एपिसोड 13- सबूत की छान बिन
पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की आएशा आकाश के घर पर आकर रह रही है, आकाश के घरवाले आएशा का अच्छे से खयाल रख रहे है, तभी तो आएशा को पराए देश में भी अपना पन लग रहा है।
आएशा का एक्सीडेंट होने के कारण उससे थोड़ी कमजोरी महसूस होती है, तभी तो जैनी के मॉम उसे आराम करने के लिए बोलती है।आएशा शाम की कॉफी पीकर जैनी के मॉम के साथ मंदिर जाती है, क्योंकि मंदिर पास ही होता है घर के।
आएशा तो और भी जगह जाना चाहती है, पर जैनी की मम्मी उसे वापस घर पर ले आती है, रात का खाना
खाकर वो सो जाती है, थकान और कमजोरी की वजह से उसे नींद आती है।
रात को अचानक उसकी नींद टूट जाती है, क्योंकि किचन से कुछ गिरने के आवाज आती है,आएशा किचन में जाती है, वहा पर आकाश पानी लेते वक्त उसके हाथो से ग्लास नीचे गिर जाता है।
वो उठाकर रख ही रहा होता है की उसे अपने सामने आएशा दिख जाती है, आएशा उसे खाना गरम करके उसे खिला देती है, खाना खाने के बाद आकाश आएशा को अपने कमरे में ले जाता है, और वहा पर वो उसको एक कागज का पेपर उसके सामने कर देता है।
वो कागज एक न्यूजपेपर का होता है, को वैसे काफी पुराना होता है, लगभग 54 से 55 साल पुराना होता है, को दादाजी के दोस्त के पास से मिला होता है। दादाजी के दोस्त तो अब नहीं रहे पर उनके पास संभल के समान में वो पेपर रखा होता है, शायद उनके भी बहुत करीब होगा वो तभी तो वो संभल के रखा हुवा था,पर ये बताने के लिए अब वो तो इस दुनिया में नहीं होते।
पर पेपर में एक तस्वीर देखकर आयशा चौक जाती है, वही जलती हुई मुंबई और उनकी वो गली, जहा कभी वो ख्वाबों में खुद को देखती है। पर सिर्फ वही गली नही बल्कि उस दिन पूरा मुंबई ही जल रहा होता है।
कैसी थी वो आग जो पूरे शहर की जलाए हुई थी, मजहबी दंगे हुए थे उस दिन, जिस आग में सब जलकर खाक हो गया था,पर आएशा का घर जलनेवाली भी वही आग थी या फिर कोई और आग थी ये तो बाद में पता चलेगा।
इस केस पर एक इंस्पेक्टर काम कर रहा था, जो काफी साल से गायब था, आकाश और उसके दोस्त उसके बारे में पता करने की कोशिश कर रहे थे, पर बहुत पुरानी बात थी तो पता करवाना थोड़ा सा डिफिकल्ट हो रहा था उनके लिए।
आएशा को तो जल्द से जल्द अपनी मंजिल तक पहुंचाना था, क्योंकि वो सिर्फ 6 मंथ के वीजा पर ही तो इंडिया आई थी, और वो जानती थी की उसके पापा उसे कभी भी इतने दिन इंडिया में रुकने नहीं देंगे, वो उसे कभी भी कॉल करके वापस बुला लेंगे, उससे पहले उसे अपने ख्वाबों की गुत्थी सुलझाने थी कुछ भी करके, फिर वो आकाश के घरवालो को ज्यादा तकलीफ नहीं देना चाहती थी।
वो वैसे ही होटल में रूकनेवाली थी, ताकि किसीको परेशानी ना हो, पर ना ही आकाश और उसका परिवार मान रहा था, और आएशा के डैड एक ही शर्त पर राजी हुवे थे आएशा को इंडिया भेजने के लिए, की वो आकाश के घर पर रुकेगी।
तभी तो वो आकाश के घर पर रुकी हुई थी, वैसे उन्हे कोई प्रॉब्लम ना था आयशा के यह रहने से पर वो तो हमेशा से अकेला ही रही थी ना, तो वो किसके ज्यादा जुड़ना नही चाहती है, ताकि बिछड़ने का दर्द ना हो।
आकाश के मदद के साथ वो खुद भी खुद की मदद कर रही थी, क्योंकि आकाश तो हमेशा से ही बिजी रहता था, पर उसमे भी वो वक्त निकाल कर आएशा के मदद करता था, जहा कही पॉसिबल होता वो उसे साथ लेकर जाता, वो उसे मुंबई घुमा रहा था।साथ में जैनी की मॉम भी उसकी मदद कर रही थी।
फिर जैनी को उसके मंजिल तक।पहुंचने के लिए एक और शक था, जीवन की बहन जी टूरिस्ट गाइड का काम कर रही थी, उसने अब तक मुंबई के काफी हिस्से दिखा चुके थे।
आएशा को यहां पर आए लगभग एक हफ्ते से ज्यादा वक्त हो चुका था, सितंबर का महीना चल रहा था, गणपति बप्पा जी का आगमन हो रहा था, चारों और खुशी का माहौल था, आएशा भी इन दिनों खुश लग रही थी।
जैनी की मॉम उसे गणपति जी के दर्शन करने के लिए जगह जगह ले जाती थी।
किसी कारण आज जैनी को मॉम आयशा के साथ नहीं आई थी, घर पर कुछ काम आ गया था, तो वो अकेली तो घर से नही निकल सकती थी, जेनी के घरवाले इसको ये आलो ही नहीं कर देते, तो रास्ते में उसे आकाश मिलनेवाला था, इसलिए आएशा भी निकल गई।
रास्ते से चलते चलते वो गलत गली में मुड़ गई, गली जरूर गलत थी पर उसको सही रास्ते पर ले जानेवाली थी। मैं क्यू ऐसा कह रही हु आपको सरप्राईज लगा ना , कैसे गलत रास्ते सही मंजिल की और ले जाते है।
जिंदगी में ऐसा बहुत बार होता है, की सही रास्तों पर चलकर भी हम कही नही पहुंच पाते है, और गलती से रास्ते गलत होते हुवे भी हम सही जगह पहुंच ही जाते है।
वैसे ही आएशा भी गलती से चले रास्ते के वजह से सही मंजिल पर कैसे पहुंचती है देखते है आगे।
एक गली से होते हुवे वो सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचाती है, वही मंदिर जो उसको अपने ख्वाबों में दिखाई देता है, जिसकी खोज में वो यहां पर आई थी। एक कड़ी तो उसे मिल गई थी, पर जाने क्यों उसे कुछ ऐसा दिखा की वो बेहोश होकर गिरनेवाली होती है की कोई आकर उसे थाम लेता है कौन है वो जो उसे आकर थाम लेता है जानेंगे आगे की कहानी में।
जब आएशा अपनी आंखे खोलती है, तो वो हैरान हो जाती है, सामने आएशा के जो खड़ा होता है वो जीवन होता है, वही जीवन जिसने उसे पहले भी एक्सीडेंट में बचाकर हॉस्पिटल ले गया था।
वैसे जन भी आएशा मुसीबत में होती है कही ना कही आस पास उसके जीवन होता ही है, जीवन उसको घर पर लाया था, बड़ा घर नहीं था उसका पर दिल बड़ा था, आएशा के इस सफर में क्या वो मददगार होगा या फिर उसके मंजिल पाने मैं वो रोड़ा बनकर खड़ा होगा।
जिस अतीत से आएशा मिलना चाहती थी उससे कितनी की तकदीर बदलने वाली थी देखते है हम आगे।
जीवन उसे चाय के साथ साथ कुछ और भी खाने के लिए ले आता है, वो बस उसे खा ही रही होती है, की जीवन उसे कुछ पूछ लेता है, क्या वो बता पाएगी जीवन की उसके यहां आने का राज, क्या कारण था की वो इतनी बैचेन हो जाती थी जीवन से मिलकर।
आकाश अब भी वही पर इंतजार कर रहा था,पर उसे अचानक कोई मिल जाया है, और आएशा कुछ कैसे डिस्कस करने के चक्कर में भूल जाता है। आएशा जीवन को अपना नाम बताती है, वो उसे थैंक यू बोलकर जैसे ही जाने के लिए निकल रही होती है की उसकी नजर एक तस्वीर पर पढ़ जाती है।
वो आगे जाकर तस्वीर देखती है, उस तस्वीर के बारे में वो जीवन से पूछती है, जीवन को ये समझ ही नहीं आता की क्यू वो पूछ रही होती है। उतने में बाहर से उसके पापा आए है, पापा को देखकर वो फिर से बेहोश हो जाती है।
जीवन देखता है की आएशा के मोबाइल पर किसका फोन आ रहा है, वो फोन आकाश का होता है, वो उठता है और उसको यहां बुलाता है, रास्ते पर काफी ट्रेफिक होता है, तो उसे आने में कम से कम आधा घंटा तो लगता है।
आएशा तो बेहोश है, बस आकाश के आने से पहले ही उसको होश आता है, जीवन उसको कुछ पूछ ही रहा होता है की इतने में दरवाजे पर किसकी दस्तक होती है।कौन है वो?
जीवन देखता है तो वो आकाश होता है, जी आएशा को अंदर आते ही उसकी तबियत के बसी में पूछता है।आएशा को जैसे वो वहा से ले जाने वाला होता है, उसके आंखों में उसे कुछ दिख जाता है, पर वो चुप होता है।
जीवन के भी आंखों में उसे कुछ दिखाई देता है पर वो इस वक्त कुछ पूछने की हालत में नहीं होती है। आकाश उसको कार में बिठाकर ले जाता है तो इसका ध्यान सभी वक्त कार के बाहर ही होता है।
आकाश उसको होटल में ले जाता है, जूस पिलाकर वो उसे कुछ खिला भी देता है, आज उसकी आंखो में आकाश को कुछ अलग ही दिखाता है, क्या होता है वो।
आएशा बताती है की कैसे उसे जीवन का घर और वो मंदिर अनजाना नहीं लगता उसे क्यों ऐसा लगता है की वो पहले भी यहां आ चुकी है। और फिर वो तस्वीर और जीवन के पापा का क्या संबंध होता है उनका आएशा के साथ।
क्या ऐसा और मंजिल के करीब थी या अपनी मंज़िल से काफी दूर थी, क्या अतीत से जीवन का भी जीवन बदलानेवाला था, कैसे आकाश उसकी मदद कर पाएगा , जानते है कल के एपिसोड में ,तब तक पढ़ते रहना
" दो चेहरे - प्यार या धोखा।"