मुहब्बत में घिरे जो भी यही अंजाम हो जाए
तड़प ले उम्र भर की और सारा चैन खो जाए
कभी ना दर्द से जिनका रहा हो वास्ता कोई
उनके आंसू छलकते हैं जो उल्फत बीज बो जाए
इसके बिन ज़िंदगी कैसी यहाँ वीरान होती है
ये तो समझेगा वो इसकी उलझती राह जो जाए
मिले सच्ची मुहब्बत ग़र किसी इंसान को हरदम
फिर वो तन्हा नहीं तड़पेगा और रातों को सो जाए
मोती बिखरे पड़े हैं ज़िन्दगी के जाने क्यों मधुकर
कोई तो प्रेम धागे में इन्हे आकर पिरो जाए