छोटू और लम्बू एक छोटे से गाँव में रहते थे और अक्सर शहर जाकर पैसा कमाने की बातें किया करते थे. एक दिन दोनों ने आपस में सलाह कर शहर जाने का फैसला किया। छोटू ने खूब घी डाल कर १०० लड्डू बनाये तो लम्बू भी कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने १०० पेड़े बना डाले।
अपनी अपनी मिठाई को एक एक टोकरी मैं डाल कर दोनों ने अपने अपने सर पर रख लिया और सुबह सुबह चल पड़े शहर के रास्ते पर। रास्ता लम्बा था,थोड़ी देर चल कर दोनों को भूख लग आइ। दोनों ने पहले पहले सोचा ,'क्यों न अपनी मिठाई से कुछ खा लिया जाय'। पर हिम्मत नहीं कर सके अपने ही माल को हाथ लगाने की ,जो ग्राहकों के वास्ते रखा था और जिससे कमाई होनी थी। आखिर धंधा करना और पैसा जो कमाना था।
छोटू की जेब में एक रूपया पड़ा था। पर रास्ते में कोई दुकान नहीं थी। उसे एक तरकीब सूझी। उसने एक रुपया लम्बू को देते हुए कहा , 'एक रूपये के पेड़े देना'। लम्बू ने रुपया जेब में रख कर एक पेढा उसे दे दिया। आखिर उसकी कमाई तो शहर पहुँचने से पहले ही शुरू हो गयी।
थोड़ी देर बाद लम्बू ने सोचा,'जो काम छोटू ने किया वो तो मैं भी कर सकता हूँ। इससे भूख भे कुछ काम को जायेगी।' उसने वही रुपया वापस करते हुए छोटू से एक लड्डू खरीदकर खा लिया।
एक रास्ता दिखाई दे जाने पर आदमी उस पर आंख मीच कर चलने लगता है। छोटू और लम्बू के बीच मिठाई खरीदकर खाने का जो सिलसिला शुरू हुआ असकी भेंट उन दोनों के १०० -१०० लड्डू और पेड़े चढ़ गए।
जब दोपहर को वो दोनों शहर पहुंचे तो दोनों की टोकरी खाली थी।
दोनों तब से इस पहेली का हल निकालने के लिए लड़ रहे है कि कमाई तो सिर्फ एक रूपये की (वो भी एक को ही ) हुई ,पर माल सारा ख़त्म कैसे हो गया और बईमानी किसकी थी ।
छोटू - लम्बू को छोडिये ,क्या हम लोगों के साथ भी कई बार ऐसा नहीं होता? जिन्दगी में कुछ कमाने के लिए थोड़ी सी पूंजी
जुटाते है और बड़ी कमाई के ख्वाब भी देख लेते हैं। पर इससे पहले कि हम पहले ग्राहक के दर्शन कर सके, दूसरों के उकसाने पर और अपनी खुद की भूख को शांत करने के चक्कर में कब अपनी पूंजी लुटा बैठते हैं, इसका पता लगते लगते देर हो जाती है। और भूख का भी कुछ ठिकाना नहीं। न मिले तो थोड़े में गुजरा हो जाता है और मिल जाय तो भूख भी बढ जाती है। शायद इसी लिए पेट को पापी पेट कह कर भी याद किया जाता है।
जिन्दगी में इस बात का फैसला बड़ा अहम् है कि जो कुछ हमें उपलब्ध है उसका कितना हिस्सा हम अपनी भूख मिटने के लिए इस्तेमाल करें और कितना अपने व्यवसाय में लगाये जिससे हमारे आगे आना वाला समय खुशहाल हो सके।