बड़ी गजब की चीज होती है अंतरात्मा । किसी ने देखी तो नहीं मगर सब लोग कहते हैं कि यह होती है । जब सब लोग किसी बात को कहते हों तो मान लेना चाहिए कि वह बात सही है । उस पर प्रश्न उठाकर चर्चा का बिन्दु नहीं बनना चाहिए । वैसे तो चर्चा में आने के लिए लोग पता नहीं क्या क्या कर लेते हैं । कोई अपने ही गाल पर तमाचा मरवा कर चर्चा में आ जाता है तो कोई जिन्ना की मजार को ढ़ोक लगाकर । अपना अपना तरीका है सबका ।
कोई बता रहा था कि अंतरात्मा कुंभकर्ण की छोटी बहन है । हमने तो अब तक केवल सूपर्णखां के बारे में ही सुना था कि वह रावण और कुंभकर्ण की बहन थी । मगर ये अंतरात्मा न जाने कब और कहां से बहन बनकर आ टपकी । बिन बुलाये कोरोना की तरह । किसी ने उनसे बहन होने का सबूत मांगा तो सबूत दिखाने के बजाय सवाल दाग दिया "अच्छा बताओ, अंतरात्मा कब जगती है" । आजकल बड़ा गजब का ट्रेंड चल रहा है ये ।
"कभी कभार" ।
"कुंभकर्ण कितना सोता था" ?
"साल में केवल एक दिन जगता था बाकी 364 दिन सोता ही रहता था "।
"इसका मतलब है कि कभी कभार ही जगता था वह "।
"हां जी हां"
" मतलब यह हुआ कि अंतरात्मा और कुंभकर्ण भी कभी कभार ही तो जगते हैं , इस लिहाज से वे दोनों भाई बहिन हुए कि नहीं" ?
अब इस पर कोई क्या बोले ? तर्क हो तो बात भी करें मगर कुतर्क पर क्या बात करें ? उनकी बात मानने के सिवाय कोई चारा भी नहीं है । पर एक बात का फर्क है दोनों में । कुंभकर्ण के जागने का दिन तो कम से कम तय था मगर अंतरात्मा का तो कोई टाइम टेबल है ही नहीं । कब सोयेगी, कब जागेगी, कुछ पता नहीं ।
रायचंद जी बहुत हैं इस दुनिया में । एक रायचंद जी बोले "पता कैसे नहीं है । सब पता है । हम तो अंतरात्मा और उसके कुनबे की रग रग पहचानते हैं । अंतरात्मा का एक सिद्धांत है । वह अपनी मर्जी की मालकिन है । चुनावों के समय नेताओं की अंतरात्मा जाग जाती है और वे धड़ाधड़ दल बदल करने लगते हैं । रिश्वत खाकर पूरी नौकरी करने वालों की अंतरात्मा भी सेवानिवृत्ति के बाद ही जागती है, फिर वे दूध के धुले बन जाते हैं । अपराधियों की अंतरात्मा पुलिस के सोटे पड़ने के बाद जागती है । और पुलिस की ? लोग अभी तक इस विषय पर शोध ही कर रहे हैं कि पुलिस की भी कोई अंतरात्मा होती है या नहीं ? अभी तक शोध चल ही रही है ।
कभी कभी तो गजब का वाकया देखने को मिल जाता है । किसी एक राज्य में अगर किसी लड़की का बलात्कार हो जाता है तब बहुत सारे नेताओं, मीडियाकर्मियों, पत्तलकारों, बुद्धिजीवियों, बॉलीवुड के भांडों, पूर्व नौकरशाहों और मी लॉर्ड्स की अंतरात्मा एकदम से जाग जाती है और फिर "बलात्कार पर्यटन" और "बलात्कार विलाप" शुरु हो जाता है । मगर जब उससे भी वीभत्स सामूहिक दरिंदगी किसी और राज्य में हो जाती है किसी नाबालिग लड़की के साथ तब उपर्युक्त सभी महामानवों की अंतरात्मा गहरी निद्रा की गोदी में चली जाती है आराम फरमाने । तब दूर दूर तक कहीं नहीं नजर नहीं आती है । ये अंतरात्मा है साहब, मतलब के मामलों में ही जगती है ।
सबसे मजेदार बात तो यह है कि बलात्कार पीड़िता की जाति, धर्म और बलात्कारी की जाति, धर्म के आधार पर भी अंतरात्मा जागती , सोती रहती है । हाथरस कांड में अनेक सोई हुई अंतरात्माएं अचानक से जाग जाती हैं और दौड़ पड़ती हैं हाथरस की ओर । मगर वही अंतरात्माएं अलवर कांड में जाने से कतराती हैं । अरे भाई, अलवर में तो बलात्कार पीड़िता नाबालिग के साथ साथमूक बधिर भी थी और उसकी हालत भी दिल्ली की निर्भया जैसी कर दी गई थी मगर वे अंतरात्माएं जो हाथरस दौड़ी दौड़ी गईं थीं , यहां नहीं पहुंची । यहां तो वे तान खूंटी सो गयी थी । यहां तो उनका ही राज चल रहा था तब कैसे जागती उनकी अंतरात्माएं । विरोधियों के राज्य में ही जगती हैं ये अंतरात्माएं । बड़ी अजब माया है इस निगोड़ी अंतरात्मा की । यह तो सुना था कि "माया महाठगिनी हम जानि" मगर आज पता चला कि "अंतरात्मा परम ठगिनी हम जानि" । यह दिव्य ज्ञान अब जाकर प्राप्त हुआ है ।
कुछ लोगों की अंतरात्मा दीवाली के पटाखे फोड़ने से भड़ाक से जाग जाती है और वे अपनी अंतरात्मा की आवाज पर ट्वीट करने लग जाते हैं "बेचारे पशुओं पर रहम खाइये । बेजुबान जीवों पर दया कीजिए" । बड़ा अच्छा लगता है ऐसे लोगों का पशु प्रेमी अवतार । दिल बाग बाग हो जाता है । मगर जब हम लोग इन लोगों को चिकन, मटन, कोरमा खाते हुए देखते हैं तब पता चलता है कि चिकन खाते समय इनकी अंतरात्मा तो सोई हुई है । यहां पर इनका पशु भक्षी अवतार दिखाई देता है । जब इनसे इस दोगली अंतरात्मा के बारे में पूछा जाता है तो ये लोग बड़ी मासूमियत से कहते हैं "हमने तो कहा था कि आप लोग बेचारे पशुओं पर रहम खाओ । हम लोग रहम नहीं , हम तो इन पशुओं को ही खा जाते हैं । इसीलिए तो हम ऐजेंडावादी कहलाते हैं । हमने रहम खाने की शपथ थोड़े ही ली है । हम तो जानवरों को खाकर ही अपना पशु प्रेमी अवतार दिखाते रहते हैं । और दीवाली पर मुफ्त का ज्ञान पेलते रहते हैं । हमें तो इस काम के भी पैसे मिलते हैं । मुफ्त में कुछ भी नहीं करते हम लोग" । धन्य धन्य हैं ऐसी सेलिब्रिटी, ऐसे लोग, मीडिया, पत्तलकार, बुद्धिजीवी और धन्य है इनकी अंतरात्मा ।
कुछ वाकिये ऐसे भी देखे हैं जिनमें बेटी की शादी पर दहेज को लेकर लोगों की अंतरात्मा जाग उठती है और ऐसे लोग दहेज प्रथा पर वितंडावाद करते नजर आते हैं । लेकिन जब ऐसे लोगों के बेटों की शादी होती है तब इनकी अंतरात्मा तान खूंटी सो जाती है और मूंछों पर ताव देकर ये ही लोग मुंह फाड़कर दहेज मांगने लग जाते हैं । बड़ी कमीनी अंतरात्मा होती है ऐसे लोगों की ।
जिन मां बाप ने अपने बच्चों को पेट काट काट कर पाला था अगर वही बच्चे अपने मां बाप को किसी वृद्धाश्रम में छोड़ आयें तब उनकी अंतरात्मा या तो मर जाती है या फिर सो जाती है ।
मीडिया भी जब विज्ञापन लेकर किसी नेता की अतिरंजित प्रशंसा करती है , पैसे लेकर झूठे ओपीनियन पोल दिखाती है तब इनकी अंतरात्मा भी मरी हुई सी रहती है । अंतरात्मा का यही दर्शन है ।
रवि की अंतरात्मा अभी मरी नहीं थी , थोड़े दिनों के लिए सो गई थी । जब वह अपने कमरे पर आया तो उसने मृदुला को अपनी बी ए की अंकतालिका को देखते हुये पाया । उसके पैरों तले जमीन खिसक गई । वह अवाक् रह गया । उसे उम्मीद नहीं थी कि मृदुला उसके कमरे में आकर उसका राज जान जायेगी । रवि का शिव बनने का भांडा फूट चुका था । उसने सीधे मृदुला के पैर पकड़ लिये । अचानक से हुए इस घटनाक्रम से मृदुला भी एक दफा बुरी तरह चौंक गई । उसने अपने पैर छुड़ाने की बहुत कोशिश की मगर वह असफल रही ।
"ये क्या कर रहे हो ? छोड़ो मेरे पैर" ?
"नहीं छोड़ूंगा"
"छोड़ो, छोड़ो मेरे पैर । जल्दी से छोड़ो , नहीं तो पापा से कह दूंगी" ।
इन शब्दों का भरपूर असर रवि पर हुआ । उसने पैर तो छोड़े नहीं मगर वह वहीं पर बैठ गया । मृदुला चारपाई पर बैठ गई । रवि ने रोते रोते कहा " मेरी याददाश्त खोई नहीं थी , मैंने नाटक किया था । मेरे पास तब कोई और विकल्प बचा ही नहीं था । तुम्हारे पापा और मम्मी के स्नेह के कारण मैं यहां रहने का लोभ छोड़ ना सका । बस यही मेरी भूल है । इसका जो भी दंड आप मुझे देना चाहें तो दे सकतीं हैं । मैं हूँ भी इसी लायक" ।
थोड़ी देर तक कमरे में सन्नाटा पसरा रहा । तब मृदुला ने पूछा "बी ए अभी इसी साल पूरी की है "?
"जी"
"इससे पहले क्या किया था ? कौन हो तुम ? ये सब बताओ " ।
तब रवि ने अपनी सारी कहानी मृदुला को सुना दी और उसने मृदुला से एक वादा भी लिया कि इन सब बातों को वह किसी और को भी नहीं बताये । मृदुला ने उसे वचन दे दिया ।