कितनी सहूलियत से लोग जीते है
रिश्तों में कितने बेफिक्र भी होते है
चंद बातों को गुब्बारों में भरकर वो
यहाँ से वहाँ तक कैसे पहुंचा देते है
पानी बहता हुआ जब भी आता है
अपने बिछौने को लिए चले जाते है
बड़ी कोमलता से जुड़े रिश्तों के लिए
पल में वो मेरे या आपके हो जाते है !
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