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दैनिक_प्रतियोगिता

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डियर दिलरुबा दिनांक -15/9/22 समय-रात-9:15 प्यारी दिलरुबा आज तुम से मिलने आने में थोड़ा समय लग गया,,, क्या करूं अभी भी जल्दी आ गई समय तो मुझे 11:00 बजे के बाद ही मिलता है ख़ैर यह तो रोज़ का रोना है,,,,

हर इंसान अपनी आजिविका को चलाने के लिये नित्य निरन्तर कठोर परिश्रम कर धनोपर्जन करता है | व अपने परिवार के भरण पोषण के लिये हर रोज कुछ ना कुछ करता ही रहता है | ताकि उसका परिवार खुशहाल रहे | किंतु जो इंस

मानवीय पूँजी क्या है? मानव पूंजी शब्द एक कार्यकर्ता के अनुभव और कौशल के आर्थिक मूल्य को दर्शाता है। मानव पूंजी में शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य, और अन्य चीजें जैसे  वफादारी और समय की पा

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जहाँ मिलता है सम्मान सभी को,वह देश हिंदुस्तान है।आदर है जहाँ सभी धर्मों का, वह देश हिंदुस्तान है।।जहाँ मिलता है सम्मान-------------------।।खुद को कहता हूँ खुशनसीब, यहाँ पर जो मैंने जन्म लिया।नहीं मुझक

ईसानियत है सबसे बढ़कर मानवीय पूंजी,इस बात पे शायद सभी होंगे मेरे साथ राज़ी।

देश के निर्माण में बुनियाद होते है अभियंता,तभी तो मजबूत है उनकी समाज में महत्ता।

मानव एक संसाधन है । एक ऐसी पूंजी  जिसके हाथों ने सदियों से इस सृष्टि को अथक रूप से निरंतर गढ़ा है । सृजन से लेकर विनाश तक अनेकों बार सृष्टि के खेल को देखते ,समझते और सहेजते मानव ने आज वो मुकाम हास

Hello friends मानव का व्यवहार ही मानव केआदर्शों को झलकाता है , मानवता का संचालन करने वाला ही , सबसे महान कहलाता है ।सबसे बोलो मीठे बोल और ,मन में रखो अच्छे भाव ,शब्दों के स्वाद को

हमारी मानवीय पूंजी शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य और अनुभव होती है। इसी आधार पर किसी भी संगठन या संस्थान में हमारी सेवाओं के बदले हमारा पारिश्रमिक और भूमिका का निर्धारण होता है। यह मानवीय

कुश(तिनका) को मत समझो छोटा,यही खग नीड़ बनाता है।तरू की डाल पर तिनका,सुंदर खग नीड़ बनाता है।।किसी के सपनों का श्रृंगार ,किसी के जीवन जीवन का घर-बार।किसी के जीवन का मकसद,कुश का महत्व भिन्न-भिन्न सार।।तृ

करें संकल्प हम ऐसा, काम परहित में हम आये।। तोड दें सारे बंधन हम,पार दुष्कर पथ कर जाये।। हाथ से हाथ मिलाकर अब, हमें अति दूर जाना है। ठोकरें खाकर पडे हुए, हमें उनको उठाना है।। फैला जहां राज तम का है,सदा

इंसान को जीवन दिया,भगवन ने कर्म करने वास्ते।कर्म करो तुम कर्म करो,मंजिल तय करने के रास्ते।।इंसान को समझाया भगवन ने,सही गलत तय करने के रास्ते।बुद्धि और विवेक प्रशस्त कर,तू बंदे अपने जीवन के वास्ते।।कर्

मानवीय पूँजी ,तो हैं मनुष्य के संस्कार,उसके आचार,विचार ,उसका व्यवहार ,यही असली पूंजी है जो ,आपसे कोई चुरा न पाता है,यही पूंजी है वास्तविक ,जिसके बल पर ही इंसान,सबके मन में अपना ,एक अच्छा व अटल स्थान ब

आंखे तो सबकी एक जैसी,देखने का अंदाज अलग होता।बातें सबकी होती अलग अलग,कहने का अंदाज अलग होता।।दिलों के एहसास की बातें,धड़कन का अंदाज अलग होता।बातें जुबां पे आती रहती,कहने का अंदाज अलग होता।।इज्ज़त शौक

15/9/2022प्रिय डायरी,                  आज का शीर्षक है मानवीय पूंजी,      मानवीय पूंजी निवेश उसके विचारों का दर्पण होता है। मानव को समा

मानव की पूंजी सद्गुण है,मानव संग सद्व्यवहार करें।बचे काम क्रोध मद लोभ मोह से,मानवता का व्यवहार करें। हर राह मानव के जीवन में,सद्गुण काम सदा आते हैं।बनकर सुमन जीवन उपवन के,खिलते फूल बन महकाते हैं।

मधुर व्यवहार और मीठा बोलना एक कला है...  जो हरेक के पास नहीं होता...  बोलने की कला श्रीराम से सीखो...  जहां रावण ने कड़क जबान से अपने सगे भाई विभीषण को खो दिया...  वहीं श्रीराम ने मीठी जुबान से दुश

ना मै किसी को अपना आदि बनाना चाहती हूँ और ना हीकिसी की बनना चाहती हूं। . जब आप किसी के आदि हो जाते हो और वो आपसे दूर जाता है तो बड़ा दुख होता है । मुझे ज्यादा दुख ना हो किसी के जाने का इसलिए मै ना ही

वही इंसान छोटी-छोटी बातों पर हंसता है ,जो खुद को अंदर से अकेला पाता है ,वह  खुद के दर्द को दुनिया की नजरों से अपनी नकली हंसी के सहारे छुपाता है✍🏻रितिका✳️

एहसान फरामोश मौकापरस्तमतलब परस्त बदतमीजबद दिमाग बेमुरव्वतबेरहम बेहयाबेहिसबा -मुलाइजाबा -अदबरितिका सिंह तसरिफ ला रहीं हैं . . . . .रुकिये - रुकिये ज्यादा मत सोचिए🤔आपलोग सोच रहे हो

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