माना बड़ी मुश्किल घड़ी है याद फिर भी कर तो लो
मुझको लगे कि तुम हो मेरे आह ऐसी भर तो लो
तुमको पाकर खो ना दूँ इस सोच ने घायल किया
तन बदन की सारी पीड़ा मुस्कुरा कर हर तो लो
दिल से मांगो तो खुदा भी मुश्किलें करता है कम
हाथ फैलाओ ज़रा और तुम भी कोई वर तो लो
माना अब ना पीओगे तुम आके महफ़िल में मेरी
मेरा मन रखने की खातिर जाम लब पे धर तो लो
कोई भी रिश्ता हो मधुकर सींचना पड़ता है वो
चाहे अक्सर मिल सको ना फिर भी तुम ख़बर तो लो