रवि कक्षा 11 में गिरते पड़ते पास हो गया था ।.सरपंच साहब और रवि की मां बहुत गुस्सा हुए रवि पर लेकिन रवि पर अब डांट फटकार का कोई असर नहीं होता था । ढ़ीठ बन गया था वह । कभी कभी तो जब वह किसी लड़की को छेड़ देता था और वह लड़की उसे गालियां निकालने लगती थी तब भी वह बेशर्मो की तरह हंसता रहता था । लाज शर्म का पर्दा कब का फाड़ चुका था रवि । अब वहां पर रह गई थी निर्लज्जता, आवारगी, बदमाशी और लफंगई । उसे इसी में आनंद आ रहा था । बहुत सारी लड़कियां तो उसके इस बिंदास व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसके इर्द गिर्द मंडराती रहती थी । अब रवि के पास लड़कियों की कमी नहीं थी वरन लड़कियों के लिए वक्त की कमी लगने लगी थी उसे ।
जिस तरह कोई योद्धा अपने तरकश में श्रेष्ठ तीरों का स्टॉक रखकर गर्व महसूस करता है उसी तरह रवि भी अपने साथ सुंदर सुंदर लड़कियों को जोड़कर आसमान में ऊंचा उड़ने लगा । लड़कियां उसका साथ पाने को कुछ भी करने को तत्पर थीं । अब उसे लड़कियों के पीछे. भागने की जरुरत नहीं थी बल्कि अब तो लड़कियां उसके पीछे पीछे चक्कर लगाने लगी थीं ।
कक्षा 12 में आकर रवि बॉस बन गया था । अपनी कक्षा की लगभग सभी लड़कियों को वह "भोग" चुका था । दूसरी कक्षा की भी अनेक लड़कियों के साथ भी उसका नाम जोड़ा जाने लगा । पूरे गांव में उसकी स्थति "कृष्ण कन्हैया लाल " सी हो गई थी । जब वह लड़कियों को छेड़ता था तो अब लड़कियां गुस्सा करने के बजाय आंखों से प्यार बरसाती थीं । रवि की दसों ऊंगलियां घी में और सिर कढाही में डूबा हुआ था । हुस्न के समंदर में वह रात दिन गोते लगाने लगा ।
महाशिवरात्रि पर गांव से बाहर बने शिव मंदिर में मेला लगता था । दंगल होता था जिसमें दूर दूर के पहलवान अपना दम खम दिखाने आते थे । कबड्डी का खेल खेला जाता था । सात पत्थरों के साथ सतौलिया खेला जाता था । पूरा गांव उस मेले को देखने आता था । क्या पुरुष क्या महिलाएं और क्या लड़के , लड़कियां । सबके आकर्षण का केन्द्र होता था वह मेला । लड़कियों के लिए घर से बाहर निकलने का और कोई अवसर तो मिलता ही नहीं था इसलिए इस मेले में अक्सर गांव की सभी लड़कियां आती थीं । पडौस के गांव की भी कुछ लड़कियां उस मेले को देखने आती थीं ।
जब गांव की लड़कियां इस मेले में आती थीं तो लड़के भला कहां पीछे रहने वाले थे । जहां लड़कियां वहां लड़के । लड़के तो भंवरे की तरह होते हैं । जहां कहीं फूल खिला नहीं कि भंवरे मंडराने लगते हैं उस फूल के चारों ओर । लड़कियों को भी अच्छा लगता है जब लड़के उनके चारों ओर चक्कर काटते हैं । फूल की महत्ता इस पर है कि उसके चारों ओर कितने भंवरे मंडराते हैं । जितने ज्यादा भंवरे मंडरायें उतना ही ज्यादा फूल इतराये । लड़कियों का भाव भी इसी से तय होता है ।
मेले में दंगल का आयोजन हुआ । पहलवानों ने अपने करतब दिखाने प्रारंभ कर दिये । एक दो कुश्ती हो भी चुकी थी कि अचानक दर्शकों में से मारपीट का शोर आने लगा । गजब की मारपीट हो रही थी । दो चार लड़के लोग दूसरे लड़कों के साथ हाथापाई, उठापटक, धूमधाम कर रहे थे और गालियां बक रहे थे । रवि और रघु अपने चेलों के साथ वहां पहुंचे और दोनों गुटों को समझा बुझाकर शांत किया । झगड़े का कारण कोई बता नहीं पाया था ।
रवि और रघु वापस लौटने लगे तो अचानक रवि की नजर सामने बैठी एक लड़की पर पड़ी । क्या गजब का सौंदर्य था उसका और क्या जबरदस्त बदन । रवि की आंखें उस पर चिपक गई । रवि को समझ में आ गया कि हो न हो इस झगड़े का कारण वह लड़की ही हो । गांव की गोरी, चांद की चकोरी अल्हड़ सी छोरी ने रवि के दिल में तूफान उठा दिया था । उस लड़की की निगाहें भी रवि के चेहरे पर पड़ी तो अनायास ही दोनों की आंखें चार हो गई । क्या गजब का आकर्षण था उन आंखों में । ऐसी सुंदरता तो उसने आज तक देखी ही नहीं थी यद्यपि दसियों लड़कियों के साथ उसके संबंध बन गये थे । उस लड़की को उसने उस दिन पहली बार ही देखा था । पता नहीं किस गुलशन का गुलाब है यह ? रवि सोचने लगा । आज से पहले ना तो इसे कहीं देखा और ना ही इसकी महक ही आई थी । रवि का दिल जोरों से धक धक करने लगा । दिल में अजीब सी हलचल होने लगी थी ।
रवि को कबड्डी में भाग लेना था । कबड्डी की टीम तैयार थी । रवि अपनी टीम का कप्तान था । उस लड़की ने उसे कबड्डी के मैदान में जब उतरते हुए देखा तो उसके होठों पर भी मुस्कुराहट आ गई थी । रवि का सुडौल बदन बनियान से झलक रहा था जो किसी लड़की को दीवाना बनाने के लिए काफी था । मैदान में कबड्डी खेलने के दौरान रवि की चपलता, फुर्ती, चतुराई, ताकत के कारण रवि की टीम का जलवा पूरे मेले में फैल गया । वह लड़की "गुलाबो" भी रवि की फैन हो गई । रवि को आश्चर्य हो रहा था कि उसने इसे पहले क्यों नहीं देखा ?
जबसे रवि ने गुलाबो को देखा था उसके दिमाग में वह बस गई थी । उसे देखे बिना चैन नहीं आ रहा था रवि को । आंखों में गुलाबो की कंटीली आंखें अड़ियल टट्टू की तरह अड़ी हुई थीं । उसकी मुस्कान उसका दिल चुराकर ले गई । रवि ने गुलाबो को एक प्रेमपत्र लिखने की योजना बनाई । पहले कभी प्रेमपत्र लिखा नहीं था उसने इसलिए थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी उसे । क्या लिखें प्रेमपत्र में , यह समझ नहीं आ रहा था उसे । लेकिन प्रेमपत्र लिखना है तो लिखना है । बस, उसने ठान लिया और प्रेमपत्र लिखने बैठ गया ।
लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद वह प्रेमपत्र पूरा हुआ । इस बीच रवि ने गुलाबो का घर , खानदान सब कुछ पता कर लिया था । शाम के धुंधलके में वह गुलाबो के घर के पीछे पहुंच गया । गुलाबो अपने कमरे में ही थी । रवि ने खिड़की से गुलाबो को देखा । दोनों की आंखें चार हुई और दोनों के होठों पर मुस्कराहट फैल गई । आग दोनों तरफ लगी हुई थी । रवि ने एक पत्थर में लपेटकर वह प्रेमपत्र अपने गंतव्य स्थान पर भेज दिया ।
गुलाबो ने उसे देखा । पत्थर से कागज निकाला और एक नजर उसे देखकर वह शरमा गई। उसने अपने आसपास चारों ओर निगाहें डाली । वहां कोई नहीं था । उसने चुपचाप वह प्रेमपत्र अपने ब्लाउज में छुपा लिया फिर एक मुस्कुराहट से रवि को धन्यवाद ज्ञापित किया और रवि को वहां से जाने का इशारा किया । रवि चला गया ।
गुलाबो को वह पत्र पढना था मगर कैसे पढ़े ? घर में खतरा था । कोई भी आ सकता था । इसलिए उसने बाथरूम में पढने का सोचा । वह बाथरुम में गई मगर उसकी लाइट नहीं जली । "इस बल्ब को भी अभी ही फ्यूज होना था" ? उसने मन ही मन दांत भींचे । वह मम्मी के पास जाकर बल्ब लाने के लिए पैसे मांगने लगी । मम्मी से पैसे लेकर पास की दुकान से बल्ब लाकर उसे बाथरूम में लगाया तब जाकर उसे चैन आया । जिस काम को करने के लिए मन बावला हो , उसे किये बिना एक पल को भी चैन नहीं आता है । यही हाल गुलाबो का हो रहा था ।
बाथरूम में जाकर गुलाबो वह पत्र पढने लगी
मेरी जान, जाने बहार
गुलाबों की रानी "गुलाबो"
को अपने आशिक "रवि" का सलाम
शोले फिल्म की बसंती की तरह तुम मेरी हीरोइन हो । तुम मेरे दिल के तांगे को खींचकर "धन्नो" की तरह सरपट भाग गई और मैं एक ठाकुर की तरह अपने कटे हुए हाथ लेकर बेबस, लाचार सा खड़ा देखता रहा । मेरे दिल में ठाकुर की तरह तुम्हारे प्यार के शोले दहक रहे हैं जिन्हें तुम्हारे होठों का शहद ही बुझा सकता है । मेरी किस्मत का सिक्का तुम्हारे हाथ में है । तुम इसे टॉस करके फैसला कर सकती हो । तुम्हारी तो कोई "मौसी" भी नहीं है जिसके पास मैं अपने "जय" जैसे दोस्त रघु को भेज सकूं और तुम्हारी शादी का प्रस्ताव भेज सकूं । ऐसा करना । गांव के शिव मंदिर पर आ जाना , वहां मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा कल शाम को । शिवजी ही हमारा मिलन करवायेंगे । एक बात कह देता हूँ कि अगर तुम शिव मंदिर में नहीं आई तो मैं तुम्हें उठाकर ले जाऊंगा, ये ध्यान रखना ।
तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा आशिक
रवि