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भाग 6 बेला

20 दिसम्बर 2021

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गतांक से आगे 

काणे मास्साब जिनका वास्तविक नाम छबील दास था , हिन्दी पढ़ा रहे थे और मीराबाई के पद "हरि तुम हरो जन की पीर" का भावार्थ समझा रहे थे । विनोद का ध्यान कभी पढ़ने में लगा ही नहीं । वह बार बार कोहनी मार मार कर फुसफुसा रहा था "वह देख रही है । वह लगातार देखे जा रही है" । और रवि उसको लगातार अवॉइड कर रहा था यह कहते हुये कि "अगर वो देख रही है तो देखने दे , तू क्यों परेशान हो रहा है" ? मगर विनोद कहाँ मानने वाला था । हालाँकि वह पिछले पीरियड में मुर्गा भी बन चुका था लेकिन वो अपनी आदतों से भला कभी बाज आया है जो अब आयेगा ? 

रवि ने भी एक बार फिर से बेला की ओर देखा । वह उसे ही देख रही थी । रवि असमंजस में पड़ गया कि ये ऐसा क्यों कर रही है ? उसे कुछ समझ में नहीं आया तो उसने सोचा कि कल गुरुजी से इसकी शिकायत करेंगे । ऐसा सोचकर रवि ने विनोद को कह दिया कि वह गिनती करे कि बेला ने उसे कितनी बार देखा । विनोद अपने काम पर लग गया । बीच बीच में रवि भी बेला को देख लेता था और तब दोनों की नजरें टकरा भी जाती थी । रवि अपनी नजरें उधर से हटा लेता था । विनोद बीच बीच में रवि को छेड़ भी रहा था "बेटा, तू तो गया काम से" 
रवि समझ ही नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है । उसे अच्छा भी लग रहा था और कोई अनजाना भय भी सता रहा था । मगर करना क्या है, यह पता नहीं था । 

छबील दास जी का पीरियड समाप्त होते होते विनोद ने अपनी गिनती पूरी की "सौ" । 
ओह माई गॉड । बेला ने उसे सौ बार देखा एक पीरियड में । तीस चालीस मिनट के पीरियड में सौ बार देखा उसने रवि को । इसका मतलब उसने उस पीरियड में पढ़ा लिखा कुछ नहीं और वह बस देखती रही थी उसे । पर उसने ऐसा क्यों किया यह समझ नहीं पा रहा था रवि । काणे मास्साब के पीरियड के बाद छुट्टी हो गई थी । 

रवि अपना बैग संभाल ही रहा था कि बेला उसके पास आई और कहने लगी "क्यों रे रवि , तू मेरी तरफ क्यों देख रहा था" ? 

रवि हैरान रह गया । उल्टा चोर कोतवाल को डांटे । उसकी आंखें फटी की फटी रह गई । वह कुछ बोलता इससे पहले ही बेला बोल पड़ी "तू शैतान तो है यह मैं जानती हूँ मगर इतना बदमाश भी होगा , यह मुझे आज ही पता चला" । 

अब बहुत हो गया था । रवि को लगा कि अब पानी सिर के ऊपर तक आ गया है । झूठ बोलने की भी कोई सीमा होती है । रवि बोला "वाह भई वाह । देखो आप और इल्जाम लगाओ मुझ पर ? बढिया है" । 
बेला एकदम से चीख उठी "क्या कहा ? मैं तुझे देखूंगी ? तुझमें ऐसा है ही क्या जो मैं तुझे देखूँ" ? 
"हां हां । तूने मुझे देखा । एक नहीं सौ बार देखा । पहले तो छैला बाबू की क्लास में देखा । फिर काणे मास्साब की क्लास में देखा । पूरे पीरियड में तू मुझे देखती ही रही । यह बात मुझे विनोद ने बताई । उसने कहा था कि तूने मुझे सौ बार देखा था । उसने तो पूरी गिनती भी की थी । क्यों विनोद है ना" ? 
उसने पीछे मुड़कर विनोद की ओर देखने का प्रयास किया मगर वहां पर विनोद था ही नहीं । वह तो बेला को रवि की ओर आते देखकर ही डर के मारे नौ दो ग्यारह हो गया था ।

यह झगड़ा चल ही रहा था कि इतने में कक्षा के कुछ बच्चे वहां पर इकट्ठे हो गये थे जिनमें कुछ लड़के थे तो कुछ लड़कियां भी थी । बेला और रवि में तू तू मैं मैं होने लगी थी । कुछ बच्चों ने बीच बचाव करने की कोशिश भी की थी मगर बात बनी नहीं । लड़कियों ने रवि को कहा "तू तो बहुत बदमाश निकला रवि । हम तो तुझे ऐसा नहीं समझते थे" । 

रवि की इज्ज़त का फालूदा बन गया था । उसने विनोद को पहले ही चेताया था कि बेला एक अफंडन लड़की है । वह पता नहीं क्या क्या षडयंत्र रचती रहती है उसे नीचा दिखाने की खातिर । उसे यह पता नहीं था कि वह इतना भयानक षडयंत्र रचेगी । लेकिन अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत । और उस पर गजब यह कि विनोद की जब जरूरत पड़ी गवाही की तो वह चुपके से भाग खड़ा हुआ । उसे मंझधार में डूबने के लिए छोड़ दिया । ऐसी उम्मीद नहीं थी रवि को विनोद से । अगर दोस्त ऐसे हैं तो फिर दुश्मनों की जरूरत ही क्या है ? मगर अब क्या हो सकता है । तीर कमान से छूट चुका था जो वापस तो नहीं आ सकता था । जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो अब मूसल की चोट से क्या डरना ?  एक साथ सैकड़ों प्रश्न चलने लगे उसके मस्तिष्क में । 

वह अभी कुछ और सोचता इससे पहले बेला की आवाज सुनाई दी "तेरी इस हरकत को मैं छैला बाबू से कहूंगी और तुझे सबके सामने नहीं पिटवाया तो मेरा नाम बेला नहीं" । 

रवि आवाक रह गया । मुफ्त में मारा गया था वह  । गलती बेला की और फंस गया रवि । अब समझ में आया उसे कि बेला ने कैसा जाल बिछाया था उसे फंसाने के लिए । "बड़ी धोखेबाज है ये लड़की । खुद तो देख रही थी मुझे और इल्जाम मुझ पर ही थोप रही है " रवि के मन में भयंकर उथल पुथल होने लगी । पिटाई से उसे डर नहीं लगता था । डर तो सार्वजनिक बेइज्जती से लगता था । वह कक्षा का सबसे होशियार छात्र था । माना कि शैतानी भी करता था मगर ऐसा बदमाश नहीं है वह जैसा इल्जाम बेला लगा रही थी । पर उसकी बात पर विश्वास कौन करेगा ? बेला जो कहेगी ,सब उसकी बात सही मानेंगें और वह जो कुछ कहेगा , उसे कोई भी नहीं मानेगा । बड़ी मुश्किल हो गई ये तो । अब क्या करें ? रवि को कुछ सूझ नहीं रहा था । बच्चे भी धीरे धीरे घर को जाने लगे थे . रवि ने भी अपना बैग उठा लिया था । 

बेला ने फिर कहा "बोल , तूने ऐसा क्यों किया ? कह दूं मास्साब से" ? 

वह कुछ कहती इससे पहले ही "छैला बाबू" मास्साब उधर से निकले । बेला ने उन्हें आवाज देकर बुलाया । रवि की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गई । उसका तो आज राम नाम सत्य हो जायेगा । वह डर के मारे थर थर कांपने लगा । 

छैला बाबू मास्साब पास आ गये और बोले "क्या बात है बेटा" ? 
बेला ने एक भरपूर नजर से रवि को देखा और उसकी ओर इशारा करते हुए कहा "ये आपको छैला बाबू कहता है" । 

रवि एकदम से चौंक गया । बेला फिर खेल कर गई । जो वह कह रही थी अभी कि उसकी शिकायत कर देगी । उसने शिकायत की भी तो उसकी नहीं की जिसके लिये उसने बवंडर मचा रखा था बल्कि "छैला बाबू" नामकरण की शिकायत की थी । वह कभी बेला को समझ पायेगा क्या ? रवि मन ही मन सोचने लगा । 

छैला बाबू यह सुनकर भड़क गये और सटाक से एक चांटा रवि के बांये गाल पर रसीद कर दिया । छैला बाबू का गुस्सा सातवें आसमान पर था । "साले , यहां पर तू नामकरण करने आता है क्या ? किस किस अध्यापक का क्या क्या नाम रखा है तूने ? हमें भी तो पता चले । बाप सरपंच है तो इसका मतलब ये तो नहीं कि जो चाहे कर लो । आज देखना बच्चू तेरी कैसी धुनाई करता हूँ" । और छैला बाबू रवि पर बुरी तरह से पिल पड़े । 

बेला के होठों पर फिर से विजयी मुस्कान तैर गई । रवि की इज्ज़त का पूरा कबाड़ा हो चुका था वो भी उसके दोस्तों के सामने । इतना भयानक अपमान वह कैसे सहन कर सकता था । 

इस घटना के बाद रवि पांच सात दिन तो स्कूल में आया ही नहीं था । और विनोद ? वह तो कम से कम दस दिनों तक स्कूल नहीं आया था । जब दोनों का आमना सामना हुआ तब विनोद कन्नी काटकर जाने लगा । मगर रवि ने उसे पकड़ लिया और उसकी जमकर धुनाई की । उस दिन के अपमान का बदला रवि ने विनोद से ले लिया था . 

शेष अगले अंक में 

हरिशंकर गोयल "हरि"
20.12.21 
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रचनाएँ
आवारा बादल
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एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपनी जिंदगी अपने ही ढंग से जी । मस्तमौला प्रवृत्ति का यह व्यक्ति प्रेम के सागर में गोते लगाकर भी सफलता के नये सोपान गढ़ता चला गया ।
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"कहते हैं कि "जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ" । कुछ पाने के लिए गहरे पानी में उतरना पड़ता है । यह बात IAS की परीक्षा पर पूरी तरह फिट बैठती है । इस परीक्षा के लिए गहरी जानकारी होना आवश्यक है । सतही ज

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