तुम्हारे प्यार की खातिर अदावत मोल ली मैंने
ग़मों की पोटली खुद के लिए ही खोल ली मैंने
मुझे मालूम था ये आंधियां घर को उजाड़ेंगी
ना जाने क्या हुआ फिर भी ये खिड़की खोल ली मैंने
देख के रुख ज़माने का हुए थे दूर सब तुमसे
मगर तब भी तो मीठी बात तुमसे बोल ली मैंने
मुझे तन्हा ना छोड़ोगे कहा करते थे तुम मुझसे
झूठ हर बात वो तेरी लहू में घोल ली मैंने
कोई अपना नहीं होता सभी मतलब के रिश्ते हैं
मधुकर ये सच्ची बात अब फिर तोल ली मैंने