विक्रम की बुरी तरह धुनाई होने के बाद रवि की क्लास में ही नहीं स्कूल में भी धाक जम गई थी । स्मार्ट तो वह बचपन से था ही , अपनी ताकत का लोहा विक्रम को धूल चटा कर सबको मनवा दिया था उसने । लड़कियों के लिए वह हीरो बन गया था । मगर उसे अभी तक लड़की पटाना आता नहीं था इसलिए उसकी बात बन नहीं रही थी ।
लड़कियों की आदत होती है कि वे पहल नहीं करती हैं । अगर कोई लड़का पहल भी करता है तो वे उस पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं देती हैं । उसके प्यार की गहराई को नापना चाहती हैं पहले । जब कोई लड़का किसी लड़की का विश्वास पा लेता है तब वह उस पर.सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार हो जाती हैं । रवि अभी ये फंडे जानता नहीं था । वैसे ऐसा भी नहीं है कि सब लड़कियों पर एक जैसा फंडा लागू होता हो , कुछ लड़कियां अलग किस्म की होती हैं । ज्यादातर लड़कियां लड़कों की मर्दानगी पर फिदा होती हैं जबकि कुछ लड़कियां सुंदरता पर और बाकी लड़कियां धन दौलत , चमक दमक पर ।
रवि तो भोले भंडारी था । उसे इन सब फंडों के बारे में पता नहीं था । बहुत सारी लड़कियां किसी न किसी बहाने से उससे बात करना चाहती थी लेकिन बचपन में बेला द्वारा रचित षडयंत्र के बाद वह थोड़ा दूर दूर रहता था लड़कियों से । मीना भाभी तो पके आम की तरह उसकी गोदी में गिर पड़ी थी मगर यहां कोई मीना भाभी नहीं थी । जो थीं उनको पटाना पड़ता था लेकिन रवि को पटाना आता नहीं था । इसलिए उसकी कोई भी गर्लफ्रैंड नहीं थी जबकि दूसरे लड़के अपनी अपनी गर्लफ्रैंड के साथ मौज उड़ाते थे पर रवि मन मसोस कर ही रह जाता था ।
एक दिन रवि छुट्टी के बाद स्कूल से बाहर आ रहा था कि उसे सामने से रघु आता दिखाई दिया । रघु कक्षा बारह का छात्र था यानी उससे एक साल सीनियर था । वह हमेशा चर्चा का केन्द्र बिंदु रहता था । लड़कियों में बहुत प्रसिद्ध बताया जाता था उसको । सब लड़के कहते थे कि उसके अफेयर कितनी लड़कियों के साथ हैं यह तो खुद रघु भी नहीं जानता है ।रवि सोचता था कि "कहीं घी घणा और कहीं मुठ्ठी चना " । उधर तो लड़कियों की बाढ़ है और इधर अकाल पड़ रहा है । राम तेरी माया , कहीं धूप कहीं छाया । रघु न तो शक्ल सूरत से बहुत अच्छा था और न ही वह कोई "ही मैन" जैसा था । फिर भी लड़कियां क्यों मरती हैं उस पर.? यह रवि को कभी समझ नहीं आया ।
रघु को सामने देखकर रवि ने आवाज दी "दादा , राम राम "
"अरे राम राम जी राम राम । कौन हीरो है क्या ? आजकल तो तेरे बहुत हल्ले गुल्ले हैं स्कूल में । पूरे स्कूल का हीरो बन गया है तू । और सुना क्या हाल चाल हैं, तेरे" ?
"दादा , हालचाल तो बहुत ही खराब हैं आजकल। कोई लड़की घास तक नहीं डालती है हमें । आप ही बताओ कैसे हालचाल होंगे हमारे" । रवि ने अपनी व्यथा सीधे शब्दों में बयां कर दी ।
रवि की बातों से रघु को बड़ी जोर की हंसी आ गई । खूब जोर से हंसने के बाद रघु बोला
"हीरो , लड़कियां घास नहीं डालती हैं बल्कि खुद घास बनती हैं । वे लड़कों के लिए चारा बनती हैं । बस, थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, समय देना पड़ता है और तरकीब सोचनी पड़ती है । फिर सुंदर से सुंदर लड़की भी तुम्हारे कदमों में बिछने को तैयार हो जाती है" ।
रघु की बातों से रवि चौंका और बोला "वो कैसे ? कोई जादू मंतर चलाना पड़ता है या कोई भस्म फिरानी पड़ती है ? कुछ टिप्स हमें भी दे दो 'गुरू' । हमारा भी कल्याण हो जायेगा । अकेले अकेले ही 'रसिया' बन रहे हो । हमें रसिया ना सही छैला ही बना दो ना " ।
रघु कुछ कहता इतने में एक लड़की सामने से गुजरी । रघु ने उससे कहा "आजकल कहाँ रहती हो सपना ? अब तो सपनों में भी आना जाना छोड़ दिया है तुमने । वहां भी दर्शन दुर्लभ हैं तुम्हारे" ।
सपना ने पलटवार करते हुये कहा "फुर्सत तो आपको नहीं है और नाम मेरा लगा रहे हो । और लड़कियों से टाइम मिले तब तो सपना याद आये । लेकिन अब समय कहाँ है हमारे लिये आपके पास" । मधुर मुस्कान और कंटीली चितवन चलाते हुये सपना ने कहा
"तुम्हारी कसम सपना , ये सब बकवास है । मैं किसी और लड़की के चक्कर में नहीं हूं , बस तुम्हें चाहता हूँ । आज मिलन का कोई जुगाड़ हो सकता है क्या" ?
"हमारी गली में आये बहुत दिन हो गये हैं, अगर मौका मिले तो एकबार देख जाना उस गली को" । सपना जाते जाते बोली ।
"अच्छा, ठीक है" ।
सपना के जाने के बाद रघु ने रवि से कहा "जानता है हीरो, यह सपना कैसे पटी थी " ?
"मैं कैसे जानूंगा ? कभी बताया आपने" ?
"तो सुन । आज सुनाता हूँ इसकी कहानी । हम लोग कक्षा नौ में पढते थे । ये हमारे मोहल्ले में ही रहती है । सबसे खूबसूरत लड़की है यह हमारे मौहल्ले की । गली के सारे शोहदे इसे लाइन मारते थे मगर यह किसी को भी लिफ्ट नहीं देती थी । जब यह स्कूल जाती थी तो बदमाश लड़के इसके पीछे पीछे फब्तियां कसते हुये चलते थे । एक दिन इसके पीछे दो लड़के पड़े हुए थे । मैं थोड़ा पीछे था मगर बातें सारी सुन रहा था उनकी । दोनों लड़के इससे गंदी गंदी बातें कह रहे थे जैसे "एक रात का हजार देंगे जानेमन" इस तरह की गंदी बातें । इसने उन दोनों बदमाशों से इतना ही कहा "तुम्हारे घर में मां बहन तो होंगी , उन्हें ही दे देना हजार रुपए एक रात के" । बस, वे दोनों बदमाश भड़क उठे और बीच रास्ते में उन्होंने इसका हाथ पकड़ लिया । यह देखकर मुझको ताव आ गया और दोनों बदमाशों में एक एक थप्पड़ जड़ दिया मैंने । वे दोनों मुझ पर पिल पड़े । मैं अकेला और वे दोनों छंटे बदमाश । मगर मैंने हिम्मत नहीं हारी । इतने में रास्ता चलने वाले एक दो आदमी और इकट्ठा हो गए । फिर तो उन दोनों बदमाशो की खूब धुनाई की हम सबने । बस, उसके बाद शोहदों की भीड़ खत्म हो गई । सपना के होठों पर मुस्कान बस गई और दिल में रघु नाम की गोटी फिट हो गई । मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की । बस, पीछे पीछे चलता रहा आठ दस दिन ।
एक दिन मैं पीछे पीछे चल रहा था तो सपना ने मुझे पीछे मुड़कर देखा और एक प्यारी सी मुस्कान हवा में लहरा दी । मैं कुछ समझ पाता इससे पहले एक कागज का टुकड़ा सपना ने चुपके से नीचे गिरा दिया । मैंने वह कागज उठाया तो उस पर "I love you" लिखा था । मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और बिना सपना को देखे आगे निकल गया । कनखियों से इसका चेहरा देखा तो वह गुस्से से लाल हो रहा था । मुझे मन ही मन बड़ा आनंद आया मगर मैंने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया ।
इंटरवेल में मैं पुस्तकालय में गया और एक किताब लेकर बैठ गया । इतने में वहां सपना आई और एक.पर्ची पकड़ाकर चली गयी । पर्ची पर लिखा था । इंटरवेल के.बाद लाइब्रेरी के पीछे मिलना । मैं जब वहां पहुंचा तो सपना मेरा इंतजार कर रही थी । मुझे देखते ही बोली "क्या तुम.मुझसे प्यार नहीं करते हो" ?
"किसने कहा नहीं करता हूँ" ?
"तो मैंने जब आई लव यू वाला कागज का टुकड़ा रास्ते में डाला था तब तुमने उसका जवाब क्यों नहीं दिया" ?
"कैसे देता जवाब? क्या उस वक्त लिखने बैठ जाता" ?
"नहीं, पर फ्लाइंग किस तो कर सकते थे"
"हां, मगर कोई देख लेता तो तुम्हारी बदनामी नहीं हो जाती ? मैं तुम्हारी बदनामी नहीं होने देना चाहता था "।
इतना कहते ही वह मुझसे लिपट गई और फ्लाइंग किस के बजाय सचमुच का किस कर गई ।
"एक बात पूछूं दादा, बुरा तो नहीं मानोगे" ?
"अरे पूछ ना यार । तू मेरा जिगरी है । चल पूछ क्या पूछना है तुझे"
"यही कि अभी तक किस पर ही टिके हो या किला फतह कर लिया" ?
इस सवाल पर रघु खूब जोर से.हंसा । फिर कहने लगा "तुझे क्या लगता है ?मैं इतना बेवकूफ लगता हूँ क्या" ?
रवि एकदम से घबरा गया "नहीं नही दादा, नाराज क्यों होते हो"
"अरे नाराज नहीं हूं रे, मैं तो पूछ रहा था कि क्या वाकई में मैं बेवकूफ लगता हूँ ? शक्ल जरूर बंदर सी है पर अक्ल बंदर सी नहीं है । तो एक दिन मैंने सपना से कह ही दिया कि ऊपर ऊपर से ही प्यार का कार्यक्रम चलेगा या फिर ..." । तो जानते हो वो क्या बोली" ?
"क्या बोली" ?
"यही कि थोड़ा सब्र करो । मैं तुम्हारी हूँ । जो चाहे कर लेना मगर जगह और दिन वह तय करेगी । प्रोटेक्शन का इंतजाम मुझे करना होगा । और एक दिन उसनें बताया कि उसके घरवाले किसी शादी में जाने वाले है उस दिन घर में वह अकेली होगी उस दिन रासलीला जमेगी । और उस दिन किला फतह कर लिया" ।
"एक बात और पूछ सकता हूँ क्या" ?
"पूछ ना यार, एक नहीं दो पूछ" ।
"क्या उसके बाद भी किया" ?
रघु एक बार फिर हंसा । "मेरे दोस्त , एक बार जिसने इस जन्नत का आनंद ले लिया हो उसे बिना इस आनंद के चैन नहीं मिलता है । तुझे पता है ये अभी क्या कहकर गई है "?
"मुझे नहीं पता"
"ये कहकर गई है कि बहुत दिन हो गए हैं अपन को रासलीला किये । अब मिलने की इच्छा है उसकी । जगह और दिन बताने के लिए उसने अपनी गली में बुलाया है । वहां पर बतायेगी वह" ।
"ये सब कब कहा उसने ? मैंने तो सुना नहीं"
"यही तो खासियत है लड़कियों की । वे सीधे सीधे नहीं कहती हैं, इशारों में कहती हैं । इशारे समझ कर ही आगे बढ़ा जाता है"
"पर हमें तो आती ही नहीं है यह इशारों की भाषा ? फिर कैसे समझेंगे" ?
"दुनिया में कोई भी आदमी कुछ भी पेट से सीखकर नहीं आया है । इसी दुनिया में से सीखता है हर कोई । तू भी सीख जायेगा" ।
थोड़ी देर बाद रवि ने कहा "वो कुछ फंडे बताओ ना लड़की पटाने के" ?
रघु ने रवि को भरपूर नजरों से देखा और कहा "एक वादा कर मुझसे कि तू ये फंडे और किसी को नहीं बतायेगा । ये फंडे रघु द बॉस के हैं । तू तो मेरा जिगरी है इसलिए केवल तुझे बता रहा हूँ" ।
पहला फंडा है मर्द ( ही मैन ) बनना । ना केवल बनना बल्कि वैसी हरकतें भी करना । डरना किसी से भी नहीं । लड़कियों को मर्द लड़के पसंद आते हैं । डरपोक लड़कों से बिदकती हैं लड़कियाँ । इसलिए तू भी निर्भीक होकर काम कर , तेरे पीछे लाइन लग जायेगी लड़कियों की । मर्दो की तरह अकड़ कर रहना । फिर देखना क्या होता है ?
दूसरा फंडा है कि लड़की के आगे पीछे खूब डोलो मगर उससे आई लव यू तब तक मत बोलो जब तक वह.इसके लिये तैयार ना हो । मतलब पकाकर खाओ , कच्चा नहीं ।
एक किस्सा सुनाता हूँ । हमारे पड़ोस में एक लड़की है । मेरे से एक साल छोटी है । हम सब बच्चे साथ खेलते थे तो वह भी हमारे साथ ही खेलती थी । अक्सर हमारे घर आया करती थी वो । इस तरह के कपड़े पहनती थी वो जिससे उसका बदन छुपता कम और दिखता ज्यादा था । अल्हड़ सी वैसे थी वो । बैठने उठने का होश नहीं रहता था उसे । उसके अंदरुनी कपड़े दिखते रहते थे अक्सर । एक दिन मैंने टोक दिया कि कम से कम कपड़े तो ढंग से पहना कर । सब कुछ दिखता है । तो पता है वह बेशर्म क्या बोली ?
"क्या बोली" ?
"तुझे दिखाने के लिए ही तो मैं इन्हें ऐसे पहनती हूँ"
"मेरे मुंह से निकल गया 'ओह माई गॉड' । तू चाहती क्या है" ?
"क्या चाहती थी वह" ? रवि ने पूछा
"वही जो हर लड़का हर लड़की से और लड़की लड़के से चाहती है"
"फिर क्या हुआ" ?
"होना क्या था , वही हुआ जो हर लड़की का होता है " ।
"गुरु, आप तो बड़े 'लव गरु' हैं । हमें भी समय समय पर ऐसे ही फंडे देते रहना" । रवि ने विदा लेते हुये कहा ।
"चिंता मत कर छोटे। जान भी हाजिर है तेरे लिये । आधी रात को बोलेगा तो उसी समय हाजिर मिलूँगा छोटे भाई के लिए । अच्छा, तो अब चलते हैं" । और दोनों वहां से चल दिये ।