रहनुमा ने डेरा डाला है जब से इस गाँव में
कहते हैं जैसे किस्मत बदल गई है गाँव में
बहुत सालों बाद वो आता है तो आने भी दो
हवा का रूख पलटता देता है वो इस गाँव में
बहुत घुमते फिरते मुकम्मल जहाँ न मिला
इसी मिट्टी में दफ़न होने को आया गाँव में
कौन था वो क्या था मेरा तुम्हारा कहो तो ज़रा
किसी से रिश्ता नहीं था मगर आता था गाँव में
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पंकज त्रिवेदी