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राजा विक्रम और दो ब्राह्मण

20 जुलाई 2022

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संसार में प्रसिद्ध उज्जयिनी नगरी महाकाल की निवासभूमि है। उस नगरी के अमल धवल भवन इतने ऊँचे-ऊँचे हैं कि देखकर लगता है जैसे कैलास के शिखर भगवान शिव की सेवा के लिए वहाँ आ गये हों। उस नगरी में यथा नाम तथा गुण वाला वीर विक्रम सिंह शासन करता था। एक बार वह अपने बुद्धिमान मन्त्री अमरसिंह के कहने से आखेट के लिए वन की ओर जा रहा था। नगर के बाहर एक सूने मन्दिर में उसने दो पुरुषों को गुपचुप बात करते हुए देखा। राजा को उन पर सन्देह हुआ, पर वह उन्हें अनदेखा करके आखेट के लिए बढ़ गया।

बहुत देर बाद अनेक हिंस्र पशुओं को मारकर अपने सेवकों के साथ जब वह उसी मार्ग से वापस लौटा, तो उस सूने मन्दिर में वे दोनों पुरुष फिर उसी तरह गुपचुप मन्त्रणा करते दिख गये। अब राजा ने अपने सेवकों को भेजकर उन्हें पकड़वाकर बँधवा लिया और अपनी सभा में उन्हें उपस्थित करने का आदेश दिया। दूसरे दिन आस्थान में राजा के सामने वे दोनों पुरुष उपस्थित किये गये। राजा ने पूछा, तुम लोग कौन हो और उस मन्दिर में आपस में क्या मन्त्रणा कर रहे थे? वे दोनों राजा से अभयप्रार्थना करने लगे। फिर उनमें से एक ने अपनी कथा इस प्रकार सुनायी - हे राजन्, इसी उज्जयिनी नगरी में करभक नामक एक ब्राह्मण रहता था। वह वेदविद्या में विशारद था। उसने महावीर पुत्र की प्राप्ति के लिए अग्नि की आराधना की।

मैं उसी का बेटा हूँ। मेरे माता-पिता बचपन में ही मुझे छोड़कर चल बसे। मैंने कुछ विद्याध्ययन किया, पर फिर द्यूत और शस्त्रविद्या में मन लगा लिया। इसी तरह मैं तरुण हो गया। गुरुजनों का मेरे ऊपर कोई अंकुश तो था नहीं इसलिए मैं अपने भुजबल से मत्त होकर इधर-उधर भटकता रहता था। एक बार मैं आखेट के लिए वन की ओर जा रहा था। मार्ग में विवाह करके लौटती हुई एक वरयात्रा (बारात) मुझे मिली। नववधू रथ पर बैठी हुई थी और बारातियों से घिरी हुई थी। मैं वरयात्रा की शोभा देखने के लिए ठिठक गया, तभी एक बिगड़ैल हाथी पता नहीं कहाँ से अपने सींखचे तोड़कर भागता हुआ उधर आ गया और वधू के रथ की ओर लपका। हाथी के डर से घबराकर सारे वरयात्री और दूल्हा भी नववधू को रथ पर बैठी छोड़ प्राण बचाकर भागे। मुझे उनकी कायरता पर बड़ा क्रोध आया। वह हाथी नववधू के रथ को तहसनहस करने ही वाला था, तभी मैंने उसे ललकारा। वह रथ को छोड़कर मुझे कुचलने के लिए बढ़ा। मैं उसे दौड़ाता हुआ दूर ले गया। रास्ते में मैं एक घनी पत्तियों वाले वृक्ष की टहनियों में जा छिपा, फिर उनमें से एक टूटी टहनी हाथी के मार्ग में रखकर पेड़ों के झुरमुट में ओझल हो गया।

क्रोध से पागल वह हाथी उस टहनी को कुचलता हुआ आगे बढ़ गया। मैं लौटकर नववधू के पास आया और उससे पूछा कि तुम ठीक से तो हो? नववधू बोली, मेरी अब क्या कुशल? मैं तो ऐसे कायर के पल्ले पड़ गयी। हाँ, यह कुशल अवश्य है कि मैं तुम्हें अक्षत रूप में देख रही हूँ। यह कायर तो अब मेरा पति नहीं हो सकता। तुमने मेरे प्राण बचाए, इसलिए मेरे भर्ता तो तुम ही हो। तुम इस वरयात्रा के पीछे-पीछे आओ। अवसर मिलते ही हम कहीं भाग चलेंगे।

मैंने उसकी बात मान ली। कुछ देर में उसका पति और उसे छोड़कर भाग जाने वाले वरयात्री लौट आये। वे लोग फिर आगे चल पड़े। मैं अलक्षित रहकर वरयात्रा के पीछे-पीछे चलने लगा। मैंने देखा कि नववधू अपने पति को पास में फटकने भी नहीं दे रही है। इस प्रकार हम लोग लोहनगर पहुँचे, जहाँ उसकी ससुराल थी। मैं नगर के बाहर एक मन्दिर में ठहर गया। वहीं मुझे मेरा यह मित्र मिला। हम दोनों तुरन्त एक-दूसरे से घुल-मिल गये। मैंने इसको अपने मन की सारी बात बता दी, इसने भी अपने सब रहस्य मेरे आगे खोल दिये। रहस्य खुलने पर कुछ संयोग ऐसा बैठा कि उसी नववधू की ननद से इसका प्रेम चल रहा था।

इसने कहा कि मैं अपनी प्रेमिका की सहायता से तुम्हारा काम भी बनवा दूँगा और अपना काम भी साध लूँगा। दूसरे दिन वह नववधू अपनी ननद के साथ मन्दिर में गयी। मन्दिर में हम दोनों पहले ही छिपकर बैठे थे। मन्दिर के भीतर आकर ननद ने पहले मेरे इस मित्र को अपनी भाभी का वेष पहना दिया और उसे साथ लेकर घर चली गयी। नववधू ने मेरे मित्र का पुरुषवेष पहन लिया और मैं उसे अपने साथ मन्दिर से बाहर निकाल लाया और उसे लेकर उज्जयिनी की ओर चल पड़ा। उसी रात को जब विवाह की धूमधाम के कारण लोग मद्यपान के कारण मत्त होकर सो गये, तो मेरे मित्र के साथ उसकी प्रेमिका भी घर से निकल भागी और उज्जयिनी में आकर ये लोग यहाँ हमको मिल गये। हे राजन्, यही हमारी कथा है। हम दोनों मित्रों की प्रेमिकाएँ भाभी और ननद हमारे साथ हैं।

हम लोग उज्जयिनी में रहने का ठौर खोज रहे हैं और अपनी प्रेमिकाओं के परिजनों के भय से त्रस्त भी हैं। आप हमारे साथ, जैसा चाहें वैसा करें। राजा उन दोनों की यह कथा सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बोले, घबराओ मत। मैं तुम लोगों के उज्जयिनी में निवास की व्यवस्था करूँगा और जीविका की भी। इतनी कथा सुनाकर राजा ने रानी से कहा, इस प्रकार मनुष्य साहस करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है और दुस्साहस के कारण अधोगति को भी पा सकता है। मनुष्य को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। मुझे यही लगता है कि अपने कर्मों के कारण कोई देवजाति का प्राणी ही तुम्हारे गर्भ में आया है।

कुछ समय बाद रानी तारादत्ता ने एक अलौकिक रूप वाली कन्या को जन्म दिया। राजा कलिंगदत्त को पुत्र की चाह थी। कन्या के जन्म का समाचार सुनकर उनका मन खिन्न हो गया। राजा ने अपनी सद्यःजात कन्या का मुँह भी नहीं देखा। दिन भर वे उदास बैठे रहे। तब राजकुल में सबसे पूज्य और वयोवृद्ध एक ब्राह्मण ने उन्हें समझाते हुए कहा, महाराज! कन्या तो पुत्र से भी उत्तम होती है। वह इस लोक और परलोक दोनों में कल्याण करती है। पुत्रों का क्या? राज्य के लोभ में बन्दरों की तरह वे पिता को नोच खाते हैं। इस प्रकार बड़े-बूढ़ों के समझाने पर राजा का जी हल्का हो गया। कन्या का नाम कलिंगसेना रखा गया। सागर की नन्ही लहरों की तरह वह अपनी किलकारियों से सारे राजभवन और उसके बाहर के राजोद्यान को आनन्दित कर देती। फिर वह थोड़ी बड़ी हुई तो पिता के प्रासाद में, अन्तःपुर में प्रमदोद्यान में और राजकुल के दूसरे महलों में कूदती फुदकती फिरती। एक बार वह राजप्रासाद की छत पर खेल रही थी।

आकाश से जाती हुई सोमप्रभा ने देख लिया। सोमप्रभा मय दानव की बेटी थी। उसे देखते ही सोमप्रभा का जी जुड़ा गया। उसका मन हुआ कि इस सुन्दर राजकन्या से मित्रता कर ले। वह अदृश्य होकर छत पर उतरी और फिर मानवी के रूप में कलिंगसेना के आगे प्रकट हो गयी। कलिंगसेना उसे देखकर बड़ी प्रसन्न हुई। दोनों घुलमिलकर बातें करने लगीं। दोनों बतरस में डूबी एक-दूसरे का हाथ हाथ में लिये बैठी थीं। कलिंगसेना ने कहा, तुमने अपना नाम, कुल और घर का अता-पता तो बताया ही नहीं। सोमप्रभा ने कहा, सब बताऊँगी। तुम ठहरीं इतने बड़े वंश की राजकुमारी। मुझे तो यही शंका है कि कहीं कभी किसी बात पर तुम कुपित होकर मेरी मित्रता न त्याग दो। राजघराने के लोगों से मैत्री निभाना बड़ा कठिन है। इस विषय में मैं तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ, सुनो।

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रचनाएँ
कमलेश्वर जी की हिन्दी कहानियाँ
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कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। 'आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। कमलेश्वर के कुछ ख़ास सृजन में 'काली आंधी', 'लौटे हुए मुसाफ़िर', 'कितने पाकिस्तान', 'तीसरा आदमी', 'कोहरा' और 'माँस का दरिया' शामिल हैं। हिंदी की कई पत्रिकाओं का संपादन किया लेकिन पत्रिका 'सारिका' के संपादन को आज भी मानक के तौर पर देखा जाता है। कमलेश्वर ने तीन सौ से ऊपर कहानियाँ लिखी हैं।
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अदालती फ़ैसला

20 जुलाई 2022
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अदालत में एक संगीन फ़ौजदारी मुकद्दमे के फ़ैसले का दिन। मुकद्दमा हत्या की कोशिश का था क्योंकि जिसे मारने की साजिश की गई थी वह गहरे जख्म खाकर भी अस्पताल की मुस्तैद देखभाल और इलाज की बदौलत जिन्दा बच गया

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अपने ही दोस्तों ने

20 जुलाई 2022
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हुआ यह कि भारत में विकास कार्यक्रम चल रहा था। एक सड़क निकाली गई जिसने घने जंगल को दो हिस्सों में बाँट दिया। उत्तरी हिस्से में शेर रह गए और दक्षिणी हिस्से में गीदड़ रह गए। तो एक दिन गीदड़ों के मुसाहिब

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आधी दुनिया

20 जुलाई 2022
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जहाज छूटने में कुछ देर थी। जेटी के कगार पर बैठे हुए पक्षी अजनबियों की तरह इधर-उधर देख रहे थे। जैसे वे उड़ने के लिए कतई तैयार न हों। खौलते पानी के बुलबुलों की तरह उनमें से एक-दो धीरे-से कुदकते थे और फि

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इंतज़ार

20 जुलाई 2022
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रात अँधेरी थी और डरावनी भी। झाड़ियों में से अँधेरा झर रहा था और पथरीली ज़मीन में जगह-जगह गढ़े हुए पत्थर मेंढ़कों की तरह बैठे हुए थे। बिजिलांते के बूटों की आवाज़ से दहशत और बढ़ जाती थी। हवा हमेशा की तर

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एक थी विमला

20 जुलाई 2022
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पहला मकान–यानी विमला का घर इस घर की ओर हर नौजवान की आँखें उठती हैं। घर के अन्दर चहारदीवारी है और उसके बाद है पटरी। फिर सड़क है, जिसे रोहतक रोड के नाम से जाना जाता है। अगर दिल्ली बस सर्विस की भाषा में

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क़सबे का आदमी

20 जुलाई 2022
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सुबह पाँच बजे गाड़ी मिली। उसने एक कंपार्टमेंट में अपना बिस्तर लगा दिया। समय पर गाड़ी ने झाँसी छोड़ा और छह बजते-बजते डिब्बे में सुबह की रोशनी और ठंडक भरने लगी। हवा ने उसे कुछ गुदगुदाया। बाहर के दृश्य स

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कितने पाकिस्तान

20 जुलाई 2022
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कितना लम्बा सफर है! और यह भी समझ नहीं आता कि यह पाकिस्तान बार-बार आड़े क्यों आता रहा है। सलीमा! मैंने कुछ बिगाड़ा तो नहीं तेरा...तब तूने क्यों अपने को बिगाड़ लिया? तू हँसती है...पर मैं जानता हूं, तेरी

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खर्चा मवेशियान

20 जुलाई 2022
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राज्य के वन-मन्त्री दौरे पर थे। रिजर्व फारेस्ट के डाक बँगले में उन्होंने डेरा डाला। उनके साथ के लश्कर वालों ने भी। उन्होंने वन अधिकारी को बुलवाया और ताकीद की-देखो रेंजर बाबू! मैं पुराने मन्त्री की तरह

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गर्मियों के दिन

20 जुलाई 2022
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चुंगी-दफ्तर खूब रँगा-चुँगा है । उसके फाटक पर इंद्रधनुषी आकार के बोर्ड लगे हुए हैं । सैयदअली पेंटर ने बड़े सधे हाथ से उन बोर्ड़ों को बनाया है । देखते-देखते शहर में बहुत-सी ऐसी दुकानें हो गई हैं, जिन पर

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चप्पल

20 जुलाई 2022
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कहानी बहुत छोटी सी है मुझे ऑल इण्डिया मेडिकल इंस्टीटयूट की सातवीं मंज़िल पर जाना था। अाई०सी०यू० में गाड़ी पार्क करके चला तो मन बहुत ही दार्शनिक हो उठा था। क़ितना दु:ख और कष्ट है इस दुनिया में...लगातार

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जार्ज पंचम की नाक

20 जुलाई 2022
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यह बात उस समय की है जब इंग्लैंण्ड की रानी ऐलिज़ाबेथ द्वितीय मय अपने पति के हिन्दुस्तान पधारने वाली थीं। अखबारों में उनके चर्चे हो रहे थे। रोज़ लन्दन के अखबारों में ख़बरें आ रही थीं कि शाही दौरे के लिए

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तस्वीर, इश्क की खूँटियाँ और जनेऊ

20 जुलाई 2022
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वे तीन वेश्याएँ थीं। वे अपना नाम और शिनाख्त छुपाना नहीं चाहती थीं। वैसे भी उनके पास छुपाने को कुछ था नहीं। वे वेश्याएँ लगती भी नहीं थीं। उनके उठने-बैठने और बात करने में सलीका था। मेक-अप भी ऐसा नहीं जो

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तुम कौन हो

20 जुलाई 2022
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रात तूफानी थी। पहले बारिश, फिर बर्फ की बारिश और बेहद घना कोहरा। अगर हवा तेज न होती तो शायद इतनी मुसीबत न उठानी पड़ती। पर हवा और हवा में फर्क होता है। यह तो तूफानी हवा थी जो तीर की तरह लगती थी। गाड़ी व

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नीली झील

20 जुलाई 2022
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बहुत दूर से ही वह नीली झील दिखाई पड़ने लगती है। सपाट मैदानों के छोर पर, पेड़ों के झुरमुट के पीछे, ऐसा मालूम पड़ता है, जैसे धरती एकदम ढालू होकर छिप गया हो, लेकिन गौर से देखने पर ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच

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पेट्रोल

20 जुलाई 2022
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मन्त्री जी लम्बे दौरे से लौट रहे थे। अरे ड्राइवर! पेट्रोल पूरा भरवा लिया था? जी साब, भरवा नहीं पाया। पर इतना है कि घर तक आराम से पहुँच जाएँगे! तभी रास्ते में उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र के दो लोग मिल

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मांस का दरिया

20 जुलाई 2022
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जाँच करने बाली डॉक्टरनी ने इतना ही कहा था कि उसे कोई पोशीदा मर्ज नहीं है, पर तपेदिक के आसार ज़रूर हैं। उसने एक पर्चा भी लिख दिया था। खाने को गिज़ा बताई थी। कमेटी पहले ही पेशे पर रोक लगा चुकी थी। सब प

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राजा निरबंसिया

20 जुलाई 2022
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'एक राजा निरबंसिया थे', मां कहानी सुनाया करती थीं। उनके आस-पास ही चार-पांच बच्चे अपनी मुट्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुन्दर-सा चौक पुर

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लाश

20 जुलाई 2022
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सारा शहर सजा हुआ था। खास-खास सडकों पर जगह-जगह फाटक बनाए गए थे। बिजली के खम्भों पर झंडे, दीवारों पर पोस्टर। वालण्टियर कई दिनों से शहर में पर्चे बाँट रहे थे। मोर्चे की गतिविधियाँ तेज़ी पकडती जा रही थीं।

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सफेद सड़क

20 जुलाई 2022
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सुबह खिड़की के काँच पर भाप जमी थी। भीतर से साफ करना चाहा तो बाहर पानी की लकीरें नरम बर्फ की परत जमी रहीं। फिर भी कुछ-कुछ दिखाई देता था। ट्रेन किसी मोड़ पर थी। उसके कूल्हे पर खूबसूरत खम पड़ रहा था। नर्

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सवाल नंगी सास का

20 जुलाई 2022
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सुबह खिड़की के काँच पर भाप जमी थी। भीतर से साफ करना चाहा तो बाहर पानी की लकीरें नरम बर्फ की परत जमी रहीं। फिर भी कुछ-कुछ दिखाई देता था। ट्रेन किसी मोड़ पर थी। उसके कूल्हे पर खूबसूरत खम पड़ रहा था। नर्

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सीख़चे

20 जुलाई 2022
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जिन्दगी के दूसरे पहर में यदि सूरज न चमका तो दोपहरी कैसी ? बादल आते हैं, फट जाते हैं, परन्तु ये भूरे धुँधले बादल तो उसे हटते नजर ही नहीं आते। अगर उसका अपना दूसरा सूरज हो तो कैसा रहे ? इस मुहल्ले में अ

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सुबह का सपना

20 जुलाई 2022
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बात असल में यों हुई। उन दिनों शहर में प्रदर्शनी चल रही थी। जाने की कभी तबीयत न हुई। आखिर एक दिन मेरे मित्र मुझे घर से पकड़ ले गए। शायद आखिरी दिन था उसका। चला गया, पर ऐसे जमघटों में अब मन नहीं जमता। वह

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हवा है, हवा की आवाज नहीं है

20 जुलाई 2022
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कैरीन उदास थी। उसे पता था कि सुबह हमें चले जाना है। लेकिन उदास तो वह यों भी रहती थी। उस दिन भी उदास ही थी, जब पहली बार मिली थी। हम हाल गाँव का रास्ता भूलकर एण्टवर्प के एक अनजाने उपनगर में पहुँच गये थे

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शास्त्रज्ञ मूर्ख (हितोपदेश)

20 जुलाई 2022
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किसी नगर में चार ब्राह्मण रहते थे। उनमें खासा मेल-जोल था। बचपन में ही उनके मन में आया कि कहीं चलकर पढ़ाई की जाए। अगले दिन वे पढ़ने के लिए कन्नौज नगर चले गये। वहाँ जाकर वे किसी पाठशाला में पढ़ने लगे।

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अपनी-अपनी दौलत

20 जुलाई 2022
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पुराने ज़मींदार का पसीना छूट गया, यह सुनकर कि इनकमटैक्स विभाग का कोई अफसर आया है और उनके हिसाब-किताब के रजिस्टर और बही-खाते चेक करना चाहता है। अब क्या होगा मुनीम जी ? ज़मींदार ने घबरा कर कहा-कुछ करो म

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आत्मा की आवाज़

20 जुलाई 2022
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मैं अपना काम खत्म करके वापस घर आ गया था। घर में कोई परदा करने वाला तो नहीं था, पर बड़ी झिझक लग रही थी। गोपाल दूर के रिश्ते से बड़ा भाई होता है, पर मेरे लिए वह मित्र के रूप में अधिक निकट था। आंगन में च

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इंटेलैक्च्युअल

20 जुलाई 2022
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हिन्दी के एक बड़े आदरणीय आचार्य थे। आस्था से वे घनघोर सनातनी थे। लेकिन एक दिन न जाने क्‍या हुआ कि आचार्य जी ने सनातन धर्म की धज्जियाँ निकाल दीं। आर्य समाजियों को ख़बर मिली। वे बड़े प्रसन्‍न हुए। उन्ह

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एक अश्लील कहानी

20 जुलाई 2022
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नग्नता में भयानक आकर्षण होता है, उससे आदमी की सौन्दर्यवृत्ति की कितनी सन्तुष्टि होती है और कैसे होती है, यह बात बड़े दुःखद रूप में एक दिन स्पष्ट हो ही गयी। अनावृत शरीर से न जाने कैसी किरनें फूटती हैं,

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कर्त्तव्य

20 जुलाई 2022
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शाही हरम की बेगमों की डोलियाँ बीजापुर से दिल्ली की ओर जा रही थीं : रास्ता बीहड़ और सुनसान था। रास्ते में मराठा महाराज शिवाजी का इलाका तो पड़ता ही था। सेना के अपने दुश्मन और अपनी दक्षता होती है, साथ ही

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कामरेड

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लाल हिन्द, कामरेड!--एक दूसरे कामरेड ने मुक्का दिखाते हुए कहा। लाल हिन्द--कहकर उन्होंने भी अपना मुक्का हवा में चला दिया। मैं चौंका, और वैसे भी लोग कामरेड़ों का नाम सुन कर चौंकते हैं! वास्तव में किसी ह

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कोहरा

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पियरे की बात मुझे बार-बार याद आ रही थी-पैसे से उजाला नहीं होता ! अगर होता, तो हमारा देश सूरज को खरीद लेता ! लेकिन तुम सूरज नहीं खरीद सकते ! उस वक्त हम एक छोटी-सी घाटी में खड़े हुए थे। रीथ भी साथ थी।

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खामोशी एडगर ऐलन पो

20 जुलाई 2022
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'मेरी बात सुनो,' शैतान ने मेरे सिर पर हाथ रखते हुए कहा, 'जिस जगह की मैं बात कर रहा हूँ, वह लीबिया का निर्जन इलाका है - जेअर नदी के तट के साथ-साथ, और वहाँ न तो शांति है, न खामोशी। नदी का पानी भूरा मटमै

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गार्ड आफ ऑनर

20 जुलाई 2022
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मिली-जुली गठबन्धन सरकार के एक मन्त्री। पुलिस लाइन में उनका दौरा था। कार से उतरते ही वे प्रशंसकों-चापलूसों से घिर गए। गले में मालाएँ पड़ने लगीं। फूलों की बौछार। नारों की जय-जयकार। तब एक पुलिस अफसर भी

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चौकी-चौका -बंदर

20 जुलाई 2022
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एक पण्डित जी घर के चबूतरे पर चौकी लगाकर बैठते थे। मोहल्ले के लोग कभी धर्म पर, कभी स्वास्थ्य पर, कभी ध्यान योग पर उनके उपयोगी प्रवचन सुनते थे। उसी चौकी पर लोग दान-दक्षिणा रख देते थे। उसी से पण्डित जी

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तलाश

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उसने बहुत धीरे-से दरवाज़े को धक्का दिया। वह भीतर से बंद था। जब तक वह सोई थी, तब तक बीचवाला दरवाज़ा बंद नहीं किया गया था। भिड़े हुए दरवाज़े की फाँक से रोशनी का एक आरा-सा गिरता रहा था, रोशनी मोमिया कागज

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तीसरा संस्करण

20 जुलाई 2022
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एक बौद्ध भिक्षु था। उसने छह खण्डों में भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी लिखी। लगभग तीन हजार पृष्ठों के उस भारी-भरकम ग्रन्थ को प्रकाशित करने के लिए कोई प्रकाशक तैयार नहीं हुआ। भिक्षु बहुत निराश हुआ। तब समाज क

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दिल्ली में एक मौत

20 जुलाई 2022
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मैं चुपचाप खडा सब देख रहा हूँ और अब न जाने क्यों मुझे मन में लग रहा है कि दीवानचंद की शवयात्रा में कम से कम मुझे तो शामिल हो ही जाना चाहिए था। उनके लडके से मेरी खासी जान-पहचान है और ऐसे मौके पर तो दुश

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पत्थर की आँख

20 जुलाई 2022
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यह दो दोस्तों की कहानी है। एक दोस्त अमेरिका चला गया। बीस-बाईस बरस बाद वह पैसा कमाके भारत लौट आया। दूसरा भारत में ही रहा। वह गरीब से और ज्यादा गरीब होता चला गया। अमीर ने बहुत बड़ी कोठी बनवाई। उसने अपने

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भूख

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पूस की दाँतकाटी सर्दी पड़ रही थी। बच्चा भूखा था। माँ के स्तनों में दूध नहीं था। थोड़ी दूर पर एक अलाव जल रहा था। भूखा बच्चा माँ के स्तनों को निचोड़ता पर जब दूध नहीं निकलता था तो वह बच्चे को लेकर अलाव क

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मुक़ाबला

20 जुलाई 2022
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सभी को मालूम है कि शेर बहुत सफाई पसन्द होता है। एक बार हुआ यह कि किसी बात पर शेर और जंगली सुअर में झगड़ा हो गया। जंगल के लगभग सभी जानवर शेर से भयभीत रहते थे। उन्हें मौका मिल गया। उन्होंने सोचा, जंगली

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रावल की रेल

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तो दोस्तो, हुआ ऐसा कि मैं कच्छ के दिशाहारा रेगिस्तान की यात्रा से ध्वस्त और त्रस्त किसी तरह भुज (गुजरात) पहुँचा। स्टेशन के अलावा और कोई भरोसे की जगह नहीं थी, इसलिए वहीं चला गया। स्टेशन पर मीटर गेज की

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वीपिंग-विलो

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हैम्पटन कोर्ट पैलेस से निकलकर गरम चाय पीने की तलब सता रही थी। पुराने किलों या महलों से निकलकर जैसी व्यर्थता हमेशा भीतर भर जाती है, वैसी ही व्यर्थता मन में भरी हुई थी। एक निहायत बेकार-सी अनुभूति। उदासी

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सर्कस

20 जुलाई 2022
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सर्कस तो आपने जरूर देखा होगा। उसमें तरह-तरह के ख़तरनाक और दिल दहलाने वाले करतब दिखाए जाते हैं। शायद आपने वह बेमिसाल खेल भी देखा हो, जिसमें लकड़ी का एक बड़ा चक्‍का घूमता हुआ आता है। उसी के साथ एक छरहरे

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सिपाही और हंस

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तो दोस्तो ! आपको एक कहानी सुनाकर मैं अपनी बात समाप्त करूँगा। हुआ यह कि अंग्रेज भारत छोड़ कर जा चुके थे। राजे-महाराजों-नवाबों की रियासतों का विलय विभाजित भारत में हो चुका था। इंदिरा गांधी ने इनके लाखो

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सुख

20 जुलाई 2022
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यह किस्सा मुझे वरसोवा के एक मछुआरे ने सुनाया था। तब मैं अपने वीक-एण्ड घर 'पराग' में आकर रुकता था और सागर तट पर घूमता और डूबते सूरज को देखा करता था। तब मेरी जिन्दगी को अफ़वाहों का पिटारा बना दिया गया थ

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हमलावर कौन ?

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दोस्तो! यह आज के यथार्थ को पेश करती एक दारुण कहानी है। इसके लेखक हैं-मुद्राराक्षष। यह कालजयी कहानी मैं आपको सुनाता हूँ- भारत-पाकिस्तान युद्ध । भारत की सेनाएँ पाकिस्तानी इलाकों को जीतती हुई भीतर तक पा

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लघु-कथाएँ

20 जुलाई 2022
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घूँघटवाली बहू बात वृन्दावन की है। मैं मन्दिरों में नहीं जाता। देखना हो तो जाने से परहेज भी नहीं करता। कहा गया कि बिहारी जी का मन्दिर तो देख ही लीजिए। यानी दर्शन कर लीजिए। गया। पर रास्ते और आस-पास की

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इनसान और भगवान्

20 जुलाई 2022
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यह एक अजीब विस्मयकारी और चौंकानेवाला दृश्य था। भादों का महीना और कृष्ण जन्माष्टमी का अवसर। निर्जला व्रत किए लाखों लोगों का हुजूम, जो कृष्ण जन्माष्टमी के महोत्सव में शामिल होने आए थे। कृष्ण मंदिरों के

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अष्टावक्र का विवाह

20 जुलाई 2022
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एक बार महर्षि, अष्टावक्र महर्षि वदान्य की कन्या के रूप पर मोहित हो गये। उन्होंने उसके पिता के पास जाकर उस कन्या के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की। तब महर्षि वदान्य ने मुस्कराते हुए अष्टावक्र से कहा,

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दीर्घतमा और प्रद्वेषी

20 जुलाई 2022
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प्राचीन काल में उतथ्य नाम के एक ऋषि थे। उनकी स्त्री का नाम ममता था। ममता अत्यन्त रूपवती थी। जब वह चलती तो आश्रम में एक बार तो उस रूप की गन्ध चारों ओर बिखर जाती। ममता के इस अनुपम रूप को देखकर उतथ्य के

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बिलाव और चूहे

20 जुलाई 2022
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किसी विशाल घने वन में एक विशाल बरगद का वृक्ष था। उसकी जड़ों में सौ मुँह वाला बिल बनाकर पालित नाम का एक चूहा रहता था। उसी वृक्ष की डाल पर लोमश नाम का एक बिलाव रहता था। कुछ दिनों बाद एक चाण्डाल भी आकर उ

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कबूतर और बहेलिया

20 जुलाई 2022
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प्राचीन काल में एक क्रूर और पापात्मा बहेलिया रहता था। वह सदा पक्षियों को मारने के नीच कर्म में प्रवृत्त रहता था। उस दुरात्मा का रंग कौए के समान काला था और उसकी आकृति ऐसी भयानक थी कि सभी उससे घृणा करते

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मृत्यु ही ब्रह्म है

20 जुलाई 2022
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याज्ञवल्क्य ने जाने कितने छात्रों को, जाने कितनी बार पढ़ाया होगा यह सूक्त। कितनी बार दुहराया होगा वह अर्थ जो उन्होंने अपने गुरु से सुना था। पर आज पहला मन्त्र पढ़ना आरम्भ किया, “न असत् आसीत् न सत् आसीत

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गुरु मिले तो

20 जुलाई 2022
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वरुण एक जमाने में सबसे बड़े देवता थे। इन्द्र से भी बड़े। जिस काम के लिए बाद में इन्द्र बदनाम हुए उसका भी कुछ सम्बन्ध वरुण से था। नतीजा यह कि अनेक ऋषियों को वरुण की सन्तान होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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कुत्ते का ब्रह्म ज्ञान

20 जुलाई 2022
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बात बहुत पुरानी है। उस समय कुत्ते आदमी की और आदमी कुत्तों की भाषा जानते थे और कुछ कुत्ते तो सामगान करते हुए भौंकते थे। जो लोग कुत्तों की भाषा समझ लेते थे वे कुत्तों के ज्ञान पर आदमी के ज्ञान से अधिक भ

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वररुचि की कथा

20 जुलाई 2022
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वररुचि के मुँह से बृहत्कथा सुनकर पिशाच योनि में विन्ध्य के बीहड़ में रहने वाला यक्ष काणभूति शाप से मुक्त हुआ और उसने वररुचि की प्रशंसा करते हुए कहा, आप तो शिव के अवतार प्रतीत होते हैं। शिव के अतिरिक्त

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गुणाढ्य

20 जुलाई 2022
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गुणाढ्य राजा सातवाहन का मन्त्री था। भाग्य का ऐसा फेर कि उसने संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश तीनों भाषाओं का प्रयोग न करने की प्रतिज्ञा कर ली थी और विरक्त होकर वह विन्ध्यवासिनी के दर्शन करने विन्ध्य के वन

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राजा विक्रम और दो ब्राह्मण

20 जुलाई 2022
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संसार में प्रसिद्ध उज्जयिनी नगरी महाकाल की निवासभूमि है। उस नगरी के अमल धवल भवन इतने ऊँचे-ऊँचे हैं कि देखकर लगता है जैसे कैलास के शिखर भगवान शिव की सेवा के लिए वहाँ आ गये हों। उस नगरी में यथा नाम तथा

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शूरसेन और सुषेणा

20 जुलाई 2022
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गोमुख ने कहा, श्रावस्ती में शूरसेन नाम का एक राजपुत्र था। वह राजा का ग्रामभुक था। राजा के लिए उसके मन में बड़ी सेवा भावना थी। उसकी पत्नी सुषेणा उसके सर्वथा अनुरूप थी और वह भी उसे अपने प्राणों की तरह च

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कैवर्तक कुमार

20 जुलाई 2022
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राजगृह में मलयसिंह नाम के राजा राज्य करते थे। उनके मायावती नाम की अप्रतिम रूपवती एक कन्या थी। एक बार वह राजोद्यान में खेल रही थी तभी एक कैवर्तककुमार (मछुआरे के बेटे) की दृष्टि उस पर पड़ गयी। सुप्रहार

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