न हाथ एक शस्त्र हो,
न हाथ एक अस्त्र हो,
न अन्न वीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
रहे समक्ष हिम-शिखर,
तुम्हारा प्रण उठे निखर,
भले ही जाए जन बिखर,
रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
घटा घिरी अटूट हो,
अधर में कालकूट हो,
वही सुधा का घूंट हो,
जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।