देख के मन लगे गर किसी को पाने में
हो गई उस से मुहब्बत तुम्हें ज़माने में
अकेले तुम रहोगे बीच में जो लोगों के
तन्हा खुद को नहीं पाओगे तब वीराने में
मुहब्बत का सरूर जब दिलों में होता है
एक अदा दीखती है छुप के मुस्कुराने में
इन मयखानों को तुम दोष कैसा देते हो
यहाँ हर शख्स महारत है बस पिलाने में
तेरी तारीफ अब मधुकर बता करे कैसे
ग़ज़ल का साथ लिया हाले दिल बताने में