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डायरी के पन्नो में सिमटा घर

7 अगस्त 2023

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सुदीप की डायरी (21 अगस्त 20**)

आज का दिन शुरू से ही मनहूस रहा है. सुबह देर से आँख खुली, रात भर मुन्ने ने सोने जो नहीं दिया था। ऑफिस के

लिए भी लेट हुआ. ब्रेकफ़ास्ट छोड़ कर भी समय से न पहुँच सका और बॉस का अच्छा खासा लेक्चर सुनने को दिया

मिल गया। फिर घंटों जिस जरूरी फ़ाइल को ढूँढने में बर्बाद कर दिए बाद में पता लगा वो कमीना गुप्ता बिना बताये ही मेरी अलमारी से लेकर घर चला गया था।  और चार-चार क्लाइंट्स को अपना अपना दुखड़ा लेकर एक साथ भी आज के दिन ही आना था. उस पर कम्पुटर ने भी अचानक से काम करना बंद कर दिया था. शाम होते होते लगता था सर जैसे फट जायेगा।  ऑफिस बंद होने का टाइम होते ही में भाग कर घर जाकर सकून की दो चार साँस लेना चाहता था। 

पर मेरी यह हसरत भी अधूरी ही रही। घर पर आते ही मीना मुहं फुलाए बैठी मिली, वो भी बिना किसी वाजिब वजह के।  मैं पीना चाहता था आज के दिन(हालाँकि मैं कभी-कभाद ही पीता हूँ ) रेडियो पर गाना चल रहा था , ‘मुझे पीने का शौक नहीं , पीता हूँ गम भुलाने को’। 

उसकी बेतुकी और अनर्गल बातों से मुझे चिडचिडाहट शुरू हो गयी।  इन सब से बचने के लिए मैंने टीवी पर फुटबाल

मैच लगाया तो श्रीमती जी ने चैनल बदलकर अपना पसंदीदा सास बहु का सीरियल लगा डाला।  और फिर वही अंतहीन तकरार शुरू हो गया हम दोनो के बीच , हमेशा की तरह से। 

इतनी पाबंदी , इतना अत्याचार। 

अपनी मर्जी से मैं यहाँ एक सांस भी नहीं ले सकता । 

ये घर है या जेल ?

मीना की डायरी (21 अगस्त 20**)

सुबह-सुबह बड़ी मुश्किल से मुन्ने को सुलाया और ताबड़तोड़ ब्रेकफास्ट बनाया। मैं किचिन में चिल्लाती रही और सुदीप बिना ब्रेकफास्ट खाए ही चला गया। मुन्ने को डाक्टर के पास दिखा कर लाई तो काम वाली बाई इंतजार करके जा चुकी थी। सारा झाड़ू खटका खुद ही करना पड़ा। 

हर रोज की तरह आज भी सांस भर लेने की फुर्सत नहीं थी.वाशिंग मशीन को भी आज ही खराब होना था। सारे

कपडे हाथ से धोने पड़े । कॉल सेंटर के पीछे पड़ कर मैकेनिक को बुलाया वो भी डेढ़ हजार का बिल पकड़ा गया और जरा सा फाल्ट पकड़ने में दो घंटे खराब किये सो अलग। सुदीप की क्या कहूं। आते ही पीने बैठ गया .मेरी बात सुनने की बजे टी वी देखने बैठ गया। मेरी फीलिंग्स का उसे जरा भी ख्याल नहीं। 

दिन भर जानवरों की तरह काम में लगी हूँ।  फिर भी मेरी तरफ कोई भी ध्यान नहीं देता।  किसी से अपने मन की बात भी नहीं कर सकती. किसी को मेरी परवाह ही कहाँ है। 

ये घर है या जेल ?

सुदीप की डायरी (12 जून 20**)

आज ऑफिस से जल्दी घर आने का मौका मिल गया। क्योंकि बॉस शहर से बाहर गया है और कोई ख़ास जरूरी काम भी नहीं था करने को। ये फुर्सत की घड़ी बड़े दिनों के बाद आई है। 

मीना का चेहरा मुझे अचानक ऑफिस से जल्दी घर आने पर खिल उठा।  मुन्ने को तो विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं किसी शाम घर में भी बिता सकता हूँ। अक्सर जब में देर रात घर आता था तो वह मुझे बिस्तर पर ही सोया हुआ मिलता था।  उसने घर पर खेल रहे अपने दोस्तों से कहा,मेरे पापा आ गए'  हैं ,अब तुम लोग भी अपने घर जाओ' । 

मीना की भी कुछ पड़ोसिन उसके घर में महफ़िल ज़माने के इरादे से आई थीं पर उसने उन्हें टाल' दिया। मैं जब तक बाथरूम से फ्रेश होकर निकला मीना ने मेरा मनपसंद मूंग की दाल का हलुआ और लस्सी बना ली थी जिसके स्वाद का मैंने भरपूर आनंद लिया। इसी बीच मुन्ने ने शहर में लगी नुमाइश पर चलने की मांग कर दी। इसके लिए वह तो पिछले एक महीने से ज़िद का रहा था पर मैं ही समय नहीं निकाल पा रहा। आज मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा। नुमाइश में हम सबने खून मस्ती की खास कर ट्रैम्पोलिन के एक स्टाल पर।  मी- ना ने अपनी जरूरत की कुछ छोटीमोटी चीजें खरीद ली और इससे वह काफी खुश लग रही थी। 

ये घर है या स्वर्ग!

मीना की डायरी(12 जून 20**)

आज दिन का काम जल्दी ख़त्म हो गया और बड़े दिनों बाद फुर्सत मिली पड़ोसियों के साथ गप्पे लड़ाने की। सबका अपना अपना वही घिसी पिटी बातों का रोना था पर फिर भी मजा आया। आज का टॉपिक अपने पतियों की बुराई था पर मुझे सुदीप के बारे में एकदम से कुछ भी न सूझा अत: मैंने चुप रहकर ही दूसरों की बातों का आनंद लिया।

मुन्ने के स्कूल से आने से पहले फिर थोड़ा समय मिल गया तो कई कपड़ों में छोटा मोटा सिलाई का काम पूरा किया जो बड़े दिनों से करने की सोच रही थी। थोड़ी देर कमर सीधी करके मैं सोच रही थी कि हमें घर से बाहर बाजार का पिक्चर के लिए हुए कितने दिन हो गए और कितनी ही छोटी मोटी चीजों की खरीदारी भी मैं महीनो से टाल रही हूँ पर

ये अब मुश्किल होता जा रहा था। तभी अचानक सुदीप ने घर जल्दी आकर सरप्राइज दिया। मुन्ना नुमाइश की ज़िद कर बैठा तो मुझे भी राहत मिली और मन की मुराद पूरी हुई। बाहर जाना भी हो खरीदारी का मौका भी मिला।

वहां से लोट कर मैंने सोचा कि सुबह अपने पति की बुराई न करके अच्छा ही किया। छोटी सी हमारी गृहस्थी में बुराई की जगह/फुर्सत है ही कहाँ ?

यही तो हमारा स्वर्ग है यहीं धरती पर।

लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित (से. नि.) की अन्य किताबें

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रचनाएँ
इन्द्रधनुष
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आम लोगों की जिंदगी की तरह तरह के रंग बिखेरती हुयी कहानियाँ जो कभी आपको हँसाएगी , कभी आपकी आँखें नम कर देंगी और कभी सोचने पर मजबूर कर देंगी। भावनाओं की कशमकश , विचारों की उथल पुथल में झूलते पात्रों से मिल कर लगेगा कि उसे आपने जरूर कभी न कभी अपने आस पास ही देखा है ।
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तुम्हारा जीजू

12 जून 2023
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जब तक ये पत्र तुम्हारे हाथ में होगा, मैं अर्पणा और खुशबू को लेकर जा चुका होऊंगा, एक नए शहर में। सच पूछो तो ये ट्रांसफर मैंने जानबूझकर और ज़िद कर के लिया था वर्ना मेरा सबकुछ ठीक चल रहा था ऑफिस में। बल्

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बहरा है क्या

16 जून 2023
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रेलगाड़ी बस प्लेटफॉर्म पर लगने ही वाली थी, इसकी उद्घोषणा तो २ मिनट पहले ही हो चुकी थी। अब कुली और खोमचे वाले प्लेटफॉर्म की तरफ जमावड़ा करने लगे जो इस बात का निश्चित संकेत हैं कि गाड़ी सचमुच ही आने वाली थ

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तमाशबीन

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जब गाड़ी ट्रैफिक लाइट पर रेंग रही थी, आशा ने ताज्जुब से कहा, ‘आज दोपहर में भी इतना ट्रैफिक है इस रोड पर’। ‘सारा शहर ही जब देखो तब कहीं भागता रहता है’, लता ने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा। सुदीप उन

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पोस्टमार्टम

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 नवीन ने नयी कार क्या खरीदी बधाई देने वालों का ताँता सा लग गया। हर कोई आकर उसे नयी कार की बधायी देता ,मिठाई मांगता और फिर लगभग एक जैसे सवालों की झड़ी लगा देता,"कितने की ली? क्या एवरेज देती है? साथ में

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रिश्वत

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‘……. यात्री गण कृपया ध्यान दें ,छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को जानेवाली पुष्कर एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से चालीस मिनट की देरी से चल रही है। आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।’ इस एनाउंसमेंट को सुनकरस

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रिश्तो के खरीदार

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साक्षात्कार के अधिकतर सवाल अब भी रमन  के दिमाग में घूम रहे थे । “हमारे इस प्रोडक्ट को तुम आज कितने लोगों को बेच सकते हो ? तुम्हारे कितने जानने वाले इसे इस्तेमाल करते हैं ?” वो परेशान था, ये सोच कर कि

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भूख

6 जुलाई 2023
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छोटू और लम्बू एक छोटे से गाँव में रहते थे और अक्सर शहर जाकर पैसा कमाने की बातें किया करते थे. एक दिन दोनों ने आपस में सलाह कर शहर जाने का फैसला किया। छोटू ने खूब घी डाल कर १०० लड्डू बनाये तो लम्बू भी

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बरसों की मेहनत

6 जुलाई 2023
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तेजप्रताप से मेरी मुलाकात बारह साल बाद हो रही थी । उसको कुश्ती में एक राज्यस्तरीय सम्मान मिला था और मुझे जिलाधिकारी की हैसियत से उस सम्मान समारोह में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया था। बरसों पहले गॉंव

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दल-बदलू

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“क्या दुविधा है?” राजयोगी ने दूधेश्वर से पूंछा, जो अपने चहरे पर उलझन के भाव लिए हुआ था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपनी बात शुरू करे। वह अपनी बात की भूमिका बनाने का भरसक प्रयास कर रहा था। उ

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वक्त की मार

19 जुलाई 2023
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"तुम ?" राजेश के मुह से अनायास ही उस वक्त निकला जब वह पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ एक भव्य और विशालकाय इमारत में प्रवेश कर रह था , जिसके प्रवेश-द्वार को एक सुरक्षाकर्मी बड़ी नफासत से खोल कर अभिवादन

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ऊपर की कमाई

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बीयर की चुस्कियों के साथ मैं और राजेश अपने मनपसंद रेस्टोरेंट में टाइमपास कर रहे थे क्योंकि हमारी फ्लाइट तीन घंटे देरी से जाने वाली थी। काफी दिनों से मैं ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था जहाँ एक दोस्त क

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सितारा

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पैक-अप होते ही भीड़ का रेला उसकी एक झलक पाने को सारे बंधन तोड़ कर उस तक पहुँचना चाहता था, मगर कार के दक्ष ड्राइवर ने सधे हुए नपे तुले हाथों से एक पल में ही गाड़ी ठीक उसके सामने लगा दी,फिर लपक कर बड़ी न

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ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए

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एक बार एक लोभी व्यक्ति रात में एक गड्ढे में गिर गया।  सुबह हुयी तो वहां जा रहे एक एक युवक राहगीर से उसने निकलने के लिए मदद माँगी।  उसे ऊपर लेने के लिए राहगीर ने अपना हाथ बढ़ाया और बोला , ‘बुजुर्गवार,

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सुल्तान और अंजलि दोनों भाई बहन की मंजिल एक थी - उनका घर। जैसे ही उनके पापा यानी प्रमोद ने उनकी मम्मी यानी सलमा की मौत की खबर दी ,दोनों सकते में आ गए थे । अचानक हुए हार्ट अटैक को पहचानने और डाक्टर के

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मुन्नी का आतंक

30 जुलाई 2023
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 हमारे घर में अगर कोई वीआईपी है तो वो मेरी पत्नी नहीं है।  जी हाँ , आपने ठीक समझा। उसकी भी एक बॉस है जो उसे भी अपनी उँगलियों पर नचाती है।   वो है हमारी काम वाली बाई –मुन्नी।   इस बात का अनुमान तो मु

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बचत

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‘हे भगवान! ये महीने की पहली तारीख हर बार इतनी देर से क्यों आती है’ दामिनी ने फिर सोचा। हर महीने के तीसरे–चौथी हफ्ते में अक्सर यह ख़याल उसके मन में आता था, खास कर जब कोई पैसे खर्च करने वाली बात होती। अख

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एक चोर की दिहाड़ी

7 अगस्त 2023
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सुनील एक शातिर चोर था। चोरों की बिरादरी में उसकी खासी इज्जत थी. वो लोग कहते थे कि अगर सुनील का दिल आ जाये तो वो किसी आदमी की आँखों से काजल भी चुरा लाये और उसे पता भी न चले। टूंडला जंक्शन से मुगलसराय ज

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डायरी के पन्नो में सिमटा घर

7 अगस्त 2023
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सुदीप की डायरी (21 अगस्त 20**) आज का दिन शुरू से ही मनहूस रहा है. सुबह देर से आँख खुली, रात भर मुन्ने ने सोने जो नहीं दिया था। ऑफिस के लिए भी लेट हुआ. ब्रेकफ़ास्ट छोड़ कर भी समय से न पहुँच सका और बॉस

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नाम का सवाल

7 अगस्त 2023
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अजय को एक अदद क्रिकेट बैट की तलाश थी। कल सुबह सात बजे से उसका इंटर कॉलेज टूर्नामेंट में ओपनिंग बैटिंग करनी थी और आज रात को उसका बेट एक एक्सीडेंट में शहीद हो गया था। गनीमत है उसे खुद इसमें कोई चोट नहीं

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जीवन चक्र

7 अगस्त 2023
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अजय ने पान की गुमटी देख कर कार रोकी और अपनी मनपसंद सिगरेट खरीद कर उसके कश लगाने लगा। बेचारे को घर और ऑफिस में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है क्योंकि उसकी बीबी और बॉस दोनों ही उसका सिगरेट पीना पसंद नहीं करते

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बरसों की मेहनत

7 अगस्त 2023
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तेजप्रताप से मेरी मुलाकात बारह साल बाद हो रही थी । उसको कुश्ती में एक राज्यस्तरीय सम्मान मिला था और मुझे जिलाधिकारी की हैसियत से उस सम्मान समारोह में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया था। बरसों पहले गॉ

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खबरों की दुनियां

7 अगस्त 2023
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हमारी टीम ने अपनी मनपसंद जगह चुन कर कैमरा लगा लिया था। इस जगह से वह मंच बिल्कुल साफ दिखता था जहाँ से एक वीईपी को आकर कोरोना के प्रकोप से बेघर हुए मजदूरों को खाना बांटना था। मेरी चैनल के चीफ-एडिटर ने

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भिक्षाम देहि:

7 अगस्त 2023
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“भिक्षाम देहि:”, कहते हुए अजय ने भिक्षा-पात्र संदीप के सामने खटखटाया तो संदीप को उन भिखारियों का ध्यान आया जो रोज ऑफिस जाते समय मेट्रो में इस तरह कटोरे खड़काते हुए घूमते रहते थे। उसने मुस्कुराते हुए

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शादी का लिफाफा

16 सितम्बर 2023
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 अजय की बेटी की शादी में जाने के लिए जब सब तैयार हो रहे थे तो मैंने इस काम के लिए ले जाने वाले एक लिफाफे को निकाला और सोचा इसमें कितनी रकम डालूं। आम तौर पर मेरी पत्नी इस जिम्मेदारी को निभाती थी और इस

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आदत से मजबूर

16 सितम्बर 2023
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विमान में प्रवेश की उद्घोषणा के साथ रमा एक झटके से उठ बैठी और लपक कर लाइन में लग गयी। वहीं सुरेश आराम से अपने लैपटॉप पर काम करता रहा। दोनों दम्पतिअक्सर हवाई जहाज से यात्रा करते थे और हर बार ऐसा ही घटन

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बचपन का भोलापन

16 सितम्बर 2023
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अपने कम्प्यूटर के लिए मैं एक नया रंगीन प्रिंटर लाया था। घर में सबको बुला कर शेखी बघारते हुए बताया," ये बहुत अच्छी तकनीक से बना है और किसी भी चीज को हू-बहू प्रिंट कर देता है।" फिर मैंने सबको आदेश दिया

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बस के इंतजार में

3 अक्टूबर 2023
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'उन्नीस नंबर की फ़्रीक़ुएन्सी क्या है?', उसी आवाज ने दूसरी बार ये सवाल किया था। शायद सवाल मुझसे ही पूंछा जा रहा था।  मैंने काले रंग की उस लम्बी सी कार को घूरना बंद किया जिसका ड्राईवर गुनगुनाते हुए उसे

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निःशब्द

3 अक्टूबर 2023
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रूमी अपने गांव में दादाजी के साथ कुछ दिन के लिए छुट्टी मनाने अमेरिका के एक बड़े संस्थान से मैनेजमेंट की डिग्री लेकर आई थी। ब्रांडिंग के बारे में चर्चा करते हुए उसने दादाजी को मैकडोनल कंपनी का उदाहरण द

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ज्ञान की बात

3 अक्टूबर 2023
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टेलीविजन पर शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का प्रसंग चल रहा था। जीत और हार के लिए जो मानक निर्धारित किए गए थे मुझे उस समय वह बड़े हास्यास्पद लग रहे थे। दोनों के गले में फूलों की एक-एक माला थी

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झूठा इंसान

3 अक्टूबर 2023
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कई साल पहले की बात है , मैं दिल्ली में नौकरी करता था. सर्दियों की एक सुबह स्कूटर पर मैं गाज़ियाबाद से अपने ऑफिस जा रहा था।  रोज की इस दिनचर्या में स्कूटर के साथ दिमाग में विचार भी अपनी गति और दिशा में

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फर्जी अफसर

3 अक्टूबर 2023
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एक बार मेरा भतीजा अपने मित्र का फौज की वर्दी में एक फोटो लेकर आया और बोला कि चाचा यह भी फौज में अफसर बन गया है। मैंने कुछ पल तक उस फोटो को देखा और कहा,"तुम्हारा दोस्त तुमसे कोई मज़ाक कर रहा है, यह आदम

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नयी ट्रक

3 अक्टूबर 2023
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हमारे यूनिट में एक बार एक प्रख्यात कंपनी की दो दर्जन ट्रक ट्रायल की लिए आईं। ये उस समय की देश की आधुनिकतम ट्रक थीं जिसमे‘आटोमेटिकगियर’ लगे थे। इस ट्रायलके आधार पर ही उस कंपनी को फौज से एक बड़ा आर्डर मि

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लौटा बचपन

3 अक्टूबर 2023
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 "खुशबू,मैं नीचे टहलने जा रहा हूँ, तुम भी चलोगी क्या?" मैंने सोफे से उठते हुए पूछा।   इससे पहले कि खुशबू कोई जबाब देती,माया ने उसे आंखें दिखते हुए कहा,“खुशबू को अभी होम-वर्क पूरा करना है,आप जाइये।“ 

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विदेशी मेहमान

3 अक्टूबर 2023
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 जमुनादास की चाय तो कुछ खास नहीं थी पर उसकी छोटी सी दुकान पर जमीं रहने वाली भीड़ शायद उसकी लच्छेदार बातों के दम पर ही जुटा करती थी। हर बात वो इतने विश्वास के साथ कहता था कि मानों उसके आँखों के सामने घ

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सारी दुनिया को बेच डालूँगा

3 अक्टूबर 2023
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 बेचनलाल जी बचपन के मित्र है। तीन साल पहले तक सैकिंड-हैण्डखटारास्कूटर को घसीटते घूमते थे। अब न जाने कैसे उनका कायापलट हो गया है। पांच गाड़ियों और दो फ्लैट के साथ आलीशान आफिस है। बड़ा काम हैऔर नाम भी।

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ये कैसी भीड़ ?

3 अक्टूबर 2023
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 उस दिन से पहले मैं भगवान् से हमेशा मन्नत माँगता था कि मेरे खोमचे पर भी खूब भीड़ हो.  वैसी ही भीड़ जैसी नंदू और राधे के खोमचों पर अक्सर हुआ करती है. इसी भीड़ के दम पर वो लोग अक्सर मेरा मजाक भी उड़ाया करत

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किरायेदार

3 अक्टूबर 2023
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गुप्ताजी का आज का व्यवहार अप्रत्याशित था । पिछले बारह वर्षों से मैं उनका किरायेदार था पर हम दोनों के परिवारों के बीच इतना आना-जाना था कि लोग उन्हें हमारा रिश्तेदार ही समझते थे। घर में कोई उत्सव हो या

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आँख वाले तो देख लेते

3 अक्टूबर 2023
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कई साल पहले की बात है ,मेरे ग्यारह वर्षीय पुत्र ने गिटार सीखने की इच्छा जाहिर की थी। मेरे घर के पास ही एक संस्थान था जहाँ बच्चों को गिटार सीखने का प्रशिक्षण दिया जाता था, अत: मैंने अपने बेटे का दाखिला

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नमूने

3 अक्टूबर 2023
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मेरे एक मित्र के सर पर गिनती के पांच बाल हैं। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं बल्कि बिलकुल सत्य वचन हैं । आप चाहें तो गिन भी सकते हैं। पर मजाल हैं की कोई उनको सामने आकर गंजा कह जाये। वो पहले तो अविश्वास से

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हिसाब किताब

3 अक्टूबर 2023
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घर में कल शाम से ही बबाल मचा हुआ था। शाम को सुधा की शादी में जाना था और लेन देन की डायरी कहीं मिल ही नहीं रही थी। इस डायरी में इस बात का हिसाब किताब रखा जाता था कि किसने हमारे घर में हुए किसी समारोह म

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