वो लम्हें क्या हसीन थे हम तुम जो मिल गए
महके हुए गुलाब से हर ओर खिल गए
आँखों में चमक आ गई लब मुस्कुरा दिए
चुपके से तुमको देके जब हम ये दिल गए
यूँ तो तेरे हर अंग में एक ख़ास बात थी
फिर भी मगर हम देखते ठोड़ी का तिल गए
अरमान सभी दिल के तुमसे ना कह सके
तुम सामने आए तो फिर ये होंठ सिल गए
कुछ दूर ही चले थे हाथ हाथ में लिए
राहें सुगम हुई ना और पाँव छिल गए
मधुकर का दर्द देख के कुदरत भी रो पडी
इस जलजले के सामने पर्वत भी हिल गए