दिक्कतों से लड़ते हुए वो पत्थर सा बन गया,
जब दिल से कही बात हो तो पराया बन गया ।
कोई असर होता नहीं उनके जिस्मों जिगर पर,
घंटी मंदिर में बजे या जलें दिया वो बेख़बर रहा ।
इंसान क्यूँ बेवफ़ा और खफ़ा होते हैं इंसान पर,
रूह में नींव नहीं महल खोखले रिश्तों से बना ।
कितनी बारीकियों से बुना हुआ रिश्ता हो पर,
हर एक व्यक्ति दूसरे से भले खून से न हों जुड़ा !
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|| पंकज त्रिवेदी || (चित्र: गूगल से)