की जो ख़्वाब रात को आकर डराते थे, अब दिन मैं भी आने लगे, कहीं भी एक पल का सुकून ना था पार्टी में, इसलिए तो शायद इतनी बड़ी घोषणा सुनाने के बाद भी वो खुश ना थी मानो की उससे लग रहा है, कुछ छूट रहा है हाथों से, क्या सच में कुछ छुट रहा था कि ये भी रहम ही था।
आज का दिन बहुत ही व्यस्त था, काफ़ी लम्बा था, गुज़रने का नाम नहीं ले रहा था, पर रात के 11 बज चुके थे, वो मम्मी पापा से बात करना चाहती थी पर वो सो चुके थे, तो वो दरवाजे से वापस लौट आती है।
फ्रेश होकर वो सोने चली जाती है, पर मन पर इतना बोझ हो तो नींद ही कहा आती है, फिर भी सोने की कोशिश करती है, पर वो इतनी सो नहीं पाती है, इतने मैं उसकी नजर आकाश, याद है ना जैनी का कजिन द्वारा दी गई गिफ्ट पड़ती है, क्योंकि उसका गिफ्ट सबसे ऊपर रखा होता है। क्या था वो गिफ्ट, देखते हैं, बड़े रंगीन कवर मैं सजी होती है किताब, वो गिफ्ट पेपर हटाकर उससे देखने वाली होती है, की अचानक ही किताब हाथो से नीचे गिर जाती है। एक पल वो किताब उठाकर उस कवर को निहारती है, क्या वो किताब पढेगी, अगर उसकी सगाई तय हो गई है तो कैसे आएगी वो इंडिया।
क्या सच में उस किताब में मिलेगा आएशा को उसके सवालों के जवाब, या फिर किताब देख कर वो और उलझेगी, एक पल वो किताब उठा उसे कवर को निहारती है, क्या वो किताब पढेगी, अगर उसकी सगाई तय हो गई है तो कैसे आएगी वो इंडिया, कैसे मिलेगी जीवन से, क्या जान पाएगी वो ख्वाबो का राज। अरुण क्या उसका हमदर्द या फिर कोई छलावा होगा जाने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी।
"दो चेहरे - प्यार या धोखा"