shabd-logo

दीर्घतमा और प्रद्वेषी

20 जुलाई 2022

35 बार देखा गया 35

प्राचीन काल में उतथ्य नाम के एक ऋषि थे। उनकी स्त्री का नाम ममता था। ममता अत्यन्त रूपवती थी। जब वह चलती तो आश्रम में एक बार तो उस रूप की गन्ध चारों ओर बिखर जाती। ममता के इस अनुपम रूप को देखकर उतथ्य के कनिष्ठ भ्राता महातेजस्वी बृहस्पति मोहित हो गये। वे देवताओं के पुरोहित थे। उन्होंने आकर ममता के रूप की प्रशंसा करते हुए उससे रति की इच्छा की।

इस पर ममता ने अति कोमल स्वर से कहा, “हे देवर! इस समय मैं तुम्हारे ज्येष्ठ भ्राता के सहवास के कारण गर्भवती हो गयी हूँ। जो सन्तान मेरे गर्भ में पल रही है वह महातेजस्वी है। उसने गर्भ में ही षडंग वेद पढ़ लिये हैं। इसलिए मेरी प्रार्थना है कि पहले उसे पैदा हो जाने दो। क्योंकि मैं यह निश्चयपूर्वक जानती हूँ कि तुम्हारा भी वीर्य कभी निष्फल नहीं जा सकता और उससे भी मुझे गर्भवती होने का भय है। अब तुम्हीं बताओ, मेरे गर्भाशय में दो बालकों के लिए स्थान कहाँ है? अतः कुछ समय के लिए तुम अपनी इच्छा स्थगित कर दो।”

लेकिन बृहस्पति तो काम-पीड़ा से विह्वल हो रहे थे। वे किसी भी हालत में प्रतीक्षा करने के लिए तैयार नहीं थे। ममता का रूप बार-बार उनके हृदय में कसक उठता था। उन्होंने ममता की बात न मानकर उसके साथ रमण करना चाहा। तब गर्भ में स्थित उतथ्य के पुत्र ने कहा, “हे पूज्यवर! काम के अधीन होकर यह अन्याय आप न करें। यहाँ गर्भ में इतना स्थान नहीं है कि दूसरा बालक पल सके, इसलिए आप अभी रमण करने की इच्छा छोड़ दीजिए। आपका वीर्य अमोघ है। इस कारण वीर्य-पात करके मुझे पीड़ा न पहुँचाइए।” बालक की आवाज बृहस्पति को सुनाई दी लेकिन वे तो कामोन्माद के कारण अन्धे हो रहे थे। उन्होंने किसी की बात पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया और ममता के साथ आनन्दपूर्वक रमण किया। जब वीर्यपात का समय आया तो अन्दर पलते बालक ने अपने दोनों पैरों से गर्भाशय का द्वार बन्द कर दिया और इसी कारण बृहस्पति का वीर्य गर्भाशय में न जाकर बाहर गिर पड़ा। इस पर देव पुरोहित बृहस्पति ने क्रुद्ध होकर उतथ्य के पुत्र को शाप दिया, “हे मूढ़ बालक! अपने इस व्यवहार के कारण तुम दीर्घतमा को प्राप्त होकर जन्म लोगे।”

जब ममता के गर्भ से बालक पैदा हुआ तो वह अन्धा था। उसका नाम दीर्घतमा ही पड़ा। दीर्घतमा प्रकाण्ड विद्वान था। अपनी विद्या के बल से उसने प्रद्वेषी नाम की एक सुन्दर ब्राह्मण-कन्या के साथ विवाह किया। प्रद्वेषी के गर्भ से गौतम आदि कई पुत्र पैदा हुए। अन्त में दीर्घतमा ने सुरभि के पुत्र से गोधर्म अर्थात प्रकाश मैथुन सीखकर कुल वृद्धि के लिए उसी का आचरण किया। जब अन्य ऋषियों ने दीर्घतमा को इस तरह समाज की मर्यादा का उल्लंघन करते देखा तो वे अत्यन्त क्रुद्ध हुए। उन्होंने विचार किया कि इस अधर्मी दीर्घतमा को छोड़ देना चाहिए। यह निर्लज्ज हमारे बीच रहने योग्य नहीं है और ऐसा विचार करके उन्होंने दीर्घतमा को छोड़ दिया।

दीर्घतमा के कई पुत्र थे लेकिन परिवार इतना निर्धन था कि खाने का कहीं ठिकाना नहीं था। इससे दीर्घतमा नित्य ही चिन्तित रहता और उसकी स्त्री प्रद्वेषी कभी उससे सन्तुष्ट नहीं रहती थी। जब कभी भी दीर्घतमा कोई बात कहता तो वह रोष भरे स्वर में उसका उत्तर देती।

एक दिन खीझकर दीर्घतमा ने पूछा, “प्रिये! तुम इतनी अधीर क्यों हो? क्या कारण है कि तुम अपने मन में द्वेष रखती हो?”

झल्लाहट-भरे स्वर में प्रद्वेषी ने कहा, “हे स्वामी! मेरा इस तरह रहना कोई अनुचित बात नहीं है। स्वामी स्त्री का भरण-पोषण करता है, इसलिए भर्ता कहलाता है। पति का यही धर्म है कि कुछ भी करके अपनी स्त्री, पुत्र-पुत्रियों का भरण-पोषण करे। आप तो जन्म से ही अन्धे हैं, इसलिए मेरा भरण-पोषण तो आप क्या करेंगे बल्कि मैं ही आपका भरण-पोषण करती हूँ। आपके पुत्रों को पालती हूँ और आप निश्चेष्ट होकर पड़े रहते हैं। लेकिन अब मैं साफ कहे देती हूँ कि यह मैं अब सहन न कर सकूँगी।”

प्रद्वेषी की यह बात सुनकर महात्मा दीर्घतमा को क्रोध चढ़ आया। उन्होंने उफनते स्वर में उससे कहा, “रे मूढ़ स्त्री! तुझे कितने धन की आवश्यकता है, चल मुझे किसी क्षत्रिय राजा के पास ले चल। मैं तेरी धन की इच्छा को भी पूर्ण कर दूँ। मैं नहीं जानता था कि तू इतनी संकुचित मनोवृत्ति रखने वाली स्त्री है।”

दीर्घतमा की क्रोधभरी वाणी सुनकर प्रद्वेषी ने भी रोष में भरकर कहा, “हे विप्र! तुमसे मिला हुआ धन कष्टकारक ही होगा, इसलिए मुझे आवश्यकता नहीं है। तुम्हारा जो जी चाहे वह करो, कहीं भी जाओ लेकिन साफ सुन लो, मैं अब तुम्हारा भरण-पोषण नहीं करूँगी। मैं तो अपने और पुत्रों के सुख के लिए दूसरा भर्ता कर लूँगी।”

दूसरे पति की बात सुनकर तो दीर्घतमा को और भी अधिक क्रोध आया। उनके जीवन के सारे अभाव उनके अन्दर घुसने लगे और बार-बार पुकारने लगे, “दीर्घतमा! तू असमर्थ है, इसीलिए तो तेरी स्त्री तुझे छोड़कर चली जा रही है। तू उसे जीवन का सुख नहीं दे सकता तो फिर उस पर तेरा अधिकार ही क्या है।”

दीर्घतमा एक साथ व्याकुल होकर पुकार उठा, “ठहर प्रद्वेषी! दूसरे पति की बात अब मुँह से न निकालना। मैं आज से संसार में यह सदाचार स्थापित करता हूँ कि स्त्री मरते दम तक एक ही पति के अधीन रहेगी। पति के मरने पर या उसके जीते-जी स्त्री अन्य पुरुष को कभी स्वीकार न कर सकेगी। जो स्त्री इस मर्यादा का उल्लंघन करेगी वह पतिता समझी जाएगी। पतिहीन स्त्री का जीवन पग-पग पर पाप से भरा होगा। पतिहीन स्त्रियाँ सब प्रकार के भोग उपस्थित रहने पर भी उन्हें भोग न सकेंगी। वे सदा अपयश और निन्दा की भागी होंगी।”

दीर्घतमा कहता ही चला जा रहा था और प्रद्वेषी का रक्त ऊपर चढ़ता आता था। जब और कुछ सुनना प्रद्वेषी के लिए असह्य हो उठा तो उसने पुकारकर कहा, “बस हे विप्र! अब आगे कुछ न बोलना” और उसी समय उसने क्रोध में आकर अपने पुत्रों को आज्ञा दी कि वे उस अन्धे को गंगा की धारा में बहा दें। गौतम आदि पुत्रों ने अन्धे दीर्घतमा को गंगा की धारा में बहा दिया।

दीर्घतमा बहता-बहता काफी दूर पहुँच गया। जब वह बहता हुआ चला जा रहा था तो बलि नाम के धार्मिक राजा नदी में स्नान कर रहे थे। उन्होंने उसे बहता देखकर नदी से बाहर निकाल लिया और उसे अपने घर ले गये। राजा ने दीर्घतमा का पूरा परिचय प्राप्त किया और फिर प्रार्थना की, “हे महात्मा! आप धर्म को जानने वाले मेधावी पण्डित हैं। मेरी इच्छा है कि आप मेरी रानियों के गर्भ से कुछ धर्मात्मा पुत्र उत्पन्न करें। इससे बढ़कर मेरा और अधिक कल्याण आप नहीं कर सकते।”

दीर्घतमा ने बलि की बात मान ली। तब राजा ने अपनी स्त्री सुदेष्णा के पास जाकर अपना सारा तात्पर्य कहा। रानी ने राजा की बात को अस्वीकार नहीं किया लेकिन बूढ़े और अन्धे दीर्घतमा को देखकर उसके हृदय में उस महर्षि के प्रति घृणा जाग उठी। वह स्वयं सहवास के लिए नहीं गयी और उसने अपनी दासी को उसके पास भेज दिया। दीर्घतमा के वीर्य से दासी के गर्भ से कक्षीवान आदि ग्यारह वेदपाठी पुत्र उत्पन्न हुए।

जब सभी पुत्र कुछ बड़े हो गये तो एक दिन राजा बलि ने कौतूहलवश दीर्घतमा से पूछा, “हे महात्मा! क्या ये ग्यारह बालक मेरे ही पुत्र हैं?”

दीर्घतमा ने कहा, “नहीं राजन्! ये मेरे वीर्य से शूद्र योनि में उत्पन्न बालक हैं। तुम्हारी रानी सुदेष्णा मुझे अन्धा और बूढ़ा समझकर मेरे साथ सहवास करने नहीं आयी थी। उसने अपनी दासी को भेज दिया था। उसी के गर्भ से मैंने इन बालकों की उत्पत्ति की है, अतः ये तुम्हारे पुत्र न होकर मेरे ही पुत्र हैं।”

यह सुनकर राजा बलि को बहुत दुःख हुआ। वे सुदेष्णा के पास गये और उन्होंने फिर उसे दीर्घतमा के द्वारा गर्भ धारण करने के लिए राजी कर लिया। जब सुदेष्णा सहवास के लिए दीर्घतमा के पास पहुँची तो उस अन्धे ऋषि ने उसके अंगों को छूकर कहा, “हे सुन्दरी! तुम्हारे गर्भ से अंग, वंग, कलिंग, पौण्ड्र और सुह्य नाम के सूर्य के समान पाँच तेजस्वी पुत्र पैदा होंगे और वे अपने नाम से एक-एक देश में एक-एक राज्य स्थापित करेंगे।”

उन्हीं राजकुमारों के नाम पर अंग, वंग, कलिंग, पौण्ड्र और सुह्य नाम के देश प्रसिद्ध हुए।

दीर्घतमा की कहानी अतीत का जैसा यथार्थ चित्रण हमारे सामने उपस्थित करती है वैसा हमें कम स्थानों पर मिलता है। सहस्रों वर्ष पुराने इस भारत में कितनी विचित्र परम्पराएँ पलती थीं।

60
रचनाएँ
कमलेश्वर जी की हिन्दी कहानियाँ
0.0
कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। 'आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। कमलेश्वर के कुछ ख़ास सृजन में 'काली आंधी', 'लौटे हुए मुसाफ़िर', 'कितने पाकिस्तान', 'तीसरा आदमी', 'कोहरा' और 'माँस का दरिया' शामिल हैं। हिंदी की कई पत्रिकाओं का संपादन किया लेकिन पत्रिका 'सारिका' के संपादन को आज भी मानक के तौर पर देखा जाता है। कमलेश्वर ने तीन सौ से ऊपर कहानियाँ लिखी हैं।
1

अदालती फ़ैसला

20 जुलाई 2022
1
0
0

अदालत में एक संगीन फ़ौजदारी मुकद्दमे के फ़ैसले का दिन। मुकद्दमा हत्या की कोशिश का था क्योंकि जिसे मारने की साजिश की गई थी वह गहरे जख्म खाकर भी अस्पताल की मुस्तैद देखभाल और इलाज की बदौलत जिन्दा बच गया

2

अपने ही दोस्तों ने

20 जुलाई 2022
0
0
0

हुआ यह कि भारत में विकास कार्यक्रम चल रहा था। एक सड़क निकाली गई जिसने घने जंगल को दो हिस्सों में बाँट दिया। उत्तरी हिस्से में शेर रह गए और दक्षिणी हिस्से में गीदड़ रह गए। तो एक दिन गीदड़ों के मुसाहिब

3

आधी दुनिया

20 जुलाई 2022
0
0
0

जहाज छूटने में कुछ देर थी। जेटी के कगार पर बैठे हुए पक्षी अजनबियों की तरह इधर-उधर देख रहे थे। जैसे वे उड़ने के लिए कतई तैयार न हों। खौलते पानी के बुलबुलों की तरह उनमें से एक-दो धीरे-से कुदकते थे और फि

4

इंतज़ार

20 जुलाई 2022
0
0
0

रात अँधेरी थी और डरावनी भी। झाड़ियों में से अँधेरा झर रहा था और पथरीली ज़मीन में जगह-जगह गढ़े हुए पत्थर मेंढ़कों की तरह बैठे हुए थे। बिजिलांते के बूटों की आवाज़ से दहशत और बढ़ जाती थी। हवा हमेशा की तर

5

एक थी विमला

20 जुलाई 2022
0
0
0

पहला मकान–यानी विमला का घर इस घर की ओर हर नौजवान की आँखें उठती हैं। घर के अन्दर चहारदीवारी है और उसके बाद है पटरी। फिर सड़क है, जिसे रोहतक रोड के नाम से जाना जाता है। अगर दिल्ली बस सर्विस की भाषा में

6

क़सबे का आदमी

20 जुलाई 2022
0
0
0

सुबह पाँच बजे गाड़ी मिली। उसने एक कंपार्टमेंट में अपना बिस्तर लगा दिया। समय पर गाड़ी ने झाँसी छोड़ा और छह बजते-बजते डिब्बे में सुबह की रोशनी और ठंडक भरने लगी। हवा ने उसे कुछ गुदगुदाया। बाहर के दृश्य स

7

कितने पाकिस्तान

20 जुलाई 2022
1
0
0

कितना लम्बा सफर है! और यह भी समझ नहीं आता कि यह पाकिस्तान बार-बार आड़े क्यों आता रहा है। सलीमा! मैंने कुछ बिगाड़ा तो नहीं तेरा...तब तूने क्यों अपने को बिगाड़ लिया? तू हँसती है...पर मैं जानता हूं, तेरी

8

खर्चा मवेशियान

20 जुलाई 2022
0
0
0

राज्य के वन-मन्त्री दौरे पर थे। रिजर्व फारेस्ट के डाक बँगले में उन्होंने डेरा डाला। उनके साथ के लश्कर वालों ने भी। उन्होंने वन अधिकारी को बुलवाया और ताकीद की-देखो रेंजर बाबू! मैं पुराने मन्त्री की तरह

9

गर्मियों के दिन

20 जुलाई 2022
1
0
0

चुंगी-दफ्तर खूब रँगा-चुँगा है । उसके फाटक पर इंद्रधनुषी आकार के बोर्ड लगे हुए हैं । सैयदअली पेंटर ने बड़े सधे हाथ से उन बोर्ड़ों को बनाया है । देखते-देखते शहर में बहुत-सी ऐसी दुकानें हो गई हैं, जिन पर

10

चप्पल

20 जुलाई 2022
1
0
0

कहानी बहुत छोटी सी है मुझे ऑल इण्डिया मेडिकल इंस्टीटयूट की सातवीं मंज़िल पर जाना था। अाई०सी०यू० में गाड़ी पार्क करके चला तो मन बहुत ही दार्शनिक हो उठा था। क़ितना दु:ख और कष्ट है इस दुनिया में...लगातार

11

जार्ज पंचम की नाक

20 जुलाई 2022
1
0
0

यह बात उस समय की है जब इंग्लैंण्ड की रानी ऐलिज़ाबेथ द्वितीय मय अपने पति के हिन्दुस्तान पधारने वाली थीं। अखबारों में उनके चर्चे हो रहे थे। रोज़ लन्दन के अखबारों में ख़बरें आ रही थीं कि शाही दौरे के लिए

12

तस्वीर, इश्क की खूँटियाँ और जनेऊ

20 जुलाई 2022
0
0
0

वे तीन वेश्याएँ थीं। वे अपना नाम और शिनाख्त छुपाना नहीं चाहती थीं। वैसे भी उनके पास छुपाने को कुछ था नहीं। वे वेश्याएँ लगती भी नहीं थीं। उनके उठने-बैठने और बात करने में सलीका था। मेक-अप भी ऐसा नहीं जो

13

तुम कौन हो

20 जुलाई 2022
1
0
0

रात तूफानी थी। पहले बारिश, फिर बर्फ की बारिश और बेहद घना कोहरा। अगर हवा तेज न होती तो शायद इतनी मुसीबत न उठानी पड़ती। पर हवा और हवा में फर्क होता है। यह तो तूफानी हवा थी जो तीर की तरह लगती थी। गाड़ी व

14

नीली झील

20 जुलाई 2022
0
0
0

बहुत दूर से ही वह नीली झील दिखाई पड़ने लगती है। सपाट मैदानों के छोर पर, पेड़ों के झुरमुट के पीछे, ऐसा मालूम पड़ता है, जैसे धरती एकदम ढालू होकर छिप गया हो, लेकिन गौर से देखने पर ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच

15

पेट्रोल

20 जुलाई 2022
1
0
0

मन्त्री जी लम्बे दौरे से लौट रहे थे। अरे ड्राइवर! पेट्रोल पूरा भरवा लिया था? जी साब, भरवा नहीं पाया। पर इतना है कि घर तक आराम से पहुँच जाएँगे! तभी रास्ते में उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र के दो लोग मिल

16

मांस का दरिया

20 जुलाई 2022
0
0
0

जाँच करने बाली डॉक्टरनी ने इतना ही कहा था कि उसे कोई पोशीदा मर्ज नहीं है, पर तपेदिक के आसार ज़रूर हैं। उसने एक पर्चा भी लिख दिया था। खाने को गिज़ा बताई थी। कमेटी पहले ही पेशे पर रोक लगा चुकी थी। सब प

17

राजा निरबंसिया

20 जुलाई 2022
0
0
0

'एक राजा निरबंसिया थे', मां कहानी सुनाया करती थीं। उनके आस-पास ही चार-पांच बच्चे अपनी मुट्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुन्दर-सा चौक पुर

18

लाश

20 जुलाई 2022
1
0
0

सारा शहर सजा हुआ था। खास-खास सडकों पर जगह-जगह फाटक बनाए गए थे। बिजली के खम्भों पर झंडे, दीवारों पर पोस्टर। वालण्टियर कई दिनों से शहर में पर्चे बाँट रहे थे। मोर्चे की गतिविधियाँ तेज़ी पकडती जा रही थीं।

19

सफेद सड़क

20 जुलाई 2022
0
0
0

सुबह खिड़की के काँच पर भाप जमी थी। भीतर से साफ करना चाहा तो बाहर पानी की लकीरें नरम बर्फ की परत जमी रहीं। फिर भी कुछ-कुछ दिखाई देता था। ट्रेन किसी मोड़ पर थी। उसके कूल्हे पर खूबसूरत खम पड़ रहा था। नर्

20

सवाल नंगी सास का

20 जुलाई 2022
0
0
0

सुबह खिड़की के काँच पर भाप जमी थी। भीतर से साफ करना चाहा तो बाहर पानी की लकीरें नरम बर्फ की परत जमी रहीं। फिर भी कुछ-कुछ दिखाई देता था। ट्रेन किसी मोड़ पर थी। उसके कूल्हे पर खूबसूरत खम पड़ रहा था। नर्

21

सीख़चे

20 जुलाई 2022
0
0
0

जिन्दगी के दूसरे पहर में यदि सूरज न चमका तो दोपहरी कैसी ? बादल आते हैं, फट जाते हैं, परन्तु ये भूरे धुँधले बादल तो उसे हटते नजर ही नहीं आते। अगर उसका अपना दूसरा सूरज हो तो कैसा रहे ? इस मुहल्ले में अ

22

सुबह का सपना

20 जुलाई 2022
0
0
0

बात असल में यों हुई। उन दिनों शहर में प्रदर्शनी चल रही थी। जाने की कभी तबीयत न हुई। आखिर एक दिन मेरे मित्र मुझे घर से पकड़ ले गए। शायद आखिरी दिन था उसका। चला गया, पर ऐसे जमघटों में अब मन नहीं जमता। वह

23

हवा है, हवा की आवाज नहीं है

20 जुलाई 2022
0
0
0

कैरीन उदास थी। उसे पता था कि सुबह हमें चले जाना है। लेकिन उदास तो वह यों भी रहती थी। उस दिन भी उदास ही थी, जब पहली बार मिली थी। हम हाल गाँव का रास्ता भूलकर एण्टवर्प के एक अनजाने उपनगर में पहुँच गये थे

24

शास्त्रज्ञ मूर्ख (हितोपदेश)

20 जुलाई 2022
0
0
0

किसी नगर में चार ब्राह्मण रहते थे। उनमें खासा मेल-जोल था। बचपन में ही उनके मन में आया कि कहीं चलकर पढ़ाई की जाए। अगले दिन वे पढ़ने के लिए कन्नौज नगर चले गये। वहाँ जाकर वे किसी पाठशाला में पढ़ने लगे।

25

अपनी-अपनी दौलत

20 जुलाई 2022
0
0
0

पुराने ज़मींदार का पसीना छूट गया, यह सुनकर कि इनकमटैक्स विभाग का कोई अफसर आया है और उनके हिसाब-किताब के रजिस्टर और बही-खाते चेक करना चाहता है। अब क्या होगा मुनीम जी ? ज़मींदार ने घबरा कर कहा-कुछ करो म

26

आत्मा की आवाज़

20 जुलाई 2022
0
0
0

मैं अपना काम खत्म करके वापस घर आ गया था। घर में कोई परदा करने वाला तो नहीं था, पर बड़ी झिझक लग रही थी। गोपाल दूर के रिश्ते से बड़ा भाई होता है, पर मेरे लिए वह मित्र के रूप में अधिक निकट था। आंगन में च

27

इंटेलैक्च्युअल

20 जुलाई 2022
0
0
0

हिन्दी के एक बड़े आदरणीय आचार्य थे। आस्था से वे घनघोर सनातनी थे। लेकिन एक दिन न जाने क्‍या हुआ कि आचार्य जी ने सनातन धर्म की धज्जियाँ निकाल दीं। आर्य समाजियों को ख़बर मिली। वे बड़े प्रसन्‍न हुए। उन्ह

28

एक अश्लील कहानी

20 जुलाई 2022
1
0
0

नग्नता में भयानक आकर्षण होता है, उससे आदमी की सौन्दर्यवृत्ति की कितनी सन्तुष्टि होती है और कैसे होती है, यह बात बड़े दुःखद रूप में एक दिन स्पष्ट हो ही गयी। अनावृत शरीर से न जाने कैसी किरनें फूटती हैं,

29

कर्त्तव्य

20 जुलाई 2022
0
0
0

शाही हरम की बेगमों की डोलियाँ बीजापुर से दिल्ली की ओर जा रही थीं : रास्ता बीहड़ और सुनसान था। रास्ते में मराठा महाराज शिवाजी का इलाका तो पड़ता ही था। सेना के अपने दुश्मन और अपनी दक्षता होती है, साथ ही

30

कामरेड

20 जुलाई 2022
0
0
0

लाल हिन्द, कामरेड!--एक दूसरे कामरेड ने मुक्का दिखाते हुए कहा। लाल हिन्द--कहकर उन्होंने भी अपना मुक्का हवा में चला दिया। मैं चौंका, और वैसे भी लोग कामरेड़ों का नाम सुन कर चौंकते हैं! वास्तव में किसी ह

31

कोहरा

20 जुलाई 2022
0
0
0

पियरे की बात मुझे बार-बार याद आ रही थी-पैसे से उजाला नहीं होता ! अगर होता, तो हमारा देश सूरज को खरीद लेता ! लेकिन तुम सूरज नहीं खरीद सकते ! उस वक्त हम एक छोटी-सी घाटी में खड़े हुए थे। रीथ भी साथ थी।

32

खामोशी एडगर ऐलन पो

20 जुलाई 2022
0
0
0

'मेरी बात सुनो,' शैतान ने मेरे सिर पर हाथ रखते हुए कहा, 'जिस जगह की मैं बात कर रहा हूँ, वह लीबिया का निर्जन इलाका है - जेअर नदी के तट के साथ-साथ, और वहाँ न तो शांति है, न खामोशी। नदी का पानी भूरा मटमै

33

गार्ड आफ ऑनर

20 जुलाई 2022
1
0
0

मिली-जुली गठबन्धन सरकार के एक मन्त्री। पुलिस लाइन में उनका दौरा था। कार से उतरते ही वे प्रशंसकों-चापलूसों से घिर गए। गले में मालाएँ पड़ने लगीं। फूलों की बौछार। नारों की जय-जयकार। तब एक पुलिस अफसर भी

34

चौकी-चौका -बंदर

20 जुलाई 2022
0
0
0

एक पण्डित जी घर के चबूतरे पर चौकी लगाकर बैठते थे। मोहल्ले के लोग कभी धर्म पर, कभी स्वास्थ्य पर, कभी ध्यान योग पर उनके उपयोगी प्रवचन सुनते थे। उसी चौकी पर लोग दान-दक्षिणा रख देते थे। उसी से पण्डित जी

35

तलाश

20 जुलाई 2022
0
0
0

उसने बहुत धीरे-से दरवाज़े को धक्का दिया। वह भीतर से बंद था। जब तक वह सोई थी, तब तक बीचवाला दरवाज़ा बंद नहीं किया गया था। भिड़े हुए दरवाज़े की फाँक से रोशनी का एक आरा-सा गिरता रहा था, रोशनी मोमिया कागज

36

तीसरा संस्करण

20 जुलाई 2022
0
0
0

एक बौद्ध भिक्षु था। उसने छह खण्डों में भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी लिखी। लगभग तीन हजार पृष्ठों के उस भारी-भरकम ग्रन्थ को प्रकाशित करने के लिए कोई प्रकाशक तैयार नहीं हुआ। भिक्षु बहुत निराश हुआ। तब समाज क

37

दिल्ली में एक मौत

20 जुलाई 2022
0
0
0

मैं चुपचाप खडा सब देख रहा हूँ और अब न जाने क्यों मुझे मन में लग रहा है कि दीवानचंद की शवयात्रा में कम से कम मुझे तो शामिल हो ही जाना चाहिए था। उनके लडके से मेरी खासी जान-पहचान है और ऐसे मौके पर तो दुश

38

पत्थर की आँख

20 जुलाई 2022
0
0
0

यह दो दोस्तों की कहानी है। एक दोस्त अमेरिका चला गया। बीस-बाईस बरस बाद वह पैसा कमाके भारत लौट आया। दूसरा भारत में ही रहा। वह गरीब से और ज्यादा गरीब होता चला गया। अमीर ने बहुत बड़ी कोठी बनवाई। उसने अपने

39

भूख

20 जुलाई 2022
0
0
0

पूस की दाँतकाटी सर्दी पड़ रही थी। बच्चा भूखा था। माँ के स्तनों में दूध नहीं था। थोड़ी दूर पर एक अलाव जल रहा था। भूखा बच्चा माँ के स्तनों को निचोड़ता पर जब दूध नहीं निकलता था तो वह बच्चे को लेकर अलाव क

40

मुक़ाबला

20 जुलाई 2022
1
0
0

सभी को मालूम है कि शेर बहुत सफाई पसन्द होता है। एक बार हुआ यह कि किसी बात पर शेर और जंगली सुअर में झगड़ा हो गया। जंगल के लगभग सभी जानवर शेर से भयभीत रहते थे। उन्हें मौका मिल गया। उन्होंने सोचा, जंगली

41

रावल की रेल

20 जुलाई 2022
0
0
0

तो दोस्तो, हुआ ऐसा कि मैं कच्छ के दिशाहारा रेगिस्तान की यात्रा से ध्वस्त और त्रस्त किसी तरह भुज (गुजरात) पहुँचा। स्टेशन के अलावा और कोई भरोसे की जगह नहीं थी, इसलिए वहीं चला गया। स्टेशन पर मीटर गेज की

42

वीपिंग-विलो

20 जुलाई 2022
0
0
0

हैम्पटन कोर्ट पैलेस से निकलकर गरम चाय पीने की तलब सता रही थी। पुराने किलों या महलों से निकलकर जैसी व्यर्थता हमेशा भीतर भर जाती है, वैसी ही व्यर्थता मन में भरी हुई थी। एक निहायत बेकार-सी अनुभूति। उदासी

43

सर्कस

20 जुलाई 2022
0
0
0

सर्कस तो आपने जरूर देखा होगा। उसमें तरह-तरह के ख़तरनाक और दिल दहलाने वाले करतब दिखाए जाते हैं। शायद आपने वह बेमिसाल खेल भी देखा हो, जिसमें लकड़ी का एक बड़ा चक्‍का घूमता हुआ आता है। उसी के साथ एक छरहरे

44

सिपाही और हंस

20 जुलाई 2022
0
0
0

तो दोस्तो ! आपको एक कहानी सुनाकर मैं अपनी बात समाप्त करूँगा। हुआ यह कि अंग्रेज भारत छोड़ कर जा चुके थे। राजे-महाराजों-नवाबों की रियासतों का विलय विभाजित भारत में हो चुका था। इंदिरा गांधी ने इनके लाखो

45

सुख

20 जुलाई 2022
0
0
0

यह किस्सा मुझे वरसोवा के एक मछुआरे ने सुनाया था। तब मैं अपने वीक-एण्ड घर 'पराग' में आकर रुकता था और सागर तट पर घूमता और डूबते सूरज को देखा करता था। तब मेरी जिन्दगी को अफ़वाहों का पिटारा बना दिया गया थ

46

हमलावर कौन ?

20 जुलाई 2022
0
0
0

दोस्तो! यह आज के यथार्थ को पेश करती एक दारुण कहानी है। इसके लेखक हैं-मुद्राराक्षष। यह कालजयी कहानी मैं आपको सुनाता हूँ- भारत-पाकिस्तान युद्ध । भारत की सेनाएँ पाकिस्तानी इलाकों को जीतती हुई भीतर तक पा

47

लघु-कथाएँ

20 जुलाई 2022
0
0
0

घूँघटवाली बहू बात वृन्दावन की है। मैं मन्दिरों में नहीं जाता। देखना हो तो जाने से परहेज भी नहीं करता। कहा गया कि बिहारी जी का मन्दिर तो देख ही लीजिए। यानी दर्शन कर लीजिए। गया। पर रास्ते और आस-पास की

48

इनसान और भगवान्

20 जुलाई 2022
0
0
0

यह एक अजीब विस्मयकारी और चौंकानेवाला दृश्य था। भादों का महीना और कृष्ण जन्माष्टमी का अवसर। निर्जला व्रत किए लाखों लोगों का हुजूम, जो कृष्ण जन्माष्टमी के महोत्सव में शामिल होने आए थे। कृष्ण मंदिरों के

49

अष्टावक्र का विवाह

20 जुलाई 2022
0
0
0

एक बार महर्षि, अष्टावक्र महर्षि वदान्य की कन्या के रूप पर मोहित हो गये। उन्होंने उसके पिता के पास जाकर उस कन्या के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की। तब महर्षि वदान्य ने मुस्कराते हुए अष्टावक्र से कहा,

50

दीर्घतमा और प्रद्वेषी

20 जुलाई 2022
0
0
0

प्राचीन काल में उतथ्य नाम के एक ऋषि थे। उनकी स्त्री का नाम ममता था। ममता अत्यन्त रूपवती थी। जब वह चलती तो आश्रम में एक बार तो उस रूप की गन्ध चारों ओर बिखर जाती। ममता के इस अनुपम रूप को देखकर उतथ्य के

51

बिलाव और चूहे

20 जुलाई 2022
0
0
0

किसी विशाल घने वन में एक विशाल बरगद का वृक्ष था। उसकी जड़ों में सौ मुँह वाला बिल बनाकर पालित नाम का एक चूहा रहता था। उसी वृक्ष की डाल पर लोमश नाम का एक बिलाव रहता था। कुछ दिनों बाद एक चाण्डाल भी आकर उ

52

कबूतर और बहेलिया

20 जुलाई 2022
0
0
0

प्राचीन काल में एक क्रूर और पापात्मा बहेलिया रहता था। वह सदा पक्षियों को मारने के नीच कर्म में प्रवृत्त रहता था। उस दुरात्मा का रंग कौए के समान काला था और उसकी आकृति ऐसी भयानक थी कि सभी उससे घृणा करते

53

मृत्यु ही ब्रह्म है

20 जुलाई 2022
0
0
0

याज्ञवल्क्य ने जाने कितने छात्रों को, जाने कितनी बार पढ़ाया होगा यह सूक्त। कितनी बार दुहराया होगा वह अर्थ जो उन्होंने अपने गुरु से सुना था। पर आज पहला मन्त्र पढ़ना आरम्भ किया, “न असत् आसीत् न सत् आसीत

54

गुरु मिले तो

20 जुलाई 2022
0
0
0

वरुण एक जमाने में सबसे बड़े देवता थे। इन्द्र से भी बड़े। जिस काम के लिए बाद में इन्द्र बदनाम हुए उसका भी कुछ सम्बन्ध वरुण से था। नतीजा यह कि अनेक ऋषियों को वरुण की सन्तान होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

55

कुत्ते का ब्रह्म ज्ञान

20 जुलाई 2022
0
0
0

बात बहुत पुरानी है। उस समय कुत्ते आदमी की और आदमी कुत्तों की भाषा जानते थे और कुछ कुत्ते तो सामगान करते हुए भौंकते थे। जो लोग कुत्तों की भाषा समझ लेते थे वे कुत्तों के ज्ञान पर आदमी के ज्ञान से अधिक भ

56

वररुचि की कथा

20 जुलाई 2022
0
0
0

वररुचि के मुँह से बृहत्कथा सुनकर पिशाच योनि में विन्ध्य के बीहड़ में रहने वाला यक्ष काणभूति शाप से मुक्त हुआ और उसने वररुचि की प्रशंसा करते हुए कहा, आप तो शिव के अवतार प्रतीत होते हैं। शिव के अतिरिक्त

57

गुणाढ्य

20 जुलाई 2022
0
0
0

गुणाढ्य राजा सातवाहन का मन्त्री था। भाग्य का ऐसा फेर कि उसने संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश तीनों भाषाओं का प्रयोग न करने की प्रतिज्ञा कर ली थी और विरक्त होकर वह विन्ध्यवासिनी के दर्शन करने विन्ध्य के वन

58

राजा विक्रम और दो ब्राह्मण

20 जुलाई 2022
0
0
0

संसार में प्रसिद्ध उज्जयिनी नगरी महाकाल की निवासभूमि है। उस नगरी के अमल धवल भवन इतने ऊँचे-ऊँचे हैं कि देखकर लगता है जैसे कैलास के शिखर भगवान शिव की सेवा के लिए वहाँ आ गये हों। उस नगरी में यथा नाम तथा

59

शूरसेन और सुषेणा

20 जुलाई 2022
0
0
0

गोमुख ने कहा, श्रावस्ती में शूरसेन नाम का एक राजपुत्र था। वह राजा का ग्रामभुक था। राजा के लिए उसके मन में बड़ी सेवा भावना थी। उसकी पत्नी सुषेणा उसके सर्वथा अनुरूप थी और वह भी उसे अपने प्राणों की तरह च

60

कैवर्तक कुमार

20 जुलाई 2022
1
0
0

राजगृह में मलयसिंह नाम के राजा राज्य करते थे। उनके मायावती नाम की अप्रतिम रूपवती एक कन्या थी। एक बार वह राजोद्यान में खेल रही थी तभी एक कैवर्तककुमार (मछुआरे के बेटे) की दृष्टि उस पर पड़ गयी। सुप्रहार

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए