आज भी महकती है खुश्बू इस आँगन में
सूखे पत्तों पे हरसिंगार का फूल रखता हूँ
तुम साथ न होकर भी कितनी करीब हो
फूल में हर पल तुम्हे मैं महसूस करता हूँ
बातों बातों पे तुम कसम देती थी मुझको
किसने हाथ छोड़ दिया यही मैं सोचता हूँ
इलज़ाम बहुत लगाये है हम पर दुनिया ने
तुम्हारे मौन के बारे में आज भी सोचता हूँ
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- पंकज त्रिवेदी