जब भी तुमसे - बात करने का मन होता है, मैं आँखें मूंदकर झूले पे बैठ जाता हूँ । मन को शांत करने के लिए । खूब समझाता हूँ मैं ! आखिर ये मन तो है, सबकुछ करवाता है । कभी मानें या न भी मानें !
भरसक कोशिश के बाद मैं तुम्हारी तसवीरों के एल्बम में देखता हूँ । मन तब भी नहीं मानता कि - तुम अब नहीं हो !
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