shabd-logo

दल-बदलू

19 जुलाई 2023

11 बार देखा गया 11

“क्या दुविधा है?”

राजयोगी ने दूधेश्वर से पूंछा, जो अपने चहरे पर उलझन के भाव लिए हुआ था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपनी बात शुरू करे। वह अपनी बात की भूमिका बनाने का भरसक प्रयास कर रहा था। उसका पूरा नाम दूधेश्वर प्रसाद पुंडीर था पर अपने लोगों के बीच में वह डीपी के नाम से जाना जाता था। उसके पूर्वज सौ साल पहले जम्बूरा

देश में भारत से आये थे और वहां चावल की खेती करने लगे थे। जम्बूरा अशांत सागर में एक छोटा सा द्वीप था जो पहले अंग्रेजी उपनिषदवाद का एक हिस्सा था और भारत को आजादी मिलने के दस साल बाद उसे भी स्वतंत्रता मिली थी। यहाँ स्थानीय लोगों के अलावा एक बड़ा तबका भारतीय प्रवासियों का था।

दूधेश्वर के पिता ने अपनी जमीन बेच कर चावल निर्यात करने का व्यवसाय अपना लिया था और खूब पैसा कमाया था। दूधेश्वर को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी और राजयोगी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसने राजनीति को अपना लिया था। वहां राष्ट्रीय स्तर की दो ही पार्टियां थी - टोया और बोया । स्थानीय भाषा में टोया का अर्थ होता है 'बंद'। यह एक रूढ़ीवादी पार्टी थी जो अक्सर संस्कारों की दुहाई देती थी। दूधेश्वर और राजयोगी इसी पार्टी में थे । दूसरी तरफ बोया एक उदारवादी पार्टी थी जिसमें बुद्धिजीवी और समाजसुधारकों का वर्चस्व था। लम्बे समय से टोया पार्टी वहां शासन करती आयी थी पर इस बार स्थिति कुछ अलग थी। इस बार दोनों पार्टियों को बराबर सीट मिली थीं और सरकार बनाने की कयावद दोनों तरफ से तेज थी।

बोया पार्टी के सचिव दूधेश्वर के पास मंत्री पद का प्रस्ताव लेकर आये थे, अगर वह उनकी पार्टी में आ जाता तो। दूधेश्वर के लिए ये एक लुभावना प्रस्ताव था। उसकी पार्टी में उसके काम की सराहना तो होती थी पर उसे एक सांसद से अधिक कोई पद या जिम्मेदारी अभी तक नहीं मिली थी। वह इसका कारण अपना चापलूसी स्वभाव का न होने को मानता था। पर मंत्री पद हमेशा से उसकी ख्वाहिश रही थी और आज इसका अवसर उसके सामने आ गया था । पर क्या वह अपनी ही पार्टी से गद्दारी करके इसकी कीमत अदा कर सकता था? यही दुविधा उसके दिमाग को मथ रही थी और इसके निवारण के लिए वह अपने गुरु राजयोगी जी के पास आया था।

दूधेश्वर अपनी उधेड़बुन में व्यस्त था और राजयोगी उसके कुछ भी उत्तर न दे सकने के बाद भी उसकी उलझन समझ चुके थे। वो राजनीती के कुशल खिलाडी थे और जम्बूरा के हालातों पर उनकी पकड़ बहुत अच्छी थी। 'बड़ा फैसला लेने से डर रहे हो?' राजयोगी ने मुस्कुराते हुए पूंछा ।

'आपने तो मेरा मन पढ़ ही लिया है, फिर भी आप पूंछ रहे हैं तो बताता हूँ कि बोया पार्टी से दल-बदल के एवज में मंत्री पद का प्रस्ताव आया है जिसपर मैं फैसला नहीं ले पा रहा हूँ।”, दूधेश्वर ने झिझकते हुए कहा।

राजयोगी एक गुरु की तरह समझते हुए बोले, 'देखो तुम्हारे सामने बस दो ही विकल्प हैं -या तो उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लो या अस्वीकार कर दो । चलो एक-एक करके इन दोनों विकल्पों पर विचार करते है।”

' अगर तुम यथा स्थिति बनाये रखते हुए उनका प्रस्ताव अस्वीकृत कर देते हो तो ये एक सुरक्षित विकल्प होगा। चाहे जो भी पार्टी सत्ता में आये , तुम्हारी स्थिति नहीं बदलेगी , बल्कि अपनी पार्टी में तुम्हारा सम्मान बढ़ेगा ही। पर तुम्हारे मन में ये कसक हमेशा बनी रहेगी कि तुमने एक अच्छे अवसर का लाभ नहीं उठाया। अगर बोया पार्टी सत्ता में आ जाती है तो शायद तुम्हें पछतावा भी हो।

' लेकिन अगर तुम उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते हो तो तुम मंत्री पद के बेहद करीब होंगे जो तुम्हारी मनोकामना है ।'

'पर क्या ये अपनी पार्टी के विश्वासघात नहीं होगा?', दूधेश्वर ने संदेहपूर्ण दृष्टि से पूछा।

'क्या तुमने जीवन पर्यन्त इस पार्टी से बंधे रहने का कोई प्रण किया है?'

'नहीं तो।'

' फिर इस कठिन फैसले पर शांत मन से विचार करने का प्रयास करो। तुम्हारी दुविधा मैं समझता हूँ पर तुम अकेले नहीं हो जो इस तरह की स्थिति से गुजर रहे हो। हर लड़की जिसकी शादी हो रही होती है ,उसे इस तरह की दुविधा से गुजरना ही होता है। जिस घर-परिवार में वह पली-बड़ी होती है वह एक नए बंधन की घटना में एकदम से पराया हो जाता है। यह जरूरी नहीं कि नया रिश्ता पहले से बेहतर ही साबित हो ,पर यह जोखिम उसे लेना ही होता है। कुछ इस तरह की स्थिति एक कर्मचारी की होती है जिसके पास किसी नयी नौकरी का प्रस्ताव आता है।'

'आपकी बात तो ठीक है, पर मैं अपराध बोध से मुक्त नहीं हो पा रहा हूँ।”, दूधेश्वर ने गंभीरता से कहा।

इस पर राजयोगी कुछ सोचते हुए बोले, मैं तुम्हें एक यूनानी राजा ईडिपस की कहानी सुनाता हूँ ,जिससे तुम्हें अपनी इस स्थिति से उबरने में मदद मिलेगी।'

'जी, गुरूजी'

'हज़ारों साल पहले यूनान में एक राजा था जिसकी संतान के पैदा होने पर ज्योतिषियों ने बताया कि यह बालक बड़ा होकर अपनी ही माँ क़े साथ सम्भोग करेगा। घबराकर राजा ने अपने सेवक को आदेश दिया कि बालक को जंगल में ले जाकर उसकी हत्या कर दी जाय। पर सेवक से यह दुष्कर्म न हुआ और उसने बालक को जंगल में ले जाकर छोड़ दिया जो किसी तरह से जीवित बच गया।

कई वर्ष बीत जाने पर उस राजा की मृत्यु हो गयी । क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी अत: ज्योतिषियों ने एक शुभ मुहूर्त में एक विशेष दिशा से उस राज्य की सीमा में आने वाले व्यक्ति को राज्य का नया राजा बनाने का फरमान दिया जो उस समय की परम्पराओं कि अनुरूप था। पर विधि का विधान देखिये कि यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि उस राजा का अपना ही वह बेटा था जिसकी उसने अपनी तरफ से हत्या कर दी थी। उसे उस राज्य का राजा बनाया गया और उस समय की परम्पराओं के अनुसार पहले राजा (यानी अपने पिता) की रानी पत्नी के रूप में उपहार में मिली । अब वह अनजाने में अपनी ही माँ के साथ पत्नी जैसा व्यवहार करता रहा। पर एक दिन जब वास्तविकता उसके सामने आयी तो वह आत्मग्लानि से भर गया।

इस कथा की पृष्ठभूमि में मनोचिकित्सक आज भी एक पुत्र के अपनी माँ के प्रति (या एक पुत्री के अपने पिता के प्रति) स्वाभाविक आकर्षण को ‘ईडिपस-ग्रंथि’ का नाम देते हैं। जब भी हम अपने या समाज के बनाये हुए अ-लिखित नियम भंग करते हैं तो हमें इसके दंश से गुजरना होता है, क्योंकि जानवरों की तरह हम उन्मुक्त जीवन नहीं जीते बल्कि सामाजिक और अनुशासित जीवन जीने का प्रयास करते है। आदम और हव्वा की वर्जित फल खाने की कथा को भी इस सन्दर्भ में जोड़ कर देखा जा सकता हैं।”

'पर अगर नियम भंग ही न किये जायँ तो क्या स्थिति बेहतर नहीं होगी?', दूधेश्वर ने प्रश्न किया।

'नियम तो समय और परिस्थिति के अनुसार बनते और बिगड़ते रहते है। ‘सिग्मंड फ्रायड’ को आधुनिक मनोविज्ञान का पितामह कहा जाता है। उसके अनुसार मनुष्य ने पाशविक जीवन से ऊपर उठाने के लिए दो मूल नियम बनाये –‘पहला कि कोई भी अपनी माँ के साथ सम्भोग नहीं करेगा और दूसरा वह अपने ही पिता की हत्या नहीं करेगा।‘ इन नियमों पर ही हमारी संस्कृति की बुनियाद रखी है। पर नियम अपने आप में कोई स्थिर या अचल तत्व नहीं हैं। नियमों कि खूबसूरती ही इस बात से हैं कि रचनात्मक लोग उनपर प्रयोग करके उनमें निरंतर सुधार करते रहते हैं।'

दूधेश्वर का मन अब तक काफी शांत हो गया था।

राजयोगी अपनी बातें आगे बढ़ाते हुए बोले,' अब हम इस बात का विश्लेषण करते हैं कि वर्तमान समय में सत्ता परिवर्तन इस देश के हित में हैं या नहीं?”

“इस देश ने पिछले कई दशकों से टोया पार्टी का मर्यादित और अनुशासित शासन देखा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्पन्न अस्थिर हालातों में यह एक वांछित चुनाव था। पर अब हमारा देश संपन्न और आत्मनिर्भर हो आया है और वर्षों के शासन के बाद टोया पार्टी रूढ़िवादी होती जा रही है। इस समय देश को एक प्रगतिवादी और आधुनिक सोच की जरूरत है जिससे हम विश्व में एक सम्मानजनक स्थान पा सकें।”

'गुरूजी, चुनाव प्रचार के दौरान जनता से परिवर्तन की मांग की तीव्र आंधी को तो मैंने भी अनुभव किया था।”, दूधेश्वर बोला।

'जब तुम सब-कुछ समझ ही चुके हो तो देश में हो रही एक महा-घटना का कारण बनो वरना कोई और बाजी मार कर भी ले जा सकता है।' ,उन्होंने कहा।

राजयोगी के समझने से दूधेश्वर के मन से संशय के बादल पूरी तरह हट गए थे। फैसला करने में जरा भी परेशानी नहीं हुयी। अपने फैसले से बोया पार्टी के सचिव को अवगत करने के लिए उसने अपना फोन उठाया ही था कि राजयोगी ने मुस्कुराते हुए उसे रोक लिया और कहा, 'अपने गुरु को साथ नहीं ले जाना चाहोगे, बालक?' 

दूधेश्वर चौंक पड़ा। कुछ पलों बाद उसके दिमाग में एक बिजली चमकी और वह भी मुस्कुरा उठा।

बोया पार्टी के सचिव को फोन मिला कर उसने कहा, 'सरजी, मेरे साथ हमारी पार्टी के एक वरिष्ठ मंत्री भी आपकी पार्टी में आना चाहते हैं।

क्या आप उन्हें उप-प्रधानमंत्री का पद दे सकते हैं ?'

'मैं आपको अन्य लोगों से सलाह कर बताता हूँ।', उधर से उत्तर दिया गया।

आधे घंटे बाद उनकी तरफ से इसकी स्वीकृति दे दी गयी।

स्वीकृति मिलते ही दूधेश्वर और राजयोगी एक ही गाड़ी में बोया पार्टी के दफ्तर को रवाना हो पड़े । गाड़ी में गाना चल रहा था, 'दिल भी

साला पार्टी बदले,

कैसा जमाना ,

………………………………

……………………………….

आती है क्या खंडाला ?


लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित (से. नि.) की अन्य किताबें

40
रचनाएँ
इन्द्रधनुष
0.0
आम लोगों की जिंदगी की तरह तरह के रंग बिखेरती हुयी कहानियाँ जो कभी आपको हँसाएगी , कभी आपकी आँखें नम कर देंगी और कभी सोचने पर मजबूर कर देंगी। भावनाओं की कशमकश , विचारों की उथल पुथल में झूलते पात्रों से मिल कर लगेगा कि उसे आपने जरूर कभी न कभी अपने आस पास ही देखा है ।
1

तुम्हारा जीजू

12 जून 2023
7
4
1

जब तक ये पत्र तुम्हारे हाथ में होगा, मैं अर्पणा और खुशबू को लेकर जा चुका होऊंगा, एक नए शहर में। सच पूछो तो ये ट्रांसफर मैंने जानबूझकर और ज़िद कर के लिया था वर्ना मेरा सबकुछ ठीक चल रहा था ऑफिस में। बल्

2

बहरा है क्या

16 जून 2023
5
3
0

रेलगाड़ी बस प्लेटफॉर्म पर लगने ही वाली थी, इसकी उद्घोषणा तो २ मिनट पहले ही हो चुकी थी। अब कुली और खोमचे वाले प्लेटफॉर्म की तरफ जमावड़ा करने लगे जो इस बात का निश्चित संकेत हैं कि गाड़ी सचमुच ही आने वाली थ

3

तमाशबीन

27 जून 2023
3
2
0

जब गाड़ी ट्रैफिक लाइट पर रेंग रही थी, आशा ने ताज्जुब से कहा, ‘आज दोपहर में भी इतना ट्रैफिक है इस रोड पर’। ‘सारा शहर ही जब देखो तब कहीं भागता रहता है’, लता ने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा। सुदीप उन

4

पोस्टमार्टम

27 जून 2023
3
1
0

 नवीन ने नयी कार क्या खरीदी बधाई देने वालों का ताँता सा लग गया। हर कोई आकर उसे नयी कार की बधायी देता ,मिठाई मांगता और फिर लगभग एक जैसे सवालों की झड़ी लगा देता,"कितने की ली? क्या एवरेज देती है? साथ में

5

रिश्वत

6 जुलाई 2023
3
2
0

‘……. यात्री गण कृपया ध्यान दें ,छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को जानेवाली पुष्कर एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से चालीस मिनट की देरी से चल रही है। आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।’ इस एनाउंसमेंट को सुनकरस

6

रिश्तो के खरीदार

6 जुलाई 2023
4
1
0

साक्षात्कार के अधिकतर सवाल अब भी रमन  के दिमाग में घूम रहे थे । “हमारे इस प्रोडक्ट को तुम आज कितने लोगों को बेच सकते हो ? तुम्हारे कितने जानने वाले इसे इस्तेमाल करते हैं ?” वो परेशान था, ये सोच कर कि

7

भूख

6 जुलाई 2023
3
2
0

छोटू और लम्बू एक छोटे से गाँव में रहते थे और अक्सर शहर जाकर पैसा कमाने की बातें किया करते थे. एक दिन दोनों ने आपस में सलाह कर शहर जाने का फैसला किया। छोटू ने खूब घी डाल कर १०० लड्डू बनाये तो लम्बू भी

8

बरसों की मेहनत

6 जुलाई 2023
2
0
0

तेजप्रताप से मेरी मुलाकात बारह साल बाद हो रही थी । उसको कुश्ती में एक राज्यस्तरीय सम्मान मिला था और मुझे जिलाधिकारी की हैसियत से उस सम्मान समारोह में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया था। बरसों पहले गॉंव

9

दल-बदलू

19 जुलाई 2023
2
2
0

“क्या दुविधा है?” राजयोगी ने दूधेश्वर से पूंछा, जो अपने चहरे पर उलझन के भाव लिए हुआ था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपनी बात शुरू करे। वह अपनी बात की भूमिका बनाने का भरसक प्रयास कर रहा था। उ

10

वक्त की मार

19 जुलाई 2023
2
0
0

"तुम ?" राजेश के मुह से अनायास ही उस वक्त निकला जब वह पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ एक भव्य और विशालकाय इमारत में प्रवेश कर रह था , जिसके प्रवेश-द्वार को एक सुरक्षाकर्मी बड़ी नफासत से खोल कर अभिवादन

11

ऊपर की कमाई

19 जुलाई 2023
2
0
0

बीयर की चुस्कियों के साथ मैं और राजेश अपने मनपसंद रेस्टोरेंट में टाइमपास कर रहे थे क्योंकि हमारी फ्लाइट तीन घंटे देरी से जाने वाली थी। काफी दिनों से मैं ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था जहाँ एक दोस्त क

12

सितारा

19 जुलाई 2023
2
2
0

पैक-अप होते ही भीड़ का रेला उसकी एक झलक पाने को सारे बंधन तोड़ कर उस तक पहुँचना चाहता था, मगर कार के दक्ष ड्राइवर ने सधे हुए नपे तुले हाथों से एक पल में ही गाड़ी ठीक उसके सामने लगा दी,फिर लपक कर बड़ी न

13

ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए

19 जुलाई 2023
2
0
0

एक बार एक लोभी व्यक्ति रात में एक गड्ढे में गिर गया।  सुबह हुयी तो वहां जा रहे एक एक युवक राहगीर से उसने निकलने के लिए मदद माँगी।  उसे ऊपर लेने के लिए राहगीर ने अपना हाथ बढ़ाया और बोला , ‘बुजुर्गवार,

14

समाज सेवा

19 जुलाई 2023
3
1
0

सुल्तान और अंजलि दोनों भाई बहन की मंजिल एक थी - उनका घर। जैसे ही उनके पापा यानी प्रमोद ने उनकी मम्मी यानी सलमा की मौत की खबर दी ,दोनों सकते में आ गए थे । अचानक हुए हार्ट अटैक को पहचानने और डाक्टर के

15

मुन्नी का आतंक

30 जुलाई 2023
2
1
0

 हमारे घर में अगर कोई वीआईपी है तो वो मेरी पत्नी नहीं है।  जी हाँ , आपने ठीक समझा। उसकी भी एक बॉस है जो उसे भी अपनी उँगलियों पर नचाती है।   वो है हमारी काम वाली बाई –मुन्नी।   इस बात का अनुमान तो मु

16

बचत

30 जुलाई 2023
2
1
0

‘हे भगवान! ये महीने की पहली तारीख हर बार इतनी देर से क्यों आती है’ दामिनी ने फिर सोचा। हर महीने के तीसरे–चौथी हफ्ते में अक्सर यह ख़याल उसके मन में आता था, खास कर जब कोई पैसे खर्च करने वाली बात होती। अख

17

एक चोर की दिहाड़ी

7 अगस्त 2023
2
0
0

सुनील एक शातिर चोर था। चोरों की बिरादरी में उसकी खासी इज्जत थी. वो लोग कहते थे कि अगर सुनील का दिल आ जाये तो वो किसी आदमी की आँखों से काजल भी चुरा लाये और उसे पता भी न चले। टूंडला जंक्शन से मुगलसराय ज

18

डायरी के पन्नो में सिमटा घर

7 अगस्त 2023
2
1
0

सुदीप की डायरी (21 अगस्त 20**) आज का दिन शुरू से ही मनहूस रहा है. सुबह देर से आँख खुली, रात भर मुन्ने ने सोने जो नहीं दिया था। ऑफिस के लिए भी लेट हुआ. ब्रेकफ़ास्ट छोड़ कर भी समय से न पहुँच सका और बॉस

19

नाम का सवाल

7 अगस्त 2023
3
1
0

अजय को एक अदद क्रिकेट बैट की तलाश थी। कल सुबह सात बजे से उसका इंटर कॉलेज टूर्नामेंट में ओपनिंग बैटिंग करनी थी और आज रात को उसका बेट एक एक्सीडेंट में शहीद हो गया था। गनीमत है उसे खुद इसमें कोई चोट नहीं

20

जीवन चक्र

7 अगस्त 2023
2
1
0

अजय ने पान की गुमटी देख कर कार रोकी और अपनी मनपसंद सिगरेट खरीद कर उसके कश लगाने लगा। बेचारे को घर और ऑफिस में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है क्योंकि उसकी बीबी और बॉस दोनों ही उसका सिगरेट पीना पसंद नहीं करते

21

बरसों की मेहनत

7 अगस्त 2023
2
1
0

तेजप्रताप से मेरी मुलाकात बारह साल बाद हो रही थी । उसको कुश्ती में एक राज्यस्तरीय सम्मान मिला था और मुझे जिलाधिकारी की हैसियत से उस सम्मान समारोह में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया था। बरसों पहले गॉ

22

खबरों की दुनियां

7 अगस्त 2023
2
0
0

हमारी टीम ने अपनी मनपसंद जगह चुन कर कैमरा लगा लिया था। इस जगह से वह मंच बिल्कुल साफ दिखता था जहाँ से एक वीईपी को आकर कोरोना के प्रकोप से बेघर हुए मजदूरों को खाना बांटना था। मेरी चैनल के चीफ-एडिटर ने

23

भिक्षाम देहि:

7 अगस्त 2023
2
1
0

“भिक्षाम देहि:”, कहते हुए अजय ने भिक्षा-पात्र संदीप के सामने खटखटाया तो संदीप को उन भिखारियों का ध्यान आया जो रोज ऑफिस जाते समय मेट्रो में इस तरह कटोरे खड़काते हुए घूमते रहते थे। उसने मुस्कुराते हुए

24

शादी का लिफाफा

16 सितम्बर 2023
2
1
0

 अजय की बेटी की शादी में जाने के लिए जब सब तैयार हो रहे थे तो मैंने इस काम के लिए ले जाने वाले एक लिफाफे को निकाला और सोचा इसमें कितनी रकम डालूं। आम तौर पर मेरी पत्नी इस जिम्मेदारी को निभाती थी और इस

25

आदत से मजबूर

16 सितम्बर 2023
2
0
0

विमान में प्रवेश की उद्घोषणा के साथ रमा एक झटके से उठ बैठी और लपक कर लाइन में लग गयी। वहीं सुरेश आराम से अपने लैपटॉप पर काम करता रहा। दोनों दम्पतिअक्सर हवाई जहाज से यात्रा करते थे और हर बार ऐसा ही घटन

26

बचपन का भोलापन

16 सितम्बर 2023
2
1
0

अपने कम्प्यूटर के लिए मैं एक नया रंगीन प्रिंटर लाया था। घर में सबको बुला कर शेखी बघारते हुए बताया," ये बहुत अच्छी तकनीक से बना है और किसी भी चीज को हू-बहू प्रिंट कर देता है।" फिर मैंने सबको आदेश दिया

27

बस के इंतजार में

3 अक्टूबर 2023
2
0
0

'उन्नीस नंबर की फ़्रीक़ुएन्सी क्या है?', उसी आवाज ने दूसरी बार ये सवाल किया था। शायद सवाल मुझसे ही पूंछा जा रहा था।  मैंने काले रंग की उस लम्बी सी कार को घूरना बंद किया जिसका ड्राईवर गुनगुनाते हुए उसे

28

निःशब्द

3 अक्टूबर 2023
2
2
0

रूमी अपने गांव में दादाजी के साथ कुछ दिन के लिए छुट्टी मनाने अमेरिका के एक बड़े संस्थान से मैनेजमेंट की डिग्री लेकर आई थी। ब्रांडिंग के बारे में चर्चा करते हुए उसने दादाजी को मैकडोनल कंपनी का उदाहरण द

29

ज्ञान की बात

3 अक्टूबर 2023
2
2
0

टेलीविजन पर शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का प्रसंग चल रहा था। जीत और हार के लिए जो मानक निर्धारित किए गए थे मुझे उस समय वह बड़े हास्यास्पद लग रहे थे। दोनों के गले में फूलों की एक-एक माला थी

30

झूठा इंसान

3 अक्टूबर 2023
2
0
0

कई साल पहले की बात है , मैं दिल्ली में नौकरी करता था. सर्दियों की एक सुबह स्कूटर पर मैं गाज़ियाबाद से अपने ऑफिस जा रहा था।  रोज की इस दिनचर्या में स्कूटर के साथ दिमाग में विचार भी अपनी गति और दिशा में

31

फर्जी अफसर

3 अक्टूबर 2023
2
2
0

एक बार मेरा भतीजा अपने मित्र का फौज की वर्दी में एक फोटो लेकर आया और बोला कि चाचा यह भी फौज में अफसर बन गया है। मैंने कुछ पल तक उस फोटो को देखा और कहा,"तुम्हारा दोस्त तुमसे कोई मज़ाक कर रहा है, यह आदम

32

नयी ट्रक

3 अक्टूबर 2023
2
1
0

हमारे यूनिट में एक बार एक प्रख्यात कंपनी की दो दर्जन ट्रक ट्रायल की लिए आईं। ये उस समय की देश की आधुनिकतम ट्रक थीं जिसमे‘आटोमेटिकगियर’ लगे थे। इस ट्रायलके आधार पर ही उस कंपनी को फौज से एक बड़ा आर्डर मि

33

लौटा बचपन

3 अक्टूबर 2023
2
1
0

 "खुशबू,मैं नीचे टहलने जा रहा हूँ, तुम भी चलोगी क्या?" मैंने सोफे से उठते हुए पूछा।   इससे पहले कि खुशबू कोई जबाब देती,माया ने उसे आंखें दिखते हुए कहा,“खुशबू को अभी होम-वर्क पूरा करना है,आप जाइये।“ 

34

विदेशी मेहमान

3 अक्टूबर 2023
2
0
0

 जमुनादास की चाय तो कुछ खास नहीं थी पर उसकी छोटी सी दुकान पर जमीं रहने वाली भीड़ शायद उसकी लच्छेदार बातों के दम पर ही जुटा करती थी। हर बात वो इतने विश्वास के साथ कहता था कि मानों उसके आँखों के सामने घ

35

सारी दुनिया को बेच डालूँगा

3 अक्टूबर 2023
2
1
0

 बेचनलाल जी बचपन के मित्र है। तीन साल पहले तक सैकिंड-हैण्डखटारास्कूटर को घसीटते घूमते थे। अब न जाने कैसे उनका कायापलट हो गया है। पांच गाड़ियों और दो फ्लैट के साथ आलीशान आफिस है। बड़ा काम हैऔर नाम भी।

36

ये कैसी भीड़ ?

3 अक्टूबर 2023
2
0
0

 उस दिन से पहले मैं भगवान् से हमेशा मन्नत माँगता था कि मेरे खोमचे पर भी खूब भीड़ हो.  वैसी ही भीड़ जैसी नंदू और राधे के खोमचों पर अक्सर हुआ करती है. इसी भीड़ के दम पर वो लोग अक्सर मेरा मजाक भी उड़ाया करत

37

किरायेदार

3 अक्टूबर 2023
2
1
0

गुप्ताजी का आज का व्यवहार अप्रत्याशित था । पिछले बारह वर्षों से मैं उनका किरायेदार था पर हम दोनों के परिवारों के बीच इतना आना-जाना था कि लोग उन्हें हमारा रिश्तेदार ही समझते थे। घर में कोई उत्सव हो या

38

आँख वाले तो देख लेते

3 अक्टूबर 2023
2
0
0

कई साल पहले की बात है ,मेरे ग्यारह वर्षीय पुत्र ने गिटार सीखने की इच्छा जाहिर की थी। मेरे घर के पास ही एक संस्थान था जहाँ बच्चों को गिटार सीखने का प्रशिक्षण दिया जाता था, अत: मैंने अपने बेटे का दाखिला

39

नमूने

3 अक्टूबर 2023
2
0
0

मेरे एक मित्र के सर पर गिनती के पांच बाल हैं। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं बल्कि बिलकुल सत्य वचन हैं । आप चाहें तो गिन भी सकते हैं। पर मजाल हैं की कोई उनको सामने आकर गंजा कह जाये। वो पहले तो अविश्वास से

40

हिसाब किताब

3 अक्टूबर 2023
2
2
0

घर में कल शाम से ही बबाल मचा हुआ था। शाम को सुधा की शादी में जाना था और लेन देन की डायरी कहीं मिल ही नहीं रही थी। इस डायरी में इस बात का हिसाब किताब रखा जाता था कि किसने हमारे घर में हुए किसी समारोह म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए