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रिश्वत

6 जुलाई 2023

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‘……. यात्री गण कृपया ध्यान दें ,छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को जानेवाली पुष्कर एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से चालीस मिनट की देरी से चल रही है। आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।’ इस एनाउंसमेंट को सुनकरसुदीप ने प्लेटफोर्म पर खाली बेंच तलाशना शुरू कर दिया। जल्दी ही एक मोटे सरदारजी अपनी जगह खाली करते उसकी नजर में आये और इससे पहले कि कोई और उस खाली जगह को भर देता सुदीप ने लपक कर उस पर अपना
अधिकार जमा लिया।

प्लेटफोर्म पर हमेशा की तरह आपाधापी और शोर था। पर बाहर के शोर से कहीं ज्यादा सुदीप के दिमाग में आवाजें और हलचल थी। और वो उनमें गुम होता चला गया। एक कनफर्म टिकट पाने के लिए उसने क्या कुछ नहीं किया पिछले दो दिनों में, पर हर जगह से निराशा ही हाथ आयी। अभी ‘करंट रिसर्वेशन’ और कल ‘तत्काल रिसर्वेशन’ के काउन्टर पर कितना इंतज़ार और धक्कामुक्की को सहन करना पड़ा, पर सब बेकार। क्या गुप्ताजी के जानने वाले एजेंट को ८०० रुपये देकर टिकट बनवाना ठीक रहता? पर ८०० रूपये!! अगर ट्रेन में चढने से पहले ही उसके पास मौजूदा कुल रकम ५००० रूपये में से ये ८०० रूपये कम हो जाते तो ३ दिन का ये ट्रिप वो झेल पाता? आगे भी ना जाने और क्या क्या खर्चे होने है ।शायद ट्रेन आने पर उसका भाग्य साथ दे जाये और एक बर्थ का जुगाड़ हो जाये! नहीं तो फिर जनरल डिब्बे में सफर करना होगा जो किसी महाभारत से कम नहीं। और इसके बाद शायद वो इंटरव्यूदेने के काबिल ही ना बचे जिसके लिए वो जा रहा था मुंबई।

८ सालों बाद उसका मुंबई जाना हो रहा था। कितना बदल गया होगा वो बड़ा शहर? क्या यह नौकरी हासिल कर वह इस स्वप्न नगरी में फिर से रह पायेगा? लखनऊ में भी जिंदगी कट रही थी पर मुंबई सा मजा कहाँ! और फिर पिछले ४ महीने की बेराजगारी नें तो उसे लगभग तोड़ ही डाला था। जो थोड़ी से जमापूंजी बचा कर रखी थी वो कितनी जल्दी उड़न छू हो गयी। अब तो घर के जेवर गिरवी रख कर गोल्ड लोन लेने की नौबत आती जा रही थी। ये इंटरवियू एक ‘करो यो मरो’ जैसा मौका था जिसे खोना वो नहीं चाहता था किसी भी कीमत पर। और ये पुष्पक एक्सप्रेस आखिरी ट्रेन थी अगर उसे समय से मुंबई पहुँचना है तो। पर हर ट्रेन में इतनी सारी भीड़ देख कर वो घबरा सा गया था। आखिर इतने सारे लोग क्यूँ और कहाँ भागते रहते है ? क्या इन्हें अपने घरों में आराम नहीं मिलता? किसी भी ढंग की ट्रेन
में हफ्ते –दस दिन पहले भी चाहो तो रिसर्वेशन नहीं मिलता कभी। इन्टरनेट से ऑन-लाइन रिसर्वेशन की सुविधा का फायदा भी पता नहीं किन लोगों को मिल रहा है? उसके हालात तो पहले जैसे ही है। जब भी रिसर्वेशन की जरूरत होती है उसे परेशानी का ही सामना करना होता है। अब आदमी डेढ़ दो महीने पहले से तो हर चीज़ प्लान नहीं कर सकता। अक्सर यात्रा जरूरत के वक्त ही करनी होती है, घूमने और सिर सपाटे के लिए तो कई सालों में ही निकलना हो पाता है। और जरूरत कभी भी पहले से बता कर नहीं आती।

ख्यालों की इसी उधेड़-बुन में वह और भी खोया रहता अगर प्लेटफोर्म पर अचानक हलचल ना बढ जाती। प्लेटफॉर्म पर मौजूद कुली, सामान बेचने वाले और यात्री जो अपनी अपनी दुनिया में मशगूल थे अचानक बेचैन हो गए और पटरियों की तरफ झांकने लगे। लगता है उसने अपने ख्यालों में डूब कर ऐनाउन्समेंट भी अनसुना कर दिया होगा और अब ट्रेन आने ही वाली है।

और अगले दो तीन मिनटों के भीतर आखिर ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लग ही गयी। उसकी बेचैन निगाहों ने तेजी से सारे डिब्बों के हालात का जायजा लिया। ऑफिस के काम के सिलसिले में अक्सर वह ऑडिटर को छोडने इसी ट्रेन पर आया करता था और उसे मालूम था कि लखनऊ कोटा किस किस डिब्बे में और कौन कौन सी बर्थ पर था। उसे ये
भांपते देर ना लगी कि लखनऊ कोटे की सारी सीटें भरी नहीं थी और अगर टीटी चाहे तो एक सीट आराम से मिल सकती है।

अब उसकी नज़र इस डिब्बे के पास काले कोटधारी टीटी को तलाशने में लगी थी। जल्दी ही उसे इस काम में सफलता भी मिल गयी। हाथ में रिसर्वेशन चार्ट लिए दुबले पतले टीटी की भीड़ में झलक पाते ही वो उसकी तरफ लपक लिया। ‘सर, मुंबई के लिए एक बर्थ मिल जायेगी ?’ उसने हांफते हुए टीटी के साथ साथ चलते हुए पूंछा। सूखे हुए गले से शब्द इस तरह निकल रहे थे मानो कोई बकरी मिमिया रही हो। ‘कोई जगह नहीं है’ ,बेरुखी से कहता हुआ वह एक टी-स्टाल के पास खड़ा हो गया।

कुछ दूर पर उसने एक ग्रुप के लोगों को बतियाते सुना, ‘टीटी को देखो और बर्थ का जुगाड़ कर लो’। उसे लगा कि उसकी जगह शायद ये लोग बर्थ जुगाडने में कामयाब हो जायेंगे। पहनावे से तो पैसे वाले और बातचीत से तेज तर्रार लग रहे थे। उसने चट पट ५०० रूपये का एक मुड़ा नोट जो पहले से ही अलग पॉकेट में इस काम के लिए रखा हुआ था निकाल कर हथेली में रख लिया और हाथों को टीटी की तरफ याचना भरे अंदाज में घुमाते हुए बोला, ‘सर,कुछ हो सकता है क्या,जरूरी काम से जाना है’। महात्मा गांधी की फोटो वाले इस छोटे से कागज के जादुई टुकड़े ने अपना चमत्कार आखिर दिखा ही दिया। ‘जाओ बीस नंबर की बर्थ पर चले जाओ’ ,टीटी के चेहरे से बेरुखी अब गायब हो चुकी थी। हरे रंग का नोट सुदीप की जेब से निकल कर टीटी की जेब में अपनी जगह बना चुका था।

बीस नंबर की सीट पर थका हुआ सुदीप घोड़े बेच कर सोया। अगले दिन सुबह शोर सुन कर उसकी आंख खुली। ट्रेन रुकी हुयी थी और कोई स्टेशन भी नहीं था। ‘भ्रष्टाचार मिटाओ’ का बैनर लेकर भीड़ का एक रेला उसे तेजी से एक ओर जाता दिखा। ‘रोज रोज के इस बंद और नारेबाजी से आम आदमी को तो परेशानी ही होती है ,बाकी किसको क्या
मिलता है ,भगवान ही जाने’, अगली सीट पर बैठे बुजुर्ग ने चिड़चिड़ा कर कहा। खिडकी के पास वाली सीट पर बैठे लडके के हाथ में अखबार था जिस पर ‘२० मार्च को जनमोर्चा द्वारा मुंबई बंद – रेल,बस रोकने की तैयारी...’ इतना
सुदीप पढ़ सका।

पास बैठे नोजवान ने रिश्वतखोरी पर बहस का आगाज़ कर दिया जिसमें धीरे धीरे टाइम पास के लिए सब शामिल होने लगे। सुदीप भी ना चाहते हुए उनमें शामिल हो गया। रेलवे में भ्रष्टाचार पर उसने अपनी भड़ास निकली ,शायद इससे उन ५०० रुपयों के बिछडने का गम हल्का होता नज़र आया। रेल फिर चल पडी थी पर मंजिल से अभी दूर थी।

लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित (से. नि.) की अन्य किताबें

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रचनाएँ
इन्द्रधनुष
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आम लोगों की जिंदगी की तरह तरह के रंग बिखेरती हुयी कहानियाँ जो कभी आपको हँसाएगी , कभी आपकी आँखें नम कर देंगी और कभी सोचने पर मजबूर कर देंगी। भावनाओं की कशमकश , विचारों की उथल पुथल में झूलते पात्रों से मिल कर लगेगा कि उसे आपने जरूर कभी न कभी अपने आस पास ही देखा है ।
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तुम्हारा जीजू

12 जून 2023
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जब तक ये पत्र तुम्हारे हाथ में होगा, मैं अर्पणा और खुशबू को लेकर जा चुका होऊंगा, एक नए शहर में। सच पूछो तो ये ट्रांसफर मैंने जानबूझकर और ज़िद कर के लिया था वर्ना मेरा सबकुछ ठीक चल रहा था ऑफिस में। बल्

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बहरा है क्या

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रेलगाड़ी बस प्लेटफॉर्म पर लगने ही वाली थी, इसकी उद्घोषणा तो २ मिनट पहले ही हो चुकी थी। अब कुली और खोमचे वाले प्लेटफॉर्म की तरफ जमावड़ा करने लगे जो इस बात का निश्चित संकेत हैं कि गाड़ी सचमुच ही आने वाली थ

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तमाशबीन

27 जून 2023
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जब गाड़ी ट्रैफिक लाइट पर रेंग रही थी, आशा ने ताज्जुब से कहा, ‘आज दोपहर में भी इतना ट्रैफिक है इस रोड पर’। ‘सारा शहर ही जब देखो तब कहीं भागता रहता है’, लता ने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा। सुदीप उन

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पोस्टमार्टम

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 नवीन ने नयी कार क्या खरीदी बधाई देने वालों का ताँता सा लग गया। हर कोई आकर उसे नयी कार की बधायी देता ,मिठाई मांगता और फिर लगभग एक जैसे सवालों की झड़ी लगा देता,"कितने की ली? क्या एवरेज देती है? साथ में

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रिश्वत

6 जुलाई 2023
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रिश्तो के खरीदार

6 जुलाई 2023
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साक्षात्कार के अधिकतर सवाल अब भी रमन  के दिमाग में घूम रहे थे । “हमारे इस प्रोडक्ट को तुम आज कितने लोगों को बेच सकते हो ? तुम्हारे कितने जानने वाले इसे इस्तेमाल करते हैं ?” वो परेशान था, ये सोच कर कि

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भूख

6 जुलाई 2023
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छोटू और लम्बू एक छोटे से गाँव में रहते थे और अक्सर शहर जाकर पैसा कमाने की बातें किया करते थे. एक दिन दोनों ने आपस में सलाह कर शहर जाने का फैसला किया। छोटू ने खूब घी डाल कर १०० लड्डू बनाये तो लम्बू भी

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बरसों की मेहनत

6 जुलाई 2023
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तेजप्रताप से मेरी मुलाकात बारह साल बाद हो रही थी । उसको कुश्ती में एक राज्यस्तरीय सम्मान मिला था और मुझे जिलाधिकारी की हैसियत से उस सम्मान समारोह में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया था। बरसों पहले गॉंव

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दल-बदलू

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“क्या दुविधा है?” राजयोगी ने दूधेश्वर से पूंछा, जो अपने चहरे पर उलझन के भाव लिए हुआ था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपनी बात शुरू करे। वह अपनी बात की भूमिका बनाने का भरसक प्रयास कर रहा था। उ

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वक्त की मार

19 जुलाई 2023
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"तुम ?" राजेश के मुह से अनायास ही उस वक्त निकला जब वह पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ एक भव्य और विशालकाय इमारत में प्रवेश कर रह था , जिसके प्रवेश-द्वार को एक सुरक्षाकर्मी बड़ी नफासत से खोल कर अभिवादन

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ऊपर की कमाई

19 जुलाई 2023
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बीयर की चुस्कियों के साथ मैं और राजेश अपने मनपसंद रेस्टोरेंट में टाइमपास कर रहे थे क्योंकि हमारी फ्लाइट तीन घंटे देरी से जाने वाली थी। काफी दिनों से मैं ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था जहाँ एक दोस्त क

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सितारा

19 जुलाई 2023
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पैक-अप होते ही भीड़ का रेला उसकी एक झलक पाने को सारे बंधन तोड़ कर उस तक पहुँचना चाहता था, मगर कार के दक्ष ड्राइवर ने सधे हुए नपे तुले हाथों से एक पल में ही गाड़ी ठीक उसके सामने लगा दी,फिर लपक कर बड़ी न

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ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए

19 जुलाई 2023
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एक बार एक लोभी व्यक्ति रात में एक गड्ढे में गिर गया।  सुबह हुयी तो वहां जा रहे एक एक युवक राहगीर से उसने निकलने के लिए मदद माँगी।  उसे ऊपर लेने के लिए राहगीर ने अपना हाथ बढ़ाया और बोला , ‘बुजुर्गवार,

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समाज सेवा

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सुल्तान और अंजलि दोनों भाई बहन की मंजिल एक थी - उनका घर। जैसे ही उनके पापा यानी प्रमोद ने उनकी मम्मी यानी सलमा की मौत की खबर दी ,दोनों सकते में आ गए थे । अचानक हुए हार्ट अटैक को पहचानने और डाक्टर के

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मुन्नी का आतंक

30 जुलाई 2023
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 हमारे घर में अगर कोई वीआईपी है तो वो मेरी पत्नी नहीं है।  जी हाँ , आपने ठीक समझा। उसकी भी एक बॉस है जो उसे भी अपनी उँगलियों पर नचाती है।   वो है हमारी काम वाली बाई –मुन्नी।   इस बात का अनुमान तो मु

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बचत

30 जुलाई 2023
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‘हे भगवान! ये महीने की पहली तारीख हर बार इतनी देर से क्यों आती है’ दामिनी ने फिर सोचा। हर महीने के तीसरे–चौथी हफ्ते में अक्सर यह ख़याल उसके मन में आता था, खास कर जब कोई पैसे खर्च करने वाली बात होती। अख

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एक चोर की दिहाड़ी

7 अगस्त 2023
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सुनील एक शातिर चोर था। चोरों की बिरादरी में उसकी खासी इज्जत थी. वो लोग कहते थे कि अगर सुनील का दिल आ जाये तो वो किसी आदमी की आँखों से काजल भी चुरा लाये और उसे पता भी न चले। टूंडला जंक्शन से मुगलसराय ज

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डायरी के पन्नो में सिमटा घर

7 अगस्त 2023
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सुदीप की डायरी (21 अगस्त 20**) आज का दिन शुरू से ही मनहूस रहा है. सुबह देर से आँख खुली, रात भर मुन्ने ने सोने जो नहीं दिया था। ऑफिस के लिए भी लेट हुआ. ब्रेकफ़ास्ट छोड़ कर भी समय से न पहुँच सका और बॉस

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नाम का सवाल

7 अगस्त 2023
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अजय को एक अदद क्रिकेट बैट की तलाश थी। कल सुबह सात बजे से उसका इंटर कॉलेज टूर्नामेंट में ओपनिंग बैटिंग करनी थी और आज रात को उसका बेट एक एक्सीडेंट में शहीद हो गया था। गनीमत है उसे खुद इसमें कोई चोट नहीं

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जीवन चक्र

7 अगस्त 2023
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अजय ने पान की गुमटी देख कर कार रोकी और अपनी मनपसंद सिगरेट खरीद कर उसके कश लगाने लगा। बेचारे को घर और ऑफिस में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है क्योंकि उसकी बीबी और बॉस दोनों ही उसका सिगरेट पीना पसंद नहीं करते

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बरसों की मेहनत

7 अगस्त 2023
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तेजप्रताप से मेरी मुलाकात बारह साल बाद हो रही थी । उसको कुश्ती में एक राज्यस्तरीय सम्मान मिला था और मुझे जिलाधिकारी की हैसियत से उस सम्मान समारोह में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया था। बरसों पहले गॉ

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खबरों की दुनियां

7 अगस्त 2023
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हमारी टीम ने अपनी मनपसंद जगह चुन कर कैमरा लगा लिया था। इस जगह से वह मंच बिल्कुल साफ दिखता था जहाँ से एक वीईपी को आकर कोरोना के प्रकोप से बेघर हुए मजदूरों को खाना बांटना था। मेरी चैनल के चीफ-एडिटर ने

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भिक्षाम देहि:

7 अगस्त 2023
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“भिक्षाम देहि:”, कहते हुए अजय ने भिक्षा-पात्र संदीप के सामने खटखटाया तो संदीप को उन भिखारियों का ध्यान आया जो रोज ऑफिस जाते समय मेट्रो में इस तरह कटोरे खड़काते हुए घूमते रहते थे। उसने मुस्कुराते हुए

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शादी का लिफाफा

16 सितम्बर 2023
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 अजय की बेटी की शादी में जाने के लिए जब सब तैयार हो रहे थे तो मैंने इस काम के लिए ले जाने वाले एक लिफाफे को निकाला और सोचा इसमें कितनी रकम डालूं। आम तौर पर मेरी पत्नी इस जिम्मेदारी को निभाती थी और इस

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आदत से मजबूर

16 सितम्बर 2023
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विमान में प्रवेश की उद्घोषणा के साथ रमा एक झटके से उठ बैठी और लपक कर लाइन में लग गयी। वहीं सुरेश आराम से अपने लैपटॉप पर काम करता रहा। दोनों दम्पतिअक्सर हवाई जहाज से यात्रा करते थे और हर बार ऐसा ही घटन

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बचपन का भोलापन

16 सितम्बर 2023
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अपने कम्प्यूटर के लिए मैं एक नया रंगीन प्रिंटर लाया था। घर में सबको बुला कर शेखी बघारते हुए बताया," ये बहुत अच्छी तकनीक से बना है और किसी भी चीज को हू-बहू प्रिंट कर देता है।" फिर मैंने सबको आदेश दिया

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बस के इंतजार में

3 अक्टूबर 2023
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'उन्नीस नंबर की फ़्रीक़ुएन्सी क्या है?', उसी आवाज ने दूसरी बार ये सवाल किया था। शायद सवाल मुझसे ही पूंछा जा रहा था।  मैंने काले रंग की उस लम्बी सी कार को घूरना बंद किया जिसका ड्राईवर गुनगुनाते हुए उसे

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निःशब्द

3 अक्टूबर 2023
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रूमी अपने गांव में दादाजी के साथ कुछ दिन के लिए छुट्टी मनाने अमेरिका के एक बड़े संस्थान से मैनेजमेंट की डिग्री लेकर आई थी। ब्रांडिंग के बारे में चर्चा करते हुए उसने दादाजी को मैकडोनल कंपनी का उदाहरण द

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ज्ञान की बात

3 अक्टूबर 2023
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टेलीविजन पर शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का प्रसंग चल रहा था। जीत और हार के लिए जो मानक निर्धारित किए गए थे मुझे उस समय वह बड़े हास्यास्पद लग रहे थे। दोनों के गले में फूलों की एक-एक माला थी

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झूठा इंसान

3 अक्टूबर 2023
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कई साल पहले की बात है , मैं दिल्ली में नौकरी करता था. सर्दियों की एक सुबह स्कूटर पर मैं गाज़ियाबाद से अपने ऑफिस जा रहा था।  रोज की इस दिनचर्या में स्कूटर के साथ दिमाग में विचार भी अपनी गति और दिशा में

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फर्जी अफसर

3 अक्टूबर 2023
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एक बार मेरा भतीजा अपने मित्र का फौज की वर्दी में एक फोटो लेकर आया और बोला कि चाचा यह भी फौज में अफसर बन गया है। मैंने कुछ पल तक उस फोटो को देखा और कहा,"तुम्हारा दोस्त तुमसे कोई मज़ाक कर रहा है, यह आदम

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नयी ट्रक

3 अक्टूबर 2023
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हमारे यूनिट में एक बार एक प्रख्यात कंपनी की दो दर्जन ट्रक ट्रायल की लिए आईं। ये उस समय की देश की आधुनिकतम ट्रक थीं जिसमे‘आटोमेटिकगियर’ लगे थे। इस ट्रायलके आधार पर ही उस कंपनी को फौज से एक बड़ा आर्डर मि

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लौटा बचपन

3 अक्टूबर 2023
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 "खुशबू,मैं नीचे टहलने जा रहा हूँ, तुम भी चलोगी क्या?" मैंने सोफे से उठते हुए पूछा।   इससे पहले कि खुशबू कोई जबाब देती,माया ने उसे आंखें दिखते हुए कहा,“खुशबू को अभी होम-वर्क पूरा करना है,आप जाइये।“ 

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विदेशी मेहमान

3 अक्टूबर 2023
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 जमुनादास की चाय तो कुछ खास नहीं थी पर उसकी छोटी सी दुकान पर जमीं रहने वाली भीड़ शायद उसकी लच्छेदार बातों के दम पर ही जुटा करती थी। हर बात वो इतने विश्वास के साथ कहता था कि मानों उसके आँखों के सामने घ

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सारी दुनिया को बेच डालूँगा

3 अक्टूबर 2023
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 बेचनलाल जी बचपन के मित्र है। तीन साल पहले तक सैकिंड-हैण्डखटारास्कूटर को घसीटते घूमते थे। अब न जाने कैसे उनका कायापलट हो गया है। पांच गाड़ियों और दो फ्लैट के साथ आलीशान आफिस है। बड़ा काम हैऔर नाम भी।

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ये कैसी भीड़ ?

3 अक्टूबर 2023
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 उस दिन से पहले मैं भगवान् से हमेशा मन्नत माँगता था कि मेरे खोमचे पर भी खूब भीड़ हो.  वैसी ही भीड़ जैसी नंदू और राधे के खोमचों पर अक्सर हुआ करती है. इसी भीड़ के दम पर वो लोग अक्सर मेरा मजाक भी उड़ाया करत

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किरायेदार

3 अक्टूबर 2023
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गुप्ताजी का आज का व्यवहार अप्रत्याशित था । पिछले बारह वर्षों से मैं उनका किरायेदार था पर हम दोनों के परिवारों के बीच इतना आना-जाना था कि लोग उन्हें हमारा रिश्तेदार ही समझते थे। घर में कोई उत्सव हो या

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आँख वाले तो देख लेते

3 अक्टूबर 2023
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कई साल पहले की बात है ,मेरे ग्यारह वर्षीय पुत्र ने गिटार सीखने की इच्छा जाहिर की थी। मेरे घर के पास ही एक संस्थान था जहाँ बच्चों को गिटार सीखने का प्रशिक्षण दिया जाता था, अत: मैंने अपने बेटे का दाखिला

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नमूने

3 अक्टूबर 2023
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मेरे एक मित्र के सर पर गिनती के पांच बाल हैं। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं बल्कि बिलकुल सत्य वचन हैं । आप चाहें तो गिन भी सकते हैं। पर मजाल हैं की कोई उनको सामने आकर गंजा कह जाये। वो पहले तो अविश्वास से

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हिसाब किताब

3 अक्टूबर 2023
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घर में कल शाम से ही बबाल मचा हुआ था। शाम को सुधा की शादी में जाना था और लेन देन की डायरी कहीं मिल ही नहीं रही थी। इस डायरी में इस बात का हिसाब किताब रखा जाता था कि किसने हमारे घर में हुए किसी समारोह म

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