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gazal

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ढूंढ़ते हैं हम जहाँ पे ज़िन्दगी मिलती नहींजाने ये किसका दोष है कलियां अब खिलती नहींपत्तियां इस पेड़ की खामोश हैं मायूस हैंजब हवा ही ना चले तन्हा ये हिलती नहींइस कदर कमज़ोर है कुछ आज धागा प्रेम कालाख कोशिश कर ले कोई चोटें तो सिलती नहीं गर्द इतनी जम चुकी है रिश्तों के संसार मेंकुछ भी कर लो मोटी परतें

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दो दिल जहाँ नज़दीक हों और खुल के मन की बात होवो पल अगर तुम थाम लो हरदम सुहानी रात हो झुलसा सा तन उलझा सा मन और तुम कहीं से आ गएनभ में घटाएं छा गईँ कैसे ना अब बरसात हो ओस से भीगा समां और ठंडी ठंडी ये सुबहतुम ढली जाती हो मुझपे ज्यूँ महकता पारिजात हो प्यार का गुल खिल गया तो फिर ये मुरझाता नहींचाहे मुकद

हो गया इश्क़ तो मौसिक़ी आ गई हमसे मिलने गले ज़िंदग़ी आ गई ,दर ख़ुदा के गए लाख सज़दे किए अब मआनी सही बंदग़ी आ गई ,तल्ख़ तेवर अभी तक हमारे रहे क्या हुआ जो हमें सादगी आ गई ,हो रहा है असर आ रहा है नज़र बात ही बात में मसख़री आ गई ,वो कहे जा

आपको हमसे मुहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं आपकी हमपे इनायत हो ज़रूरी तो नहीं एक पत्थर से लगा बैठे लगन क्या है बुरा बस ख़ुदा की ही इबादत हो ज़रूरी तो नहीं ख़्वाब आँखें ही दिखाती हैं ख़ता दिल की कहाँ ख़्वाब अंजाम ए हकीक़त हो ज़रूरी तो नहीं हाँ चलो माना शरीफों ने बसाया ये नगर ह

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मुहब्बत ग़र समझता वो तो यूँ रूठा नहीं होताअलि के चूम लेने से फूल झूठा नहीं होताना संग जाएगा कुछ तेरे ना संग जाएगा कुछ मेरेसमझता बात ये ग़र वो साथ छूटा नहीं होताआईने की छवि घर को कभी रुसवा नहीं करतीतेरा पत्थर ना लगता तो कांच टूटा नहीं होतादोष सब देते हैं मुझको मगर सच भी तो पहचानोचमक होती ना हीरे में

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देख के मन लगे गर किसी को पाने मेंहो गई उस से मुहब्बत तुम्हें ज़माने मेंअकेले तुम रहोगे बीच में जो लोगों केतन्हा खुद को नहीं पाओगे तब वीराने मेंमुहब्बत का सरूर जब दिलों में होता हैएक अदा दीखती है छुप के मुस्कुराने मेंइन मयखानों को तुम दोष कैसा देते होयहाँ हर शख्स महारत है बस पिलाने मेंतेरी तारीफ अब म

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तुम मेरी ज़िन्दगी में युँहि हौले से आ गएसावन के मेघों की तरह अम्बर पे छा गएतक़दीर के जुए ने मुझे यूँ तो छला कियालेकिन मेरा नसीब था जो तुमको पा गएग़मगीन हुईं महफिलें इक साथ जब छुटालेकिन तुम्हारे गीत मेरे कानों को भा गएछीना तुम्हें पहलू से मेरे मज़बूर कर मुझेलेकिन कभी भी तुम मेरे ख्वाबों से ना गएजीते

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प्यार जब दिल में होता है तो आँखों से झलकता हैयार ग़र सामने हो सांसों में शोला दहकता हैमुहब्बत ज़िन्दगी में फूलों की खुशबू के जैसी हैजिसके कारण सदा जीवन का ये गुलशन महकता हैउल्फ़त के नशे की लत लगी जिसको ज़माने मेंयार की आँखों से पी कर वो तो हरदम बहकता हैघटाएं प्यार की आकाश में जब घिर के आती हैंमिलन क

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वो लम्हें क्या हसीन थे हम तुम जो मिल गएमहके हुए गुलाब से हर ओर खिल गएआँखों में चमक आ गई लब मुस्कुरा दिएचुपके से तुमको देके जब हम ये दिल गएयूँ तो तेरे हर अंग में एक ख़ास बात थीफिर भी मगर हम देखते ठोड़ी का तिल गएअरमान सभी दिल के तुमसे ना कह सकेतुम सामने आए तो फिर ये होंठ सिल गएकुछ दूर ही चले थे हाथ हा

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शोखी है कितनी आज भी तेरी अदाओं मेंमुझको सुकूं मिलता है बस तेरी सदाओं मेंतू नहीं ग़र साथ मुझको धूप लगती हैतेरा संग ले आता है मुझको घटाओं मेंमुँह से कुछ बोले नहीं तुम उम्र भर मुझसेलेकिन मुहब्बत देखी मैंने तेरी खताओं मेंकुछ इस कदर तुमने चमन आबाद कर दियाखुशबू तेरी फैली है बस सारी फ़िज़ाओं मेंशिकवे बहुत हैं

“गज़ल” आयी जिसके हाथ में लाठी मालामाल है कुर्सी संग दिलवाली मीठी चतुर कमाल है नाचे गाए मन मुसकाए सुंदर सी काया आनी जानी दौलत काठी माया मलाल है॥ भरे चौराहे शोर मचा तू चोर मैं सच्चा पहचानो तो निंदा खोटी नेक निहाल है॥पोछ रहें है मुँह अपना मानों गंदी नाली राजनीति बे-वस भई खाट

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तुम्हारे प्यार की खातिर अदावत मोल ली मैंनेग़मों की पोटली खुद के लिए ही खोल ली मैंनेमुझे मालूम था ये आंधियां घर को उजाड़ेंगीना जाने क्या हुआ फिर भी ये खिड़की खोल ली मैंनेदेख के रुख ज़माने का हुए थे दूर सब तुमसेमगर तब भी तो मीठी बात तुमसे बोल ली मैंनेमुझे तन्हा ना छोड़ोगे कहा करते थे तुम मुझसेझूठ हर बात वो

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मुहब्बत में घिरे जो भी यही अंजाम हो जाएतड़प ले उम्र भर की और सारा चैन खो जाएकभी ना दर्द से जिनका रहा हो वास्ता कोईउनके आंसू छलकते हैं जो उल्फत बीज बो जाएइसके बिन ज़िंदगी कैसी यहाँ वीरान होती हैये तो समझेगा वो इसकी उलझती राह जो जाएमिले सच्ची मुहब्बत ग़र किसी इंसान को हरदमफिर वो तन्हा नहीं तड़पेगा और रातो

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मुहब्बत जब किसी से करके मैंने सपने सजाए हैंतूफानों ने सदा आकर मेरे दीपक बुझाए हैंभले ही कोई अपनी बात से कितना भी मुकरा होमैंने वादे किए जो भी यहाँ हरदम निभाए हैंवो बैठे हैं यहाँ दीवार ओ दर ऊँची किए इतनीबड़ी शिद्दत से जिनके बोझ तो मैंने उठाए हैंवो ही अब सामने पड़ते हैं तो बच के निकलते हैंजिन्हें राहो

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उम्मीद है ये मुझको इंतजार करोगेफिर से अपनी प्रीत का इकरार करोगेजो ना कह सके देख ज़माने को सामनेतन्हाइयों में फिर से वो इजहार करोगेअधूरी पड़ी है ज़िन्दगी एक तेरे बिनसीने से लग पूरा मेरा संसार करोगेमुसीबत कोई भी आए ज़माने की सामनेबेरुखी का कह दो अब ना वार करोगेचलती नहीं मधुकर ये सांसें अब तुम्हारे बिनकह

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आवाज़ तेरी सुन के सामने तो आ गए तुम तो मगर अपना हर ग़म छुपा गएमुँह से कुछ ना बोला बस मुस्कुरा दिए हाल ए दिल आँखों से लेकिन बता गएमुद्दतों से तुमने रुख ना इस तरफ़ कियाएहसान तेरा आज जो चेहरा दिखा गएजो बात तुझमे है वो किसी और में नहीं यूँ ही नहीं अंदाज ये मुझको लुभा गए ये दूरियां मधुकर क्या दूर करेंगी

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फूल कितने भी सुन्दर हों मगर शाखों से झरते हैंदर्द से बच नहीं पाते….मुहब्बत जो भी करते हैंकभी वो पास थे अपने तो मन खुशियों में डूबा थातसव्वुर यार का ले अब तो हम आहें सी भरते हैंबन के धड़कन मुहब्बत में जो भी दिल में समाता हैउसी को ज़िन्दगी में हम सदा ….खोने से डरते हैंवो ना समझे कभी दुश्वारियां उल्फत

बह्र- १२२ १२२ १२२ १२२ काफ़िया-अनी रदीफ़ – आनी “गज़ल” बताओ सनम आप अपनी जुबानीसुनाओ धरूँ ध्यान कथनी कहानीपहल चित अभी जान पाई नहीं हूँखड़ी हूँ भरम भान अवनी विरानी॥कहीं भी कभी भी मिले हम नहीं हैं घिरी हूँ नयन नक्श सपनी सयानी॥ उड़े हैं अनेकों उमड़ घुमड़ बादल न करती किफायत सुनयनी जवा

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माना बड़ी मुश्किल घड़ी है याद फिर भी कर तो लोमुझको लगे कि तुम हो मेरे आह ऐसी भर तो लोतुमको पाकर खो ना दूँ इस सोच ने घायल कियातन बदन की सारी पीड़ा मुस्कुरा कर हर तो लोदिल से मांगो तो खुदा भी मुश्किलें करता है कमहाथ फैलाओ ज़रा और तुम भी कोई वर तो लोमाना अब ना पीओगे तुम आके महफ़िल में मेरीमेरा मन रखने

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देख लो ना बिन तुम्हारे कैसा मेरा अब हाल है हर एक पल बस यूँ लगे तन्हा गुजरता साल हैहसरत तेरे नज़दीक रहने की फना सब हो गईं काटे नहीं कटता है जो रिश्तों का ऐसा जाल हैअब ऋतु आ के चली जाती है बिन उम्मीद केफूलों से सजती नही उजड़ी पड़ी जो डाल है लाख कोशिश तुम करो कुछ बिगड़ता ह

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