साक्षात्कार के अधिकतर सवाल अब भी रमन के दिमाग में घूम रहे थे । “हमारे इस प्रोडक्ट को तुम आज कितने लोगों को बेच सकते हो ? तुम्हारे कितने जानने वाले इसे इस्तेमाल करते हैं ?”
वो परेशान था, ये सोच कर कि उससे उसकी योग्यता या कार्य क्षेत्र से सम्बंधित प्रश्न तो गिने चुने ही पूछे गए थे। वे
लोग शायद बस ये जानना चाहते थे कि उसके प्रभाव का दायरा कितना बड़ा था और उसमें से उनके उत्पाद के कितने खरीदार हो सकते थे।
उनका बस चलता तो वो उसके फोन की कांटेक्ट लिस्ट और सोशल मीडिया की फॉलोअर की डाटा एनालिसिस कर डालते। या शायद की भी हो? कम्प्यूटर आधारित दुनियां में आजकल कुछ भी हो सकता है ।
पर रमन को अंदर से मालूम था कि सही मानों में जो लोग उसकी बात सुन कर ये उत्पाद खरीद लें ऐसे लोग तो उँगलियों पर गिनने लायक ही थे और उन में से अधिकतर को वह अपनी पिछली कंपनी के उत्पाद बेच भी चुका था। अगर ये काम उसे मिल गया तो उसे नए रिश्ते बनाने होंगे ।
उधर साक्षात्कार लेने वालों की जूरी का अध्यक्ष बोला ,"'लडके का सोशल सर्किल काफी बड़ा लगता है जिसमें हमारे बहुत से ग्राहक हो सकते है। काम का अनुभव भी ठीक ही है। कम से कम 1000 आर्डर तो ला ही देगा इस क्वार्टर में ।ले लेते हैं।" साथ बैठे दोनों अन्य लोगों ने सर हिला दिए।
उधर जिस एजेंट कि मार्फ़त वो यह साक्षात्कार देने गया था ,जब उसे उसकी नियुक्ति का पता लगा तो उसने सोच चलो मेरा कमिशन तो पक्का हो गया ,दोनों तरफ से , बस ये लड़का टिका रहना चाहिए ६ महीने तक।
रिश्तों की इस खरीद फरोख्त से सब खुश थे ।