मेरा झरोखा आज मेरी दुनिया है
जो मैं चाहूँ वो ही सब दीखता है
आपके सुरीले शब्द सुकून देता है
आँखों में आपका प्यार दिखता है
प्यार के लिए फूलों की जरुरत नहीं
मधुर स्मित से भी चेहरा खिलता है
सितमगरों से शिकायत क्या करें हम
चंद लोग जो मेरी खुशियों का हिस्सा है
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|| पंकज त्रिवेदी ||