लोग अपनी-अपनी आस्था के आधार पर अलग-अलग तरीकों से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा-पाठ करने से घर-परिवार में दिव्य वातावरण बना रहता है। साथ ही साधक को अपने आराध्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पूजा के दौरान भगवान को भोग लगाना एक जरूरी प्रकिया है। इस दौरान कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी है।
देवी-देवताओं को भोग लगाते समय इन नियमों का रखें ध्यान।
पूजा-पाठ को भगवान का आभार प्रकट करने का एक जरिया माना जाता है। इस दौरान दीप जलाना, आरती करना और भोग लगाना भी जरूरी माना जाता है। इन सभी कार्यों बिना कोई भी पूजा अधूरी समझी जाती है। देवी-देवताओं को भोग अर्पित करने के बाद उसी भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भोग लगाते समय कौन-सा मंत्र बोलना लाभकारी होता है।
बोले ये मंत्र
शास्त्रों में पूजा-अर्चना से संबंधित कई नियम मिलते हैं। वहीं, भोग के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में यदि आप अपने आराध्य को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करते हैं, तो इससे पूजा का कई गुना लाभ आपको मिल सकता है।
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
इस मंत्र के द्वारा हम भगवान को भोग लगाते समय यह प्रार्थना करते हैं कि वह हमारा भोग स्वीकार करें और हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें।
भोग लगाने के नियम
भोग हमेशा सात्विक और स्वच्छ तरीके से बना हुआ होना चाहिए। वहीं अगर आप देवी-देवताओं को उनका प्रिय भोग अर्पित करते हैं तो इससे अधिक लाभ मिलता है। लगाते समय पात्र का ध्यान रखना भी जरूरी है। भोग के लिए हमेशा सोने, चांदी, तांबे, या पीतल से बने पात्र का चयन करें। इसके अलावा मिट्टी या फिर लकड़ी के पात्र में भी भोग लगाया जा सकता है।
लेकिन भोग लगाने के लिए कभी भी एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील या प्लास्टिक से बने बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भोग लगाने के बाद उसे तुरंत न हटाएं, कुछ देर मंदिर में ही रखा रहने दें। यदि आप इन नियमों की अनदेखी करते हैं तो इससे आपको भोजन चढ़ाने का लाभ नहीं मिलता।