गतांक से आगे
रवि और विनोद में एक दिन लड़ाई हो गयी । विनोद कहने लगा कि श्याम सुंदर मास्साब का नामकरण उसने सही नहीं किया । रवि ने उसका नाम रखा था "बौडम" । इस पर विनोद को आपत्ति थी । विनोद कहने लगा "क्या होता है ये बौडम ? हमारी तो कुछ समझ में नहीं आया " ।
इस पर रवि ने कहा "तू बौडम का बौडम ही रहा । अगर तेरे समझ में आ जायेगा तो फिर तुझमें और मुझमें अंतर क्या रह जायेगा" ? इस बात पर दोनों दोस्त खिलखिलाकर हंस पड़े ।
इतने में "छैला बाबू" मास्साब आ गये । दरअसल उनका नाम तो महेश पारीक था लेकिन वे रहते एकदम छैला बाबू की तरह । चौड़ी मोहरी वाला बैलबॉटम , रिशी कपूर स्टाइलिश बाल और राजेश खन्ना जैसे गर्दन हिलाने की आदत । तो रवि ने उनका नामकरण "छैला बाबू" कर दिया । सब बच्चे भी उन्हें छैला बाबू ही कहते थे । छैला बाबू के कक्षा में आने पर सब बच्चे चुपचाप बैठ गये और सामाजिक ज्ञान की पुस्तक निकाल कर पढने लगे । छैला बाबू अशोक महान का पाठ पढ़ाने लगे ।
अचानक विनोद ने रवि को कोहनी मारी । रवि ने आंखों के इशारे से पूछा "क्या है" ? विनोद ने बेला की ओर इशारा किया । रवि ने इशारे से ही पूछा "क्या" । विनोद ने फुसफुसा कर कहा " वो तुझे देख रही है" ।
"अबे साले, मरवाएगा क्या" ?
"सच में तुझे देख रही है"
"तू चुपचाप अपना काम कर"
"माने चाहे मत माने , पर वो तुझे चोरी चोरी देखती है"
"हां , देखती होगी । शायद यह सोचती होगी कि मेरी पिटाई कैसे लगवानी है । बस, इसीलिए देख रही होगी" ।
"तू साला गधे का गधा ही रहा । वो तो बड़े प्रेम से देख रही है और तू फालतू बातें किये जा रहा है" ।
"अच्छा । तो तू सब जानता है कि कोई प्यार से देख रहा है या नफरत से " ?
"मैं तो बस इतना जानता हूँ कि बेला तुझे देख रही है और कुछ नहीं जानता इसके सिवाय " । विनोद धीरे से बोला ।
उनकी फुसफुसाहट छैला बाबू तक पहुंच गई थी । छैला बाबू गरज उठे "ये कौन बदतमीज है जो फुस फुस कर रहा है" ।
पूरी कक्षा को जैसे सांप सूंघ गया हो । एकदम से सन्नाटा सा छा गया । उन्होंने आगे कहा "खबरदार जो अगर किसी ने जरा सी भी चूं चपड़ की तो खाल खींच लूंगा उसकी" ।
इतनी बड़ी धमकी मिलने के बाद किसकी हिम्मत थी कि वह जरा सी भी कोई हरकत कर जाये । पिन ड्रॉप साइलेंस हो गया था कक्षा में । छैला बाबू अशोक के शिलालेखों के बारे में बताने लगे ।
इतने में विनोद ने फिर से कुहनी मारी । रवि ने थोड़ा गुस्से से उसे देखा । विनोद का रटा रटाया जवाब "वो तुझे देख रही है" ।
अबकी बार रवि ने बेला की ओर देखा । वास्तव में बेला उसे ही देख रही थी । अचानक से दोनों की आंखें मिल गयीं । बेला ने अपनी नजरें झुका लीं । बेला के होठों पर मुस्कान तैर गई। रवि भी मुस्कुरा दिया और वापस किताब पढने लगा ।
"मैं कह रहा था ना साले, वह तेरी ओर देख रही है मगर तू मान ही नहीं रहा था । अब तो प्रूफ देख लिया न ? अब बोल , क्या बोलता है तू " ?
रवि एकदम से चुप बैठा रहा । उसने कुछ नहीं कहा बस, किताब की ओर नजरें गड़ाये बैठा रहा ।
"अबे साले , देख देख देख । उसने फिर से देखा कनखियों से" । विनोद फिर से फुसफुसाया ।
रवि ने हलकी सी गर्दन घुमा कर बेला की ओर देखा तो बेला को उसने अपनी ओर ही देखते पाया । दोनों की नजरें फिर से मिल गयीं । बेला फिर से मुस्कुरा दी । रवि वापस पढने लग गया । थोड़ी देर बाद विनोद ने फिर कहा " देख , वह फिर देख रही है"
"ऐसा कर , तू गिनता जा । जितनी बार वह देखे तू बस गिनता रह । जब सौ हो जाऐं तब बता देना" । उसने टालने की गरज से ऐसा कह दिया । विनोद को तो बस उसकी पसंद का काम मिल गया था । उसने गिनना शुरू कर दिया ।
इतने में छैला बाबू को आभास हो गया कि कुछ गड़बड़ हो रही है । उसने विनोद को खड़ा कर दिया और पूछा कि बता, अभी वे कहाँ पढ़ा रहे थे ?
अचानक प्रश्न पूछने पर विनोद की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई । वह बता नहीं पाया और चुपचाप खड़ा रहा । इससे छैला बाबू का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया । छैला बाबू ने उसे तुरंत मुरगा बन जाने का आदेश सुना दिया । विनोद के पास आदेश मानने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं था । एक बार उसने बड़ी कातर निगाहों से छैला बाबू को देखा मगर उनकी भेड़िए सी आंखें देखकर वह सहम गया और चुपचाप मुरगा बन गया ।
रवि भी एकदम डर गया था इस अप्रत्याशित घटना से । अगर ये छैला बाबू उससे पूछ लेता तो ? तो फिर वह मुरगा बनता । उसकी निगाहें बरबस बेला की ओर चली गई । बेला जैसे खिल्ली उड़ा रही थी उन दोनों की । इसी अंदाज में उसके चेहरे की भाव भंगिमा थी ।
शुक्र था कि छैला बाबू का पीरियड खत्म हो गया । घंटी बज गयी और छैला बाबू विनोद को हिदायत देकर चले गये । विनोद का चेहरा मुरगा बनने से लाल सुर्ख हो गया था । रवि ने चुटकी लेते हुये कहा "आबे साले, छैला बाबू ने तुझे बनाया तो मुरगा था लेकिन तेरा चेहरा बंदर जैसे लाल क्यूं हो रहा है" ?
रवि की इस बात पर पूरी कक्षा हंस पड़ी । विनोद को भी शर्म आ गयी । बेला तो हो हो कर हंसने लगी।
अगला पीरियड "काणा मास्साब" का था । हिन्दी पढ़ाते थे वे । बचपन में ही एक आंख खराब हो गई थी इसलिए एक ही बल्ब से गाड़ी चला रहे थे अब वे । रवि ने उनका नाम "काणा मास्साब" रख दिया था ।
काणे मास्साब दिल के बहुत अच्छे आदमी थे । सामान्यतः वे बच्चों की पिटाई नहीं करते थे । अगर कोई बच्चा शैतानी करता था तो वे उस बच्चे को कक्षा में पीछे भेज देते थे और हाथ ऊपर करवा कर खड़ा करवा देते थे ।
शेष अगले अंक में