आओ ज़िंदगी से थोडा प्यार कर लें
दो चार लोगों से मिलकर बात कर लें
ज़िंदगी है तो धूप छाँव रहेगी हमेशा
थोडा सुख-दुःख आपस में बाँट भी लें
दर्द मेरे सीने में हो तो तुम्हारे सीने में क्यूँ?
मोहब्बत की यही निशानी को भी परख लें
बड़ी उम्मींद लगाये बैठे है हमारे चाहने वाले
हम हार क्यूँ मानेंगे आओ थोडा संभल लें
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|| पंकज त्रिवेदी ||