नयनों की रेशम डोरी से
अपनी कोमल बरजोरी से।
रहने दो इसको निर्जन में
बांधो मत मधुमय बन्धन में,
एकाकी ही है भला यहाँ,
निठुराई की झकझोरी से।
अन्तरतम तक तुम भेद रहे,
प्राणों के कण कण छेद रहे।
मत अपने मन में कसो मुझे
इस ममता की गँठजोरी से।
16 जून 2022
नयनों की रेशम डोरी से
अपनी कोमल बरजोरी से।
रहने दो इसको निर्जन में
बांधो मत मधुमय बन्धन में,
एकाकी ही है भला यहाँ,
निठुराई की झकझोरी से।
अन्तरतम तक तुम भेद रहे,
प्राणों के कण कण छेद रहे।
मत अपने मन में कसो मुझे
इस ममता की गँठजोरी से।
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सोहन लाल द्विवेदी का जन्म 22 फरवरी 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की तहसील बिन्दकी ग्राम सिजौली नामक स्थान पर हुआ। उनकी माता सार्वित व पिता पं० बिन्दाप्रसाद द्विवेदी एक कर्मनिष्ठ कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। द्विवेदी जी की हाई स्कूल तक की शिक्षा फतेहपुर में तथा इन्होंने हिंदी में एम.ए. किया तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया।उच्च शिक्षा हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुई। 1 मार्च 1988 को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी चिर निद्रा में लीन हो गए। सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत की अमूल्य निधि थे। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं।राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में इनका स्थान मूर्धन्य है।वह हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। D