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भाग -4 : विद्यालयी जीवन

3 मई 2022

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गतांक से आगे 
रवि और विनोद डिनर लेकर विनोद के कमरे में आ गये । उनके साथ साथ मृदुला भी आने लगी तो रवि ने उसे टोक दिया "अरे उधर कहाँ जा रही हो मैडम ? दो बचपन के यार इतने साल बाद मिले हैं तो उन्हें गपशप करने दीजिए । थोड़ा बचपने में जीने दीजिए । आज तो हम दोनों जी भरकर गप्पें हांकेंगे । भई, आज हमें रोकना टोकना मत, हां "। 

"हां हां , तो मैं कौन सा दाल भात में मूसल चंद बन रही हूँ । खूब करो गपशप । ऐसे अवसर आते ही कितने हैं ? आप और आपके दोस्त के बीच में मैं दाल भात में मूसलचंद नहीं बनने वाली ।  मैं तो चली । कुछ जरूरत हो तो रामू काका को आवाज दे लेना । बच्चों को भी तो देखना है मुझे अभी" ? और मृदुला चुपके से खिसक ली वहां से । 

रवि और विनोद दोनों सोफे पर पसर गये । अचानक रवि को याद आया कि विनोद के यहां आने का कारण तो पूछा ही नहीं ? कितनी देर से बकबक किये जा रहा है वह मगर काम की बातें याद ही नहीं आई उसे । बड़ा भुलक्कड़ हो गया है वह । फिर उसने विनोद से यहां आने का कारण पूछा और यह भी पूछा कि उसका पता उसे कहाँ से मिला ? 

"इतने बड़े आदमी का पता मालूम करना कोई कठिन काम है क्या ? गांव में हर किसी से पूछ लो । सब जानते हैं आपको । आखिर पूरे गांव की शान हैं आप । बस, ऐसे ही मिल गया आपका पता" ।
"तो फिर अब वह बात बताओ जिसके लिये तुम इतने सालों के बाद इतनी दूर चलकर मेरे पास आये हो । बताओ , ऐसी क्या बात है" ? 

विनोद इस बात पर एकदम से खामोश हो गया । चेहरा झुका लिया उसने अपना । संकोच के कारण वह कुछ कह नहीं पा रहा था । मन में द्वंद्व का सागर लहरा रहा था । एक लहर आती और जुबां खुलने लगती लेकिन इतने में दूसरी लहर आकर मुंह पर ताला जड़ जाती । वह किनारे पर खड़ा का खड़ा ही रह जाता । ना इधर जा सकता था और ना उधर । 

उसे असमंजस में देखकर रवि उसके पास आ गया और उसका हाथ अपने हाथों में थामकर कहने लगा "एक बात बता विनोद , ऐसी क्या बात है जिसे कहने में इतनी हिचकिचाहट हो रही है तुझे ? जिस बात को कहने के लिए तू इतनी दूर आ गया फिर कहने से हिचक क्यों रहा है ? या तो तुझे मुझ पर यकीन नहीं है कि मैं वह काम कर पाऊंगा या नहीं या फिर मुझसे कुछ छिपा रहे हो तुम । बताओ ना आखिर बात है क्या" ? रवि ने चिंतित होते हुए पूछा । 

"समझ ही नहीं आ रहा है कि बात कहां से शुरू करूँ ? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मुझे यहां इतना मान सम्मान मिलेगा । आज के जमाने में कौन याद रखता है अपने पुराने दोस्तों को ? सब मतलब के साथी होते हैं । बस, आपकी सरलता, मासूमियत ने मुझे मालामाल कर दिया है । अब डर लग रहा है कि अगर मैं कोई काम बता दूं तो मैं कहीँ अपनी नजरों में ही ना गिर जाऊं कहीं । बस, इसी उहापोह में फंसा हुआ हूँ" । विनोद ने अपनी उलझन सामने रख दी । 

"अबे साले, तू बताता है या फिर मैं तेरा क्रिया कर्म करने की तैयारी शुरू करूँ" । यह रवि का पेट डॉयलॉग था । अब विनोद की सारी हिचकिचाहट, संशय , डर सब काफूर हो गये । जैसे उसमें एक नयी जान आ गयी हो । उसके मुंह पर भी एक अजीब सी चमक आ गयी थी । उसने पूछा " तुम बेला को जानते हो " ? 
रवि एकदम से चौंका । "कौन बेला" ? 
विनोद को जैसे पता था कि रवि यही कहेगा इसलिए वह कहने लगा "वही बेला जो अपने साथ स्कूल में पढती थी" । 

रवि अपने दिमाग पर जोर डालने लगा मगर उसे कुछ याद नहीं आ रहा था । उसकी यह हालत देखकर विनोद बोला " भूल गये ? अरे , वो दो चोटी वाली" ? 
रवि को अभी भी कुछ याद नहीं आ रहा था इसलिए वह मन ही मन झुंझला रहा था । विनोद उसकी इस दशा पर चकरा रहा था । आखिर में उसने अचूक बाण चलाया । "दो ऐंटीना वाली को भूल गये क्या" ? 
"ओह माई गॉड ! उसे कैसे भूल सकता हूँ भला ? उसने मुझे कितनी तकलीफ पहुंचाई है , ये बात मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ" । रवि का चेहरा कठोर हो गया था । 
"बस, मैं इसी बात से हिचकिचा रहा था कि पता नहीं तुम बेला के नाम से कैसे रिएक्ट करोगे ? उसका नाम आते ही पता नहीं तुम क्या कर दोगे ? इतने साल तक आपके मन में जो कुछ भरा होगा उसके प्रति कहीं वह तूफान बन कर सब कुछ तहस नहस नहीं कर दे । इसी आशंका के बादल छाये हुये थे इधर " । विनोद ने बड़ी उदासी के साथ कहा । 

थोड़ी देर तक कमरे में खामोशी पसरी रही । दोनों ही आदमी अपनी पुरानी यादों में खो गए । किस तरह सब बच्चे साथ साथ खेलते कूदते थे । लड़के लड़कियों में कोई भेद नहीं करता था । "अमृत - विष" , छुप्पम छुपाई , लंगड़ी टांग , कोड़ा चमार साई पीछे देखे मार खाई , रुमाल झपट्टा, मारधड़ी को मीठो खेल, खो खो, कबड्डी, पंजा लड़ाई , सतोलिया, कंचे, गुट्टे सब । कुछ खेल यद्यपि लड़कियों के थे जैसे गुट्टे, लेकिन कुछ लड़के भी खेल लेते थे । खेल खेल में सब बच्चे लड़ते भी खूब थे लेकिन फिर तुरंत एक भी हो जाते थे । 

बेला बहुत तेज तर्रार लड़की थी । उसके पिता JEN थे । खूब गोरी चिट्टी । फूले फूले गाल रूई के गोले से लगते थे । बड़ी बड़ी आंखें मासूमियत से भरी रहती थी । लंबे काले घने बाल कमर से भी नीचे आते थे उसके । एक चोटी से तो काम ही नहीं चलता था उसका । इसलिए उसकी मम्मी दो चोटियां बनाती थी उसकी । एक बार खेल खेल में एक लड़की से उसकी लड़ाई हो गई । उस लड़की ने झट से उसके बाल कसकर पकड़ लिये और जोर से खींच लिए । बेला दर्द से कराह उठी थी । उसकी बड़ी बड़ी आंखों से आंसू बहने लगे । बस, उसने उस दिन ठान लिया था कि ये बाल उसकी जान के दुश्मन हैं । अगले ही दिन उसने वो बाल कटवा दिये थे । कैसा लगा होगा उसके मम्मी पापा को जब उसके सुंदर घने काले बालों की शवयात्रा निकली होगी । कलेजा मुंह को आ गया होगा उनका । मगर बेला की जिद के आगे लाचार हो गये होंगे वे । तभी तो इतने प्यारे बाल कटवाने पड़े थे उन्हें । 

रवि कक्षा में सबसे होशियार छात्र था । हालांकि शैतानी बहुत करता था । घर पर तो पढ़ता ही नहीं था लेकिन फिर भी कक्षा में प्रथम वही आता था । बेला लाख कोशिश करने के बाद भी दूसरे स्थान पर आती थी । इसी बात से वह चिढ़ती थी । वह प्रथम आना चाहती थी मगर रवि उसकी राह रोके खड़ा हुआ था । विनोद का तो पढ़ाई लिखाई से दूर दूर तक वास्ता था ही नहीं । मटरगश्ती करने के लिए ही आता था स्कूल ।  बस जैसे तैसे पास हो जाया करता था । रवि और बेला में सवाल पहले करके दिखाने की होड़ लगी रहती थी । 

बेला चूंकि रवि से मन ही मन ईर्ष्या रखती थी इसलिए उसे रवि को अपमानित करने में बड़ा मजा आता था । कक्षा में तो वह आगे निकल नहीं पाती थी तो उसका बदला ऐसे ही लेती थी वह । अगर गलती से भी रवि का कोई भी अंग बेला से छू जाये तो वह इतने जोर से चीखती थी जैसे उसे रवि ने कितनी तेज मारा है । टसुए बहाने में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था । उसके रोने की आवाज सुनकर गुरुजी दौड़े दौड़े आते और रवि को खूब उल्टा सीधा सुनाते थे । कभी कभी तो मारते भी थे , वो भी बुरी तरह । बेचारा रवि , निर्दोष होते हुये भी अपराधी सा महसूस करता था । रवि की ऐसी हालत देखकर बेला को असीम आनंद मिलता था । बेला की इन हरकतों के कारण रवि बेला से दूर दूर ही रहने की कोशिश करता था । दूसरी लड़कियां भी रवि से बेला की बुराई करती रहती थी । दूसरी लड़कियों के बीच रवि कन्हैया की तरह लगता था । इससे बेला और भी चिढ़ जाती थी । 

समय ऐसे ही गुजरता रहा । दिन पंछी बनकर उड़ते रहे । लड़ाई, पढ़ाई , पिटाई, खिलाई सब साथ साथ चलते रहे । कभी कुट्टी तो कभी अब्बा । कभी रूंसना कभी मनाना । कभी मान कभी अपमान । विनोद रवि का हनुमान था । रवि की हर बात मानता था विनोद । दोनों एक साथ एक ही जगह पर बैठते थे , आगे की पंक्ति में । बांयी ओर लड़के तथा दांयी ओर लड़कियां । बीच में रास्ता । दरी पट्टियां होती थी बैठने के लिए । एक बस्ता होता था । एक स्लेट और उस पर लिखने के लिये कच्ची खड़ी । कभी कभी किताब , स्लेट को लेकर भी लड़ाई हो जाती थी आपस में । विद्यालय जीवन शायद ऐसा ही होता है । 

शेष अगले अंक में 

हरिशंकर गोयल "हरि"
18.12.21 


Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना आप मेरी रचना को पढ़कर समीक्षा दें कृपयाhttps://shabd.in/books/10080388

3 मई 2022

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रचनाएँ
आवारा बादल
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एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपनी जिंदगी अपने ही ढंग से जी । मस्तमौला प्रवृत्ति का यह व्यक्ति प्रेम के सागर में गोते लगाकर भी सफलता के नये सोपान गढ़ता चला गया ।
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बचपन का यार

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21 दिसम्बर 2021
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21 दिसम्बर 2021
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25 दिसम्बर 2021
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रवि की आंखों से नींद गायब हो गई । वह सोच में पड़ गया कि वह लड़की कौन हो सकती है ? पिंक कलर का सूट किसन

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भाग 10 शीला चाची

28 दिसम्बर 2021
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गतांक से आगे <div><br></div><div>बेला, रवि और विनोद 32 माइल स्टोन रिजॉर्ट के एक कमरे में बैठकर

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भाग 16 आरंभ

30 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">दो दिन गुजर गये । इन दोनों दिनों में रवि घर से बाहर कम ही निकला

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2 जनवरी 2022
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<div><span style="font-size: 16px;">रवि के लिए यह कितना सुखद अहसास था । उसके रोम रोम से प्रेम रस बह रहा था । मीना ने उसके अरमानों को हवा दे दी तो वे पंख फड़फड़ा कर उड़ने लगे । सतरंगी इंद्रधनुष की तरह नजर

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भाग 18 अप्सरा

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3 जनवरी 2022
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रवि और मीना प्यार के सागर के तट पर पहुंच गये थे । अभी वे पानी को निहार ही रहे थे । पानी को देख देखकर ही खुश हो रहे थे । पानी के छींटे एक दूसरे पर छिड़क कर आनंदित हो रहे थे ।

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भाग 21 जुदाई

4 जनवरी 2022
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अब तो रवि की दिनचर्या ही बदल गई थी । रात में जागरण होगा तो दिन में नींद आयेगी ही । स्कूल में भी ऊंघने लगा था वह । अध्यापकों ने इसकी शिकायत सरपंच साहब से कर दी । सरपंच ने खूब डांटा रवि को । रवि ने भी ब

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भाग 22 नामर्द

4 जनवरी 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे मगर रवि गहरी नींद में सो रहा था । दिल्ली की लाइफ ऐसी ही है । लोग रात को देर से सोते हैं और सुबह देर से जगते हैं । सब कुछ लेट होता है दिल्ली में । शादी भी लेट, बच्चे भी लेट । "उठो

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भाग 24 लव गुरु

5 जनवरी 2022
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विक्रम की बुरी तरह धुनाई होने के बाद रवि की क्लास में ही नहीं स्कूल में भी धाक जम गई थी । स्मार्ट तो वह बचपन से था ही , अपनी ताकत का लोहा विक्रम को धूल चटा कर सबको मनवा दिया था उसने । लड़कियों के लिए व

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भाग 23 विक्रम

5 जनवरी 2022
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नाश्ता करके रवि 32 माइल स्टोन पहुंचा । वहां बेला तैयार मिली । वह उसी का इंतजार कर रही थी । विनोद नहीं था वहां पर । रवि ने विनोद के बारे में पूछा तो बेला ने बताया कि कल रात को अचानक विनोद के घर से फोन

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भाग 26 प्रेमपत्र

9 जनवरी 2022
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रवि कक्षा 11 में गिरते पड़ते पास हो गया था ।.सरपंच साहब और रवि की मां बहुत गुस्सा हुए रवि पर लेकिन रवि पर अब डांट फटकार का कोई असर नहीं होता था । ढ़ीठ बन गया था वह । कभी कभी तो जब वह किसी लड़की को छेड़ दे

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भाग 27 गुलाबो

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रवि के पत्र को पढकर गुलाबो सांतवे आसमान में उड़ने लगी । पहला प्रेमपत्र होता ही ऐसा है जो प्रेमियों के ख्वाबों को पंख लगा देता है । फिर तो ना दिल होश में रहता है और ना ही दिमाग । आंखों में सनम की सूरत ल

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भाग 28 दुविधा

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गुलाबो रानी के घर से चल दी । उसके मन में उथल पुथल मच रही थी । रास्ते में उसने अपने बड़े भाई गब्बर को साथ लिया और दोनों भाई बहन घर आ गए। गब्बर ने एक बार पूछा भी कि कोई खास बात है क्या जो इस तरह से मूड ख

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भाग 29 वादा

12 जनवरी 2022
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गुलाबो ने मन ही मन दृढ निश्चय कर लिया था । जब कोई भी व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर लेता है तो विचारों का बवंडर थम जाता है । चेहरे पर दृढ़ता आ जाती है । आंखों में चमक और आवाज में खनक बढ़ जाती है । उसे पता था कि

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भाग 30 प्यार और वासना

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रवि और बेला दिल्ली भ्रमण पर थे । रवि बेला को दिल्ली घुमा रहा था । इंडिया गेट के बाद वे राजघाट पर आ गये । दोनों ने महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये । उस महान आत्मा के सानिध्य में बेला को सुखद

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भाग 32 देवदूत

15 जनवरी 2022
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रवि की जब आंखें खुली तो उसने अपने आपको एक अस्पताल में पाया । उसके पूरे बदन पर पट्टियां बंधी हुई थी । सिर भी पट्टियों से भरा पड़ा था । यह क्या हुआ, कैसे हुआ यह याद करने की उसने भरपूर कोशिश की मगर

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15 जनवरी 2022
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बड़ी गजब की चीज होती है अंतरात्मा । किसी ने देखी तो नहीं मगर सब लोग कहते हैं कि यह होती है । जब सब लोग किसी बात को कहते हों तो मान लेना चाहिए कि वह बात सही है । उस पर प्रश्न उठाकर चर्चा का बिन्दु नहीं

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भाग 34 योजना

16 जनवरी 2022
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मृदुला दुविधा में फंसी हुई थी । शिवा का असली नाम रवि है और उसका एक अतीत भी है जो बहुत सड़ा हुआ सा, गंदला सा है । क्या उस अतीत को मम्मी पापा को बता देना चाहिए ? इतनी बड़ी बात रवि ने अब तक छुपा कर रखी हुई

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17 जनवरी 2022
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अग्रवाल साहब ने एक और नौकर रामू काम पर रख लिया । खाना बनाने के अलावा घर का सारा काम रामू के जिम्मे कर दिया गया । रवि को केवल नाश्ता, लंच और डिनर तैयार करना था जिसमें उसकी मदद रेणू जी और मृदुला को करनी

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भाग 36 दामाद

18 जनवरी 2022
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"कहते हैं कि "जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ" । कुछ पाने के लिए गहरे पानी में उतरना पड़ता है । यह बात IAS की परीक्षा पर पूरी तरह फिट बैठती है । इस परीक्षा के लिए गहरी जानकारी होना आवश्यक है । सतही ज

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भाग -4 : विद्यालयी जीवन

3 मई 2022
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गतांक से आगे रवि और विनोद डिनर लेकर विनोद के कमरे में आ गये । उनके साथ साथ मृदुला भी आने लगी तो रवि ने उसे टोक दिया "अरे उधर कहाँ जा रही हो मैडम ? दो बचपन के यार इतने साल बाद मिले हैं तो उन्हें

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