तुम जिसे अनुशासित कहते हो, मैं उस अनुशासन में जी नहीं सकता । क्योंकि मैं इन्सान हूँ और वो हमेशा अनुशासन में जी नहीं सकता ।
तुम मुझसे प्यार नहीं करते, मुझ पर अंकुश लगाते हो शायद ! और मैं निरंकुश हूँ इसलिए
इंसानियत को चाहता हूँ । पेड़-पौधों और जानवरों को भी चाहता हूँ, क्योंकि वो मुझसे
अनुशासन की अपेक्षा नहीं रखते । और न मुझ पर अंकुश के डोरे डालते है ।
प्यार करना वैसे तो इस समाज में अनुशासन को तोड़ना ही है ! इसलिए मैं कहीं भी किसी के बंधन में, उनके अधिकार क्षेत्र में जो महसूस करता हूँ वो है सिर्फ - घुटन !!!
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